छत्तीसगढ़

स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदान जरूरी.....

स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदान जरूरी साथ ही मतदाताओं का जागरूक होना भी आवश्यक



कहा जाता है कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होता है। इसलिए तन-मन को स्वच्छ, स्वस्थ रखना बहुत ही आवश्यक है। इसी तरह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए, शत-प्रतिशत मतदान हो इसके लिए मतदाताओं में मतदान के प्रति जागरूकता होना भी आवश्यक है। 

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र देश भारत में लोकसभा निर्वाचन 2024 को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने 16 मार्च 2024 को चुनावी तिथियों के घोषणा की और इस तरह देश में आदर्श आचार संहिता प्रभावशील है।

देश के 543 लोकसभा सीटों के लिए 7 चरणों में मतदान होना है। इन 543 सीटों में अनुसूचित जाति के लिए 84, अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं तो 412 सीट अनारक्षित है। इसके साथ ही चार राज्यों अरुणाचल प्रदेश के 60, सिक्किम के 32, आंध्रप्रदेश के 175 एवं ओडिशा के 147 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव होंगे।

28 राज्यों के 524 व 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 19 सीटों में होने वाले चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग लगातार बैठक, दिशा-निर्देश, प्रशिक्षण, जनजागरूकता, सुरक्षा, साधन- संसाधन आदि पर राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से सतत समन्वय बनाए हुए हैं। वैसे तो देश के 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की 102 संसदीय सीटों में प्रथम व द्वितीय चरण के मतदान हो चुके हैं। 

छत्तीसगढ़ राज्य के बारे में बात करें तो यहां 11 लोकसभा सीट हैं, जिसमें 4 सीट अनुसूचित जनजाति, 1 सीट अनुसूचित जाति व 6 सीट अनारक्षित है। इन 11 लोकसभा सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में 19 अप्रैल को बस्तर लोकसभा सीट तथा द्वितीय चरण में 26 अप्रैल को राजनांदगांव, महासमुंद एवं कांकेर सीटों के लिए मतदान हो चुके हैं। इन दोनों चरणों के मतदान प्रतिशत को देखें तो बस्तर में 68.31 प्रतिशत, वहीं राजनांदगांव में 77.42 प्रतिशत, कांकेर 76.23 प्रतिशत व महासमुंद लोकसभा सीट में 75.02 प्रतिशत मतदान हुए हैं। इस तरह राज्य में दूसरे चरण का मतदान प्रतिशत 76.24 रहा है। अब 7 मई को होने वाले तृतीय चरण में छत्तीसगढ़ के सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चाम्पा, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग व रायपुर के अलावा देश के 12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 94 सीटों पर मतदान होगा। चौथे चरण में 10 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों  के 96 सीटों के लिए 13 मई, पांचवां चरण में 8 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश के 49 सीटों के लिए 20 मई, छठवां चरण में 7 राज्यों के 57 सीटों के लिए 25 मई और सातवां व आख़िरी चरण में 8 राज्यों व केन्द्र शासित राज्यों के 57 सीटों के लिए 1 जून को मतदान होंगे।

जब हम चुनाव के महत्वपूर्ण कड़ी, मतदाता और मतदान पर बात करें तो शहरी मतदाता की अपेक्षा ग्रामीण मतदाताओं का मतदान के प्रति ज्यादा उत्साह दिखाई पड़ता है। यह कहना उचित होगा कि हमें चंहुओर विकास तो चाहिए लेकिन विकास के लिए मतदान में हिस्सा नहीं लेना यह कहाँ न्याय संगत होगा ? शहरी मतदाताओ को ज्यादा पढ़े-लिखे, अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा सचेत माना जाता है। ऐसे में मतदान को लेकर शहरी मतदाताओं की रूचि ग्रामीण मतदाताओं की अपेक्षा कम होना निःसन्देह चिंता का विषय होता है।

हालांकि देश में पहला आम चुनाव अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 के बीच 499 सीटों के लिए कठोर जलवायु और चुनौतीपूर्ण व्यवस्थाओं के कारण 68 चरणों में चुनाव हुआ था।  इसके पहले वर्ष 1949 में चुनाव आयोग बनाया गया और वर्ष 1950 में सुकुमार सेन को पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। उस समय देश की जनसंख्या 36 करोड़ से अधिक थीं और उस आम चुनाव में 17 करोड़ से अधिक मतदाताओ ने भाग लिया यानी 44-45 प्रतिशत के आसपास मतदान हुआ था। उस दौर में शिक्षा, प्रचार-प्रसार और अन्य सुविधाओं का कम होना भी कम मतदान होने का मुख्य कारण था।  लेकिन तब से भारत में मतदाताओं की संख्या, मतदान प्रतिशत और मतदान के प्रति जागरूकता लगातार बढ़ी है। 

मताधिकार एक मौलिक अधिकार है तो कर्तव्य भी है ऐसे में अपने अधिकार व कर्तव्य को भली-भांति समझते हुए मतदान के लिए पहुंचना आवश्यक है। जब स्वयं मतदान के लिए तैयार होंगे, स्वयं मतदान करने पहुंचेंगे, जब अपने अधिकार को जानेंगे, जब अपने कर्तव्य को समझेंगे व निभाएंगे तो निश्चित ही देश व प्रदेश का विकास तेज गति से आगे बढ़ेगा।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर किए गए चुनाव सुधार, आवश्यक व्यवस्था, स्वतंत्र, निष्पक्ष, भयमुक्त निर्वाचन के लिए नियम-कानून बनाए गए। इसके अलावा मतदाताओं में लगातार मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग से लेकर जिला निर्वाचन आयोग द्वारा अलग- अलग विधाओं, तकनीकी उपायों के माध्यम से, नई-नई गतिविधियों संचालित कर शत-प्रतिशत मतदान हो इसके लिए लगातार प्रयासरत हैं।

मतदाताओं की भागीदारी और जागरूकता से ही मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। इसके लिए शासकीय, अशासकीय संस्थाओं व प्रत्येक वर्गों के मतदाताओं द्वारा सक्रियता निभाने से एक स्वस्थ, मजबूत लोकतंत्र की नींव और मजबूत होगी।

(लेखक : विजय मानिकपुरी, सहायक जनसंपर्क अधिकारी)

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