जिस मायानगरी में नूपुर ने बिताए 27 साल, उसे कहा अलविदा, संन्यास की राह पर बढ़ रही आगे...
मुंबई (छत्तीसगढ़ दर्पण)। कहा जाता है देश की माया नगरी मुंबई की जो व्यक्ति एक बाद स्वाद चख लेता है वो वहीं का हो जाता है, लेक्किन 27 साल तक वहां काम करने के बाद टीवी कलाकार नुपुर अलंकार, शक्तिमान, दीया और बाती हम और घर की लक्ष्मी बेटीयां जैसे कार्यक्रमों में सराहना बटोरने के बाद अब संन्यासी बनने जा रहीं है। जिसके लिये वो मुंबई से हिमालय की यात्रा पर निकल चुकी हैं। इस माध्यम के जरिए नुपुर जरूरतमंदों की मदद करना चाहती हैं।
नुपुर का कहना है कि उन्होंने फरवरी में संन्यास लिया था। मैं तीर्थयात्राओं में बिजी हूं और जरूरतमंदों की मदद करने का फैसला लिया है। मेरा हमेशा से अध्यात्म की ओर झुकाव रहा है और उसका पालन भी करती आई हूं। इसलिये अब मैंने खुद को पूरी तरह इसके लिये समर्पित कर दिया है। मैं गुरु शंभू शरण झा को पाकर धन्य हूं, जिनकी वजह से मेरे जीवन की दिशा बदल गई।
नुपूर ने बताया, उन्होंने अपने मुंबई वाले फ्लैट को किराये पर दे दिया है, ताकि ट्रैवल और बेसिक खर्चे निकलती रहें। वहीं अपने सन्यासी लुक पर बात करते हुए उन्होंने कहा, कई लोगों को लगता है कि मैं भावनात्मक रूप से टूट चुकी हूं और जिंदगी से थक कर मैंने ये फैसला लिया है, पर ये सच नहीं है।
लॉकडाउन के दौरान नुपुर अलंकार आर्थिक तंगी से गुजर रही थीं। उन्होंने लोगों से मदद की गुहार भी लगाई थी। इस दौरान उनकी मां भी बेहद बीमार हो गई थीं, जिनके इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। यहां तक वो मां की दवा के लिये 500 रुपये भी नहीं जुटा पा रही थीं।इसके बाद उन्होंने क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर मदद मांगी और वहां से उन्हें पैसों की हेल्प मिली। इसके अलावा टीवी इंडस्ट्री से भी कई लोगों ने नुपुर की मदद की थी। नुपुर का कहना था कि वो 2019 से ही मां की सेवा में लगी हुई थीं। इसलिये उन्हें काम करने का वक्त नहीं मिल रहा था।
नुपुर कहती हैं, मेरे जीवन में अब नाटक की कोई जगह नहीं है। दिसंबर 2020 में मेरी मां के निधन के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मुझे अब कुछ भी खोने का डर नहीं है। मैंने खुद को सभी पेक्षाओं और कर्तव्यों से मुक्त महसूस किया। आगे वो बताती हैं कि मेरे संन्यास में देरी हो गई, क्योंकि मेरे बहनोई (कौशल अग्रवाल) अफगानिस्तान में फंस गए थे, जब तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया था।
टीवी कलाकार नुपुर ने 2002 में एक्टर अलंकार श्रीवास्तव से शादी की थी। उन्होंने जब ससुराल में सन्यासी बनने की इच्छा के बारे में बताया, तो उन्हें उनका सपोर्ट मिला। हिमालय की ओर निकलने से पहले नुपुर अपने पति और सास से मिल कर आईं। नुपुर का कहना है कि उन्होंने हमेशा ही अच्छी बहू बनने की कोशिश की है।