धर्म समाज

शिव महापुराण में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने किए पूर्ण इंतेज़ाम

 जशपुर जिले के कुनकुरी विकासखण्ड के मयाली में 21 से 27 मार्च तक आयोजित होने वाली शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। जहां श्रद्धालुओं एवं जनमानस की सुरक्षा हेतु सभी इंतेज़ाम किये गए हैं। जिसके तहत जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा लोगों की सुविधा के लिए कंट्रोल रूम नम्बर जारी किए गए हैं, साथ ही 3 कंट्रोल रूम स्थापित किये गए हैं। 

जिसमें कंट्रोल रूम कुनकुरी 24 घंटे सेवा में उपलब्ध रहेगा। जिसका दूरभाष नम्बर 07764296765 है। वहीं कंट्रोल रूम पुलिस लाइन जशपुरनगर प्रातः 6 बजे से शाम 6 बजे तक सेवा में रहेंगे। जिसका दूरभाष नम्बर 9479193699 है। एक कंट्रोल रूम मयाली में शिव महापुराण कथा पंडाल स्थल के निकट बनाया गया है। जहां प्रातः 6 बजे से सांय 6 बजे तक सेवाएं उपलब्ध रहेंगी। तीनों कंट्रोल रूम कार्यक्रम समाप्ति तक कार्यरत रहेंगे, इसके लिए अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी भी कंट्रोल रूम में लगाई गई है।

श्रद्धालुओं के लिए अस्थाई अस्पताल की है व्यवस्था : 

कार्यक्रम स्थल में श्रद्धालुओं के लिए सभी ज़रूरी इंतज़ाम किये गए हैं। जिसके तहत कार्यक्रम स्थल के निकट अस्थाई अस्पताल का निर्माण किया गया है। जहां पर स्वास्थ्य कर्मिंयों की ड्यूटी लगाई गई है। किसी भी आपात स्थिति के लिए अस्पताल में सभी व्यवस्थाएं की गईं हैं। इसके अतिरिक्त 05 खोया पाया केंद्र, 10 सार्वजनिक पार्किंग स्थल, 03 व्हीआईपी पार्किंग स्थल बनाये गए हैं। रायगढ़, रांची, जशपुर की ओर से बसों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हेलीपेड के निकट बसों का स्टॉप एवं 05 सार्वजनिक पार्किंग स्थल बनाया गया है। वहीं अम्बिकापुर, बगीचा की ओर से बसों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आयोजन स्थल के निकट बस स्टॉप एवं 05 सार्वजनिक पार्किंग स्थल बनाया गया है। कार्यक्रम स्थल के पास 140 यूनिट अस्थाई शौंचालयों का निर्माण किया गया है। किसी भी आपात स्थिति से बचाव के लिए सुरक्षा एवं बचाव प्रणाली के साथ पुलिस बलों की ड्यूटी भी लगाई है। मोबाइल मेडिकल यूनिट भी स्थापित किया गया है।

कार पार्किंग स्थल एवं बस स्टॉप से लोगों को कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाने के लिए स्थानीय स्तर पर छोटे ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उनका किराया भी प्रति व्यक्ति 10 रुपये नियत किया गया है। सभी ऑटो चालकों को अधिक किराया ना वसूल करने हेतु निर्देश दिए गए हैं। परिवहन की उचित व्यवस्था हेतु परिवहन विभाग द्वारा केंद्र भी स्थापित किया गया है। सभी स्थानों पर व्यवस्था निर्माण हेतु पुलिस के जवानों की भी ड्यूटी लगाई गई है।

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प्रयागराज के बाद खाटूश्यामजी में उमड़ा जनसैलाब

 झुंझुनूं विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ चुके प्रयागराज महाकुंभ के बाद अब राजस्थान के खाटूश्यामजी में श्रद्धा और भक्ति का सैलाब उमड़ रहा है। श्रद्धा और आस्था का प्रतीक विश्वप्रसिद्ध सूरजगढ़ निशान आज खाटूश्यामजी के लिए रवाना हो गया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस ऐतिहासिक निशान यात्रा में शामिल हुए। खाटूश्यामजी स्थित बाबा श्याम के शिखर पर हर साल फाल्गुन माह की द्वादशी के दिन सूरजगढ़ निशान चढ़ाया जाता है, जो सैकड़ों सालों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है।

श्रद्धालुओं की भीड़ और भक्ति भाव के माहौल के बीच झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ निशान को विधिवत पूजा-अर्चना कर रवाना किया गया। राजस्थान की समृद्ध परंपरा को संजोए ऊंट गाड़ियों, भजन-कीर्तन और जयकारों के साथ श्रद्धालु खाटूश्यामजी के लिए निकले। खास बात यह रही कि सैकड़ों महिलाएं सिर पर जलते अंगारों की सिगड़ी रखकर पदयात्रा में शामिल हुईं, जो उनकी गहरी आस्था और दृढ़ निष्ठा को दर्शाता है।

 

बता दें राजस्थान के सीकर जिले स्थित खाटूश्यामजी के वार्षिक लक्खी मेले का आगाज हो चुका है। देश के कोने-कोने से लाखों को तादाद में श्रद्धालु खाटूश्यामजी पहुंच रहे है। बात करें शेखावाटी अंचल की तो शेखावाटी के तीनों जिले सीकर, झुंझुनूं व चूरू बाबा श्याम के रंग में रंगे नजर आ रहे है। हर ओर बाबा श्याम के जयकारे गूंज रहे हैं। 

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छत्तीसगढ़ की जेलों में कैदियों का गंगाजल से सामूहिक स्नान, आध्यात्मिक शुद्धि की पहल

 छत्तीसगढ़ के रायपुर सेंट्रल जेल में कैदियों ने महाकुंभ से लाए गए गंगाजल से सामूहिक स्नान किया। इस विशेष अवसर पर राज्य की 5 सेंट्रल जेल, 20 जिला जेल और 8 सब-जेल के कैदियों को गंगाजल से स्नान करने का अवसर मिला, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शुद्धि का अनुभव हुआ। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल पर कबीरधाम जिले की जिला जेल में भी यह आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर 237 कैदियों ने गंगाजल से स्नान किया, जिससे आत्मशुद्धि और नैतिक उत्थान को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया।


