शिक्षा

कलेक्टर ने किया स्कूल-आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण

नारायणपुर: कलेक्टर अजीत वसंत और जिला पंचायत सीईओ देवेश कुमार ने शुक्रवार को जिले के देवगांव के प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण किया। उन्होंने निरीक्षण के दौरान प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला देवगांव के बच्चों को नाश्ता एवं मध्यान्ह भोजन नियमित रूप से खिलाने के निर्देश दिये। उन्होंने निरीक्षण के दौरान कक्षा पांचवी के बच्चों से किताब पढ़ने के लिए कहा और बच्चों ने किताब पढ़कर सुनाया। कक्षा शिक्षक को हिदायत देते हुए कहा कि सभी बच्चों को नियमित रूप से अध्ययन कराएं, जिससे बच्चों के शिक्षा में गुणवत्ता मिल सके।

कलेक्टर ने कक्षा पांचवी के बच्चों की दर्ज की संख्या की जानकारी ली तथा उपस्थित शिक्षक से उनके पढ़ाने के विशय संबंधी जानकारी ली। उन्होंने निरीक्षण के दौरान दी जाने वाली नास्ता में उपमा, पोहा और दलिया प्रतिदिन बच्चों को उनके पसंद के अनुरूप समय पर खिलाने कक्षा शिक्षक को निर्देशित किये। भोजन प्रभारी शिक्षक प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन का जायजा लें ताकि भोजन गुणवत्ता युक्त खिलाया जा सके। निरीक्षण करते हुए प्राथमिक शाला के प्रधान अध्यापक को सभी बच्चों को युनिफार्म साफ सुथरे पहनकर आने विशेश ध्यान देने के निर्देश दिये। कलेक्टर ने मध्यान्ह भोजन बनाने वाले समूह के महिलाओं को साफ सफाई के साथ भोजन बनाने के लिए कहा तथा उनके मानदेय 800 रूपये प्रतिमाह दिये जाने की जानकारी दिये। पूर्व माध्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण कर मध्यान्ह भोजन और नाश्ता नियमित रूप से खिलाने के निर्देश दिये। माध्यमिक शाला में उपस्थित शिक्षकों को निर्देशित करते हुए कहा कि कक्षा में दर्ज संख्या के अनुसार बच्चों के शतप्रतिशत उपस्थिति कराएं। उनके द्वारा प्राथमिक शाला के शिक्षकों की जानकारी लेते हुए नाश्ता मीनू के अनुसार समूह के माध्यम से बनाने के निर्देशित किया गया। उन्होंने कक्षा आंठवी के बच्चों की दर्ज संख्या की जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कक्षा में 12 बच्चे उपस्थित थे। उपस्थित बच्चों से उनको नाश्ता में दी जाने वाली उपमा, पोहा और दलिया के संबंध में उनके पसंद के बारे में पूछा। उन्होंने कक्षा आंठवी में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई नहीं छोड़ने और आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया। कक्षा सांतवी के दर्ज संख्या अनुसार सभी बच्चे उपस्थित पाये गये। निरीक्षण के दौरान बच्चों द्वारा डस्टबीन का मॉडल बनाया जा रहा था, कलेक्टर ने बच्चों से डस्टबीन का उपयोग करने की समझाईश दी। कक्षा छठवीं के निरीक्षण के दौरान बच्चों द्वारा सौर मण्डल का मॉडल बनाया जा रहा था, उन्होंने बच्चों से किताब पढ़कर सुनाने को कहा तथा शिक्षा की गुणवत्ता का जायजा लिया।

 



उन्होंने स्कूल निरीक्षण के दौरान आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक एक देवगांव का भी निरीक्षण किया। कलेक्टर ने आंगनबाड़ी में बच्चों को दी जाने वाली मूंगफली चिक्की, अण्डा नाश्ता और पोषण ट्रेकर की जानकारी ली। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से 3 से 6 वर्श के बच्चो में कुपोशण की जानकारी, बच्चों को गरम भोजन खिलाने तथा पर्यवेक्षक द्वारा किये जाने वाले निरीक्षण पंजी का जायजा लिया। कलेक्टर ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को निर्देशित करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी में बच्चों की दर्ज संख्या बढ़ाये तथा बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा भी नियमित रूप से दें। उनके द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों के लिए आने वाली सामग्रियों और पेयजल हेतु लगाए गये नल कनेक्शन का भी अवलोकन किया गया।

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10-12वीं मुख्य-अवसर परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर

रायपुर: छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी मुख्य व अवसर परीक्षा वर्ष 2024 के परीक्षा फार्म भरने की तिथियां घोषित कर दी है। सामान्य शुल्क के साथ परीक्षार्थी 31 अक्टूबर तक फार्म भर सकते हैं।


माध्यमिक शिक्षा मंडल से प्राप्त जानकारी के अनुसार सामान्य शुल्क के साथ फार्म भरने की तिथि 10 अक्टूबर से शुरू हो गई है। मंडल के सचिव प्रोफेसर व्ही. के. गोयल ने बताया कि परीक्षार्थी विलंब शुल्क के साथ 1 से 15 नवम्बर तक और विशेष विलंब शुल्क के साथ 16 से 31 नवम्बर तक परीक्षा फार्म भर सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्वाध्यायी मुख्य एवं अवसर परीक्षा से संबंधित परीक्षार्थी शासकीय एवं अशासकीय अग्रेषण संस्थाओं के माध्यम से ऑनलाईन परीक्षा फार्म भर सकते हैं। इस संबंध में विस्तृत जानकारी मंडल की वेबसाईट www.cgbse.nic.in पर उपलब्ध है।

 

 

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जिले में स्वामी आत्मानंद कोचिंग योजना का शुभारंभ

 विशेषज्ञ शिक्षकों से ऑनलाइन कोचिंग के जरिए मिलेगा मार्गदर्शन

 

अम्बिकापुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घोषणानुसार इंजीनियरिंग व मेडिकल में प्रवेश के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में युवा छात्र छात्राओं की मदद के लिए ऑनलाइन स्वामी आत्मानंद कोचिंग योजना का शुभारंभ विकासखण्ड अम्बिकापुर सहित सभी सातों विकासखण्डों में 25 सितंबर से किया गया। कलेक्टर कुन्दन कुमार के मार्गदर्शन में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, केदारपुर में जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. संजय गुहे की उपस्थिति एवं प्राचार्य रूमि घोष की अध्यक्षता में योजना की शुरुआत की गई। इस दौरान रविशंकर पाण्डेय, सहायक परियोजना अधिकारी, एल.पी.गुप्ता, प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मणिपुर, आर.एल.मिश्र, प्राचार्य शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भी उपस्थित रहे।


इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी डॉ.संजय गुहे ने बताया कि स्वामी आत्मानंद कोचिंग योजना शासकीय शैक्षणिक शालाओं के कक्षा बारहवीं में अध्ययनरत गणित व जीवविज्ञान संकाय के उन छात्र एवं छात्राओं के लिए उपलब्ध रहेगी, जो इंजीनियरिंग आईआईटी व जेईई तथा मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु नीट की तैयारी करना चाहते हैं। स्वामी आत्मानंद ऑनलाइन कोचिंग की व्यवस्था राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के माध्यम से छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से चयनित संस्थाओं की ओर से की जाएगी। इस कोचिंग में प्रवेश के लिए प्रत्येक विकासखण्ड के शासकीय शालाओं में कक्षा बारहवीं के अध्ययनरत 50-50 विद्यार्थियों को संबंधित प्री इंजीनियरिंग व प्री मेडिकल परीक्षा की तैयारी के लिए प्रवेश दिया जाएगा, जिसके मूल्यांकन के लिए एससीआरटी द्वारा मानक मूल्यांकन तैयार किया जाएगा। 

विकासखण्ड अम्बिकापुर के कोचिंग केन्द्र शास.उ.मा.वि.केदारपुर सहित समस्त विकासखण्डों में विद्यालय संचालन अवधि के पश्चात ऑफलाइन डाउट क्लासेस भौतिक, रसायन,जीवविज्ञान व गणित विषय के लिए विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के माध्यम से प्रतिदिन उपलब्ध करायी जाएगी। जहां विद्यार्थी विषयगत समस्याओं को संबंधित शिक्षकों से ऑफलाइन मोड में मार्गदर्शन प्राप्त कर निराकरण कर सकेंगे। इसके लिए विकासखण्ड अम्बिकापुर सहित जिले सभी विकासखण्डों के चयनित विषय विशेषज्ञ शिक्षक प्रतिदिन कोचिंग केन्द्र पर उपलब्ध रहेंगे।

 
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कलेक्टर ने किया स्वामी आत्मानंद विद्यालय पवनी-परसापाली का निरीक्षण

 स्कूलों की मरम्मत-जीर्णोद्धार शीघ्र पूरा करने दिए निर्देश

सारंगढ़-बिलाईगढ़: कलेक्टर डॉ. फरिहा आलम सिद्दीकी गुरुवार को बिलाईगढ़ विकासखंड के स्कूलों के दौरे पर रहीं। उन्होंने स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय पवनी में बीईओ एवं ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के एसडीओ और प्राचार्य से स्कूल की गतिविधियों, शिक्षक व्यवस्था और भवनों की मरम्मत, जीर्णोद्धार कार्यों की प्रगति की जानकारी ली और किचन शेड एवं चबूतरा निर्माण के लिए जरूरी सुझाव दिए। इसके अलावा कलेक्टर ने विद्यालय में एक पुस्तकालय निर्माण की आवश्यकता पर जोर देते हुए सभी नवीन कार्यों में टाइल्स का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए। साथ ही पुराने एवं जीर्ण-शीर्ण भवनों को ध्वस्त कर नवीन निर्माण कार्यों को शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए।

इसके पश्चात् डॉ. सिद्दीकी ने स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय परसापाली का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने स्कूल भवन में की जा रही मरम्मत और जीर्णोद्धार के कार्यों की प्रगति के बारे में जानकारी लेते हुए लिए जा रहे गुणवत्ता के साथ निर्माण कार्य करने हेतु निर्देशित किया, साथ ही विद्युतीकरण कार्यों के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए। विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने स्कूली बच्चों से पूछा कि भविष्य में क्या बनना चाहते हैं। छात्र-छात्राओं ने अपनी इच्छा कलेक्टर के सामने व्यक्त की। डॉ. सिद्दीकी ने छात्र-छात्राओं से कहा कि यह सुनहरा समय है, भविष्य में जो भी बनना चाहते हैं, उसको ध्यान में रखते हुए अभी से पढ़ाई करें। कलेक्टर ने विद्यालय के प्राचार्य से बच्चों की पढ़ाई के संबंध में विषयवार जानकारी ली एवं कक्षाओं की नियमितता एवं बच्चों के व्यक्तित्व विकास के आंतरिक मूल्यांकन के संबंध में जानकारी ली। इस अवसर पर अपर कलेक्टर निष्ठा पाण्डेय तिवारी भी उपस्थित थीं।

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केन्द्रीय विद्यालय के बच्चों ने शिक्षकों के साथ देखी चन्द्रयान-3 की लैडिंग

 धमतरी : जिले में संचालित लोहरसी स्थित केन्द्रीय विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने साथ बैठकर चन्द्रयान-3 की चन्द्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग का अद्भुत और ऐतिहासिक नजारे को देखा। पूरे भारत सहित स्कूली बच्चों ने इस अभूतपूर्व अविस्मरणीय और ऐतिहासिक पल को टीवी चैनल के माध्यम से देखकर काफी रोमांचित हुए। इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य ने उपस्थित शिक्षकों और विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं।

 
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उच्च व्यावसायिक संस्थान में प्रवेश के समय विद्यार्थियों को मिलेगी अधिकतम 50 हजार रूपए वार्षिक एकमुश्त राशि

 छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना वर्ष-2023 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह योजना आईआईटी, एम्स, आईआईएम, एनएलयू जैसे उच्च शिक्षा व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश लेने वाले निम्न आय वर्ग के प्रतिभावान विद्यार्थियों के प्रवेश को सुगम बनाने और उन्हें तात्कालिक सहायता देने के लिए शुरू की जा रही है। 

 
मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना में योजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिभावान निम्न आय वर्ग के विद्यार्थी जो उच्च व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चयन उपरांत इन संस्थानों में प्रवेश प्राप्त करने के लिए प्रारंभिक तैयारियों यथा-यात्रा व्यय, कपडे, आवास, भोजन, तात्कालिक फीस, दवाई आदि जैसे आवश्यक कार्यों के लिए राशि उपलब्ध नहीं होने से छात्र इन उच्च संस्थानों में प्रवेश से वंचित होने वालो को सहायता हेतु राशि प्रदान करना है। 
 
योजना के अंतर्गत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रबंध संस्थान, भारतीय विधि संस्थान जैसे संस्थानों के अलावा ऐसे सभी व्यवसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले शैक्षणिक संस्थान जो भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर के घोषित हो, नीट प्रवेश परीक्षा के माध्यम से, एमबीबीएस पाठ्यक्रम हेतु शासकीय संस्थान, जेईई प्रवेश परीक्षा के माध्यम से बी-टेक पाठ्यक्रम हेतु शासकीय एनआईटी, ट्रीपलआईटी संस्थान को शामिल किया गया है। 
 
योजना में छात्रवृत्ति की राशि एकमुश्त होगी जो संस्थान में प्रवेश के समय विद्यार्थी की आवश्यकता के आधार पर प्रदान की जायेगी। यह राशि अधिकतम पचास हजार रूपये तक वार्षिक होगी। विद्यार्थी का संस्थान में प्रवेश उपरांत समस्त वैध व्यय का देयक प्रमाणित कर विभागाध्यक्ष कार्यालय को संस्थान में प्रवेश के एक माह के भीतर प्रस्तुत करना होगा। छात्रवृत्ति की राशि का दुरूपयोग करने या गलत जानकारी देने पर यह राशि विद्यार्थी एवं पालक से वसूली जाएगी तथा आवश्यकता पड़ने पर अन्य विधिक कार्यवाही भी की जाएगी। 
 
