अविनाश साबले ने पेरिस ओलंपिक में रचा इतिहास
भारतीय एथलीट अविनाश साबले ने पेरिस ओलंपिक में सोमवार को पुरुष 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में अपनी हीट में पांचवें स्थान के साथ फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। वह इस स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाले भारत के पहले एथलीट बन गये हैं। राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी साबले ने दूसरी हीट में 8 मिनट 15.43 सेकंड का समय निकाला। तीन हीट के शीर्ष पांच-पांच धावकों ने फाइनल का टिकट कटाया।
साबले की हीट में मोरोक्को के मोहम्मद तिंडौफत ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 8 मिनट 10.62 सेकंड के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया। सेना में नायक सूबेदार पद पर कार्यरत साबले ने कई बार अपने ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड को बेहतर किया है। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 8 मिनट 09.94 सेकंड है जो उन्होंने पिछले महीने की शुरुआत में पेरिस डायमंड लीग में हासिल किया था।
शानदार प्रदर्शन से फाइनल में पहुंचे साबले
क्वालीफिकेशन में साबले ने अपना पूरा जोर नहीं लगाया और सिर्फ फाइनल में जगह पक्की करने पर ध्यान दिया। 29 साल के इस खिलाड़ी ने रेस की अच्छी शुरुआत की और पहले 1000 मीटर के बाद शीर्ष पर रहे। लेकिन इसके बाद कीनिया के अब्राहम किबिवोट ने बढ़त बना ली और साबले खिसककर चौथे स्थान पर पहुंच गए। 2000 मीटर की दूरी को उन्होंने 5 मिनट 28.7 सेकेंड में पूरी करने के बाद तीसरे स्थान पर रहे।
इसके बाद साबले पांचवें स्थान पर खिसक गए लेकिन उन्होंने छठे स्थान पर काबिज अमेरिका के मैथ्यू विलकिनसन पर बड़ी बढ़त बनाने के कारण आखिरी पलों में ज्यादा जोर नहीं लगाया। इस स्पर्धा का फाइनल भारतीय समयानुसार 7 और 8 अगस्त की दरमियानी रात को होगा।
महिला धावक किरण पहल की चुनौती
इससे पहले किरण पहल अपनी हीट रेस में सातवें स्थान पर रहने के बाद महिलाओं की 400 मीटर में सेमीफाइनल में स्वत: जगह बनाने में असफल रहीं। अब वह रेपेचेज दौर में दौड़ेंगी।
अविनाश साबले का सफर
भारत के स्टार स्टीपलचेज़र अविनाश साबले ने इस पीढ़ी के भारत के प्रमुख लंबी दूरी के धावक के रूप में खुद को स्थापित किया है। अविनाश साबले का जन्म 13 सितंबर 1994 को महाराष्ट्र के बीड जिले के मांडवा गांव में हुआ था। अविनाश मुकुंद साबले एक साधारण परिवार में पले-बढ़े।
बता दें कि सार्वजनिक परिवहन की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें अपने स्कूल जाने के लिए हर दिन 6 किलोमीटर दौड़ना पड़ता था। साबले ने कभी भी बड़े होकर किसी भी खेल को अपना करियर बनाने के बारे में नहीं सोचा था। 12वीं कक्षा पास करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए और 5 महार रेजिमेंट का हिस्सा बने। वह सियाचिन, राजस्थान और सिक्किम में तैनात रहे। सेना के एथलेटिक्स कार्यक्रम में शामिल होने के बाद 2015 में ही साबले ने स्पोर्ट्स रनिंग के बारे में कुछ सीखा और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वह 2017 फ़ेडरेशन कप में पांचवें स्थान पर रहे और फिर चेन्नई में ओपन नेशनल में स्टीपलचेज़ राष्ट्रीय रिकॉर्ड से सिर्फ 9 सेकेंड दूर रहे थे।
नज़र फाइनल पर
अब सबकी नजरें पेरिस ओलंपिक के फाइनल पर हैं, जहां अविनाश साबले भारतीय खेल इतिहास में एक और नया अध्याय जोड़ने की तैयारी में हैं। साबले का आत्मविश्वास और मेहनत उन्हें इस मुकाम तक लाया है और अब उम्मीद है कि वह फाइनल में भी शानदार प्रदर्शन करेंगे।