दुनिया-जगत

13 साल बाद दमिश्क में जर्मनी ने दोबारा खोला अपना दूतावास

 जर्मनी ने 13 साल बाद दमिश्क में अपना दूतावास दोबारा खोल दिया है। सीरियाई मीडिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी। जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक की यात्रा के दौरान दूतावास खोला गया। दिसंबर 2024 में पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद से सीरिया की उनकी दूसरी यात्रा में राजनयिक मिशन को फिर से खोला गया।

जर्मन मीडिया ने बेयरबॉक का हवाला देते हुए बताया कि फिर से खोले गए दूतावास में 10 से भी कम राजनयिकों को तैनात किया जाएगा। अपनी यात्रा के दौरान, बेयरबॉक ने सीरियाई नेता अहमद अल-शरा, विदेश मामलों के प्रमुख असद अल-शैबानी और सीरियाई नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की।

बेयरबॉक ने दमिश्क में भारी क्षतिग्रस्त जोबार इलाके का भी दौरा किया, जो एक ऐसा जिला है जिसने देश के गृह युद्ध का खामियाजा भुगता है। जर्मनी ने 2012 में दमिश्क में अपना दूतावास बंद कर दिया था जब देश में भयंकर गृहयुद्ध शुरू हुआ था। इटली और स्पेन जैसे कई अन्य यूरोपीय देशों ने पहले ही सीरिया की राजधानी में अपने दूतावास फिर से खोल दिए हैं।

राष्ट्रपति अल-असद को उनके नए नियुक्त उत्तराधिकारी अहमद अल-शरा के नेतृत्व में विद्रोही बलों के गठबंधन द्वारा अपदस्थ किए जाने के बाद सीरिया में जर्मनी के राजनयिक मिशन को फिर से खोलना एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

विद्रोहियों के इस तेज हमले के कारण असद परिवार के पांच दशक से अधिक के शासन का अंत हुआ। वहीं, तीन महीने बाद इस राजनयिक कदम के लिए मंच तैयार किया गया।

हालांकि दूतावास का खुलना ऐसे समय पर हुआ, जब हिंसा बहुत ज्यादा है, खासतौर पर सीरियाई तट पर। यह अलावी अल्पसंख्यकों का गढ़ है, जिससे असद ताल्लुक रखते हैं। नई सरकार के प्रति वफादार सुरक्षाबलों और पुरानी सरकार का समर्थन करने वालों के बीच झड़पों में काफी लोग हताहत हुए हैं। सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फ़ॉर ह्यूमन राइट्स जैसे निगरानी समूहों के अनुसार, सैकड़ों नागरिक, मुख्य रूप से अलावी, चल रहे संघर्ष में अपनी जान गंवा चुके हैं।

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रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ी बड़ी खबर, जेलेंस्की शांति के लिए तैयार: ट्रंप

 राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सबसे बड़ा ऐलान किया है। ट्रंप का दावा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की युद्ध में शांति के लिए तैयार हो गए हैं। ट्रंप ने बुधवार को अपने संबोधन के दौरान कहा कि हमें जेलेंस्की का एक पत्र मिला है, जिसमें जेलेंस्की ने युद्ध में शांति के लिए तैयार होने की बात कही है। ट्रंप का यह दावा कुछ दिनों पहले ओवल ऑफिस में जेलेंस्की के साथ हुई तीखी बहस के बाद आया है।
बता दें कि करीब एक हफ्ते पहले ट्रंप और जेलेंस्की के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति के मुद्दे पर हो रही चर्चा के दौरान ओवल ऑफिस में जोरदार बहस हो गई थी। ट्रंप ने इस दौरान जेलेंस्की को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। ट्रंप ने जेलेंस्की को मूर्ख राष्ट्रपति तक कह दिया था और कहा था कि अमेरिका ने यूक्रेन को युद्ध के लिए 350 बिलियन डॉलर खर्च किए। ट्रंप का कहना था कि यूक्रेन के पास अब कोई कार्ड नहीं है। वह रूस के खिलाफ युद्ध में अमेरिका के हथियार के दम पर अब तक टिका रहा है। ट्रंप ने जेलेंस्की पर हर हाल में समझौते का दबाव डाला था। मगर तब जेलेंस्की वार्ता के बाद ह्वाइट हाउस बीच में ही छोड़कर चले गए थे।
अमेरिका के दबाव में झुके जेलेंस्की

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अभी हाल में ट्रंप के साथ हुई बहस को अफसोसजनक करार दिया था। इस पूरे घटनाक्रम के लिए उन्होंने क्षमा भी मांग लिया था। इसके बाद अब ट्रंप ने उनका शांति वाला पत्र मिलने का दावा किया है। इससे पता चलता है कि जेलेंस्की अब पूरी तरह अमेरिका के दबाव में आ गए हैं। हालांकि ट्रंप से बहस के बाद यूरोप ने जेलेंस्की का साथ देने का वादा किया था। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने अंत तक यूक्रेन का साथ देने का वादा किया है। इन सबके बावजूद जेलेंस्की अमेरिका से महत्वपूर्ण खनिज डील करने को भी तैयार हो गए हैं। हालांकि यह डील ट्रंप के साथ हुई तीखी बहस के दिन ही होनी थी, लेकिन तब बात बिगड़ गई थी।

