छत्तीसगढ़

सफलता की कहानी : महिला व अर्थिक सशक्तिकरण की पहचान बनी धनेश्वरी

 गरियाबंद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। गरियाबंद के वनांचल क्षेत्र का गांव मैनपुरकला जो कि मैनपुर विकासखंड में स्थित है। इस गांव में धनेश्वरी नागेश अपने परिवार के साथ जिंदगी गुजर बसर करते है। धनेश्वरी एक सामान्य गृहणी है, वे घर के चूल्हे चौके करते हुए खेती किसानी में भी परिवार का सहयोग करती है। वे अतिरिक्त आमदनी के लिए मेहनत मजदूरी व मनरेगा में काम भी कर लेती थी। 

धनेश्वरी मजबूत दृढ़ इच्छाशक्ति वाली इक पढ़ी लिखी महिला है, जो अपने जीवन की वर्तमान परिस्थितियों में बदलाव चाहती थी। वो समाज में अपनी खुद की पहचान बनाना चाहती थी, अपने मेहनत व लगन से अपनी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाना चाहती थी। वर्ष 2017 में धनेश्वरी को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान का पता चला जो कि गरीबी उन्मूलन की योजना है। धनेश्वरी बिना देर किये हुए जय मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई। जय मां दुर्गा स्व सहायता समूह, निर्मल महिला संकुल संगठन मैनपुर के अतंर्गत कार्य करता है। समूह व संगठन की बैठको में धनेश्वरी नियमित रूप से आने लगी व बचत के महत्व व समूह के महत्व को समझने लगी। धनेश्वरी, बिहान की ओर से समूह सदस्यों के लिए आयोजित ब्लॉक व जिला स्तर के विभिन्न क्षमता निर्माण प्रशिक्षणों में सहभागिता की।  

समूह से जुड़कर वित्तीय साक्षरता का प्रशिक्षण लेकर एफएलसीआरपी के रूप में कार्य करना प्रारंभ कर दी। अब धनेश्वरी गांव की समूह में जुड़ी महिलाओं को वित्तीय साक्षरता, बीमा, अकाउन्ट, बैंक लिंकेज की जागरूकता प्रदान करने लगी। साथ ही साथ आजीविका मिशन का लाभ उठाकर अपने लिए एक स्थायी आजीविका करने की सोची। इस कार्य के लिए क्षेत्र में पदस्थ क्षेत्रीय समन्वयक  विजय रात्रे व पीआरपी रेवती मनहरे ने इनका सतत सहयोग किया। इसके लिए आजीविका मिशन से प्रदाय कि जाने वाली सामुदायिक निवेश कोष से 30 हजार की राशि, एमसीपी से 50 हजार की राशि, बैंक लिंकेज 1 लाख 50 हजार रूपये की राशि व स्वयं के बचत से 11 हजार रुपए कुल 2 लाख 41 हजार की राशि से अपना किराना व फैंसी की दुकान शुरू की। साथ ही कुछ पैसों को हल्दी की खेती व अन्य कृषि कार्य में भी लगाई। 

वर्तमान में धनेश्वरी नागेश अपने व्यवसाय से प्रतिमाह लगभग 18 से 20 हजार रुपए व सालाना 2 लाख रुपए से ज्यादा कमाई कर रही है। धीरे-धीरे व्यवसाय को और आगे बढ़ा रही है। आज धनेश्वरी जहां एफएलसीआरपी के रूप में कार्य कर अपनी सामाजिक पहचान बना चुकी है, वहीं दूसरी ओर आजीविका गतिविधियों से परिवार का आर्थिक सहयोग कर रही है। उनके परिवार के सदस्य लगातार उनका हौसला व साथ दे रहे है। धनेश्वरी एक स्थायी आजीविका के साथ-साथ सामाजिक बदलाव के क्षेत्र में भी बढ़-चढ़ हिस्सा लेती है। गांव में स्वच्छता कार्य, नशामुक्ति अभियान, ग्राम सभा की बैठक, वित्तीय साक्षरता में सतत भागीदारी करती है।

 

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