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यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट में हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब आगे...

10 राज्यों के ट्रीटेड यूज्ड वॉटर को उपयोग करने की नीति के साथ 503 शहरी स्थानीय निकाय सूचीबद्ध

नई दिल्ली: भारत में हरियाणा, कर्नाटक और पंजाब राज्य यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट (प्रयुक्त जल प्रबंधन) में सबसे आगे हैं। यह जानकारी काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की मंगलवार को जारी एक नई स्वतंत्र रिपोर्ट से सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, शहरों में पानी की बढ़ती मांग और घटते भू-जल स्तर के साथ, देश भर में शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के स्तर पर गैर-पेयजल उद्देश्यों के लिए यूज्ड वॉटर ट्रीटमेंट और रियूज को बढ़ाना जरूरी है। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि अभी 90 प्रतिशत यूएलबी में यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट के लिए लक्षित वित्तीय नियोजन और निवेश की कमी एक प्रमुख बाधा बनी हुई है।

2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत के 72,000 मिलियन लीटर यूज्ड वॉटर में से 28 प्रतिशत का ट्रीटमेंट होता है। यूज्ड वॉटर ट्रीटमेंट को मजबूत बनाने और रियूज को बढ़ाने के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने की जरूरत है। इसे देखते हुए, सीईईडब्ल्यू रिपोर्ट ने अपनी तरह का पहला म्युनिसिपल यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट (एमयूडब्ल्यूएम) इंडेक्स तैयार किया है, जो 10 राज्यों - आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल - की उन 503 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) पर केंद्रित है, जिन्होंने ट्रीटेड यूज्ड वॉटर रियूज नीतियों को अपनाया है। यह इडेक्स पांच विषयों- वित्त, बुनियादी ढांचा, दक्षता, प्रशासन और आंकड़े व सूचनाएं - के आधार पर इन यूएलबी को तुलनात्मक रूप से श्रेणीबद्ध करता है। इसने समग्र स्कोर के आधार पर यूएलबी को आकांक्षी (Aspiring), होनहार (Promising), प्रदर्शन करने वाले (Performing), अग्रणी (Leading) और उत्कृष्ट (Outstanding) श्रेणियों में वर्गीकृत किया है।

सीईईडब्ल्यू इंडेक्स में यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट के लिए समर्पित कार्य योजनाओं और बुनियादी ढांचे व दक्षता जैसे क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन के साथ सूरत नगर निगम और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ‘उत्कृष्ट’ प्रदर्शन करने वाले यूएलबी के रूप में सामने आए हैं। रिपोर्ट ने व्यापक श्रेणीबद्ध कार्य योजनाओं के साथ हरियाणा और कर्नाटक को अग्रणी राज्यों के रूप में चिन्हित किया है। इसके बाद पंजाब और राजस्थान हैं। हालांकि, पूर्वी भारत के राज्य भी गति पकड़ रहे हैं, झारखंड और पश्चिम बंगाल में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई है। सीईईडब्ल्यू निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि अधिकांश यूएलबी को यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट के लिए ज्यादा व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, क्योंकि 60 प्रतिशत यूएलबी इंडेक्स के निचले आधे हिस्से में हैं, जो ‘आकांक्षी’ और ‘होनहार’ श्रेणियों के तहत आते हैं।

नितिन बस्सी, सीनियर प्रोग्राम लीड, सीईईडब्ल्यू ने कहा, “अभी कई भारतीय शहर जल संकट का सामना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, बेंगलुरु, जो अपना अधिकांश ताजा जल कावेरी नदी और बोरवेल से लेता है,अभी गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। भारत के तेज शहरीकरण वाले क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं गैर-पेयजल उद्देश्यों के लिए यूज्ड वॉटर ट्रीटमेंट और उसके रियूज की पर्यावरणीय और आर्थिक क्षमता दर्शाती हैं। भले ही कर्नाटक अग्रणी राज्य के रूप में उभर रहा है, लेकिन यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि अभी भी एक लंबा सफर तय करना है और इंडेक्स में कोई भी राज्य पूर्ण अंक नहीं प्राप्त कर सका है, अधिकतम 5 अंक में से उच्चतम स्कोर 3.32 अंक रहा है। चूंकि, बेंगलुरु में ताजे पानी की कमी हो रही है, इसलिए भविष्य में गैर-पेयजल उद्देश्यों के लिए यूज्ड वॉटर को पूरी क्षमता के साथ रियूज करना महत्वपूर्ण होगा। ट्रीटेड यूज्ड वॉटर के लिए जबरदस्त बाजार संभावनाएं मौजूद हैं, सिर्फ 2021 में प्रति दिन लगभग 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर। सीईईडब्ल्यू इडेक्स यूएलबी को अपनी जल-गतिविधियों की प्राथमिकताएं निर्धारित करने, कमियों को खोजने, जिनको उन्हें दूर करना है और इस अनुमानित बाजार व पर्यावरणीय मूल्य को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण बेसलाइन उपलब्ध कराता है।”

सीईईडब्ल्यू रिपोर्ट यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट में वित्तीय संसाधन को एक प्रमुख चिंता के रूप में रेखांकित करती है। वित्तीय संसाधन के मामले में गुजरात के सूरत ने शीर्ष स्कोर प्राप्त किया है। उसने आर्थिक गतिविधियों को लाभकारी बनाने के लिए पर्याप्त स्तर तक विस्तार और प्रभावी जोखिम साझाकरण (risk sharing) को पाने के लिए अंतिम-उपयोगकर्ता निवेश मॉडल (end-user investment model) जैसे विभिन्न लोक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल अपनाए हैं। इसके अलावा, इंडेक्स में शामिल 78 प्रतिशत यूएलबी को यूज्ड वॉटर ट्रीटमेंट और उसका रियूज सुनिश्चित करने के लिए बेहतर प्रबंधन उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। इसमें बुनियादी ढांचे की आवश्यकता और सीवरेज नेटवर्क की संग्रह दक्षता पर सीवेज से जड़े लक्ष्यों सहित अपने नए शहर मास्टर प्लान (2025) के साथ जयपुर ने सर्वाधिक अंक प्राप्त किए हैं।

साइबा गुप्ता, प्रोग्राम एसोसिएट, सीईईडब्ल्यू ने कहा, “अभी भी भारतीय शहरों में ट्रीटेड यूज वॉटर को दोबारा इस्तेमाल (रियूज) करना मुख्यधारा में नहीं आया है। हमारे विश्लेषण के अनुसार, यूएलबी के स्तर पर यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट में सुधार के लिए स्पष्ट लक्ष्यों और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के साथ एक समर्पित रियूज प्लान को अपनाना बहुत जरूरी है। यूएलबी के लिए एक वित्तीय रूप से व्यवहार्य रियूज मॉडल की जरूरत है, ताकि रियूज परियोजनाओं को लागू करने से मिलने वाले राजस्व से यूज्ड वॉटर के ट्रीटमेंट का खर्च पूरा किया जा सके। जल संपन्न शहरों को सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।”

इन निष्कर्षों के आधार पर, सीईईडब्ल्यू अध्ययन यूएलबी को दीर्घकालिक रियूज योजनाओं को अपनाने के लिए सशक्त बनाने, यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट का एक व्यापक डेटाबेस विकसित करने में सक्षम बनाने, वित्त के लिए राष्ट्रीय प्रयासों का लाभ उठाने और शहरों में यूज्ड वॉटर ट्रीटमेंट व रियूज को मुख्यधारा में लाने के लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए यूएलबी के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने का सुझाव देता है।

 

 

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