पात्रता की शर्तें-  विद्यार्थी छत्तीसगढ़ राज्य का मूल निवासी होना चाहिये। विद्यार्थी को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु अधिसूचित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल होना चाहिये। विद्यार्थी को उपरोक्त अनुसार उल्लेखित संस्थान में चयन की पात्रता के साथ ही चयनित होने का प्रमाण-पत्र एवं प्रवेश लेने हेतु संस्था द्वारा जारी सूचना पत्र होना चाहिये।
 
आय सीमा-  अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पालक की वार्षिक आय रूपये 2.50 लाख रूपए से अधिक नहीं होना चाहिये। शासकीय सेवकों के आश्रित इस योजना के पात्र नहीं होगें किन्तु चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बच्चे इस योजना का लाभ ले सकेंगे।
 
चयन की प्रक्रिया-  योजना का लाभ लेने हेतु विद्यार्थी को योजना के साथ संलग्न निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होगा। आवेदनों का परीक्षण इस हेतु गठित समिति द्वारा किया जायेगा। आवेदनों की संख्या अधिक होने पर राष्ट्रीय संस्थानों के महत्ता को ध्यान में रखते हुए छात्रवृत्ति की संख्या निर्धारित की जायेगी। समान प्रकृति के संस्थानों हेतु छात्रवृत्ति हेतु चयन के लिए प्रवेश परीक्षा के प्राप्तांक को प्राथमिकता देते हुए चयन की कार्यवाही की जायेगी तथा समान अंक की स्थिति में कक्षा 12वीं के प्राप्तांक के आधार पर प्राथमिकता दी जायेगी। मेरिट सूची पश्चात् नक्सल हिंसा से हुए अनाथ बच्चे, अन्य अनाथ बच्चे, विधवा के बच्चे, विकलांग बच्चों को इसी क्रम में प्राथमिकता देते हुए सूची तैयार की जायेगी।
 
आवेदनों के परीक्षण के लिए राज्य स्तरीय समिति-  प्राप्त आवेदनों का राज्य स्तरीय समिति के द्वारा परीक्षण किया जायेगा। इस समिति में आयुक्त/संचालक, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग अध्यक्ष होंगे तथा आयुक्त, उच्च शिक्षा विभाग, संचालक, चिकित्सा शिक्षा विभाग, संचालक, तकनीकी शिक्षा विभाग, वित्त अधिकारी, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग सदस्य होंगे। योजना प्रभारी अधिकारी सदस्य सचिव पर समिति का दायित्व होगा कि योजना के प्रावधान अनुसार आवेदन पत्रों का परीक्षण के बाद पात्रता का निर्धारण कर बजट सीमा के अंतर्गत अनुशंसा के साथ प्रस्तुत करेगी।
 
स्वीकृति एवं भुगतान की प्रक्रिया-  समिति द्वारा चयन सूची के आधार पर जिस जिले का विद्यार्थी मूल निवासी होगा उस जिले के सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास को राशि आवंटित की जायेगी। जिला स्तर पर सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास एवं चयनित विद्यार्थी के साथ रायुक्त बैंक खाता खोला जायेगा एवं उसमें राशि हस्तांतरित की जायेंगी। विद्यार्थी द्वारा संस्थान में प्रवेश लेने के पूर्व मदवार राशि की आवश्यकता सहायक आयुक्त को प्रस्तुत की जायेगी। इसके आधार पर सहायक आयुक्त द्वारा आवश्यक राशि का परीक्षण कर तत्काल विद्यार्थी को सहायता उपलब्ध करायेंगे एवं चयनित संस्थान में प्रवेश पश्चात् विद्यार्थी विभिन्न खर्ची का विवरण प्रमाणित कर सहायक आयुक्त को प्रस्तुत करेगा। यदि चयनित विद्यार्थी द्वारा स्वयं का व्यय कर चयनित संस्थान में प्रवेश प्राप्त कर लिया हो तो विद्यार्थी द्वारा खर्चों का विवरण देयक सहित प्रस्तुत करने पर सहायक आयुक्त द्वारा परीक्षण उपरांत उसकी प्रतिपूर्ति संबंधित विद्यार्थी को की जायेगी।
 
आवेदन की प्रक्रिया-  इस योजनांतर्गत दर्शित संस्थानों में प्रवेश के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु संबंधित संस्थान में प्रवेश की सूचना प्राप्त होते ही विद्यार्थी को निर्धारित आवेदन पत्र में आवेदन कर एवं उससे संबंधित अभिलेख संलग्न कर 15 दिवस के अंदर आयुक्त/संचालक आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर को प्रस्तुत करना होगा।
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शिक्षण सत्र 2023-2024, 2024-2025 एवं 2025-2026 के लिए निर्धारित की गई फीस इस वर्ष मात्र 5 प्रतिशत वृद्धि की गई

 प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति द्वारा प्रदेश में संचालित व्यावसायिक पाठ्यक्रमों क्रमशः बी.एड., एम.एड., बी.पी.एड., एम.पी.एड. बी.टेक, एम.टेक, एम.बी.ए., एम.सी.ए., डी. फार्मेसी, बी. फार्मेसी, एम. फार्मेसी, बी.एस.सी. नर्सिंग (पोस्ट बेसिक), बी.एस.सी. नर्सिंग, एम.एस.सी. नर्सिंग, पी.एच.डी., बीएचएमएस पाठ्यक्रमों में फीस का अंतिम निर्धारण शिक्षण सत्र 2023-2024, 2024-2025 एवं 2025-2026 के लिए विस्तृत संकल्प पारित कर किया गया है। 

 
प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति के अध्यक्ष श्री प्र्रभात कुमार शास्त्री से प्राप्त जानकारी के अनुसार विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों फीस में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई है। पूर्व में लगभग तीन से पांच वर्ष पूर्व इन शिक्षण संस्थाओं की फीस निर्धारित हुई थी, इतने वर्षों के पश्चात इस बार फीस में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। भिन्न-भिन्न शिक्षण संस्थाओं की भिन्न-भिन्न फीस उनके मूल्यांकन के आधार पर समिति द्वारा निर्धारित की गई है। फीस के निर्धारण के समय पड़ोस के राज्यों की फीस, छत्तीसगढ़ राज्य की प्रति व्यक्ति आय आदि तथ्यों को ध्यान में रखते हुए समिति ने उपरोक्त निर्णय लिया है। समिति की 10 अगस्त 2023 को आयोजित बैठक में समिति के अध्यक्ष के अलावा संचालक तकनीकी शिक्षा, सदस्य (पदेन), संचालक चिकित्सा शिक्षा, सदस्य (पदेन), सदस्य (वित्त) श्री योगेश वर्ल्यानी एवं सदस्य (विधि) श्री सैयद अफसर अली शामिल हुए। 
 