गृहमंत्री विजय शर्मा ने महाकुंभ से लाया गंगाजल
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा हाल ही में महाकुंभ से गंगाजल लेकर आए थे, जिसे कैदियों के लिए उपलब्ध कराया गया। कैदियों ने इस स्नान को मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त करने का माध्यम बताया। जेल प्रशासन ने इस आयोजन के लिए विशेष व्यवस्था की और इसे धार्मिक और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने का सकारात्मक कदम बताया।

कैदियों में सुधार लाने की पहल : विजय शर्मा
कबीरधाम में जेल प्रशासन द्वारा विशेष इंतजाम किए गए, जिससे कैदियों में उत्साह देखा गया। इस आयोजन का उद्देश्य केवल शारीरिक शुद्धता ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान भी था। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम चलाएगी, ताकि सुधार और पुनर्वास के माध्यम से कैदियों को समाज में पुनः सकारात्मक स्थान मिले। इस पहल से कैदियों को सुधार का अवसर मिलने के साथ-साथ समाज में पुनः समायोजन की दिशा में भी सहायता मिलेगी।

सुधार और पुनर्वास की दिशा में राज्य सरकार की अनूठी पहल

 
 


डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि कैदियों के लिए गंगाजल से स्नान कराने का यह कार्यक्रम महाकुंभ के माहौल में एक महत्वपूर्ण कदम था। इससे राज्य सरकार की सुधारात्मक और पुनर्वास नीति की प्रतिबद्धता जाहिर होती है। यह पहल न केवल अपराधियों को सुधारने का प्रयास करती है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करने का भी प्रयास करती है।

 



राज्य की जेलों में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने की कोशिश
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गंगाजल से कैदियों को स्नान कराने की इस पहल को अब और विस्तार दिया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल पर राज्य की 5 सेंट्रल जेल, 20 जिला जेल और 8 सब-जेल में कैदियों को गंगाजल से स्नान कराया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य केवल शारीरिक स्वच्छता नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान भी है। राज्य सरकार की यह पहल कैदियों के आत्मशुद्धि के साथ-साथ समाज में उनके पुनः सम्मानजनक जीवन की दिशा में प्रेरित करने का प्रयास कर रही है।

 



यह पहल राज्य सरकार की सुधार और पुनर्वास की नीति को दर्शाती है, जो केवल सजा देने तक सीमित नहीं, बल्कि कैदियों के जीवन में सुधार और समाज में उनके पुनः समायोजन को प्राथमिकता देती है। इस कदम से राज्य की जेलों में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है और कैदी अपने जीवन को नए दृष्टिकोण से देख सकेंगे।

 

 

 
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राजिम कुंभ कल्प के मंच पर उत्तर रामायण पर लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम

 राजिम कुंभ कल्प मेला के मुख्य मंच पर 20 फरवरी गुरुवार को उत्तर रामायण पर आधारित लाइट एंड साउंड शो (मनोरमा इंप्रेशन, नितिन दत्तात्रेय बनसोड) का कार्यक्रम मुख्य आकर्षण रहेगा। इसके अलावा मंच पर महादेव हिरवानी की टीम द्वारा लोककला मंच की शानदार प्रस्तुति होगी। लेवेंद्र चंद्राकर और नारायण पचपेड़िया द्वारा लोक कलामंच से छत्तीसगढ़ की गौरव गाथा बताएंगे।

12 बजे से शांम 5 बजे तक सांस्कृतिक मंच पर रामेसर गंधर्व की नाचा पार्टी, शंभुराम टोंनडरे की टीम सतनाम भजन, विश्वास गीत गजल, अरुण निर्मलकर की मंडली द्वारा जस झांकी, धाम सिंग की टीम लोक कला मंच की प्रस्तुति देंगे। कौशल्या बाई साहू सुवा नृत्य, वेदकुमारी द्वारा पंडवानी, प्राची निगम कत्थक नृत्य, महेश पाल भजन संध्या, दिलीप नवरत्न की टीम लोककला मंच की झमाझम प्रस्तुति से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे।

 

 

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राजिम कुंभ कल्प में लगा सेल्फी जोनः पुराने जमाने की यादे हो रही ताजा

 राजिम कुंभ कल्प में कुलेश्वर महादेव मंदिर के पास संत समागम के सामने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सहेजती तथा पुनर्जीवित कर उसके संरक्षण के लिए संकल्पित सेल्फी जोन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जिसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग वर्ग के लोग भरपूर मनोरंजन करते नजर आ रहे है। साथ ही मेले में बिताए अपने हर पर को यादगार बनाने के लिए वहां के हर एक सामग्री के साथ सेल्फी लेकर उसे अपने कैमरे में कैद कर रहें है। सेल्फी जोन ग्रामीण जीवन शैली पर आधारित बनाया है जहां बैलगाड़ी की तरफ सबसे ज्यादा भीड़ है। लोग किसान का वेश पहनकर सेल्फी ले रहे हैं।

इस सेल्फी जोन में सभी पुराने गहने और वेशभूषा संग्रहित है। स्टाल में पर्रा, टोकरी, पारंपरिक गहने बिछिया, करधन, सुता ऐठी, सुर्रा, किला साडी, खुमरी, राउत वेशभूषा आदि छत्तीसगढ़ी आभूषण लोगो के बीच कौतुहल का विषय बना हुआ है।

 
 

सेल्फ़ी जोन की संचालिका गिनिज बुक आफ वर्ड रिकार्ड (बायो आर्ट) एवं तीन बार सीएम अवार्ड से सम्मानित रानी निषाद ने बताया कि आधुनिक पीढ़ी को अपनी संस्कृति की पहचान कराने के लिए यह सेल्फी जोन बनाया गया है। जोन में युवक, युवतियों और महिलाओं के लिए अलग अलग वस्त्र और आभूषण रखे गए है। युवकों के लिए भी धोती, जैकेट, कलगी , सुता , खुमरी , राउत डंडा संग्रहित किया गया है। वहीं युवतियों और महिलाओं के लिए भी विभिन्न प्रकार के पारंपरिक गहने और वस्त्रों का संकलन रखा गया है।

