दुनिया-जगत

डायनासौर भी मात खाते थे

 जब तक पृथ्वी पर डायनासौर का राज रहा, स्तनधारी जीव काफी छोटे साइज़ के हुआ करते थे। ऐसा माना जाता है कि जिस समय डायनासौर पृथ्वी पर राज कर रहे थे उस समय स्तनधारी जीव उनसे डरकर यहां-वहां छिप जाते थे। लेकिन चीन में मिला जीवाश्म एक स्तनधारी जीव द्वारा डायनासौर का शिकार करने का दुर्लभ साक्ष्य पेश करता है और उक्त धारणा को चुनौती देता है।

वर्ष 2012 में उत्तरी चीन के लुजियाटुन के हरे-भरे जंगल में एक किसान को एक जीवाश्म मिला था। किसान ने यह जीवाश्म हानियन वोकेशनल युनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी के जीवाश्म विज्ञानी गैग हैन के सुपुर्द कर दिया।

जीवाश्म लगगभग 12.5 करोड़ साल पुराना था। उस समय इस इलाके में ट्राइसेराटॉप्स के पूर्वज डायनासौर सिटेकोसॉरस अपने दो पैरों पर विचरते थे। ये सिटेकोसॉरस साइज़ में लगभग कुत्ते बराबर थे और शाकाहारी थे। इन्हीं के साथ उस समय का सबसे बड़ा स्तनधारी जीव रेपेनोमेमस रोबस्टस इन जंगलों में विचरता था, जो लगभग अभी के जीव बिज्जू के बराबर था। यह झबरीला था और इसके दांत पैने-नुकीले थे और वह मांसाहारी था। यह सिटेकोसॉरस के शिशुओं का शिकार करने के लिए जाना जाता था।

साइंटिफिक रिपोर्ट्स में शोधकर्ता बताते हैं कि इस जीवाश्म में इन्हीं दोनों प्राणियों की मुठभेड़ कैद है। लेकिन रेपेनोमेमस रोबस्टस के साथ मुठभेड़ में शिशु सिटेकोसॉरस नहीं बल्कि किशोरवय सिटेकोसॉरस है, जिसका आकार रेपेनोमेमस रोबस्टस स्तनधारी से लगभग तीन गुना बड़ा है। सिटेकोसॉरस लगभग 10.6 किलोग्राम का रहा होगा और स्तनधारी लगभग 3.4 किलोग्राम का। दृश्य देखकर लगता है कि स्तनधारी जीव ही डायनासौर पर हावी था। संभव है कि डायनासौर कुछ ही क्षण में स्तनधारी जीव का भोजन बन जाता लेकिन ऐसा होने के पहले ही अचानक ज्वालामुखीय मलबा बहकर आ गया जिसमें ये दोनों योद्धा मारे गए और उसी मुद्रा में कैद हो गए।

जीवाश्म में, स्तनधारी जीव डायनासौर के ऊपर बैठा था, उसके दांत डायनासौर की दो पसलियों में गड़े हुए थे, उसका पिछला पैर डायनासौर के एक पैर के नीचे दबा हुआ था, और उसका एक हाथ डायनासौर का जबड़ा जकड़े हुए था: ज़ाहिर है, इस मुठभेड़ में डायनासौर शिकस्त पाने वाला था।

कुछ शोधकर्ता इस जीवाश्म की वैधता को लेकर शंकित हैं क्योंकि पूर्व में इस क्षेत्र में जीवाश्म जालसाज़ी के कई उदाहरण देखे जा चुके हैं।

लेकिन हैन का कहना है कि उनकी टीम ने स्तनधारी जीव के निचले बाएं जबड़े की सावधानीपूर्वक जांच करके जीवाश्म की सत्यता की पुष्टि कर ली है। जीवाश्म के आसपास की तलछट भी उस तह से मेल खाती है जहां से जीवाश्म मिला था। 

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