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भूटान में पहली बार दौड़ेगी रेलगाड़ी

 भूटान को अब जल्द ही अपना पहला रेल लिंक मिलने वाला है। भारतीय रेलवे ने असम के कोकराझार से भूटान के गेलेफू तक रेल लाइन बिछाने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पूरी कर ली है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के प्रवक्ता ने शनिवार को यह जानकारी दी। प्रवक्ता ने कहा कि प्रस्तावित रेलवे लाइन के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण पहले ही पूरा हो चुका है, अब डीपीआर की मंजूरी का इंतजार है। 

 

कोकराझार को भूटान के गेलेफू से जोड़ने की योजना

प्रवक्ता ने बताया कि प्रस्तावित 69.04 किलोमीटर रेलवे लाइन असम के कोकराझार स्टेशन को भूटान के गेलेफू से जोड़ेगी और इसकी अनुमानित लागत 3,500 करोड़ रुपये होगी। इस परियोजना में छह नए स्टेशन - बालाजन, गरुभासा, रुनिखाता, शांतिपुर, दादगिरि और गेलेफू का विकास शामिल है। 

 

29 बड़े पुल, 65 छोटे पुल होंगे

बुनियादी ढांचा योजना में दो अहम पुल, 29 बड़े पुल, 65 छोटे पुल, एक ‘रोड ओवर-ब्रिज’, 39 ‘रोड अंडर-ब्रिज’ और 11 मीटर लंबाई के दो पुल शामिल हैं। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ अंतिम स्थान सर्वेक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है और डीपीआर को आगे की मंजूरी और आवश्यक निर्देशों के लिए प्रस्तुत कर दिया गया है।’’ 

 

व्यापार, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

उन्होंने कहा, ‘‘प्रस्तावित रेलवे लाइन दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाकर भारत-भूटान संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करेगी। इससे संपर्क में भी सुधार होगा और भूटान को अपना पहला रेलवे लिंक मिलेगा और निर्बाध परिवहन की सुविधा मिलेगी।’’ प्रवक्ता ने कहा कि प्रस्तावित रेलवे लाइन प्रधानमंत्री की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' और 'पड़ोसी पहले' दृष्टिकोण के अनुरूप है। 

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जयशंकर ने हिंद महासागर सम्मेलन में की विक्रमसिंघे से मुलाकात

 विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के साथ मुलाकात की। मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गयी। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सहयोग और समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय साझेदारी को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

 

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पीएम मोदी को ट्रंप का खास तोहफा

 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 13 फरवरी को वाशिंगटन डीसी स्थित व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उन्हें ‘अवर जर्नी टुगेदर’ पुस्तक भेंट की। किताब में पीएम मोदी और ट्रंप की दोस्ती की पुरानी यादें संकलित हैं। इसमें ट्रंप के भारत दौरे की अहम यादें भी शामिल हैं। किताब में अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे पर आयोजित किए गए 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम की शानदार तस्वीरें संजोई गईं हैं। किताब में ट्रंप और मेलानिया की भी तस्वीरें हैं, जब दोनों ने आगरा का दौरा किया था और ताज का दीदार किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी में सकारात्मक चर्चा की। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में भारत-अमेरिका साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मुझे खुशी है कि यहां प्रवेश करते ही मेरे मित्र ने मुझे पुरानी अहमदाबाद के क्रिकेट स्टेडियम की याद दिलाई, जहां हमने एक बड़ी रैली की थी और अहमदाबाद में नमस्ते ट्रंप और ह्यूस्टन में हाउडी मोदी ये दो बहुत बड़े ऐसे कार्यक्रम रहे जिसकी गूंज आज भी भारत के हर कोने में सुनाई देती है।

भारत-अमेरिका के संबंधों को एक नई ऊंचाई देने में राष्ट्रपति ट्रंप की बहुत बड़ी भूमिका रही है। मुझे विश्वास है कि आपके दूसरे कार्यकाल में हम और भी अधिक गति से काम करेंगे। जैसा कि मैंने भारत के लोगों से वादा किया है कि मेरे तीसरे कार्यकाल में हम तीन गुना गति से काम करेंगे, मेरा पूरा विश्वास है कि राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अगले चार वर्षों के दौरान हम भारत-अमेरिका के संबंधों की गति में दोगुनी गति  काम करेंगे।

 

 

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भारत का राष्ट्रगान गाने के लिए उत्साहित गायिका मिलबेन

