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आर वेंकटरमणी होंगे देश के नए अटॉर्नी जनरल

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील आर वेंकटरमणी को भारत का नया अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया है। वह 1 अक्टूबर 2022 को कार्यभार संभालेंगे। विधि और न्याय मंत्रालय की ओर से बुधवार देर शाम उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई है। वेंकटरमणी की इस पद पर नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है।

बता दें कि वर्तमान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है। विधि मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील आर वेंकटरमणी को उनके कार्यभार संभालने की तारीख से तीन साल के लिए भारत के महान्यायवादी के रूप में नियुक्त किया है। वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। इसके बाद 29 जून को उन्हें तीन महीने के लिए देश के शीर्ष कानून अधिकारी के रूप में फिर से नियुक्त किया गया था।

वर्तमान अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने पिछले महीने सरकार से समक्ष पद से हटने की इच्छा जताई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने 2014 से 2017 तक इस पद को संभालने वाले मुकुल वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी को ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने निजी कारणों से इसे स्वीकार नहीं किया था। रोहतगी ने 25 सितंबर को कहा था कि उन्होंने भारत का अगला अटॉर्नी जनरल बनने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।

अटॉनी जनरल के रूप में वेणुगोपाल का पहला कार्यकाल 2020 में समाप्त होना था और उन्होंने सरकार से अपनी उम्र को ध्यान में रखकर जिम्मेदारियों से मुक्त करने का अनुरोध किया था। हालांकि, बाद में उन्होंने एक साल के नये कार्यकाल को स्वीकार कर लिया था। इसका कारण था कि सरकार उनके लंबे न्यायिक अनुभव और कई हाई-प्रोफाइल मामलों में उनके द्वारा की जा रही पैरवी को देखते हुए पद पर बनाए रखना चाहती थी।

वेंकटरमणी सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता पैनल में रहे हैं। अप्रत्यक्ष कर मामलों में उनका अनुभव बेजोड़ है। उन्हें 2010 में भारत के विधि आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। वह दशकों से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों के लिए विशेष वरिष्ठ वकील के रूप में काम करते रहे हैं। इसी तरह वित्त, रेल और स्वास्थ्य मंत्रालयों ने भी कई मौकों पर उनसे विशषे वकील के रूप में सेवाएं ली हैं।

वेंकटरमणी न्यायालय के कर्मचारियों से संबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट के वकील और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह के सह-चयनित सदस्य भी रहे हैं। वह कई वकील संघों के सदस्य और पदाधिकारी रहने के साथ इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ के आजीवन सदस्य भी हैं। वह न्यायमूर्ति एमएन वेंकटचलैया की अध्यक्षता में संविधान के कामकाज की समीक्षा करने वाले आयोग द्वारा गठित उप-समिति के सदस्य भी रहे हैं।

 

 

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