प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति निर्धारित शुल्क में समस्त अन्य तथ्यों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें यूनिफार्म, आई.डी. कार्ड, लेबोरेटरी, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि मद में अतिरिक्त राशि शिक्षण संस्थाएं नहीं ले सकेंगी। केवल छात्रावास, वाहन सुविधा और मेस के लिए ‘नो प्राफिट, नो लॉस‘ के आधार पर अतिरिक्त राशि ली जा सकती है। प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति द्वारा विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए निर्धारित फीस इस प्रकार है- बी.एड.-अधिकतम फीस 34,697 रूपए, न्यूनतम फीस 31,670 रूपए प्रति वर्ष, एम.एड.-अधिकतम फीस 53,850 रूपए, न्यूनतम फीस 52,850 रूपए प्रति वर्ष, बी.पी.एड.-अधिकतम फीस 34,140 रूपए, न्यूनतम फीस 33,840 रूपए प्रति वर्ष, एम.पी.एड.-अधिकतम फीस 46,500 रूपए प्रति वर्ष निर्धारित की गई है। 
 
इसी तरह बी.टेक-अधिकतम फीस 40,200 रूपए, न्यूनतम फीस 38,300 रूपए प्रति सेमेस्टर, एम.टेक- अधिकतम फीस 37,500 रूपए, न्यूनतम फीस 32,400 रूपए प्रति सेमेस्टर, एम.बी.ए.-अधिकतम फीस 34,500 रूपए, न्यूनतम फीस 33,750 रूपए प्रति सेमेस्टर निर्धारित की गई है।
 
इसी तरह एम.सी.ए.- अधिकतम फीस 31,950 रूपए प्रति सेमेस्टर, डी. फार्मेसी- अधिकतम फीस 60,750 रूपए, न्यूनतम फीस 56,700 रूपए प्रति वर्ष, बी.फार्मेसी- अधिकतम फीस 39,600 रूपए, न्यूनतम फीस 35,150 रूपए प्रति सेमेस्टर, एम.फार्मेसी- अधिकतम फीस 60,300 रूपए, न्यूनतम फीस 56,070 रूपए प्रति सेमेस्टर, बी.एस.सी नर्सिंग (पोस्ट बेसिक)- अधिकतम फीस 52,950 रूपए, न्यूनतम फीस 46,450 रूपए प्रति वर्ष, बी.एस.सी. नर्सिंग-अधिकतम फीस 63,900 रूपए, न्यूनतम फीस 58,022 रूपए प्रति वर्ष, एम.एस.सी नर्सिंग- अधिकतम फीस 95,200 रूपए, न्यूनतम फीस 92,111 रूपए प्रति वर्ष निर्धारित की है।
 
पी.एच.डी (इंजीनियरिंग)- अधिकतम फीस 35,000 रूपए से 26,500 रूपए-प्रथम सेमेस्टर हेतु एवं द्वितीय सेमेस्टर से 20,000 रूपए से 17,000 रूपए, बी.एच.एम.एस.- अधिकतम फीस 70,000 रूपए प्रति वर्ष निर्धारित की गई है।
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विद्यार्थियों को कौशल, ज्ञान और बुद्धि से लैस करना समय की मांग है - श्री विश्वभूषण हरिचंदन

 विद्यार्थियों को कौशल, ज्ञान और बुद्धि से लैस करना समय की मांग है ताकि छत्तीसगढ़ के छात्र बाहर के बड़े शहरों में पढ़ाई करने वाले छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। हमारे छात्र उच्च अध्ययन के लिए महानगरों में न जाएं बल्कि उन्हें अपने ही राज्य में पाठ्यक्रमों के मामले मेें समान गुणवत्ता, समान बुनियादी ढांचा और समान सुविधाएं मिले यह प्रयास होना चाहिए।

 
राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने आज आंजनेय विश्वविद्यालय के उदघाटन अवसर पर यह उदगार व्यक्त किया। राज्यपाल ने कहा कि समय की मांग है कि ऐसे माहौल को बढ़ावा दिया जाए जहां नवाचार फलता-फूलता हो।   विश्वविद्यालय केवल डिग्री प्राप्त करने का स्थान न बने बल्कि एक यह एक ऐसी जगह हो जहां विद्यार्थियों के सपनों को पोषित किया जाए, संम्भावनाओं को साकार और भविष्य को आकार दिया जाए। विश्वविद्यालय केवल कक्षाओं और प्रयोगशालाओं का संग्रह नही होना चाहिए। इसमें दुनिया और समाज को बेहतर बनाने के लिए नए-नए रिसर्च कर सकारात्मक बदलाव के लिए प्रतिबद्धता होनी चाहिए। 
 
राज्यपाल ने कहा कि आज हमारे समाने बहुत बड़ी चुनौती है। गरीब, पिछड़े और वंचित लोगों के बारे में सोचना और शासन की योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचा कर उन्हे विकास के अवसर उपलब्ध कराना है। राज्यपाल ने कोविड-19 महामारी के दौरान हेल्थ वर्कर, डॉक्टर, नर्स एवं उन सभी फ्रन्ट लाइन वर्कर के योगदान को रेखांकित किया जिन्होने अपनी जान की परवाह न करते हुए जनता की सेवा की और महामारी को नियंत्रित करने में अपना योगदान दिया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए अत्यन्त गर्व विषय है कि हमारा देश विश्व की पांचवी बड़ी आर्थिक शक्ति है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।
 
राज्यपाल श्री हरिचंदन ने विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक उत्सव ‘उड़ान‘ के आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि विद्यार्थियों को यह ऊंची उड़ान के लिए प्रेरित करेगी । 
 
कार्यक्रम को विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी संबोधित किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय अपने नाम के अनुरूप विद्यार्थियों को बल, बुद्धि, ज्ञान देने के साथ-साथ देश सेवा का रास्ता भी दिखाएगा।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अभिषेक अग्रवाल ने दिया। आभार प्रदर्शन कुलपति श्री टी.रामाराव ने किया। इस अवसर पर विश्विद्यालय की पत्रिका का विमोचन श्री हरिचंदन के हाथों किया गया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विजेता क्रिकेट टीम को ट्राफी प्रदान की और संस्था के प्राचार्य  और प्राध्यापकों को सम्मानित किया ।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष ड़ॉ उमेश मिश्रा, विश्वविद्यालय के डायरेक्टर श्री बी.सी जैन अन्य अधिकारी, फैकल्टी मेम्बर, डीन, प्राचार्य, प्राध्यापक, अभिभावक, छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।
 
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स्कूली छात्राओं ने खास सहेलियों को बांधी स्वीप फ्रेंडशिप डे का धागा

 सारंगढ़-बिलाईगढ़:  भारत निर्वाचन आयोग के मतदाता जागरूकता अभियान (स्वीप) के तहत शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सारंगढ़ के सभागार में स्कूली छात्राओं ने जिले में 6 अगस्त को मनाए जा रहे स्वीप फ्रेंडशिप डे का कार्यक्रम शनिवार को मनाया। जहां छात्राओं ने स्कूल में अपने खास सहेलियों को स्वीप फ्रेंडशिप डे का धागा बांधी। इस धागा के माध्यम से अपने दोस्तों, परिवार और दैनिक दिनचर्या से जुड़े सभी लोगों को जानकारी देकर जन जन तक मतदान के लिए जागरूकता का प्रसार किया जाएगा।

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सीबीएसई स्कूलों को मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराने का विकल्प