  अफ्रीकी-अमेरिकी गायिका और अभिनेत्री मैरी मिलबेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएस यात्रा पर उत्साह जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और यूएस राष्ट्रपति ट्रंप के बीच बेहद खास रिश्ता है। उन्होंने कहा कि वे दोनों राजनेताओं की मुलाकात और भारत का राष्ट्रगान गाने के लिए बेहद उत्साहित हैं।

पीएम मोदी को सुनने के लिए उत्साहित

एएनआई से बातचीत में मिलबेन ने कहा कि गुरुवार को ट्रंप और पीएम मोदी की बातों को सुनने के लिए वे उत्साहित हैं। उन्होंने भारत को अमेरिका के लिए एक जरूरी पार्टनर बताया। ट्रंप के पिछले कार्यकाल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और यूएस के बीच बहुत ही अच्छे रिश्ते रहे हैं। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में यहां आमंत्रित किया, यह भारत और अमेरिका के खास रिश्ते की ओर इशारा करता है।

 

भारत का राष्ट्रगान गाएंगी मिलबेन

अफ्रीकी-अमेरिकी सिंगर ने कहा कि भारत हमारा सबसे खास लोकतांत्रिक साथी देश है। हम देखने के लिए उत्साहित हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी साथ मिलकर क्या खास करने वाले हैं। पीएम मोदी और ट्रंप की साल 2023 की मुलाकात को फिर से याद करने का ये वाकई एक खास मौका है। मैं भारत का राष्ट्रगान गाने के लिए उत्साहित हैं। इस मौके पर कई सारे भारतीय साथी भी आने वाले हैं।

इस जगह रुके हैं प्रधानमंत्री मोदी

मिलबेन ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी को ब्लेयर हाउस में ठहराया गया है। ये स्थान अमेरिकी राष्ट्रपति के मेहमानों की मेजबानी का सबसे सुंदर स्थान है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी फिर से आए हैं, ऐसे में साल 2023 में जो राष्ट्रगान गाया था, ये यादें फिर से ताजा होने वाली हैं। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए पदभार संभालने के बाद यह पीएम मोदी की पहली अमेरिका यात्रा है। बता दें प्रधानमंत्री मोदी दो दिन की यूएस यात्रा पर आए हैं।

 

 

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भारी लैंडस्लाइड्स से थर्राया दक्षिण-पश्चिमी चीन, 30 लोग लापता

 चीन भारी लैंड्स्लाइड से थर्रा उठा है। बताया जा रहा है कि दक्षिण-पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रांत में शनिवार को दिल दहला देने वाला भूस्खलन हुआ है। जिसके कारण करीब 10 घर इसकी चपेट में आ गए हैं। इस घटना में 30 लोग लापता हो गए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। देश के सरकारी प्रसारक ‘सीसीटीवी’ द्वारा जारी खबर में बताया गया कि आपातकालीन प्रबंधन मंत्रालय ने जुनलियान काउंटी में भूस्खलन के बाद अग्निशमनकर्मियों सहित सैकड़ों बचावकर्मियों को तैनात किया है जिसके बाद मलबे में दबे दो लोगों को जीवित बाहर निकाला गया। अन्य लोगों की तलाश में टीमें जुटी हुई हैं। लोगों को जल्द से जल्द रेस्क्यू करने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने दिया मदद का भरोसा

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ द्वारा जारी खबर में बताया गया कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अधिकारियों से लापता लोगों की तलाश करने तथा लोगों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करने का निर्देश दिया है। इसके अनुसार, चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने आस-पास के क्षेत्रों में संभावित भूवैज्ञानिक खतरों की जांच और निरीक्षण करने के लिए कहा है।

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हादसे का हुआ शिकार हुआ लापता अमेरिकी विमान, 10 की मौत

   पश्चिमी अलास्का में नोम शहर जाते समय लापता हुए विमान का मलबा मिल गया है। विमान समुद्री बर्फ पर हादसे का शिकार हुआ था। इस हादसे में विमान में सवार सभी 10 लोगों की मौत हो गई है। यूएस कोस्ट गार्ड के प्रवक्ता माइक सालेर्नो ने जानकारी देते हुए बताया कि बचाव दल ने मलबा खोज लिया है। हेलीकॉप्टर से विमान का मलबा दिखने के बाद बचाव दल को मौके पर भेजा गया। बचाव दल ने पाया कि विमान में सवार सभी लोगों की मौत हो गई है।

अलास्का के डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक सेफ्टी के अनुसार, बेरिंग एयर का सिंगल-इंजन टर्बोप्रॉप विमान 9 यात्रियों और एक पायलट के साथ उनालक्लीट से रवाना हुआ था। अलास्का के सबसे पश्चिमी प्रमुख शहर नोम के पास विमान का संपर्क टूट गया था। कोस्ट गार्ड ने कहा कि यह नोम से 30 मील (48 किलोमीटर) दक्षिण-पूर्व में लापता हुआ था। इसके बाद बचाव का काम शुरू किया गया और कुछ घंटों बाद उन्हें विमान का मलबा मिल गया। 

