हर ओवर,हर गेंद पर वही एक सा रवैया
सोमवार को जयपुर के मानसिंह स्टेडियम में राजस्थान रायल्स व गुजरात जायंटस के बीच खेले गए आईपीएल के २०-२० मैच में वह हुआ जिसकी कल्पना नहीं की गई थी।लगातार हार रहे राजस्थान रायल्स के खिलाफ गुजरात जायंटस ने २०९ रन का लक्ष्य रखा।गुजरात के बल्लेबाजों ने अच्छी बल्लेबाजी की और वह निश्चिंत थे कि वह तो जीत रहे हैं।इस मैच में वह हुआ जो कभी कभी होता है। हारने वाली टीम जीत गई और जीतने वाली टीम हार गई और ऐसा इसलिए हुआ कि देश के क्रिकेट इतिहास में एक स्टार बल्लेबाज का उदय इस मैच में हुआ।उसने असंभव को संभव कर दिखाया। उसने जो किया उसके लिए सभी ने कहा कि यह तो अद्भुत,अकल्पनीय,अविश्वसनीय,चमत्कार। क्रिकेट के इतिहास में एक से एक महान बल्लेबाज हुए हैं लेकिन १४ साल कुछ दिन में कोई ऐसा नहीं कर सका। बिहार के समस्तीपुर जिले के १४ साल को क्रिकेट खिलाडी़ ने टी-२० में ३५ गेंदों पर शतक मार दिया। वह भी आईपीएल के इतिहास के दूसरा सबसे तेज शतक।
शतक भी अनोखा क्योंकि इसमें वैभव ने ११ छक्के व ७चौके मारे यानि उसने १०१ रन बनाए तो उसमें ९४ रन उसने बाउंड्री मार कर यानी चौका व छक्का मारकर बनाए।अपना शतक तक छक्का मारकर पूरा किया।शतक तो कई खिलाड़ी बनाते हैं लेकिन कोई इतने चौके व छक्के मारकर नहीं बनाता है। यह तो लोगों के कल्पना से परे था कि कोई १४ साल का खिलाडी़ अपने तीसरे मैच में ही सबसे तेज दूसरा शतक बना सकता है, वह भी ९४ रन बाउंड्री मारकर। ऐसा हो सकता है कि इस बात का एहसास वैभव ने अपने पहले मैच में करा दिया था। वह मैच राजस्थान हार गया लेकिन वैभव ने पहली गेंद पर छक्का मारकर सबको चौंका दिया था।दो मैच में उसने क्रिक्रट प्रेमियाें को बता दिया था किसी स्टेडियम में आने वाले दिनों में तूफान आने वाला है।
लोग टी-२० में हर गेंद पर चौका व छक्का देखना चाहते है।यही वैभव ने दो मैच किया उसने हर गेंद को छक्का मारने का प्रयास किया।उसने कई छक्के मारकर दिखाया भी,जल्द आउट हो जाने के कारण लोगों को पता नहीं चला कि यह क्या कर सकता है। लोगों को यह तो पता चल गया कि यह करेगा तो कुछ खास करेगा।क्योंकि वह क्रिकेट खेलता इस तरह है कि जैसे वह हर गेंद को मारने के लिए मैदान में आया है।निडर बल्लेबाज ही ऐसा कर सकता है, निडर वह होता है जिसे आउट होने का डर नहीं होता है, जिसके सामने कोई भी गेंदबाज हो डर न लगता हो, जो यह सोच कर मैदान में आता है मुझे तो हर गेंदबाज की हर गेंद को सीमापार पहुंचाना है।
वैभव ने शतक बनाने के बाद भी कहा भी कि मैं यह नहीं देखता कि सामने गेंद कौन कर रहा है, मुझे गेंदबाज दिखाई नहीं देता है, मुझे तो सिर्फ गेंद दिखाई देती है और मैं उसे पूरी ताकत से मारता हूं। गेंद बल्ले में आई तो सीधा सीमापार जाती है। यही वजह है कि उसने जयपुर स्टेडियम में गुजरात के हर गेंंदबाज की गेंद पर छक्का मारा। गुजरात के सारे गेंदबाज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेले हुए अऩुभवी गेंदबाज थे लेकिन वैभव ने उनको जब मारना शुरु किया तो पूरा देश यह देखकर चकित था कि वह ऐसा कैसे कर पा रहा है। चाहे सिराज हो, प्रसिध्द हो, इशांत हो, वाशिंगटन हो, जन्नत हो, साइं सुदर्शन हो, सभी की गेंद पर चौका या छक्का जरूर मारा।