 
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महाशिवरात्रि से पहले काशी में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

 श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में महाकुंभ पलट प्रवाह के 35वें दिन मंगलवार को सुबह से 12 बजे तक दो लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन कर लिया। भोर में मंगला आरती के बाद से ही भक्तों की लाइनें गोदौलिया और मैदागिन तक लगी रहीं। वहीं वीआईपी और प्रोटोकॉल दर्शन भी हो रहे हैं। गर्भगृह के एक द्वार से डबल लाइन में भक्तों को दर्शन कराकर भीड़ प्रबंधन किया जा रहा है।

मंदिर सीईओ विश्वभूषण मिश्रा ने कहा कि गर्भगृह के एक द्वार से दो दो लाइनों में लगे भक्तों को दर्शन कराया जा रहा है। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के पहल पर ये व्यवस्था लागू की गई है। इससे ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को दर्शन कराया जा पा रहा है। इसमें एक लाइन में लगे मंदिर के सामान्य श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं।

वहीं दूसरी लाइन में आने वाले भक्तों को सीढ़ीदार प्लेटफॉर्म बनाकर गर्भगृह के बाहर से झांकी दर्शन कराया जा रहा है। ऐसे में एक समय में एक गेट से दो लाइनों में लगे श्रद्धालुओं को दर्शन करा दिया जा रहा है।

मंदिर सीईओ ने कहा कि इसके अलावा मंदिर के अंदर भीड़ प्रबंधन को लेकर भी काम चल रहा है। महाशिवरात्रि पर भी मंदिर में दर्शन- पूजन महाकुंभ में लागू किए गए नियमों के अनुसार ही होगा।

सुरक्षा इंतजामों में लगे काशी जोन के एडीसीपी
उधर, भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए काशी जोन के एडीसीपी सरवणन टी. ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। कहा कि महाकुंभ के पलट प्रवाह के चलते वाराणसी में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों का बड़ा जमावड़ा है। हर रोज यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पर्यटक और तीर्थयात्री सुरक्षित तरीके से दर्शन कर सकें। तीर्थयात्रियों के प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग जगह बनाई गई है। जिससे आवाजाही में कोई बाधा न आए। साथ ही ड्रोन से नावों में भीड़भाड़ को लेकर निगरानी की जा रही है। सभी नाव मालिकों को पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जानकारी भी दी गई है।

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मुख्यमंत्री श्री साय ने श्रीमद्भागवत कथा में किया श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग का श्रवण, छत्तीसगढ़ की समृद्धि और खुशहाली की कामना की

 मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के डुंडा स्थित अशोका पाम मिडोज कॉलोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में शामिल हुए। इस पावन अवसर पर उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा रानी से समस्त छत्तीसगढ़वासियों की सुख-समृद्धि, शांति और मंगलमय जीवन की प्रार्थना की। मुख्यमंत्री ने व्यासपीठ का नमन करते हुए कथाव्यास पंडित श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री से आशीर्वाद लिया और श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग का श्रवण किया।


भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे – मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री श्री साय ने कथाव्यास पंडित श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री का माता कौशल्या की पावन भूमि छत्तीसगढ़ में हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण अत्यंत सौभाग्य की बात है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि हमें धर्म, प्रेम और कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है। मैं आशा करता हूँ कि सभी श्रद्धालु इस कथा के दिव्य संदेश को आत्मसात करेंगे और इसे अपने जीवन में अपनाएंगे। भगवान श्रीकृष्ण हम सभी को शक्ति दें कि हम पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ छत्तीसगढ़ की जनता की सेवा कर सकें।

छत्तीसगढ़ – भगवान श्रीराम की वनवास स्थली, रामभक्तों के लिए महाकुंभ में विशेष व्यवस्था

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि भगवान श्रीराम के वनवास काल का अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में बीता, और यहां उन्हें "भांचा" के रूप में सम्मान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने "श्रीरामलला दर्शन योजना" के तहत अब तक 20,000 से अधिक रामभक्तों को अयोध्या धाम में श्रीरामलला के दर्शन का सौभाग्य प्रदान किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रयागराज महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि 144 वर्षों बाद यह शुभ संयोग आया है, और छत्तीसगढ़ सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए महाकुंभ में 'छत्तीसगढ़ पवेलियन' की विशेष व्यवस्था की है। इस पवेलियन में निःशुल्क आवास, भोजन और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं, ताकि छत्तीसगढ़ से जाने वाले श्रद्धालु सुविधापूर्वक स्नान, दर्शन और धार्मिक अनुष्ठान कर सकें।
 
मुख्यमंत्री ने श्रीमद्भागवत कथा के सफल आयोजन के लिए सभी आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे आध्यात्मिक आयोजन समाज में सकारात्मक ऊर्जा और धार्मिक चेतना का संचार करते हैं।

इस अवसर पर श्री भूपेंद्र सवन्नी, श्री राजीव अग्रवाल, श्री सरल मोदी सहित श्रीमद्भागवत कथा के आयोजकगण, स्थानीय गणमान्यजन और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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दिन में तीन रूप बदलते है भगवान राजीव लोचन

 राजिम का भगवान राजीव लोचन न सिर्फ आध्यात्मिक धार्मिक रूप से, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। राजीव लोचन भगवान को लेकर क्षेत्र में कई किवदंतियां प्रसिद्ध है। काले पत्थर से बनी भगवान राजीव लोचन की मूर्ति की विशेषता यह है कि यह मूर्ति एक ही पत्थर से निर्मित जीवंत विग्रह है। जिसके कई प्रमाण यहां आने वाले श्रद्धालुओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेगा। 