खराब मौसम में विमान ने भरी थी उड़ान

हादसे के बाद अब इस तरह की जानकारी भी सामने आ रही है कि जब विमान ने उड़ान भरी तो हल्की बर्फबारी और कोहरा था। उड़ान के बाद अधिकारियों का विमान से संपर्क टूट गया था। व्हाइट माउंटेन के अग्निशमन प्रमुख जैक एडम्स ने कहा कि विमान नोम के तट से लेकर टॉपकोक के बीच कहीं रडार से गायब हुआ था।

विमान से नहीं मिले संकेत

कोस्ट गार्ड लेफ्टिनेंट कमांडर बेंजामिन मैकइंटायर-कोबल ने कहा कि उन्हें विमान से किसी भी संकट के संकेत की जानकारी नहीं मिली थी। विमानों में एक आपातकालीन लोकेटिंग ट्रांसमीटर होता है। समुद्री जल के संपर्क में आने पर एक मैसेज कोस्ट गार्ड को मिलता है ताकि यह संकेत मिल सके कि विमान संकट में है। उन्होंने कहा कि कोस्ट गार्ड को ऐसे कोई संदेश नहीं मिले थे।

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नाइजीरिया में घात लगाकर किए गए हमले में 10 सैनिकों की मौत

 पड़ोसी मुल्क बुर्किना फासो, माली एक दशक से अधिक समय से जिहादी समूहों के विद्रोह से जूझ रहे हैं। कुछ समूह आतंकवादी संगठन अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े हैं। पश्चिमी नाइजीरिया में बुर्किना फासो से लगती सीमा पर मवेशी तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भेजी गई सैन्य टुकड़ी पर हथियारबंद हमलावरों ने घात लगाकर हमला कर दिया जिसमें कम से कम 10 जवान मारे गए। नाइजीरिया की सैन्य सरकार ने यह जानकारी दी।

सेना ने बुधवार रात एक बयान जारी कर कहा कि तकजात गांव में मवेशी तस्करों को पकड़ने के लिए सैन्य टुकड़ी को सोमवार को तैनात किया गया था। ‘‘अभियान के दौरान अपराधियों के एक समूह ने सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला कर दिया जिसमें हमारे 10 सैनिक मारे गए।’’ बयान में कहा गया कि हमलावर फरार हो गए लेकिन सेना ने मंगलवार को 15 ‘‘आतंकवादियों’’ को पकड़ लिया और उन्हें मार गिराया। नाइजीरिया और पड़ोसी मुल्क बुर्किना फासो, माली एक दशक से अधिक समय से जिहादी समूहों के विद्रोह से जूझ रहे हैं।

कुछ समूह आतंकवादी संगठन अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े हैं। तीनों ही देशों में सैन्य सरकार हैं और उन्होंने सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे फ्रांस के सैनिकों को वापस भेज दिया है। तीनों देशों ने एक नया सुरक्षा गठबंधन स्थापित करके आपसी सहयोग को मजबूत करने का प्रण लिया है।

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छत्तीसगढ़ के फिल्म अभिनेता और भाजपा नेता राजेश अवस्थी का निधन

 छत्तीसगढ़ के फिल्म अभिनेता और भाजपा नेता राजेश अवस्थी का हार्ट अटैक से निधन हो गया। उन्होंने देर रात अस्पताल में अंतिम सांस ली।

स्व. राजेश अवस्थी छत्तीसगढ़ी फिल्म के प्रमुख अभिनेता थे। फिल्म अभिनेता प्रकाश अवस्थी के छोटे भाई हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के साहित्यिक ,संस्कृत मोर्चा के संयोजक रह चुके हैं। साथ ही वे विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं, राजेश अवस्थी अमलीपदर गरियाबंद के रहने वाले थे।

सीएम साय ने जताया दुःख


राजेश अवस्थी के निधन पर सीएम विष्णुदेव साय ने दुःख व्यक्त किया है उन्होंने लिखा कि, छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता एवं निर्माता, भारतीय जनता पार्टी सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री राजेश अवस्थी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है।

पूर्व में वह छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष भी रहे और यहां की लोक कला, संस्कृति एवं परंपरा के संवर्धन में उनका अनुकरणीय योगदान रहा।

उनका निधन छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग के लिए अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्रीराम से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों, उनके शुभचिंतकों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।

हमने समर्पित कार्यकर्ता खो दिया - किरण देव

प्रदेश अध्यक्ष भाजपा किरण सिंहदेव दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि, आज हम सब बहुत दुखी हैं शोक में है  हमारी पार्टी के सिपाही, भारतीय जनता पार्टी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक, छत्तीसगढ़ के गौरव भाई राजेश अवस्थी का निधन समाचार मिलने से मन बहुत आहत है।

हमने एक बेहद समर्पित कार्यकर्ता खो दिया है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी। मैं भगवान से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं। परिवार जनों को इस भारी दुख को सहने की शक्ति मिले ऐसी भगवान के चरणों में प्रार्थना है।