नई दिल्ली: सीबीएसई स्कूलों को प्री-प्राइमरी से 12वीं कक्षा तक क्षेत्रीय व मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का विकल्प दिया गया है। अब तक, राज्य बोर्ड स्कूलों के विपरीत, सीबीएसई स्कूलों में केवल अंग्रेजी और हिंदी माध्यम का विकल्प था। सीबीएसई का कहना है कि उनका यह कदम यह एनईपी के के अनुरूप है। इस संबंध में सीबीएसई ने देशभर के अपने स्कूलों से संपर्क किया है।

सीबीएसई ने अपने सभी संबंधित स्कूलों से कहा है कि जब भी संभव हो सके तो पांचवीं कक्षा तक क्षेत्रीय भाषा या फिर मातृभाषा में पढ़ाई के विकल्प उपलब्ध कराए जाएं। पांचवीं से बढ़ाकर इसे आठवीं तक ले जाने का प्रयास करने को भी स्कूलों से कहा गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, स्कूल में पढ़ाई जाने वाली एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकें भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगी।

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन पाठ्य पुस्तकों को भारत की 22 विभिन्न भाषाओं उपलब्ध कराए जाने की योजना बनाई गई है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में नई एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों को विकसित किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय की इस महत्वपूर्ण परियोजना का उद्देश्य देशभर के छात्रों को उनकी ही क्षेत्रीय अथवा मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराना है।

पुस्तकों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के विषय पर मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक भी हो चुकी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बैठक की अध्यक्षता की थी। नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा और एनईपी 2020 पर आधारित नई पाठ्यपुस्तकों पर व अन्य कई कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई है। गौरतलब है कि बीते दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को विकसित करने के लिए कहा है।

यह बहुभाषा शिक्षा प्रदान करने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य के अनुरूप होगा। यह भी कहा कि एनसीईआरटी द्वारा विकसित शिक्षण-शिक्षण सामग्री 'जादुई पिटारा' को खुले शिक्षा संसाधनों के रूप में हर स्कूल तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसे एक जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है।

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जब स्कूल यूनिफार्म में शिक्षिका पहुंची स्कूल

 शिक्षिका को नए रूप में पाकर बच्चों ने पढ़ाई में दिखाया उत्साह

रायपुर; स्कूली बच्चों की मनोदशा और उनकी मानसिक स्तर को समझते हुए यदि शिक्षक कक्षा में किसी विषय को पढ़ाते हैं तो वह बच्चों के दिमाग में सीधे उतर जाता है। कुछ ऐसी ही पहल शिक्षिका श्रीमती जान्हवी यदु ने की है। बच्चों ने शिक्षिका को स्कूल यूनिफार्म में देखा तो बच्चे बहुत खुश हुए। नए रूप में शिक्षिका को देखकर बच्चों ने पढ़ाई में अधिक उत्साह दिखना शुरू कर दिया। बच्चों को लगा कि शिक्षिका उनकी एक अच्छी मित्र और मार्गदर्शक है। सोशल मीडिया में इसकी बड़ी चर्चा हो रही है।

बच्चों को बेहतर शिक्षा देने और उनमें अनुशासन का भाव जगाने के उद्देश्य से शिक्षिका श्रीमती जान्हवी यदु ने स्कूली बच्चों जैसा स्कूल यूनिफार्म पहन कर आना शुरू किया। इससे ऐसे विद्यार्थी जो यूनिफार्म मेें स्कूल नहीं आते थे उन बच्चों ने स्कूल में यूनिफार्म पहन कर आना शुरू कर दिया। यह नजारा राजधानी रायपुर के रामनगर स्थित शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राथमिक स्कूल का है। बच्चे कक्षा में पढाई जा रही विषय वस्तु कितना समझते है इसके आकलन के लिए शिक्षिका ने स्कूल यूनिफार्म में बच्चों के बीच बैठकर आकलन किया। जिन बच्चों को समझने में कठिनाई आ रही थी उन्हें फिर से उनके बीच बैठकर सीखने में सहयोग किया।  

शिक्षिका जान्हवी यदु का कहना है कि स्कूली बच्चों के प्रेरणा के स्त्रोत शिक्षक होते हैं। बच्चों को शिक्षकों को देखकर ही उनमें अनुशासन आता है। यदि शिक्षक स्कूल के नियमों का पालन सही तरीके से करते हैं तो बच्चे भी उनका अनुशरण करते हैैं। उन्होंने बताया कि बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने नए गैट-अप में स्कूल आना शुरू किया तो इसके कई रोचक अनुभव भी हुए। कई बार उन्हें उनके सहकर्मी पहचान नहीं पाए तो कई बार बच्चों ने भी उनसे बच्चों जैसा बर्ताव किया।

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प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग शुरू

मनेंद्रगढ़ (छत्तीसगढ़ दर्पण) प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भरतपुर विकासखंड मुख्यालय जनकपुर में निःशुल्क विशेष कोचिंग कक्षाओं का शुभारंभ किया गया। कोचिंग कक्षा का संचालन सोमवार से शासकीय महाविद्यालय जनकपुर में अपरान्ह 4.30 से प्रारंभ किया गया। निःशुल्क कोचिंग सुविधा का लाभ लेने के लिये कुल 332 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया था जिसमें से प्रथम दिन 88 प्रतिभागी उपस्थित रहे।

मार्गदर्शन कक्षा के आरंभ में तहसीलदार भरतपुर विप्लव श्रीवास्तव ने विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी के संबंध में अपने अनुभव साझा किये। परीक्षाओं की तैयारी के लिए भारत एवं छत्तीसगढ़ की सामान्य जानकारी के साथ-साथ गणित, रिजनिंग, अंग्रेजी, हिन्दी एवं अन्य कुछ विषयों का ज्ञान आवश्यक है। इसके अलावा मेन्स की तैयारी के लिए लेखन कौशल को विकसित करना ज़रूरी है। आज की कड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए परीक्षा में सफल होने के लिए 6 से 8 घण्टे की नियमित तैयारी आवश्यक है। इसके लिए लगन, इच्छा–शक्ति, मेहनत, जुनून और प्रतिस्पर्धा की भावना अपने अंदर जगाना होगा, जिससे सफलता अवश्य मिलेगी। विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी ने प्रतिभागियों की तार्किक एवं गणितीय क्षमता परखने के लिए कुछ सवाल जवाब किया।

दूरस्थ वनांचल भरतपुर विकासखंड में निःशुल्क कोचिंग कक्षा के संचालन से छात्रों को बहुत लाभ होगा। इस नवीन पहल से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं में ख़ुशी की लहर है। छात्रों ने निःशुल्क कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ज़िला प्रशासन को धन्यवाद दिया।

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स्वामी आत्मानंद स्कूल मनेंद्रगढ़ में अधिकारियों ने किया पौधारोपण

मनेंद्रगढ़ (छत्तीसगढ़ दर्पण) जिला प्रशासन के तत्वावधान में फलदार पौधों का वृक्षारोपण स्वामी आत्मानंद स्कूलों में भी किया गया। मनेंद्रगढ़ के स्वामी आत्मानंद स्कूल में प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा पौधारोपण किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस को 50 वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आत्मानंद स्कूलों में फलदार पौधारोपण के माध्यम से की जा रही अनूठी पहल निश्चित रूप से जन मानस और स्कूली छात्रों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता तो लाएगी ही, साथ ही उन्हें प्रकृति, वनों, विविधता, वन्य प्राणी तथा प्राकृतिक संसाधनों के सतत विकास और सदुपयोग के प्रति कर्तव्य-बोध भी करायेगी। पौधारोपण कार्यक्रम में आत्मानंद इंगलिश स्कूल के बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 