भगवान राजीव लोचन को प्रति शनिवार तेल चढ़ाया जाता है। यह तेल भगवान राजीव लोचन का विग्रह सोख लेता है, जो अपने आप में एक हैरात अंगेज करिश्मा है कि आखिर पत्थर की इस प्रतिमा में चढ़ाया हुआ तेल कहां चला जाता है। राजीव लोचन मंदिर के पूर्व मुख्य पुरोहित स्व. नारायण प्रसाद पांडेय ने दावा करते हुए ये बात बताई थी कि उनके शरीर में स्पर्श करने पर शरीर के रोम होने का एहसास मैंने एक बार नहीं कई बार किया है।

इसके अलावा मान्यता है कि भगवान राजीव लोचन दिन में तीन स्वरूप बदलते हैं। प्रातः काल बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था और रात्रि कालीन वृद्धा अवस्था में उनके दर्शन किए जा सकते हैं। इन स्वरूपों का अनुभव किया जाना कई श्रद्धालुओं ने स्वीकार भी किया है। भगवान राजीव लोचन की पूजा अर्चना और श्रृंगार धार्मिक मान्यताओं के आधार आयोजित होने वाले पर्व और त्यौहार पर आधारित है। वर्षभर में जितने भी पर्व और त्यौहार आते हैं। उनका श्रृंगार उसी पर्व और त्यौहार के अनुरूप किया जाता है और उसी विधि विधान से उनका पूजन अर्चन होता है।

कहा जाता है कि पूर्व में भगवान राजीव लोचन रात्रि शयन आरती के बाद भोग लगाने की परंपरा नहीं थी। इसी लिए भूख लगने पर वे बूढ़े के वेश में राजिम के एक दुकान में जाकर खाने-पीने की वस्तु लेकर अपनी भूख शांत किया करते थे। एक बार मंदिर की कटोरी उसी हलवाई की दुकान पर देखकर मंदिर के पुजारी ने उनसे पूछा कि ये मंदिर का बर्तन तुम्हारे पास कहां से आया, जिसमें भगवान राजीव लोचन को भोग लगाया जाता है, तब उस हलवाई ने बताया कि रोज रात को एक बुजुर्ग व्यक्ति आते हैं और खाने-पीने की वस्तुएं मांग कर खाते हैं उसके बदले में उन्होंने मुझे यह बर्तन दिया। तब पुजारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने रात्रिकालीन सयन आरती के बाद भोग लगाने की परंपरा शुरू की और उनके विग्रह के सामने लकड़ी का एक पाटा लगाया गया, ताकि वे रात को निकलकर बाहर न जा सके। रात्रिकालीन सयन आती में उन्हें चावल से बना मिष्ठान जिसे अनरसा कहते है, उसका भोग लगाया जाता है। सुबह बाल भोग के रूप में उन्हें माखन मिश्री और दोपहर को उन्हें भोजन का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

राजीव लोचन मंदिर की पूजा पद्धति और प्रसाद जगन्नाथपुरी मंदिर के विधि विधान से काफी मिलते है। ऐसी मान्यता भी है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ पुरी से भगवान राजीव लोचन के दर्शन करने राजिम आते हैं और इस दिन जो दिन के तीन पहर में भगवान राजीव लोचन के दर्शन करता है उसे जगन्नाथ पुरी यात्रा का पुण्य लाभ मिलता है।

 

 

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प्रयागराज महाकुंभ से आज चल रही हैं ये स्पेशल ट्रेनें

  प्रयागराज महाकुंभ में माघ पूर्णिमा का पवित्र स्नान जारी है। इस बीच श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने भी खास प्रबंध किया है। 12 फरवरी को रेलवे कई स्पेशल ट्रेनें चला रहा है।
    प्रयागराज-कानपुर सेंट्रल मेला स्पेशल (00101)- सुबह पांच बजे
    प्रयागराज-कानपुर सेंट्रल मेला स्पेशल (00102)- शाम 4 बजकर 05 मिनट
    प्रयागराज-कानपुर सेंट्रल मेला स्पेशल (00103)- शाम 7.50 मिनट
    प्रयागराज-कानपुर सेंट्रल मेला स्पेशल (00104)- शाम- 9.30 बजे
    प्रयागराज- पं दीनदयाल उपाध्याय मेला स्पेशल (00201)- सुबह 9.30 बजे
    प्रयागराज- पं दीनदयाल उपाध्याय मेला स्पेशल (00202)- दोपहर 12 बजे
    प्रयागराज- पं दीनदयाल उपाध्याय मेला स्पेशल (00203)-शाम 3.30 बजे
    प्रयागराज- पं दीनदयाल उपाध्याय मेला स्पेशल (00204)- शाम छह बजे
    प्रयागराज- पं दीनदयाल उपाध्याय मेला स्पेशल (00205)-शाम 7.30 बजे
    प्रयागराज- पं दीनदयाल उपाध्याय मेला स्पेशल (00205)-रात 9.30 बजे
    प्रयागराज- कटनी मेला स्पेशल(00301)-सुबह 10.40 बजे
    प्रयागराज- वीरागंना लक्ष्मीबाई झांसी मेला स्पेशल-(00302)- दोपहर 1.30 बजे
    प्रयागराज- कटनी मेला स्पेशल(00303)- रात 8.15 बजे
    प्रयागराज छिवकी-पं दीनदयाल उपाध्याय मेला स्पेशल(00401)- रात 8.30 बजे
    प्रयागराज छिवकी-बांदा स्पेशल (00501)- शाम 4 बजकर 45 मिनट
    प्रयागराज छिवकी-कटनी मेला स्पेशल(00502)-8.55 बजे
    नैनी-चित्रकूट धाम कर्वी मेला स्पेशल (00601)- शाम 6 बजे
    नैनी-सतना मेला स्पेशल- (00602) रात 9 बजे
    प्रयागराज- वीरागंना लक्ष्मीबाई झांसी मेला स्पेशल-(01807) शाम 5.05 बजे
    प्रयागराज छिवकी- वीरागंना लक्ष्मीबाई झांसी मेला स्पेशल-(01810) शाम 4 बजे
    प्रयागराज छिवकी- वीरागंना लक्ष्मीबाई झांसी मेला स्पेशल (01812) - रात 11.20 बजे
    बीना-प्रयागराज छिवकी मेला स्पेशल (01817) सुबह 11 बजे
    बीना- सूबेदार गंज मेला स्पेशल (01819) शाम 5.50 बजे
    सूबेदारगंज-बीना मेला स्पेशल (01820) सुबह- 9.50 बजे