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अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने दी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मंजूरी

 मुंबई 26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा के प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। भारत, पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। राणा 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में वांछित है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह तहव्वुर राणा के लिए भारत को प्रत्यर्पित न किए जाने का आखिरी कानूनी मौका था। इससे पहले, राणा सैन फ्रांसिस्को में उत्तरी सर्किट के लिए अमेरिकी अपील कोर्ट समेत कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हार चुका है।

 

राणा ने पिछले साल 13 नवंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 'प्रमाणपत्र' के लिए याचिका दाखिल की थी। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका को अस्वीकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिका स्वीकार नहीं की जाती।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तहव्वुर राणा फिलहाल लॉस एंजिल्स के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है। बता दें कि अमेरिकी कोर्ट ने अगस्त 2024 में फैसला सुनाते हुए भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजने की मंजूरी दी थी, लेकिन मामला कागजी कार्रवाई में ही अटका रहा। भारतीय एजेंसियों ने कोर्ट में सभी सबूत पेश किए थे, जिसके बाद कोर्ट ने मंजूरी दी थी।

 

अमेरिका के एफबीआई ने राणा को साल 2009 में शिकागो से गिरफ्तार किया था। वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव के तौर पर भारत में काम कर रहा था। हमले के मुख्य मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली को राणा ने ही हमले की साजिश रचने, रेकी करने में मदद की थी। जिसके सबूत भारत ने अमेरिका की कोर्ट में पेश किए थे, जिनमें राणा की संलिप्तता साफ दिखाई दी थी।

 

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई आतंकवादियों की गोलियों की तड़तड़ाहट से कांप उठी थी। आतंकी हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे।

 

 

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लॉस एंजिल्स में इस जगह लगी आग, तत्काल लोगों को मिले घर खाली करने के आदेश

 एंजिल्स के जंगल फिर से आग में धधकने लगे है। लॉस एंजिल्स के उत्तर में कास्टिक झील है, जिसके पास में जंगल है। इस जंगल में फिर से आग लग गई है। इस आग के कारण स्थानीय 31 हजार लोगों को अपना घर खाली करना पड़ा है।

ये आग काफी बड़ी है और तेजी से फैल रही है। कुछ ही घंटों में ये आग 8000 एकड़ के इलाके में फैल चुकी है। ये सारा इलाका जल चुका है। ये आग सुखी हुई झाड़ियों और तेज हवा के कारण तेजी से फैलती जा रही है, जिसपर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा है।

 
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श्रीलंका ने 41 भारतीय मछुआरों को किया रिहा, स्वदेश लौटे

  श्रीलंका ने 41 भारतीय मछुआरे को किया रिहा कर दिया है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि तमिलनाडु के 41 मछुआरे चेन्नई हवाई अड्डे पर पहुंच गए हैं। श्रीलंका की नौसेना ने इन मछुआरों को 8 सितंबर, 2024 को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा रिहा किए जाने के बाद मछुआरे मंगलवार देर रात चेन्नई हवाई अड्डे पर पहुंचे। तमिलनाडु तटीय पुलिस अधिकारियों के अनुसार, 41 मछुआरों में से 35 रामनाथपुरम के निवासी हैं, जबकि अन्य नागपट्टिनम और पुदुकोट्टई जिलों के रहने वाले हैं। स्वदेश लौटने पर मछुआरों को नागरिकता सत्यापन, सीमा शुल्क जांच और अन्य औपचारिकताओं से गुजरना पड़ा।

 

तमिलनाडु मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने मछुआरों का स्वागत किया और अलग-अलग वाहनों में उनके गृहनगरों तक परिवहन की व्यवस्था की। इससे पहले श्रीलंका ने तमिलनाडु के 15 मछुआरों के एक समूह को रिहा किया था, जो 16 जनवरी को चेन्नई पहुंचे थे।

भारतीय मछुआरों की बार-बार गिरफ्तारी एक बड़ा मुद्दा बन गया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में भारत यात्रा पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के साथ चर्चा के दौरान इस मुद्दे को उठाया था।

 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी केंद्र सरकार से लगातार गिरफ्तारियों पर रोक लगाने और राज्य के मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

तमिलनाडु के मछुआरा संघों ने तटीय जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए और निर्णायक कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनसे बीच समुद्र में होने वाली गिरफ्तारियों और मछली पकड़ने वाली मशीनीकृत नावों की जब्ती पर रोक लगाने का आग्रह किया था, जो उनकी आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।

 

पट्टाली मक्कल कच्ची (पीएमके) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास ने भी आगे की हिरासतों को रोकने के लिए भारत सरकार से कड़े हस्तक्षेप की मांग की थी। वर्तमान में, तमिलनाडु के 504 भारतीय मछुआरे कथित तौर पर 48 मशीनीकृत मछली पकड़ने वाली नौकाओं के साथ श्रीलंका की हिरासत में हैं।

