शिक्षा

प्राथमिक शाला करौंदी में छात्रों के बाल अधिकारों की हो रही अनदेखी...

 उदयपुर (छत्तीसगढ़ दर्पण)। एक और जहां पूरा विश्व बाल अधिकार सप्ताह पूरे धूमधाम से मना रहा है वहीं सरगुजा जिले के विकासखंड उदयपुर अंतर्गत आने वाले प्राथमिक शाला खुटरापारा करौंदी के छात्र-छात्रा प्रशासनिक लापरवाही से तंगहाली में भेड़ बकरियों की तरह एक ही कमरे में शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य संवारने की कोशिश कर रहे हैं। उक्त विद्यालय के छात्र छात्राओं का बाल अधिकार कहां गया  यह बड़ा सवाल है साथ ही इसके जिम्मेदार कौन है यह भी पता नहीं।

पूरा मामला विकासखंड उदयपुर के ग्राम पंचायत करौंदी के प्राथमिक शाला खुंटरापारा का है। प्राथमिक शाला का भवन जर्जर होने से 2 साल पूर्व से माध्यमिक शाला करौंदी के एक ही कमरे में प्राथमिक शाला की पढ़ाई कराई जा रही है।  ग्रामीणों के लगातार विरोध के बाद प्राथमिक शाला के जर्जर भवन की मरम्मत वर्ष 2022 में करवाई जा चुकी है। परंतु वहां शौचालय, किचन शेड और पानी की व्यवस्था नहीं होने से अभी भी प्राथमिक शाला की पढ़ाई माध्यमिक शाला करौंदी में ही कराई जा रही है।

वर्तमान शिक्षण सत्र में प्राथमिक शाला खूंटरा पारा करौंदी में कक्षा पहली में 9, दूसरी में 8, तीसरी में 02, चौथी में 7 और पांचवी में 12 इस तरह से कुल 38 बच्चे यहां अध्ययनरत हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए 2 शिक्षकों की ड्यूटी शासन द्वारा लगाई गई है। प्राथमिक विद्यालय का माध्यमिक विद्यालय में संचालन किए जाने से यहां के छात्र छात्राओं की परेशानी भी बढ़ी है क्योंकि माध्यमिक विद्यालय में कुल 58 विद्यार्थी है और 3 कमरे तथा 3 शिक्षक हैं।

इस बारे में स्थानीय ग्रामीण सोमारु राम ने बताया की प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों का पढ़ाई मिडिल स्कूल में नहीं हो पा रहा है जर्जर भवन के मरम्मत के बाद भी प्राथमिक शाला के अपने भवन में पढ़ाई नहीं कराया जा रहा है जिससे काफी समस्या है।

प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक सुरेश कुमार सिंह ने कहा हम लोगों का विद्यालय माध्यमिक शाला में 2 साल से लग रहा हैं। जर्जर भवन होने के कारण विद्यालय यहां लगाया जा रहा है संकुल की बैठक में भी इस समस्या को बताया गया है। पंचायत के प्रतिनिधि भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं जिससे काफी परेशानी हो रही है। एक ही कमरे में बैठा कर छात्र छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है।

माध्यमिक शाला करौंदी में पहले से ही है समस्याओं का अंबार इसे इस तरह समझ सकते हैं-
-माध्यमिक शाला करौंदी में केवल बालिका शौचालय का उपयोग किया जा रहा है बालक शौचालय जर्जर स्थिति में है और इसे उपयोग के लिए बंद कर दिया गया है ।

-रनिंग वाटर की व्यवस्था भी उक्त विद्यालय में अभी तक नहीं की गई है बोरिंग से पानी पीने के लिए उपयोग किया जा रहा है वह भी आयरन युक्त पानी है जिससे बच्चों को काफी परेशानी होती है।

-शौचालय के लिए बालिकाओं को बाल्टी में पानी लेकर जाना पड़ता है।

-पक्का बाउंड्री वाल भी उक्त विद्यालयों के परिसर में नहीं है घेराव के रूप में कुछ दूरी पर तार जाली का उपयोग किया गया है परंतु सुरक्षा की दृष्टि से यह नाकाफी है ।

-यहां के बालक बालिका स्कूल के बगल में बहने वाली नहर में अपने खाए हुए बर्तन को साफ करते हुए नजर आते हैं तथा यहां के बालक शौच के लिए बाहर जंगल की ओर जाने को मजबूर हैं।

यहां समस्याओं का अंबार तो है परंतु इसका समाधान लोगों को दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि सरपंच एवं उसके प्रतिनिधियों की कार्यशैली के प्रति लोगों में काफी आक्रोश है उक्त विद्यालय की स्थिति देखकर यही कहा जा सकता है कि यहां छात्र छात्राओं के बाल अधिकारों का हनन हो रहा है और जानकारी होने के बाद भी शासन प्रशासन के लोग कुछ नहीं कर रहे।

 

 

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