इस अवसर पर एसडीएम मनेंद्रगढ़ अभिषेक कुमार, डीएफ़ओ एलएन पटेल, प्रभारी अपर कलेक्टर अभिलाषा पैकरा, डिप्टी कलेक्टर प्रवीण भगत औ प्रीतेश राजपूत तथा वन विभाग के अधिकारियों ने सभी ने पौधारोपण कर आमजनों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

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एजुकेशन कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन

जांजगीर चांपा (छत्तीसगढ़ दर्पण) कलेक्टर  की अध्यक्षता में स्कूली शिक्षण को बेहतर बनाने और जांजगीर-चांपा जिले को शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय मानक तक पहुंचाने के उद्देश्य से जिला पंचायत सभागार में एजुकेशन कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया । इस अवसर पर कलेक्टर ने कहा की एक शिक्षक अपने जीवन का काफी लंबा समय स्कूल में देता है, इसलिए जरूरी है कि वह रुचि के साथ बच्चो को पढ़ाए। 

जिला के वार्षिक अकादमिक योजना निर्माण के संदर्भ में किए गए एजुकेशन कॉन्क्लेव में प्रत्येक विकासखंड ने अपनी वार्षिक अकादमिक योजना के प्रस्तुति के साथ ही साथ सत्र 2022-23 में क्रियान्वित कुछ प्रभावी कामों का भी प्रदर्शन किया । इस एजुकेशन कॉन्क्लेव में कलेक्टर ऋचा प्रकाश ने कहा कि प्रत्येक बच्चों को कक्षा के लिए निर्धारित दक्षताओं को हासिल करवाने के लिए शिक्षकों को अपने सिखाने के तरीकों में अपेक्षित बदलाव लाना होगा । स्वयं अध्यन में आईसीटी (इनफार्मेशन कम्यूनिकेशन टेक्नॉलजी) का बहुत बड़ा भूमिका हो सकता है। ग्रामीण परिवेश के बच्चों के संदर्भ में और अवधारणों को पुख्ता करने के लिए शिक्षकों द्वारा अपनाए गए शिक्षण प्रक्रिया में अपेक्षित बदलाव लाना बहुत जरूरी है ।उ न्होंने कहा की रुचि के साथ अगर किसी काम को किया जाता है तो वह हमेशा बेहतर परिणाम लेकर आता है । उन्होंने कहा की अधिकांश शिक्षक पुरानी शिक्षण पद्धति के तहत सीधे अक्षरों को सिखाते हुए भाषा शिक्षण की शुरुआत करते हैं और बहुत कम ही शिक्षक बच्चों के अनुभवों को जोड़ते हुए भाषा, गणित एवं पर्यावरण सीखते सिखाते हैं, जिसकी संख्या अभी भी बहुत सीमित है । समझ आधारित शिक्षण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक शिक्षक को एससीईआरटी द्वारा निर्मित एवं समग्र शिक्षा की तरफ से वितरित पाठ्य पुस्तकों का विश्लेषण करने के साथ-साथ पाठ्य पुस्तकों में सुझाए गए प्रक्रियाओं को बच्चों की संदर्भ से जोड़ते हुए कार्य करना होगा । उन्होंने प्राथमिक कक्षाओं में छोटे-छोटे समूह में गोल आकृति में बैठा कर एक दूसरे से सीखने का अवसर जरूर प्रदान करने कहा । उन्होंने कहा की स्कूल के बेहतर संचालन एवं बच्चों के नियमित उपस्थिती सुनिश्चित करने के लिए एसएमसी की मदद से सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनको शिक्षण प्रक्रिया में भी शामिल करना होगा ।  

इस कॉन्क्लेव में विकासखंड द्वारा बनाए गए प्रत्येक कार्यक्रम की योजना को प्लान गैलरी के रूप में भी प्रदर्शित किया गया । प्रत्येक स्टॉल में शिक्षक एवं बच्चों द्वारा बनाए गए शिक्षण अधिगम सामाग्री के अलावा विभाग द्वारा वितरित संसाधनों का भी प्रदर्शनी किया गया जिसका इस्तेमाल योजाना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सार्थक हो सकता है । इस प्रदर्शनी में समर कैंप, 100 दिन 100 कहानियां, राष्ट्रीय शिक्षा नीति(2020) के साथ-साथ भारतीय शिक्षा नीति का इतिहास, कबाड़ से जुगाड़, आंगनबाड़ी, खंड विकास की योजना, एफएलन, लर्निंग लॉस की भरपाई, अंगना म शिक्षा आदि को शामिल किया गया था । तदुपरांत जिला शिक्षा अधिकारी एच आर सोम ने कार्यक्रम का संदर्भ और विकासखंड वार्षिक योजना निर्माण के महत्व पर बात करते हुए, जांजगीर की वर्तमान शैक्षणिक स्थिति और असर रिपोर्ट के विश्लेषण को सबसे साझा किया । इसके साथ ही उन्होंने बुनियादी शिक्षा को मजबूत किए जाने के लिए शिक्षकों को विशेष ध्यान देने , समर कैंप में बच्चों के प्रदर्शन और स्वतंत्र लेखन के मद्देनजर उसे और निखारने की बात रखी। इसके बाद जिला मिशन समन्वयक आर के तिवारी ने असर रिपोर्ट को पुनः रेखांकित करते हुए शिक्षा के मूल उद्देश्यों और शिक्षकों, अधिकारियों के दायित्वों के विषय में चर्चा किए । साथ ही पूरे दिन के कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। 

इसके बाद जिले के विभिन्न विकासखंड द्वारा बनाए गए योजनाओं को प्रस्तुत किया गया। जिसमें पामगढ़ ब्लॉक के बीईओ बीआरसी ने 100 दिन 100 कहानी, नवागढ़ से बीईओ विजय कुमार लहरे सहित अन्य ने संकुल बैठक, बम्हनीडीह बीआरसी हिरेन्द्र कुमार बेहार सहित अन्य ने मेरी स्कूल डायरी और शाला प्रबंधन समिति का सुदृढ़ीकरण, बलौदा से बीआरसी अर्जुन सिंह क्षत्रिय सहित अन्य ने विकासखंड योजना निर्माण की प्रक्रिया और एफेलेन, अकलतरा ब्लॉक से बीआरसी शैलेंद्र बैस सहित अन्य ने विकासखंड की वार्षिक अकादमिक योजना पर अपनी जानकारी प्रस्तुत किया । सबसे अंत में एपीसी पेडागोजी हरीराम जैसवाल ने प्रथम तिमाही में किए जाने वाले मुख्य कार्यक्रमों पर अपनी बात राखी ।

