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विरोध के बाद प्रधानमंत्री ने वापस लिया आयकर कटौती का फैसला

 लंदन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस की सरकार को विरोध के बीच अपने कदम को वापस लेना पड़ा है। कंजरवेटिव पार्टी में समर्थन जुटाने के लिए ट्रस ने महंगाई से जूझ रही देश की जनता को आयकर में कटौती का आश्वासन दिया था। जैसे ही उन्होंने इस घोषणा के अनुरूप आयकर की उच्चतम सीमा को नीचे किया, बाजार असंतुलित हो गया और सरकार की निंदा का दौर शुरू हो गया। दबाव में आई सरकार ने फैसले को वापस ले लिया है।

ट्रस सरकार ने सितंबर में मिनी बजट लाकर आयकर में कटौती का प्रविधान किया था। इसके बाद कंजरवेटिव पार्टी में ट्रस के विरोधियों ने सरकार पर प्रहार करने में देर नहीं की। इसके बाद वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग ने कहा कि कर की उच्चतम सीमा को कम करने का निर्णय विनम्रता से वापस लिया गया है। वित्त मंत्री ने यह सफाई अपनी पार्टी के सांसदों की ओर से आई इस आपत्ति के बाद दी जिसमें कहा गया था कि इससे देश का कम लोगों का संपन्न वर्ग लाभान्वित हुआ है, आम आदमी को इससे कोई लाभ नहीं हुआ है। जबकि महंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित आम आदमी हो रहा है।

 
 



जानकारी के अनुसार शीर्ष सरकारी अधिकारी भी दबी जुबान से इस कर कटौती पर विरोध जता रहे थे। उनका कहना है कि नुकसान का आकलन किए बगैर यह कटौती की गई है जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर होगा। यह वित्त मंत्रालय की पुरातनपंथी सोच का प्रतीक है।

 
 



देश की आर्थिक प्रगति की गति लगभग दस साल से सुस्त है, ऐसे में संपन्न वर्ग को आयकर में राहत दी जाती है तो उसका गलत असर हो सकता है। यह तरक्की की रफ्तार बढ़ाने का संदेश देने वाला निर्णय नहीं है। इसका सीधा असर वैश्विक निवेशकों पर होगा और वे ब्रिटेन का बाजार से अपनी नकदी निकालने लगेंगे।

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