छत्तीसगढ़

भ्रष्टाचार-कमीशनखोरी बन गई है भाजपा सरकार की पहचान : कांग्रेस

 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी साय सरकार की पहचान बन गयी है। बिना कमीशन के प्रदेश में किसी विभाग में कोई काम नहीं हो सकता। आबकारी, पीएचई, कृषि सभी विभागों में कमीशन के टारगेट फिक्स हो गये है। अब तो लोग साय सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ लामबंद हो रहे है। आबकारी विभाग में अधिकारी दुकानों को कमीशन का टार्गेट दे रहे है, इसका वीडियो वायरल हो रहा है। राजनांदगांव के कांट्रेक्टर एसोसिएशन के द्वारा जल जीवन मिशन योजना में ठेकेदारों को भुगतान के एवज में पीएचई विभाग के ईई और एसडीओ द्वारा 10 प्रतिशत की कमीशन मांगे जाने की लिखित शिकायत विगत 2 अप्रैल 2024 को जल जीवन मिशन के प्रदेश संचालक से की है। डेढ़ महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने उक्त शिकायत पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं किया है। मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों का मौन इस बात का प्रमाण है कि भाजपा सरकार की सहमति और संरक्षण में ही लूट का यह खेल खेला जा रहा है। कांट्रेक्टर एसोसिएशन ने अपने शिकायत पत्र में यह भी कहा है कि ईई और एसडीओ के द्वारा यह बताया गया है उनके द्वारा लिए जाने वाला कमीशन ऊपर वालों के लिए है। मुख्यमंत्री साय यह स्पष्ट करें, कि क्या यह कमीशन छत्तीसगढ़ को रिमोट से चलाने वाले मोदी और शाह तक पहुंचाया जा रहा है?


दीपक बैज ने कहा कि आबकारी और जल जीवन मिशन में अधिकारियों की कमीशनखोरी का खुलासा साय सरकार का आईना है। भाजपा नेताओं का पूरा फोकस केवल कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार में है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आते ही केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाओं में जमकर वसूली शुरु हो गई है। तमाम विभाग ठेके पर संचालित किये जा रहे हैं। पूरा कमीशन का भुगतान नहीं होने पर अधिकारियों पर दबाव बनाकर बिल पर साइन करने से रोका जा रहा है। ना खाऊंगा ना खाने दूंगा भी भाजपाईयों के लिए केवल जुमला है, असलियत यही है कि छत्तीसगढ़ में वसूली और संगठित लूट का रैकेट भाजपा नेताओं के सरंक्षण में चल रहा है।

उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचार के चलते ही अमृत मिशन योजना छत्तीसगढ़ में पिछड़ गया है। साय सरकार आने के बाद से घरेलू नल कनेक्शन लगाने की रफ़्तार बेहद धीमी हो गई। भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार के लिए नित नए प्रयोग हो रहे हैं। केंद्र में मोदी सरकार ने स्मार्ट सिटी कमेटी में निर्वाचित जनप्रतिनिधि को बाईपास करके अधिकारियों को जिम्मेदारी दी, डीएफ समिति में कलेक्टरों को प्रमुख बनाया ताकि भुगतान और वसूली में केंद्र का सीधा नियंत्रण हो सके। स्मार्ट सिटी की तरह है जल जीवन मिशन भी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के कमीशनखोरी के कारण सफल नहीं हो पाया है। 2024 तक सभी घरों में घरेलू नल कनेक्शन देने का मोदी सरकार दावा पूरी तरह से झूठा साबित हुआ है।

 

 

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