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हमारी संस्कृति और मूल्यों की कलात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम है सिनेमा: राष्ट्रपति मुर्मू

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने  नई दिल्ली में विभिन्न श्रेणियों में 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने सुश्री आशा पारेख को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने सुश्री आशा पारेख को दादा साहब फाल्के पुरस्कार जीतने पर बधाई दी और कहा कि उस पीढ़ी की हमारी बहनों ने कई बाधाओं के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है। सुश्री पारेख का सम्मान भी अदम्य नारी शक्ति का सम्मान है।

राष्ट्रपति ने कहा कि फिल्म उद्योग के अलावा फिल्म उद्योग एक बेहतर समाज और राष्ट्र के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है। श्रव्य-दृश्य माध्यम होने के कारण फिल्मों का प्रभाव कला के अन्य माध्यमों की तुलना में व्यापक है। उन्होंने कहा कि सिनेमा न केवल एक उद्योग है बल्कि हमारी संस्कृति और मूल्यों की कलात्मक अभिव्यक्ति का भी माध्यम है। यह हमारे समाज को जोड़ने और राष्ट्र निर्माण का भी माध्यम है।

राष्ट्रपति ने कहा कि फिल्मों का युवाओं और बच्चों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए समाज को उम्मीद है कि फिल्म उद्योग देश के भविष्य के निर्माण में इस माध्यम का प्रभावी ढंग से उपयोग करेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं, स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्यों पर फीचर और गैर-फीचर फिल्मों का दर्शकों द्वारा स्वागत किया जाएगा।

लोग ऐसी फिल्मों की भी उम्मीद करते हैं जो समाज में करुणा और एकता को बढ़ाती हैं, विकास की गति को तेज करती हैं और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को मजबूत करती हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि आज जिन फिल्मों को पुरस्कार मिला है, उनमें प्रकृति और पर्यावरण, संस्कृति, सामाजिक मूल्यों और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय फिल्मों का पूरी दुनिया में स्वागत किया जा रहा है। इस सॉफ्ट-पॉवर का अधिक प्रभावी उपयोग करने के लिए, हमें अपनी फिल्मों की गुणवत्ता को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि एक क्षेत्र में बनी फिल्में दूसरे क्षेत्रों में भी अधिक से अधिक लोकप्रिय हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह सिनेमा सभी लोगों को एक सांस्कृतिक सूत्र में बांध रहा है। समाज के लिए फिल्मी समुदाय का यह बहुत बड़ा योगदान है।

 

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