वैभव जब तक खेलता रहा लोग तालियां बजाते रहे क्योंकि ताली खत्म नहीं हुई होती थी कि वैभव छक्के के बाद छक्का मार देता था, चौके के बाद चौका मार देता था। कभी चौके के बाद छक्का तो कभी छक्के के बाद चौका। एक बार तो ऐसा हुआ कि लगातार कई गेंदों पर छक्का या चौका मारा। स्टेडियम में लोग उसकी बैंटिग देखकर पागल हो गए थे क्योंकि ऐसा कोई कभी कभी खेलता है जब उसे कोई रोक नहीं पाता है, वह जहां चाहे वहां चौका या छक्का मारता है। पूरे स्टेडियम के लोग वैभव की बल्लेबाजी देखकर सम्मोहित थे।
वैभव जब ९४ रन पर था तो लोग उम्मीद कर रहे थे कि वह शतक के लिए रुककर खेलेगा लेकिन वैभव ने तीसरे मैच में अपना शतक भी छक्का मारकर पूरा किया। ऐसा वही बल्लेबाज करता है जिसे खुद पर भरोसा होता है कि मुझे कोई आउट नहीं कर सकता।वैभव के शतक से पूरा स्टेडियम देर तक तालियों से गूंजता रहा। पूरा स्टेडियम वैभव के सम्मान में खडा़ हो गया था।यह देखकर भी लोगों को बहुत अच्छा लगा कि राजस्थान रायल के कोच राहुल द्रविड भी वैभव का शतक पूरा होने पर खड़े नहीं होने की स्थिति में होने के बाद भी खड़े हुए और उनकी खुशी देखने योग्य थी।उनको वैभव की प्रतिभा पर भरोसा था, वैभव ने अपनी प्रतिभा दिखाई, साबित किया तो राहुल द्रविड जिन्होने उऩको खेलने का मौका दिया था, खुश होना स्वाभाविक था।
राजस्थान रायल्स की जीत तय हो गई थी जब वैभव आउट हुआ। उसके बाद जीत की औपचारिकता बची थी जिसे यशस्वी व कप्तान ने पूरी की। वैभव की अविश्वसनीय बल्लेबाजी के कारण ही राजस्थान गुजरात को हरा सका है और उसकी रेस में बने रहने की उम्मीद बनी हुई है।वैभव को मौका मिला, उसने खुद को साबित किया और अपने पिता का सपना पूरा किया। बहुत कम पिता ऐसे होते हैं जिनका सपना उनका बेटा पूरा करता है। वैभव को वैभव बनाने में उनके पिता व माता की भूमिका बहुत अहम है। उन्होंने वैभव के लिए वह सब किया जो वह कर सकते थे। वैभव ने भी अपने माता पिता का सपना पूरा किया और देश के माता पिता को संदेश दिया है कि अपने बच्चों पर भरोसा करो और वह जो करना चाहते हैं, उनको करने दो।
हर बच्चे में वैभव होता है, जरूरत है कि माता पिता उसे पहचाने।सचिन के घरवालों के कारण सचिन जिस तरह सचिन बन सका था वैसे ही वैभव भी अपने घरवालों के कारण वैभव बन सका और खुद को साबित करने में सफल रहा।सचिन ने भी खुद को पहले टेस्ट मैच में साबित कर दिया था, वैभव ने भी अपने तीसरे मैच में साबित कर दिया कि वह दूसरो से कुछ अलग है। सचिन पाकिस्तान में घायल होने के बाद कहा था कि मैं खेलेगा और उसके बाद सचिन कैसा खेला सारे देश ने देखा है।वैभव मारने के चक्कर दो बार आउट होने के बाद कोच से कहा कि वह मारेगा और तीसरे मैच में उसने मारकर दिखाया कि वह बड़े बड़े गेंदबाजों को कैसे मार सकता है। पहले मैच में आउट होकर रोते हुए वैभव को सबने देखा था लेकिन वह वैभव जब तीसरे मैच में आया तो उसने देश-विदेश के सारे गेंदबाजों को मार मार कर रुला दिया।वैभव को देखकर लोग उम्मीद कर रहे हैं कि गावस्कर, सचिन, विराट की तरह महान बल्लेबाज बनेगा। देश की शुभकामनाएं उसके साथ है।