भारतीय रेलवे इसके अलावा भी कई ट्रेनें चला रही है। ट्रेनों की विशेष जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए ट्वीटर हैंडल से भी जानकारी ले सकते हैं।

रेलवे ने श्रद्धालुओं से की ये अपील महाकुंभ में पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशनों पर उमड़ी भीड़ के बीच रेलवे ने श्रद्धालुओं से संयम बरतने की अपील की है। रेलवे ने स्पष्ट किया कि सिर्फ प्रयागराज संगम स्टेशन ही अमृत स्नान से दो दिन पहले और दो दिन बाद बंद रहता है, इसलिए किसी अफवाह पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। भोपाल रेल मंडल के सभी स्टेशनों से महाकुंभ स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जिनसे अब तक सवा लाख यात्री सफर कर चुके हैं। घाटों तक पहुंचने की सुविधा मंडल के सभी स्टेशनों से हर चार मिनट पर एक ट्रेन चलाई जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान के लिए इंतजार न करना पड़े।

एक बार में एक स्पेशल ट्रेन (महाकुंभ स्पेशल ट्रेन) भोपाल और आसपास के स्टेशनों से 3780 यात्रियों को लेकर जाती है। प्रयागराज जंक्शन, छिवकी, नैनी, सूबेदारगंज, प्रयाग, फाफामऊ, रामबाग और झूंसी जैसे स्टेशनों पर यात्रियों को पवित्र स्नान के लिए घाटों तक पहुंचने की सुविधा दी जा रही है। यात्री अधिक जानकारी के लिए रेलवे हेल्पलाइन 139 और ऑनलाइन सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं।

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प्रयागराज महाकुंभ: भारी भीड़ से हाईवे जाम, हजारों वाहन फंसे

  महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने से प्रयागराज के रास्तों पर जबरदस्त जाम की स्थिति बन गई है। बढ़ते यातायात दबाव के चलते प्रशासन ने कई मार्गों पर वाहनों की नो-एंट्री लागू कर दी है, जिससे मध्य प्रदेश के सतना, मैहर, कटनी और रीवा में हजारों यात्री फंस गए हैं।


एनएच-30 पर वाहनों को रोकने का सिलसिला जारी है, जिससे कटनी, मैहर और रीवा में लंबी कतारें लग गई हैं। कई लोग रातभर से फंसे हुए हैं, और एक-दो किलोमीटर आगे बढ़ने में चार से पांच घंटे तक लग रहे हैं।

कई जगहों पर बनाए गए बैरिकेड्स, पुलिस मुस्तैद
अमरपाटन टीआई केपी त्रिपाठी के नेतृत्व में पुलिस बल प्रयागराज जाने वाले वाहनों को खरमसेड़ा के पास रोक रहा है, जिससे हाईवे पर तीन किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। यातायात को सुचारू रखने के लिए प्रशासन वाहनों को रोक-रोककर आगे भेज रहा है।

प्रशासन के अनुसार, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मैहर में अस्थायी बैरिकेड्स लगाए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अमदरा और अमरपाटन के पास वाहनों को नियंत्रित किया जा रहा है।

 
 



7,000 से अधिक वाहन फंसे, जाम से राहत की कोशिशें जारी
एनएच-30 महाराष्ट्र, तमिलनाडु, असम और अन्य राज्यों से प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए मुख्य मार्ग है। चंद घंटों में हजारों वाहन फंस गए हैं, और प्रशासन का अनुमान है कि रात तक यह संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है।

 



कटनी पुलिस श्रद्धालुओं से अपील कर रही है कि वे कुछ दिन बाद यात्रा करें। पुलिस ने एनएच-30 पर बैरिकेड लगाकर माइक से घोषणा की कि "यदि आप घूमने के उद्देश्य से निकले हैं या गंगा स्नान करना चाहते हैं, तो कुछ दिन रुकें और फिर जाएं।"

रीवा बॉर्डर पर 10 किमी लंबा जाम
एमपी-यूपी बॉर्डर पर प्रशासन ने वाहनों को रोक दिया, जिससे लगभग 10 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। शुक्रवार को अनुमानित 14,000 वाहन सोहागी टोल प्लाजा से प्रयागराज के लिए निकले, लेकिन भीड़ बढ़ने के कारण पुलिस ने शनिवार तड़के वाहनों को रोकना शुरू किया।

प्रशासन का कहना है कि जब प्रयागराज में भीड़ कम होगी, तब एमपी से वाहनों को आगे भेजा जाएगा।

 

 

 
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तिरुपति टेंपल बोर्ड ने की 18 गैर हिंदू कर्मचारियों की छुट्टी

 तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने टीटीडी त्योहारों और अनुष्ठानों के दौरान हिंदू धार्मिक प्रथाओं का पालन नहीं करने के लिए 18 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। टीटीडी के एक बयान के अनुसार, यह कार्रवाई टीटीडी के अध्यक्ष बीआर नायडू के निर्देश पर की गई।

बयान में कहा गया है, "टीटीडी के अध्यक्ष बीआर नायडू के निर्देशों का पालन करते हुए, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने संस्थान में काम करते समय गैर-हिंदू धार्मिक प्रथाओं का पालन करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है।

 

बयान में कहा गया है, "अधिकारियों ने 18 कर्मचारियों की पहचान की है, जो टीटीडी द्वारा नियोजित होने के बावजूद गैर-हिंदू धार्मिक परंपराओं का पालन कर रहे हैं। 18 पहचाने गए कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं, जो टीटीडी त्योहारों और अनुष्ठानों में भाग लेने के साथ-साथ गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं।"

इसके अलावा, टीटीडी के संचालन की आध्यात्मिक अखंडता को बनाए रखने के प्रयासों के तहत, बोर्ड ने इन कर्मचारियों को अन्य सरकारी विभागों में स्थानांतरित करने या उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने का प्रस्ताव दिया है।

 

