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UN ने चेताया, श्रीलंका में खराब आर्थिक स्थिति के बीच आ सकता है गंभीर मानवीय संकट

कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के कारण वहां की जनता की स्थिति और अधिक खराब हो गई है। संयुक्त राष्ट्र ने संकट पर एक और बड़ी चेतावनी जारी की है। यूएन का कहना है कि, नकदी की तंगी से जूझ रहा श्रीलंका का अभूतपूर्व आर्थिक संकट गंभीर मानवीय संकट में बदल सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने आगे कहा कि,देश में लाखों लोगों को पहले से ही सहायता की जरूरत है।

गहरा सकता है मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र मानवीय एजेंसी ओसीएचए (OCHA) के प्रवक्ता जेन्स लार्के ने संवाददाताओं से कहा, 'हम चिंतित हैं कि यह एक पूर्ण मानवीय आपातकाल में बदल सकता है। उन्होंने कहा कि, वे इस बड़ी चिंता को दूर करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं।

जल्द मदद की जरूरत 
जेन्स लार्के ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगी सबसे कमजोर लोगों और संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित 17 लाख लोगों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए 47 मिलियन डॉलर की अपील कर रहे हैं। बता दें कि, श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के कारण महीने दिनों बिजली की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर लोगों की लंबी कतार दिख रही है। साथ ही रिकॉर्ड मुद्रास्फीति ( Inflation)ने दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र के 22 मिलियन लोगों के दैनिक जीवन को कष्टों से भर दिया है।
 
श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट 
बता दें कि, घोर आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था। हालांकि, अभी तक स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। वहीं, भारत दक्षिणी देश से चीन का प्रभाव कम करने के लिए श्रीलंका के सामने मसीहा बनकर उभरा है। भारत मसीहा बनकर उभरा आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने अब तक कई बार मदद पहुंचाई है। जानकारी के मुताबिक भारत ने श्रीलंका को उर्वरकों के आयात के लिए 5.5 करोड़ डॉलर तक के कर्ज की स्वीकृति दी है। भारतीय उच्चायोग के मुताबिक श्रीलंका को खाद्यान्न संकट से बचाने के लिए उर्वरक की खरीद में धन कमी नहीं आने देने के लिए अधिकतम ऋण सीमा प्रदान की है।
 
भारत मसीहा बनकर उभरा 
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने अब तक कई बार मदद पहुंचाई है। जानकारी के मुताबिक भारत ने श्रीलंका को उर्वरकों के आयात के लिए 5.5 करोड़ डॉलर तक के कर्ज की स्वीकृति दी है। भारतीय उच्चायोग के मुताबिक श्रीलंका को खाद्यान्न संकट से बचाने के लिए उर्वरक की खरीद में धन कमी नहीं आने देने के लिए अधिकतम ऋण सीमा प्रदान की है।
 
 
 

 

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