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करोड़ों की धोखाधड़ी : बैंक ने 180 लोगों के खिलाफ कराई एफआईआर...

 बेमेतरा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में इंडियन ओवरसीज बैंक ने 180 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराइ है। बैंक की आंतरिक जांच के बाद संबंधित लोगों की सूची कोतवाली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए किए गए आवेदन के साथ सौंपी गई है। लगभग 14 करोड़ 56 लाख की धोखाधड़ी के मामले में तत्कालीन बैंक प्रबंधक नितिन दास , कमलेश सिन्हा, जोहन सिंह वर्मा, नागेश कुमार वर्मा, टीकाराम माथुर समेत 180 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई हैं।

प्रार्थी रज्जु पाटनवार ने बताया कि आरोपी तत्कालीन बैंक प्रबंधक नितिन दास , कमलेश सिन्हा, जोहन सिंह वर्मा, नागेश कुमार वर्मा, टीकाराम माथुर समेत 180 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। स्थानीय बैंक शाखा के क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर से मिली जांच रिपोर्ट में आपराधिक षडयंत्र कर बैंक के नियमों का उल्लंघन करते हुए वित्तिय अनियमितता व अवैधानिक रूप से खातों में धन राशि अंतरण कर बैंक से 14 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी की पुष्टि हुई है। आरोपियों के खिलाफ धारा 420,  409, 120 बी, 34 भादवि के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया है। धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद नामजद पांच आरोपी फरार हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है।

बैंक के आंतरिक जांच में बड़ी गडबड़ी सामने आई हैं , जिसमें मुख्य रूप से कुछ मामले में यूनिट बंद मिले, एसएचजी ऋण के मामले में पहली व दूसरी दोष में बहुत उच्च राशि स्वीकृति, ग्राहक के हस्ताक्षर बिना खातों के बीच अनाधिकृत हस्तांतरण और एसएचजी पदाधिकारियों के बिना अनधिकृत नगदी निकास, जहां हस्ताक्षर मेल नही खाते। कृषि फार्म मेकाज्जिम सावधि ऋण के मामले में डीलर के खाते में स्वीकृत ऋण राशि का हस्तांतरण किया गया, लेकिन संपत्ति उपलब्ध नहीं थी। कुछ मामलों में सप्लायर का जीएसटी नंबर फर्जी थे एवं ऋण स्वीकृति करते समय शाखा द्वारा सप्लायर का रेसिडेंसियल सत्यापित नही किया गया था।

बैंक की आंतरिक जांच में खुलासा
बैंक की बेमेतरा शाखा की आंतरिक जांच में निलबिंत शाखा प्रबंधक विनीत दास की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। जिसमें गंभीर अनियमितता जैसे अंधाधुंध ऋण देना, संपत्ति का निर्माण न करना , ग्राहक द्वारा संदिग्ध बिल व नकली चालान प्रस्तुत करना, यूनिट का न होना, सार्वजनिक धन का डाइवर्जन इत्यादि प्रक्रियाओं का घोर उल्लंघन किया गया है। सभी धोखाधड़ी की घटनाएं तत्कालीन प्रबंधक ने विभिन्न कर्जदारों एवं बिचौलिए कमलेश सिन्हा, जोहन सिंह वर्मा, नागेश कुमार वर्मा और टीकाराम माथुर के साथ आपराधिक षडयंत्र कर किया है।

मत्स्य विभाग की योजनाओं में कई गड़बड़ी
मत्स्य विभाग को झूठा सैद्धांतिक स्वीकृति पत्र जारी कर ऋण लेने वाले उपभोक्ताओं को सात-सात लाख रुपए मत्स्य सावधि ऋण स्वीकृत की बात कही गई हैं, लेकिन शाखा के केसीसी ऋणों में प्रत्येक को दस-दस लाख रुपए मंजूर किए गए हैं। इन स्वीकृत ऋण से संबंधित यूनिट मौजूद नहीं है। मत्स्य विभाग से ऋण स्वीकृति करने के लिए आवेदन प्राप्त हुआ, जहां पूंजी सब्सिडी उपलब्ध हैं, लेकिन शाखा ने केसीसी योजना के तहत ऋण स्वीकृत किया गया था। शाखा द्वारा सब्सिडी का दावा नहीं किया गया। मत्स्य विभाग के साथ कई सँयुक्त निरीक्षण किया गया।

आरोपी बैंक के बिचौलियों के रूप में कर रहे थे काम
आरोपी कमलेश सिन्हा, जीवन सिंह वर्मा, नागेश कुमार वर्मा और टीकाराम माथुर शाखा में बिचौलियों के रूप में काम कर रहे थे। शाखा प्रबंधक ने अपने कार्यालय में हमारे बैंक द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का बिचौलियों और तीसरे पक्षकार से मिलिभगत कर विभिन्न ऋणों की स्वीकृति ग्राहकों को दिए। ग्राहकों के खाते में कई अनधिकृत लेन-देन किए गए। यह भी पाया गया कि राशि का हस्तांतरण एक ग्राहक के खाते से अन्य ग्राहक के खाते या बिचौलियों के खाते में बिना हस्ताक्षर और खाताधारक के उचित निर्देश के बिना किया गया है।

रज्जु पाटनवार, शाखा प्रबंधक, इंडियन ओवरसीज़ बैंक-बेमेतरा का कहना है कि बैंक की आंतरिक जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है। इसके बाद उच्च अधिकारियों के निर्देश पर 180 कर्जदारों के खिलाफ सिटी कोतवाली में अपराध दर्ज कराया गया है।

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