टीटीडी के बयान में कहा गया है, "टीटीडी बोर्ड ने हाल ही में ऐसे कर्मचारियों को सरकारी विभागों में स्थानांतरित करने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के माध्यम से उनके बाहर निकलने की सुविधा प्रदान करने का संकल्प लिया है।

यह निर्णय टीटीडी की अपने मंदिरों और धार्मिक गतिविधियों की आध्यात्मिक पवित्रता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।" इससे पहले नवंबर 2024 में टीटीडी बोर्ड ने एक और प्रस्ताव भी पारित किया था, जिसके अनुसार बोर्ड द्वारा नियोजित गैर-हिंदुओं को या तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी होगी या आंध्र प्रदेश में अन्य सरकारी विभागों में स्थानांतरण का विकल्प चुनना होगा।

 

 

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हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं : मोहन भागवत

 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दो दिवसीय केरल दौरे पर पथानामथिट्टा हिंदू धर्म सम्मेलन को संबोधित किया।

इस दौरान उन्होंने कहा कि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को अपना जीवन चलने के लिए हिंदू एकता की आवश्यकता है, उसमें से शक्ति उत्पन्न होगी, यह बताने के लिए और कोई तर्क देने की आवश्यकता नहीं है।

 

विश्व में एक नियम है ,जो समाज संगठित है उस समाज का उत्कर्ष होता है, जो समाज विभक्त है, संगठित नहीं है, उस समाज का पतन होता है, इतिहास और वर्तमान दोनों इसके साक्षी है।
मोहन भागवत ने कहा कि शक्तिमान होने से बाकी विश्व को भी खतरा भी हो सकता है, क्योंकि शक्ति तो शक्ति है ,उसको दिशा देने वाला मनुष्य होता है, उस शक्ति का उपयोग करने वाला होता है ,उसकी बुद्धि कैसी है, उस पर निर्भर है, दुष्ट लोग विद्या का उपयोग विवाद बढ़ने के लिए करते हैं, हम अपने चारों ओर देखते हैं तो ध्यान में आता है धन का उपयोग अपना मत बढ़ाने के लिए करते हैं, शक्ति का उपयोग दूसरों को पीड़ा देने के लिए करते हैं, लेकिन साधु लोगों का इससे उल्टा होता है।

 

अच्छे लोग विद्या का उपयोग ज्ञान बढ़ाने के लिए करते हैं, धन का उपयोग दान करने के लिए करते हैं, शक्ति का उपयोग दूर्बल की रक्षा के लिए करते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू एकता विश्व के लिए उपकारी होगी,यह कैसे होगा, इसमें कोई शंका करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हिंदू एक स्वभाव का नाम है, हिंदू में एक अनेक मत, पंथ, संप्रदाय है अनेक भाषाएं हो गई, विशाल देश अपना है जिसमें हिंदू रहता है।

 

हिंदू शक्ति का उपयोग विश्व कल्याण के लिए होगा
उन्होंने आगे कहा, 'भूगोल अलग-अलग है, वातावरण अलग-अलग है, खान पान ,रहने की जगह भी अलग-अलग प्रकार की है, रेगिस्तान में रहने वाले लोग हैं, पर्वत की चोटी पर रहने वाले लोग हैं, समुद्र के किनारे रहने वाले लोग हैं, मैदान में रहने वाले लोग हैं, शहरों में रहने वाले लोग हैं, जंगलों में रहने वाले हैं, गांव में रहने वाले हैं सब प्रकार है, परंतु यह होने के बाद भी सबका एक स्वभाव है, उस स्वभाव का नाम हिंदू है, यदि स्वभाव का वर्णन करना है तो हम कह सकते हैं, हिंदू समाज धर्म प्राण है, इसलिए शक्ति का उपयोग विश्व कल्याण के लिये ही होगा।
एकता अंदर का सत्य है

उन्होंने कहा कि दुनिया के सारे कलह दो बातों के कारण है, एक है स्वार्थ, दूसरा है भेद, मनुष्य एक दूसरे को एकता  की भाव से, समदृष्टि से देखा नहीं है, वह दिखता अलग है, इसलिए जो अपने से अलग दिखता है ,उसे अपने से अलग मानता है, वास्तव में यह जो विविधताएं हैं, मनुष्य की भौतिक जीवन की विविधता हो, अथवा अनेक मत संप्रदायों का दिखने वाला अलग-अलग स्वरूप हो, अलग-अलग तत्व ज्ञान हो ,अलग-अलग ग्रंथ हो ,अलग-अलग गुरु हो, ये देश,काल, स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो जाते हैं। हमको यह समझना चाहिए हम कौन हैं, हम हिंदू हैं, यानी हिंदू स्वभाव वाले हैं, अलग-अलग दिखते हैं, लेकिन एक ही धर्म को मानने वाले हैं, क्योंकि धर्म तो एक ही है, वही मानव धर्म है, वही सनातन धर्म है, वही हिंदू धर्म कहलाता है, उसको मानने वाले हम लोग हैं, हमारे पास सत्य है, विविधता ऊपर की बात है, एकता अंदर का सत्य है, हमारे पास करुणा की दृष्टि है।

 

 

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480 हिंदुओंं की अस्थियां गंगा में विसर्जित करने पाक से महंत रामनाथ भारत पहुंचे

 प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। देश विदेश से करोड़ों लोग गंगा में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। अब पाकिस्तानी भी कुंभ में स्नान करेंगे। कराची स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के मुख्य सेवक महंत राम नाथ महाराज सोमवार को अटारी सीमा से भारत पहुंचे।

पाकिस्तान में करीब 20 लाख हिंदू रहते हैं। उन्होंने भारत सरकार से अपने प्रियजनों की अस्थियों को प्रवाहित करने की आज्ञा मांगी थी। इसके तहत 2022 में पाकिस्तानी हिंदू परिवारों को गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने के लिए स्पांसरशिप पॉलिसी लागू की गई थी। इस बार 480 हिंदुओं की अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने के लिए लाई गई हैं।

