हिंदुस्तान

सुरक्षा बलों के पीछे की ताकत रहा है एचएएल : राष्ट्रपति मुर्मु

 

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। महामहिम राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मु ने बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने जोनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (दक्षिण क्षेत्र) का भी आभासी रूप से शिलान्यास किया। अपने संबोधन में  राष्ट्रपति ने कहा कि एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा का उद्घाटन केवल एचएएल और इसरो के लिए ही नहीं, अपितु समूचे राष्ट्र के लिए क्रायोजेनिक और सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के निर्माण की अत्याधुनिक सुविधा का होना एक ऐतिहासिक क्षण है।

उन्होंने कहा कि एचएएल ने रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में अपार योगदान दिया है। ऐसा कहा जा सकता है कि एचएएल बलों के पीछे की ताकत रहा है। उन्होंने कहा कि एचएएल ने समय-समय पर अनुसंधान, विकास और विभिन्न विमान प्लेटफार्मों के निर्माण में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि इसरो देश का गौरव रहा है। 1960 के दशक में जब इस संस्था ने संचालन शुरू किया,  तब भारत एक युवा गणराज्य था, जो गरीबी और निरक्षरता की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा था,  लेकिन उसमें अपार सामर्थ्‍य भी था।

इसरो ने जिस तीव्र गति से विकास किया है, उसने सबसे उन्नत और तकनीकी रूप से विकसित देशों का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इसरो के ईमानदार प्रयासों और समर्पण की बदौलत भारत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण क्षमता रखने वाला दुनिया का छठा देश बनने में समर्थ हो सका है।

राष्ट्रपति ने कहा कि एचएएल और इसरो संयुक्‍त रूप से सामरिक रक्षा और विकास के क्षेत्र में योगदान करते हैं। दोनों संगठनों ने हमारे देश की सुरक्षा और विकास को सुदृढ़ बनाने वाले विभिन्न उपकरणों और कार्यक्रमों के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है। एचएएल रक्षा संबंधी उपकरणों के निर्माण की अपनी अत्‍याधुनिक सुविधा के साथ हमारे देश के लिए एक बहुमूल्य साबित हुई है।

 

 

 

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