धर्म समाज

धर्म के नाम पर बेज़ुबान की बलि क्या सही है ? गीत के माध्यम से समाज को दिया बहुत ही सुन्दर संदेश


छत्तीसगढ़ में वैसे तो हर माह बहुत सारे गीत आते रहते हैं लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे गीत होते हैं जो लोगों के दिलों को छू जाते हैं और साथ ही बहुत ही सुन्दर संदेश इस गीत के माध्यम से समाज को दिया गया है। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के ऐसे सुप्रसिद्ध लोक गायक हिरेश सिन्हा जी के बारे में जिन्होंने एक ऐसा छत्तीसगढ़ी गीत माता जसगीत उन्होंने लिखा और गाया है और वह गीत है "तोला का बलि मैं देवंव दाई, जीव ला मारे में पीड़ा होते"। इस गीत के बारे में हमने हिरेश सिन्हा जी से बातचीत किया है उनका कहना है कि आप गाने के बोल से ही समझ पा रहे होंगे कि इस प्रेरणा दायक गीत का उद्देश्य क्या है। 


मैं आपको एक सच्ची घटना बताता हूँ मैं और मेरी धर्म पत्नी जीतेश्वरी सिन्हा एक मंदिर में गए जहाँ पर माता को बलि देने के नाम पर निरीह जीवों की निर्मम हत्या कर के उसको भोजन बना कर खा रहे थे लोगों का कहना था की ये माता का प्रसाद है। मंदिर के आस -पास निरीह जीवों के खून ही खून दिखाई दे रहे थे जिससे मन में निरीह जीवों के लिए  बहुत पीड़ा हो रही थी। 

हमें किसी ने बताया की पास के एक गांव के माता पिता के तीन संतान थे उनके साथ घटना ऐसी घटी की एक-एक कर के तीनो संतानों की मृत्यु हो गई, किसी ने उनको कहा की माता के मंदिर में दो बकरे की बलि चढ़ा दो सब कुछ ठीक हो जायेगा। महिला ने कहा की मैं बकरे की बलि नहीं दूंगी, मैं बलि के जगह एक बकरे की कीमत 15000 रूपए है तो दो बकरे का 30000 रूपए माता के मंदिर में चढ़ा दूंगी जिससे लोगों का भला हो। क्योंकि मैं भी एक माँ हूँ मुझे पता है की वो भी किसी माँ के बच्चे है आज अगर बलि के नाम पर निरीह जीवों की निर्मम हत्या होगी तो उसकी माँ की पीड़ा को मैं भली भांति समझ सकती हूँ। 

हिरेश सिन्हा ने कहा ये सुनकर मेरे मन में विचार आया की क्यों न ऐसा एक गीत बनाया जाय, जिससे की धार्मिक स्थलों पर देवी देवताओं को दी जाने वाली बलि प्रथा की विसंगति को दूर कर निरीह जीवों की निर्मम हत्या पर अंकुश लगाना है। मनुष्य इस धरती का सबसे कुशाग्र बुद्धि के बल पर शासन करने वाला प्राणी होकर निरीह जीवों की संरक्षण संवर्धन करने के बजाए रोज हत्या कर अपने प्रियकर भोजन का हिस्सा बना लिए है। और देवी देवताओं की पावन धाम को निरीह जीवों की बलि चढ़ाकर अपवित्र कर रहे है। मानव समुदाय के द्वारा होने वाले मानवीय भूल को इस गीत से हमे कुछ सबक और सीख लेकर निरीह जीवों के प्रति प्रेम, दया , करुणा ममता बरसाना होगा। और देवी देवताओं को पान फूल प्रसाद चढ़ाकरके प्रसन्न कर सर्व जन मंगल कल्याणकारी विचार से सभी के जीवन में सुख शांति समृद्धि लाना होगा। शिक्षाप्रद गीतो का सभ्य समाज सदैव अनुकरणीय रहेगा।


 

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