480 हिंदुओं की अस्थियां गंगा में करेंगे प्रवाहित
महंत रामनाथ पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों में मृत्यु को प्राप्त हुए 480 हिंदुओं की अस्थियां मोक्ष प्राप्ति के लिए भारत लेकर आए हैं। महंत ने बताया कि वह अस्थियों को हरिद्वार में विधि विधान से विसर्जित करने के बाद प्रयागराज में कुंभ स्नान भी करेंगे।

इन अस्थियों को गंगाजी में बहाने के लिए मंदिर अथव श्मशानघाट में कलश में सुरक्षित रखा गया था। संबंधित परिवारों की इच्छा थी कि इन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाए ताकि सभी की आत्मा को शांति मिले। भारत सरकार की तरफ से इस कार्य के लिए दो साल पहले ही अनुमति दे दी गई थी।



महंत रामनाथ 2011 और 2016 में भी हिंदुओं की अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए भारत ला चुके हैं। इस कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से 10 दिन का वीजा दिया गया है।

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अमृत स्नान में अब तक 35 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य कहते हैं, "आज बहुत महत्वपूर्ण दिन है। आज वसंत पंचमी है और होली भी करीब है।

 

हर कोई आनंद मना रहा है। मैं सनातन धर्म को फलता-फूलता देख सकता हूं..." वसंत पंचमी के अवसर पर अखाड़ों और श्रद्धालुओं द्वारा त्रिवेणी संगम पर 'अमृत स्नान' के अवसर पर पुष्प वर्षा की जा रही है।

महाकुंभ 2025 का अंतिम 'अमृत स्नान' आज वसंत पंचमी के अवसर पर हो रहा है मां गंगा, मां यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के पवित्र संगम में श्रद्धा और आस्था से ओत-प्रोत साधु-संतों, श्रद्धालुओं, कल्पवासियों, स्नानार्थियों और गृहस्थों का स्नान अब एक नए शिखर पर पहुंच गया है।

इसी क्रम में वसंत पंचमी के अमृत स्नान पर महाकुंभ में अब तक स्नानार्थियों की संख्या ने 35 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया।

सोमवार को सुबह 8 बजे तक 62.25 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाई। इसके साथ ही महाकुंभ में स्नानार्थियों की कुल संख्या 35 करोड़ के पार हो गई।

अभी महाकुंभ के 23 दिन शेष हैं, और पूरी उम्मीद है कि स्नानार्थियों की संख्या 50 करोड़ के ऊपर जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने प्रशासन द्वारा की गई  व्यवस्थाओं की भी सराहना की और कहा कि इस आयोजन में भाग लेने वाले श्रद्धालु भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं।

सीएम योगी ने इस महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक मूल्यों को प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बताया और इसके द्वारा समाज में शांति, समृद्धि और सद्भाव की भावना को साझा करने की शुभकामनाएं दीं।

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महाकुंभ मेला के लिए सेल ने पैँतालिस हजार टन स्टील की आपूर्ति की

 भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक महारत्न कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ने प्रयागराज में आयोजितहोने वाले आगामी महाकुंभ मेला 2025 के लिए लगभग 45,000 टन स्टील की आपूर्ति की है। कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई स्टील की कुल मात्रा में चेकर्ड प्लेट, हॉट स्ट्रिप मिल प्लेट, माइल्ड स्टील प्लेट, एंगल और जॉइस्ट शामिल हैं। सेल ने इससे पहले भी 2013 के प्रयागराज महाकुंभ मेले के दौरान भी स्टील की आपूर्ति की थी, जो इस महत्वपूर्ण सार्वजनिक आयोजन के लिए कंपनी के निरंतर योगदान को दर्शाता है।

सेल द्वारा आपूर्ति की गई स्टील महाकुंभ मेला 2025 के सुचारू और सफल संचालन के लिए आवश्यक विभिन्न अस्थायी संरचनाओं के निर्माण में किया गया है। इनमें पोंटून पुल, आवागमन मार्ग, अस्थायी स्टील पुल, सबस्टेशन और फ्लाईओवर शामिल हैं। इस स्टील आपूर्ति के प्रमुख कस्टमर्स में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), उत्तर प्रदेश राज्य पुल निगम, विद्युत बोर्ड और उनके आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।

सेल इस तरह के विशाल आयोजन में स्टील का योगदान करने पर गौरवान्वित है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। कंपनी राष्ट्रीय परियोजनाओं में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करती है और इसकी सांस्कृतिक और सामाजिक बुनियाद को समृद्ध करती है।

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भगवान श्री बलराम के जयंती पर प्राकृतिक एवं गौ आधारित खेती पर कार्यशाला आयोजित

कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि महाविद्यालय, कृषि विभाग एवं भारतीय किसान संघ के तत्त्वधान में कृषि विभाग के सभागार में 09 सितम्बर को भगवान श्री बलराम जयंती मनाई गई, इस कार्यक्रम में प्राकृतिक एवं गौ आधारित खेती पर कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में प्राकृतिक खेती से जुडे़ कृषक उपस्थित हुए। जिसमें मुख्य अतिथि रूपसाए सलाम, भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष देवलाल दुग्गा एवं अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉ. रत्ना नशीने विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिव्येंदु दास की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें सहायक उप संचालक कृषि नारायणपुर, लोकनाथ भोएर, केवीके, कृषि विभाग, उदान्निकी विभाग, पशुधन विभाग, मछली विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारीगन एवं विभिन्न गांव से आए लगभग 50 कृषक उपस्थित थे। अंत में प्राकृतिक एवं गौ आधारित खेती करने वाले 05 कृषकों को प्रमाण पत्र बाटा गया। इस अवसर पर भगवान श्री बलराम जी का पूजन भी किया गया। मुख्य अतिथि द्वारा प्राकृतिक खेती पर गाय के गोबर से खेती करके इसे विज्ञान से जोड़कर खेती करने की सलाह दी गई। यह जयंती प्रतिवर्ष भाद्रपद, शुक्ल षष्ठी तिथि को आयोजित की जाती है। इस कार्यक्रम का ऑन-लाईन शुभारंभ इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,कृषि मंत्री रामविचार नेताम एवं माननीय सांसद रायपुर श्री बृजमोहन अग्रवाल, प्रबंध मंडल सदस्य विमल चांवला, प्रबंध मंडल सदस्य जानकी सत्यनाराण चद्रा की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथियों द्वारा प्राकृतिक एवं गौ आधारित खेती एवं उनकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया।