जांजगीर-चांपा जिले में अगले तीन महीने का विशेष ध्यान शाल प्रवेश उत्सव, एससीईआरटी के निर्देशानुसार 100% शिक्षकों को एफ़एलएन एवं लर्निंग रिकवरी को ध्यान में रखते हुए वार्षिक शिक्षण योजना बनाने हेतु तीन दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला, वार्षिक शिक्षण योजना के अनुसार मासिक पाठ्य योजना बनाने हेतु जरूरत आधारित विषयवार मासिक संकुल बैठक के बारे में चर्चा की गई । इन तमाम प्रयासों की मानीटरिंग हेतु संकुल समन्वयक एवं संकुल प्राचार्य का मासिक समीक्षा बैठक भी नियमित रूप से किया जाने के निर्देश दिए गए ।

इस अवसर पर नवागढ़ से बीईओ विजय कुमार लहरे, बीआरसी ऋषिकांता राठौर पीएलसी सदस्य शालिनी शर्मा, शारदा राठौर, पामगढ़ से बीईओ जगदीश कुमार शास्त्री, बीआरसी दुष्यंत भर्तुहरी, अकलतरा से बीईओ सी के धृतलहरे, बीआरसी शैलेन्द्र सिंह बैस, बलोदा से बीईओ श्याम रतन सिंह खांडे, बीआरसी अर्जुन सिंह क्षत्री, बम्हनीडीह से बीईओ मेहन्द्रधर दीवान, बीआरसी, हिरेन्द्र बेहार, शिक्षक गुलजार बारेठ, शरद चतुर्वेदी, धर्मदत्त मणिकपुरी प्रत्येक विकासखंड से आमंत्रित एक-एक एबीईओ, जिले में चल रहे विभिन्न योजनाओं के नोडल अधिकारी, जिले के कुछ शिक्षक और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सदस्य उपस्थित थे ।

 
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शाला छोड़ चुके विद्यार्थी शिक्षा के मुख्यधारा से जुड़कर प्रथम श्रेणी में हुए उत्तीर्ण

छह किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आती थी ऋतु कोर्राम, 84 प्रतिशत अंकों से हुई कक्षा 10वीं उत्तीर्ण

कांकेर (छत्तीसगढ़ दर्पण) शिक्षक यदि ठान ले तो असंभव को संभव कर सकता है। गुरू-शिष्य के संबंधों का मिसाल पेश करते हुए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तारांदुल के शिक्षकों ने शाला छोड़ चुके विद्यार्थी को पुन: शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर विद्यार्थी को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया और उसे कड़ी मेहनत कर पढ़ाई करने की सीख देकर प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण भी करवाया। इस सफलता से विद्यार्थी भी अचंभित लेकिन प्रफुल्लित हैं।

भानुप्रतापपुर विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तारांदुल में कक्षा 12वीं में अध्ययनरत छात्र सन्तलाल पिता कमलसिंह पारिवारिक कारणों से स्कूल आना छोड़ दिया था, विद्यालय के शिक्षक कई बार उनके घर जाकर उन्हें पढ़ाई करने के लिए समझाने का प्रयास किया। समझाने के लिए अपने घर आये हुए शिक्षकों को देखकर वह घर से भाग जाता था। शिक्षकों के बार-बार घर आने पर उनसे बचने के लिए वह घर से भागकर भानुप्रतापपुर के होटलों में प्लेट धोने का काम करने लगा। छात्र की प्रतिभा और घर की परिस्थिति को देखकर विद्यालय का हर शिक्षक चाहता था, कि यह बालक किसी भी तरह शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ जाएं और पढ़ाई कर अच्छे नंबरों से परीक्षा उत्तीर्ण हो। इसी दौरान विद्यालय के एक शिक्षक को इसकी जानकारी प्राप्त हुई, कि छात्र संतलाल भानुप्रतापपुर के होटलों में काम कर रहा है, उन्हांने उसे ढूढ़ा और उसे बहुत समझाया व आश्वासन दिया कि जितने रुपए तुम इस होटल में काम करके कमाते हो, उतने रूपये मैं तुम्हे दूंगा, दो महीना परीक्षा बाकी है, तुम लगन से पढ़ाई करो और परीक्षा में पास हो जाओ। 

शिक्षक की बात मानकर छात्र संतलाल अपने गांव वापस लौट आया और पुन: पढ़ाई शुरू की, लेकिन फिर उसका ध्यान भटक गया और वहां नेटवर्क बिजनेस करने कवर्धा चला गया। परन्तु शिक्षकों ने हार नहीं मानी और उन्हें समझाया कि नेटवर्क बिजनेस से तुम जितने रुपए कमाते हो उतनी राशि हम तुम्हे देंगे, तुम पढ़ाई करो और अच्छे नंबरों से परीक्षा उत्तीर्ण हो। उसके बाद यदि तुम चाहो तो हमारे रुपए हमें वापस कर देना। शिक्षकों की इस शर्त पर संतलाल पुन: स्कूल आया और मन लगाकर पढ़ाई करने लगा। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार सभी छात्र-छात्राओं के साथ उसे भी पिछले वर्षों के बोर्ड पेपर, प्री बोर्ड, मासिक परीक्षा इत्यादि के माध्यम से लगातार अभ्यास कराया गया। जिसके परिणाम स्वरूप संतलाल विज्ञान संकाय में कक्षा 12वीं की परीक्षा में 66.02 प्रतिशत से उत्तीर्ण हुआ है। छात्र संतलाल की सफलता विद्यालय के शिक्षकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है, जो छात्र पढ़ाई से अपने को दूर कर चुका था, वह पुन: शिक्षा से जुड़कर प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण हुआ है।

शासकीय उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय तरांदुल में अध्ययनरत बालिका कुमारी ऋतु कोर्राम पिता बिरजू राम ने भी उपलब्धि हासिल की है। वह अपने गांव धनेली पटेलपारा से प्रतिदिन 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आती थी। सरकार की ओर से उन्हें सरस्वती सायकिल योजनांतर्गत नि:शुल्क सायकिल प्रदाय किया गया है, लेकिन उसके बिगडऩे के कारण उन्हें पैदल ही स्कूल आना पड़ता था। इस वर्ष उन्होंने कक्षा 10 वीं बोर्ड की परीक्षा 84.06 प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण कर कक्षा में प्रथम स्थान बनाया है। घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब होने बावजूद उन्होंने कड़ी मेहनत, लगन और शिक्षकों के मार्गदर्शन से यह स्थान बनाया है। भानुप्रतापपुर के खण्ड शिक्षा अधिकारी सदेसिंह कोमरे और हायर सेकेण्डरी स्कूल तरांदुल के प्राचार्य चन्द्रकांत साहू ने उनकी सफलता पर अपनी बधाई व उज्जवल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।

उल्लेखनीय है कि कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला के निर्देशानुसार जिले में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए हमर लक्ष्य अभियान चलाया गया तथा विद्यालय छोड़ चुके छात्र-छात्राओं को स्कूल से जोडऩे के लिए अनुरोध कार्यक्रम भी चलाया गया, जिसके परिणाम स्वरूप संतलाल जैसे विद्यार्थी स्कूल से पुन: जुड़कर उपलब्धि हासिल की है।

 
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बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक : कलेक्टर