 

 

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निकोलस मादुरो ने ली वेनेजुएला के राष्ट्रपति पद की शपथ

निकोलस मादुरो ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उन्होंने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद की शपथ ली। उनके शपथ ग्रहण समारोह में क्यूबा, निकारागुआ के राष्ट्रपति शामिल हुए। मादुरो 2013 से राष्ट्रपति हैं।

मादुरो ने शुक्रवार वेनेजुएला की राष्ट्रीय असेंबली के अध्यक्ष जॉर्ज रॉड्रिग्ज के सामने शपथ ली। इस दौरान उन्होंने वेनेजुएला में शांति, समृद्धि, समानता और नए लोकतंत्र सुनिश्चित करने का संकल्प लिया

वेनेजुएला के राष्ट्रपति के रूप में तीसरी बार शपथ लेने के बाद मादुरो ने कहा, मैं इतिहास और अपने जीवन की कसम खाता हूं कि मैं अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगा। इसके बाद उन्हें राष्ट्रपति की पट्टी और ऑर्डर ऑफ द लिबरेटर्स मिला, जो वेनेजुएला में राष्ट्रपति के अधिकार का प्रतीक है।

मादुरो ने शपथ के बाद अपने भाषण में एक प्रमुख संवैधानिक सुधार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए व्यापक वार्ता प्रक्रिया का आह्वान किया। उनके मुताबिक ये वेनेजुएला को और लोकतांत्रिक बनाएगा।

 
 

उन्होंने कहा, इस सुधार का उद्देश्य नई अर्थव्यवस्था और समाज के आधार पर संविधान के सिद्धांतों को अप-टू-डेट करना और देश को नए तकनीकी खतरों से बचाना है।

मादुरो ने कहा, आज मैं संवैधानिक सुधार परियोजना का मसौदा तैयार करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय आयोग बनाने के हुक्मनामे पर हस्ताक्षर करूंगा, जिसका उद्देश्य लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना और वेनेजुएला के नए समाज और अर्थव्यवस्था को परिभाषित करना है।

 
 

राष्ट्रीय चुनाव परिषद के आंकड़ों के अनुसार, मादुरो ने 51.95 प्रतिशत वोट के साथ 28 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति चुनाव जीता था।

हालांकि, उनकी जीत को लेकर सवाल भी खड़े हुए थे, लेकिन वेनेजुएला के चुनाव प्राधिकरण और शीर्ष अदालत ने मादुरो को चुनाव में विजेता घोषित किया था।

23 नवंबर 1962 को जन्मे निकोलास मादुरो साल 2013 से वेनेजुएला के राष्ट्रपति हैं। बीते कुछ समय में मादुरो की सरकार के कारण वेनेज़ुएला को भारी आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ रहा है।

 

 

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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन

 पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर का रविवार को 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह अब तक के सबसे अधिक उम्र तक जीवित रहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति थे। वह भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति भी थे। कार्टर का निधन उनके घर जॉर्जिया में हुआ। वह त्वचा के कैंसर (मेलानोमा) से पीड़ित थे, जो उनके लीवर और दिमाग तक फैल गया था। उन्होंने इलाज बंद कर दिया था और घर पर ही देखभाल में थे।

उनकी मृत्यु की जानकारी अटलांटा स्थित कार्टर सेंटर ने दी। उनके बेटे चिप कार्टर ने कहा, "मेरे पिता मेरे लिए और उन सभी के लिए नायक थे, जो शांति, मानवाधिकार और निस्वार्थ प्रेम में विश्वास रखते हैं। उन्होंने लोगों को एक साथ जोड़कर पूरी दुनिया को हमारा परिवार बना दिया। उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए इन मूल्यों को अपनाते रहें।"

 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्टर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "यह एक दुखद दिन है, लेकिन इसके साथ ही उनके साथ जुड़ी हुई ढेर सारी अविश्वसनीय यादें भी हैं। मेरे विचार से आज अमेरिका और विश्व ने एक उल्लेखनीय लीडर खो दिया। वह एक राजनेता और मानवतावादी थे और मैंने एक प्रिय मित्र को भी खो दिया। मैं 50 वर्षों से अधिक समय से जिमी कार्टर को जानता हूं।

 

उन वर्षों में मेरी उनके साथ अनगिनत बातचीत हुई... हालांकि मुझे जिमी कार्टर के बारे में जो बात असाधारण लगती है, वह यह है कि दुनिया भर में लाखों लोग महसूस करते हैं कि उन्होंने एक दोस्त भी खो दिया है, भले ही वे उनसे कभी नहीं मिले हों। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिमी कार्टर ने कथनी में नहीं बल्कि करनी में यकीन रखा। उन्होंने न केवल घर में, बल्कि दुनिया भर में बीमारी को खत्म करने के लिए काम किया। उन्होंने शांति कायम की, नागरिक अधिकारों, मानवाधिकारों को आगे बढ़ाया और दुनिया भर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को बढ़ावा दिया।