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आज भव्य कलश यात्रा के साथ मेहर वाटिका में प्रारंभ होगी भागवत कथा

  ठण्डुराम परिवार (कादमा वाले) कोरबा के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन मेहर वाटिका, अग्रसेन मार्ग में 5 से 12 सितंबर तक कराया जा रहा है। कथा आयोजन की भव्य तैयारी आयोजक परिवार द्वारा पूरी कर ली गई है। कथा स्थल मेहर वाटिका जाने वाले मार्ग को दुल्हन की तरह आकर्षक विद्युत झालरों से सुसज्जित कराया गया है एवं व्यासपीठ भी आकर्षक रूप से मनोहारी छटा बिखेरते हुए सुसज्जित कराई गई है जहां से आचार्य कथा का श्रवण कराएंगे।

भागवत कथा का शुभारंभ 5 सितंबर गुरूवार को प्रात: 9 बजे से श्रीराम जानकी मंदिर पुराना बस स्टैण्ड में पूजा-अर्चना पश्चात प्रारंभ होने वाली भव्य कलश यात्रा के साथ होगा। कलश यात्रा मंदिर से प्रारंभ होकर अग्रसेन चौक होते हुए मेहर वाटिका में कथा स्थल पहुंचकर विराम लेगी। इसके पश्चात कथावाचक आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज व्यासपीठ पर विराजमान होंगे एवं गणेश पूजन श्रीमद् भागवत कथा महात्म्य एवं गोकरण व्याख्यान के साथ कथा प्रारंभ होगी। प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से कथा व्यासपीठ से आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज द्वारा श्रवण कराई जाएगी। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजक रामचन्द्र रघुनाथ प्रसाद अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण रामानंद अग्रवाल, कांशीराम रामावतार अग्रवाल, प्यारेलाल रामनिवास अग्रवाल ने भव्य कलश यात्रा एवं भागवत कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करने नगरजनों से सपरिवार उपस्थिति का आग्रह किया है।

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धर्म के नाम पर बेज़ुबान की बलि क्या सही है ? गीत के माध्यम से समाज को दिया बहुत ही सुन्दर संदेश


छत्तीसगढ़ में वैसे तो हर माह बहुत सारे गीत आते रहते हैं लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे गीत होते हैं जो लोगों के दिलों को छू जाते हैं और साथ ही बहुत ही सुन्दर संदेश इस गीत के माध्यम से समाज को दिया गया है। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के ऐसे सुप्रसिद्ध लोक गायक हिरेश सिन्हा जी के बारे में जिन्होंने एक ऐसा छत्तीसगढ़ी गीत माता जसगीत उन्होंने लिखा और गाया है और वह गीत है "तोला का बलि मैं देवंव दाई, जीव ला मारे में पीड़ा होते"। इस गीत के बारे में हमने हिरेश सिन्हा जी से बातचीत किया है उनका कहना है कि आप गाने के बोल से ही समझ पा रहे होंगे कि इस प्रेरणा दायक गीत का उद्देश्य क्या है। 


मैं आपको एक सच्ची घटना बताता हूँ मैं और मेरी धर्म पत्नी जीतेश्वरी सिन्हा एक मंदिर में गए जहाँ पर माता को बलि देने के नाम पर निरीह जीवों की निर्मम हत्या कर के उसको भोजन बना कर खा रहे थे लोगों का कहना था की ये माता का प्रसाद है। मंदिर के आस -पास निरीह जीवों के खून ही खून दिखाई दे रहे थे जिससे मन में निरीह जीवों के लिए  बहुत पीड़ा हो रही थी। 

हमें किसी ने बताया की पास के एक गांव के माता पिता के तीन संतान थे उनके साथ घटना ऐसी घटी की एक-एक कर के तीनो संतानों की मृत्यु हो गई, किसी ने उनको कहा की माता के मंदिर में दो बकरे की बलि चढ़ा दो सब कुछ ठीक हो जायेगा। महिला ने कहा की मैं बकरे की बलि नहीं दूंगी, मैं बलि के जगह एक बकरे की कीमत 15000 रूपए है तो दो बकरे का 30000 रूपए माता के मंदिर में चढ़ा दूंगी जिससे लोगों का भला हो। क्योंकि मैं भी एक माँ हूँ मुझे पता है की वो भी किसी माँ के बच्चे है आज अगर बलि के नाम पर निरीह जीवों की निर्मम हत्या होगी तो उसकी माँ की पीड़ा को मैं भली भांति समझ सकती हूँ। 

हिरेश सिन्हा ने कहा ये सुनकर मेरे मन में विचार आया की क्यों न ऐसा एक गीत बनाया जाय, जिससे की धार्मिक स्थलों पर देवी देवताओं को दी जाने वाली बलि प्रथा की विसंगति को दूर कर निरीह जीवों की निर्मम हत्या पर अंकुश लगाना है। मनुष्य इस धरती का सबसे कुशाग्र बुद्धि के बल पर शासन करने वाला प्राणी होकर निरीह जीवों की संरक्षण संवर्धन करने के बजाए रोज हत्या कर अपने प्रियकर भोजन का हिस्सा बना लिए है। और देवी देवताओं की पावन धाम को निरीह जीवों की बलि चढ़ाकर अपवित्र कर रहे है। मानव समुदाय के द्वारा होने वाले मानवीय भूल को इस गीत से हमे कुछ सबक और सीख लेकर निरीह जीवों के प्रति प्रेम, दया , करुणा ममता बरसाना होगा। और देवी देवताओं को पान फूल प्रसाद चढ़ाकरके प्रसन्न कर सर्व जन मंगल कल्याणकारी विचार से सभी के जीवन में सुख शांति समृद्धि लाना होगा। शिक्षाप्रद गीतो का सभ्य समाज सदैव अनुकरणीय रहेगा।


 
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