स्वामी आत्मानंद विद्यालयों के प्रयोगशाला सहायकों को दिया गया प्रशिक्षण

जगदलपुर (छत्तीसगढ़ दर्पण) कलेक्टर ने बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक बताया। कलेक्टर विजय ने 24 मई को जगदलपुर स्थित जगतु माहरा शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों के प्रयोगशाला सहायकों को प्रयोगशालाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए प्रदान किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में कहा कि विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए सैद्धांतिक शिक्षा के साथ ही साथ प्रायोगिक शिक्षा भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

विजय ने कहा कि वैज्ञानिक चेतना एवं जिज्ञासा तभी जागृत होगी, जब विद्यार्थी स्वयं प्रयोगों को निरंतर करेंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियांे को एक दिन सैद्धांतिक पाठ पढ़ाने के दूसरे ही दिन उसका प्रयोग करके दिखाएं। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा उत्कृष्ट एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए स्वामी आत्मानंद स्कूलों की स्थापना की गई है तथा इसके उद्देश्य की प्राप्ति में किसी भी प्रकार की लापरवाही अक्षम्य होगी। उन्होंने भौतिकी, रसायन और जीवविज्ञान विषय के लिए अलग-अलग प्रयोगशाला सहायकों को जिम्मेदारी सौंपने के निर्देश दिए। उन्होंने कक्षा नवमीं से लेकर बारहवीं तक सभी प्रयोगों का प्रदर्शन के साथ ही विद्यार्थियांे से अभ्यास कराने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने कहा कि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक जिज्ञासा के लिए निरंतर प्रयोगशाला से जुड़ा रहना आवश्यक है तथा प्रयोगशाला प्रबंधन का कार्य प्रयोगशाला सहायकों की जिम्मेदारी है। सभी प्रयोगशाला सहायक यहां दिए जा रहे प्रशिक्षण का लाभ लें तथा किसी प्रयोग को ठीक ढंग से नहीं समझ पाने की स्थिति में पुनः प्रशिक्षण प्राप्त करें। उन्होंने सभी प्रयोगशालाओं में आवश्यकता अनुसार उपकरण एवं सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत भी बताई। कलेक्टर ने कहा कि सभी प्रयोगशाला सहायक एक दूसरे से संवाद कर दूसरे विद्यालयों में किए जा रहे प्रयोगों के संबंध में भी जानकारी प्राप्त करें तथा एक दूसरे से सीखने का प्रयास भी करें। उन्होंने कहा कि सभी प्रयोगशाला सहायक यहां बेहतर प्रशिक्षण लेकर स्वयं को प्रशिक्षक के तौर पर तैयार करें, ताकि वे अधिक से अधिक विद्यार्थियों के बेहतर प्रायोगिक प्रशिक्षण में सहयोग किया जा सके। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान, संस्थान के प्राचार्य बीएस रामकुमार सहित प्रयोगशाला प्रशिक्षकगण एवं प्रशिक्षु प्रयोगशाला सहायक उपस्थित थे।

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ओपन स्कूल 10-12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित, यहां करें चेक...

रायपुर (छत्तीसगढ़ दर्पण)छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल के हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा के नतीजे आज घोषित किए गए। छात्र अपने परीक्षा परिणाम वेबसाईट http://www.sos.cg.nic.in और http://www.result.cg.nic.in में प्राप्त कर सकते हैं एवं अनुत्तीर्ण छात्र आगामी परीक्षा के आवेदन फार्म अपने अध्ययन केन्द्र में जमा कर परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं।


हाई स्कूल का परीक्षाफल प्रतिशत 54.09 तथा हायर सेकेण्डरी परीक्षा का परीक्षाफल प्रतिशत 65.46 रहा। हाई स्कूल परीक्षा में कुल 37 हजार 471 छात्रों का पंजीयन हुआ था। इस 34 हजार 161 परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। 34 हजार 132 परीक्षार्थियों का परीक्षा परिणाम जारी किया गया। कुल उत्तीर्ण परीक्षार्थी 18 हजार 465 रहे। 29 परीक्षार्थियों का परीक्षाफल विभिन्न कारणों से रोका गया है। हाई स्कूल परीक्षाओं में प्रथम श्रेणी में 4 हजार 13 परीक्षार्थी, द्वितीय श्रेणी में 7 हजार 320 विद्यार्थी तथा तृतीय श्रेणी 6 हजार 923 विद्यार्थी से उत्तीर्ण हुए। कुल 18 हजार 465 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए।

इसी प्रकार हायर सेकेण्डरी परीक्षा में 65 हजार 557 विद्यार्थियों का पंजीयन हुआ था। इसमें 62 हजार 51 परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए। इनमें से 57 हजार 105 परीक्षार्थियों को परीक्षा परिणाम जारी किया गया। इनमें 9 हजार 653 परीक्षार्थी प्रथम श्रेणी, 15 हजार 180 परीक्षार्थी द्वितीय श्रेणी से तथा 11 हजार 801 परीक्षार्थी तृतीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। कुल 37 हजार 383 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। परीक्षा में 4 हजार 883 विद्यार्थी आरटीडी योजनांतर्गत अवसर परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। 63 परीक्षार्थियों का परीक्षाफल विभिन्न कारणों से रोका गया है।

 

 

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बोर्ड परीक्षा में छात्रावास के विद्यार्थियों का शानदार प्रदर्शन

सूरजपुर (छत्तीसगढ़ दर्पण) जिले के आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में निवासरत कक्षा 10 वीं एवं 12 वीं के विद्यार्थियों का बोर्ड परीक्षा में परीक्षा परिणाम उत्कृष्ट रहा। जिले में कुल 55 प्री मैट्रिक छात्रावासों से 533 विद्यार्थी 10वीं एवं 14 पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों से 197 विद्यार्थी 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए। कक्षा 10 वीं में 94 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए जिसमे 41 प्रतिशत विद्यार्थियों ने प्रथम श्रेणी प्राप्त किया है। इसी प्रकार कक्षा 12 वीं में 93 प्रतिशत विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए जिसमे 25 प्रतिशत विद्यार्थी प्रथम श्रेणी प्राप्त किये।

छात्रावासी विद्यार्थियों में कक्षा 10 वीं में मान सिंह प्री मैट्रिक बालक छात्रावास पंछीडाँड़ विकासखण्ड प्रतापपुर ने 90.16 प्रतिशत प्राप्त कर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है तथा कक्षा 12वीं में पोस्ट मैट्रिक कन्या छात्रावास बिश्रामपुर की नातिशा सिंदरी ने 82 प्रतिशत अंक प्राप्त कर विभाग का नाम रोशन किया है। सभी छात्रावासों में सहायक आयुक्त के. विश्वनाथ रेड्डी के निर्देशन में बोर्ड परीक्षा की तैयारी हेतु कोचिंग के साथ साप्ताहिक मूल्यांकन परीक्षा का आयोजन अधीक्षकों की निगरानी के नियमित रूप से किया जाता था। जिसका लाभ विद्याथियों के परीक्षा परिणाम में मिला है। कलेक्टर संजय कुमार अग्रवाल एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत लीना कोसम ने सभी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी है।

 

 

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