दुनिया-जगत

2008 से भी अधिक खतरनाक होगी ये आर्थिक मंदी, ये पांच कारण दे रहे संकेत, दुनियाभर में बढ़ी टेंशन

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पूरी दुनिया के गंभीर आर्थिक संकट में पहुंचने का खतरा बेहद बढ़ चुका है। मंदी की चिंता ने दुनियाभर में सप्लाई चेन को बाधित कर दिया है। महंगाई बेतहाशा बढ़ती जा रही है। आयात महंगा होने की वजह से कई देशों में विदेशी मुद्रा खत्म हो चली है। श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल सहित दुनिया के कई देश आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि क्या दुनिया सच में मंदी का सामना करने जा रही है? कुछ संकेतों से दुनियाभर में टेंशन जरूर बढ़ गयी है।

गिरी कच्चे तेल की कीमतें 
जब से यूक्रेन में संघर्ष शुरू हुआ है, तेल के सप्लाई चेन में भारी व्यवधान जारी है, जिससे कच्चे तेल और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। यूक्रेन संघर्ष से पहले, कच्चा तेल लगभग 90 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल था और फरवरी के अंत में एक सप्ताह से भी कम समय में बढ़कर 115 अमरीकी डॉलर हो गया था। वहीं, मार्च के अंत में कीमतों में मामूली गिरावट देखी गई, और यह अप्रैल की शुरुआत में USD 100 से नीचे चली गई। लेकिन बीते कई दिनों से यह 96 बैरल प्रति अमेरिकी डॉलर पर ट्रेंड कर रही है। कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट को संभावित मंदी की बढ़ती आशंकाओं के साथ-साथ विभिन्न केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक मौद्रिक नीति को सख्त करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने बढ़ाए ब्याज दर 
यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने 11 साल में पहली बार ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला किया है। 11 साल में पहली बार यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने नीतिगत दर में 0.50 फीसदी की दर से ब्याज दरों में इजाफा किया है। ब्याज दरों में ये तेजी उम्मीद से अधिक है। इसके साथ ही ईसीबी अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व और दुनिया के दूसरे प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंकों की श्रेणी में आ गया है, जिन्होंने महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों को और बढ़ा दिया है। केंद्रीय बैंक के इस फैसले के बाद से कर्ज और महंगा होने के दावे किए जा रहे हैं।

विश्व बैंक ने किया एलर्ट 
विश्व बैंक ने आर्थिक प्रगति को लेकर एक बयान दिया है। विश्व बैंक के बयान में कहा गया है कि साल 2022 के आखिर तक दुनिया की आर्थिक प्रगति कम होने की आशंका है। इसलिए ज्यादातर देशों को आर्थिक मंदी की तैयारी कर लेनी चाहिए। पूरी दुनिया ज्यादा महंगाई और कम विकास दर से जूझ रही है, जिसकी वजह से 1970 के दशक जैसी मंदी आ सकती है। दुनियाभर में इसका असर दिखने भी लगा है।

बड़ी टेक कंपनियों ने भर्ती प्रक्रिया धीमी की 
आर्थिक मंदी एक और ईशारा दुनिया की बड़ी कंपिनयों ने किया। इन बड़ी कंपनियों ने भर्ती प्रक्रिया धीमी कर दी है। गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट ने कहा है कि वह इस साल के बचे हुए महीनों में भर्ती की प्रक्रिया को धीमा करेगी। वह ऐसा आने वाले महीनों में संभावित मंदी को देखते हुए कर रही है। इससे पहले 2008-09 में जब आर्थिक मंदी आई थी, तो भी गूगल ने अपनी भर्ती प्रक्रिया रोक दी थी।
 

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