 

वहीं अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जिम्मी के राष्ट्रपति बनने के समय हमारा देश नाजुक दौर से गुजर रहा था और उन्होंने अमेरिकी लोगों के जीवन में सुधार के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास किए। इसके लिए, हम सब उनके आभारी हैं। इस मुश्किल समय में मैं और मेरी पत्नी कार्टर के परिवार और उनके प्रियजनों के बारे में सोच रहे हैं। हम सभी से अनुरोध करते हैं कि उनको अपने दुआओं में रखें।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति कार्टर ने डेमोक्रेट पार्टी की ओर से 1977 से 1981 तक एक कार्यकाल पूरा किया। उनके समय में इजरायल और मिस्र के बीच कैंप डेविड समझौते जैसी उपलब्धियां थीं। कार्टर ने राष्ट्रपति पद के बाद भी असाधारण काम किए और 2002 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीता। उन्हें यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण हल खोजने, लोकतंत्र और मानवाधिकार बढ़ाने, तथा आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए दिया गया।

कार्टर 1978 में भारत यात्रा के दौरान अपनी पत्नी के साथ आए थे। उन्होंने राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से मुलाकात की थी और संसद को संबोधित किया था। गुरुग्राम के एक गांव का नाम, जहां वे गए थे, उनके सम्मान में "कार्टरपुरी" रखा गया, जो आज भी है।

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पाकिस्तान में सुरक्षा चौकी पर हमला, 16 सैनिकों की मौत

 खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत में शनिवार तड़के सुरक्षा चौकी पर हमला हुआ, जिसमें 16 सैनिकों की मौत हो गई और आठ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। ऊपरी दक्षिण वजीरिस्तान जिले के लिटा सर इलाके में यह हमला हुआ।

सुरक्षा बलों पर हमले ऐसे समय में हुए हैं जब पाकिस्तान की सर्वोच्च समिति ने केपी के कुर्रम जिले को हथियार रहित करने का एक बड़ा फैसला लिया है, जहां घातक सांप्रदायिक झड़पों में 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। जिले में 70 दिनों से ज्यादा समय से भोजन, पानी, ईंधन और दवाइयों सहित बुनियादी ज़रूरतों की कमी है, जिसके कारण कम से कम 29 बच्चों की मौत हो गई है।

 

केपी के कोहाट शहर में एक जिरगा (नेताओं की एक पारंपरिक परिषद) कई हफ्तों से सभी पक्षों को आपसी सहमति से शांति समझौते के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तान की सर्वोच्च समिति, जो देश में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है, ने 1 फरवरी, 2025 तक कुर्रम जिले के सभी हथियार और गोला-बारूद जब्त करने का फ़ैसला किया है।

 

दोनों पक्षों को 15 दिनों के भीतर स्वेच्छा से अपने हथियार और गोला-बारूद जमा करने होंगे और एक समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे, जिसके लिए सरकार गारंटर होगी। यह फैसला लिया गया है कि 1 फरवरी तक सभी बंकरों को ध्वस्त कर दिया जाएगा, जबकि फ्रंटियर कोर और पुलिस संयुक्त रूप से सैन्य काफिलों को सुरक्षा प्रदान करेंगे।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि शीर्ष समिति के निर्णय पर स्थानीय जनजातियों के लिए सहमत होना आसान प्रस्ताव नहीं हो सकता है क्योंकि कुर्रम जिले में हथियारों की भारी भरकम मात्रा है। जनजातीय समूहों का कहना है हथियारों का इस्तेमाल वह अपनी रक्षा के लिए करते हैं।

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इजरायल ने की एक और बड़ी एयरस्ट्राइक, हिजबुल्लाह के 440 लड़ाके ढेर

  इजरायली सेना ने लेबनान के दक्षिणी बेरूत पर एक और भीषण हवाई हमला किया है। हमले की तस्वीरें और वीडियो देखकर आपकी आत्मा भी कांप उठेगी।

रॉयटर्स के प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में शनिवार देर रात से रविवार तक बड़े पैमाने पर लगातार हमले हुए। इससे शहर भर में धमाके सुनाई देते रहे और कई किलोमीटर दूर से लगभग 30 मिनट तक आसमान में लाल और सफेद रंग की चमक दिखाई दी। आसमान में आग की लपटें और काला धुआं भी देखा गया। इजरायली सेना ने अपने अभियान के दौरान अब तक 440 हिजबुल्लाह लड़ाकों को मार गिराने का दावा किया है। 

 

