हिंदुस्तान

नवाचारी समाधानों की बढ़ती मांग के साथ कौशलों की अत्यधिक आवश्यकता : डॉ. जितेन्द्र सिंह

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने लिस्बन, पुर्तगाल में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सागर सम्मेलन के अवसर पर अलग से नार्वे के जलवायु और पर्यावरण मंत्री एस्पेन बार्थ ईड से पारस्परिक हित के अनेक विषयों पर बातचीत की।

यह बैठक पिछले सप्ताह नई दिल्ली में भारत में नार्वे के राजदूत हैन्स जैकब फ्राइडेनलैंड तथा पृथ्वी विज्ञान सचिव डॉ. एम. रविचन्द्रन के बीच नीली अर्थव्यवस्था पर 5वीं भारत-नार्वे कार्यबल की बैठक के बाद हुई। कार्यबल की बैठक में नई परियोजनाएं तथा दोनों देशों के समुद्री उद्योगों को जोड़ने के लिए रोडमैप तैयार करने पर सहमति हुई थी। दोनों देश हरित समुद्र, सतत सागर प्रबंधन, गहरी समुद्री टेक्नोलॉजी तथा अपतटीय पवन विषय पर सहयोग के उपाए तलाशने पर सहमत हुए थे।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस वर्ष जनवरी में नार्वे की साइंस यूनिवर्सिटी और टेक्नोलॉजी (एनटीएनयू) तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर (आईआईटी केजीपी) के बीच पायलट परियोजना पर हुई सहमति का जिक्र किया था। यह सहमति अंतर-विषयी, कौशल, डिजिटल साक्षरता तथा स्नातक विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण सोच में सुधार के लिए हुई थी। जितेन्द्र सिंह ने बल देते हुए कहा कि समुद्री क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों तथा नवाचारी समाधानों की बढ़ती मांग के साथ ऐसे कौशलों की अत्यधिक आवश्यकता है।

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