महत्वपर्ण स्कूलों को बरबाद किया जा रहा है
रायगढ़ (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अंग्रेजी माध्यम हिंदी माध्यम दोनों को एक साथ अलग-अलग सेटअप के साथ पढ़ाने का जो नया आदेश हुआ है वह निश्चित ही प्रशंसनीय जिसका कारण रायगढ़ जिला में हुए आंदोलन को जाता है जिसके कारण अब जो नए उत्कृष्ट इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले जा रहे हैं उनसे उन स्कूलों के हिंदी माध्यम के शिक्षकों को नहीं हटाया जाएगा, यही मांग तो स्कूल बचाओ संघर्ष मोर्चा लगातार कर रहा था अब रायगढ़ जिला में जो दो नए स्कूल खुल रहे हैं कोतरा एवं कोड़ातराई दोनों में पुराने शिक्षकों को एवं छात्रों को नहीं हटाया जाएगा जो निश्चित ही अच्छा कदम है। रायगढ़ जिला में अंग्रेजी माध्यम के दो तरह की व्यवस्था लागू की जा रही है नटवर हायर सेकेंडरी स्कूल ने अंग्रेजी माध्यम के टीचर हिंदी माध्यम को भी अध्यापन करा रहे हैं उन शिक्षकों के ऊपर अत्यधिक भार पढ़ रहा है जो शिक्षा संहिता के अनुसार अनुचित है एक शिक्षक दो माध्यमों को अध्यापन करा रहा है, जब नहीं स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम के लिए अलग से प्रतिनियुक्ति की जा रही है एवं पूर्व से पदस्थ शिक्षकों को यथावत रखा जा रहा है तब नटवर स्कूल के पूर्व में पदस्थ शिक्षकों को छात्र के हित में पुनः वापस किया जाए क्योंकि इतने बड़े स्कूल में दोनों माध्यमों को कितने कम शिक्षकों से उच्च स्तर की शिक्षा नहीं दी जा सकती ना ही दोनों माध्यमों पर प्राचार्य का पूर्ण नियंत्रण रहेगा पूर्व की भांति या व्यवस्था पुनः लागू की जाए एवं शिक्षकों को जो मानसिक प्रताड़ना उसकी तो भरपाई करना मुश्किल है परंतु 1 जिले में कितने प्रकार की व्यवस्था चलाई जा रही हैं यह विचारणीय है।
पुरानी व्यवस्था जो वर्तमान आदेश में की गई है के तहत पुनः स्कूलों से अंग्रेजी माध्यम के कारण हटाए गए शिक्षकों को वापस बुलाया जाए एवं कोतरा एवं कोड़ा तराई की तरह सभी स्कूलों को व्यवस्थित किया जाए,रायगढ़ जिले में शुरू से ही अंग्रेजी माध्यम में कई प्रकार की विसंगतियां रही हैं जैसे तमनार खरसिया में किसी शिक्षक को नहीं हटाएगा तो क्या राजनीतिक प्रभाव एवं शिक्षा अधिकारियों की मनमानी भी इसके पीछे है क्या।
जशपुर जिला सरगुजा एवं बहुत से जिलों से अंग्रेजी माध्यम स्कूलों से शिक्षकों को विस्थापित नहीं किया गया सिर्फ रायगढ़ में इस तरह की व्यवस्था क्यों लागू की गई इसके पीछे कौन अधिकारी है जो रायगढ़ जिले की शिक्षा व्यवस्था को तबाह कर रहा है।
जिले की नई कलेक्टर महोदय से आवेदन के माध्यम से इन बिंदुओं को अवगत कराया जाएगा, प्रदेश के मुख्यमंत्री के आगमन पर भी इन बिंदुओं पर आवेदन देकर पुनः स्कूलों को व्यवस्थित करने का प्रयास किया जाएगा, उसके पश्चात भी अगर पुरानी व्यवस्था नहीं बनी तो मजबूर होकर स्कूल बचाओ संघर्ष मोर्चा न्यायालय की शरण में जाएगा एवं धरना प्रदर्शन को बाध्य होगा।