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राहुल को सच बोलने की सजा मिली : खरगे

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)।  मानहानि मामले में दो साल की सजा होने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अब अगर राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली तो जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक राहुल गांधी पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाएगी। इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। विभिन्न नेता इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने पर कहा 'राहुल को सच बोलने की सजा मिली है। राहुल देश के सामने सच्चाई रख रहे थे। सरकार को जिन्हें नहीं सुनना है, उन्हें वह सदन के बाहर कर रही है। लेकिन हम सदन के अंदर भी बोलेंगे, सदन के बाहर भी बोलेंगे।' राहुल गांधी सच बोल रहे हैं, उन्होंने संसद में अडानी से संबंधित मुद्दा रखा। क्या ये ग़लत है? आज राहुल गांधी को बोलने नहीं दिया जा रहा। इसका मतलब क्या है?...लोकतंत्र को ख़त्म करने का काम किया जा रहा है। ऐसे ही चलता रहा तो इस देश में एक दिन तानाशाही आ जाएगी।

कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा : जब राहुल गांधी ने अडानी पर प्रधानमंत्री से सवाल पूछे थे उसी समय से इन्होंने इस प्रकार साजिश राहुल गांधी की आवाज को दबाने के लिए शुरू कर दी थी। मोदी सरकार के मंत्रियों ने कई बार राहुल गांधी के खिलाफ गलत आरोप लगाए। लोकसाभ में राहुल गांधी को बोलने का और अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया। ये साफ-साफ भाजपा सरकार के लोकतंत्र विरोधी और तानाशाह वाले मनोभाव को दर्शाता है।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा : राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करना मोदी सरकार की प्रतिशोध की नीति का उदाहरण है। भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की लोकप्रियता बहुत बढ़ी है और मोदी सरकार को यही हजम नहीं हो रहा। उन्हें लग रहा है कि राहुल गांधी का मुंह बंद करना होगा क्योंकि अगर उन्हें बोलने दिया गया तो BJP सरकार से बाहर हो जाएगी।

वहीं भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने का समर्थन किया और कहा कि राहुल गांधी राजनीतिक बयानबाजी नहीं कर रहे थे बल्कि पिछड़े वर्ग का अपमान कर रहे थे। उन्होंने कहा : क्या एक पूरे समाज को चोर बोल सकते हैं? क्या कांग्रेस जैसी पार्टी के लिए छोटे समाज और OBC समाज का अपमान करना और माफी भी न मांगना ही अभिव्यक्ति की आज़ादी है। गाली देने में और आलोचना करने में अंतर है। वे(राहुल गांधी) OBC समाज को गाली देने का काम कर रहे थे जिसकी वजह से उन्हें सजा हुई।

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