हमला इतना अधिक घातक था कि पूरा बेरूत दहल गया। इस हमले में सैकड़ों इमारतें ताश के पत्तों की तरह एक साथ बिखर गईं। हालांकि हमले के दौरान होने वाली मौतों के बारे में अभी कोई सूचना सामने नहीं आ सकी है। मगर ईरान समर्थित सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के गढ़ माने जाने वाले बेरुत उपनगरों पर इज़रायल की इस बमबारी से भारी नुकसान की आशंका जाहिर की गई है। अभी कुछ दिन पहले ही इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के नेता सैय्यद हसन नसरल्लाह को मार डाला था। इसके बाद हाशिफ सफीद्दीन नया हिजबुल्लाह चीफ बना था। संभवतः नसरल्लाह के इस उत्तराधिकारी की मौत हो गई है। क्योंकि कई दिनों पहले आईडीएफ ने सफीद्दीन के मारे जाने की आशंका जाहिर की थी, तब से वह किसी के संपर्क में नहीं है। 

 

1 हफ्ते से संपर्क में नहीं है सफीद्दीन

लेबनान के एक सुरक्षा सूत्र ने शनिवार को कहा कि शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक इजरायली हवाई हमले के बाद हाशिम सफीदीन संपर्क से बाहर हो गए थे। इजरायल ने यह हमला बीते शुक्रवार को किया था, जिसमें कथित तौर पर उसे निशाना बनाया गया था। इज़रायली सेना ने 27 सितंबर को बेरूत में समूह के केंद्रीय कमान मुख्यालय पर हमले में नसरल्लाह को मार गिराया था। इसके बाद हिजबुल्लाह ने पुष्टि कर दी थी कि वह मारा गया है। मगर सफीद्दीन को लेकर अभी तक हिजबुल्लाह की ओर से कोई घोषणा नहीं की गई है। लेबनानी सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि मध्य बेरूत के दक्षिण में एक आवासीय क्षेत्र और हिजबुल्लाह के गढ़ दहियाह पर शुक्रवार से इजरायली हमलों ने बचावकर्मियों को गुरुवार रात के हमले की जगह का पता लगाने से रोक दिया है।

 

हिजबुल्लाह के 2000 ठिकाने तबाह

इजरायली सेना के प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने शनिवार को कहा कि इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में अपने जमीनी अभियान में 440 हिजबुल्लाह लड़ाकों को मार गिराया है और 2,000 हिजबुल्लाह ठिकानों को नष्ट कर दिया है। हिजबुल्लाह ने मरने वालों की संख्या जारी नहीं की है। इज़रायल का कहना है कि उसने उत्तरी इज़राइल में अपने घरों में हजारों नागरिकों की सुरक्षित वापसी को सक्षम करने के लिए हिजबुल्लाह पर अपना हमला तेज कर दिया है। इज़रायली अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि दक्षिणी लेबनान में अब तक नौ इज़रायली सैनिक भी मारे गए हैं।

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जापान के नए प्रधानमंत्री होंगे शिगेरू इशिबा

जापान के पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरू इशिबा देश के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। उनकी आधिकारिक संसदीय नियुक्ति मंगलवार को होनी है। उन्होंने शुक्रवार को सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत हासिल की।

 

67 वर्षीय इशिबा ने अध्यक्ष पद चुनाव में 215 वोटों के साथ आर्थिक सुरक्षा मंत्री साने ताकाइची को हराया, जिन्हें 194 वोट मिले। वे प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की जगह लेंगे। किशिदा ने सत्तारूढ़ पार्टी को हिला देने वाले 'स्लश फंड' घोटाले के बाद पद छोड़ने का फैसला किया था।

एलडीपी नेतृत्व के लिए इशिबा की यह पांचवीं दावेदारी थी। पिछले कुछ वर्षों उनकी छिव रक्षा, कृषि की गहरी जानकारी रखने वाले अनुभवी नीति विशेषज्ञ के रूप में बनी है।

इशिबा ने एलडीपी मुख्यालय में समर्थकों को संबोधित करते हुए पार्टी के भीतर एकता का आह्वान किया। उन्होंने घोषणा की, मैं जापान को एक सुरक्षित देश बनाने के लिए खुद को समर्पित करूंगा।

अब सबका ध्यान प्रतिनिधि सभा को भंग करने और आम चुनाव की तारीखों की घोषणा पर टिका है। इशिबा के सामने तत्काल कुछ बड़ी चुनौतियां हैं। इनमें एलडीपी में जनता का भरोसा बहाल करना शामिल है, जिसकी छवि को 'स्लश फंड' घोटाले की वजह से गहरा धक्का पहुंचा है। चीन, उत्तर कोरिया और रूस से बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उनके नेतृत्व का परीक्षण होगा।

कुछ दिन पहले ही मुख्य विपक्षी दल कांस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जापान (सीडीपीजे) के अध्यक्ष पद का भी चुनाव हुआ। विपक्षी पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री योशीहिको नोडा को अपना नया नेता चुना है।

सीडीपीजे संभावित आम चुनाव में अधिक सीटें हासिल करने की कोशिशों को तेज कर रही है। यह लंबे समय से प्रभावी एलडीपी को गंभीर चुनौती देना चाहती है।

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