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भारत के दबाव पर श्रीलंका ने ‘जासूसी जहाज’ रोका, चीन में बवाल, राष्ट्रपति को चुपके से करनी पड़ी मीटिंग!

कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका के पोर्ट पर चीन के 'खुफिया जहाज' को लेकर अबतक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कभी हंबनटोटा पोर्ट पर चीनी जहाज के आने की अनुमति मिल जाती है तो कभी यह अनिश्चित काल के लिए टाल दिया जाता है। दरअसल भारत ने चीन के इस जहाज को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी, जिसके बाद श्रीलंका फैसला बदलने को मजबूर हो गया। श्रीलंकाई सरकार के निर्णय के बाद चीन में खलबली मच गयी है। इसके बाद कोलंबो में चीनी दूतावास सीनियर अधिकारियों के साथ एक मीटिंग बुलाई गई है।

चीनी दूतावास ने बुलाई बैठक
चीनी दूतावास ने वरिष्ठ श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ तत्काल एक बैठक बुलाई है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार ये बैठक श्रीलंका के उस फैसले के बाद बुलाई जा रही है जिसमें उच्च तकनीक वाले एक चीनी जहाज की निर्धारित यात्रा को स्थगित करने की बात कही गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि श्रीलंका ने ये फैसला भारत के दबाव में आकर लिया है। सूत्रों ने बताया कि कोलंबो में चीनी दूतावास ने श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय से इस तरह का संदेश मिलने के बाद इस मुद्दे पर चर्चा के लिए श्रीलंका के उच्च अधिकारियों के साथ तत्काल बैठक की मांग की है।

राष्ट्रपति ने चीनी राजदूत से मीटिंग की? 
यह स्पेस ऐंड सैटलाइट ट्रैकिंग रिसर्च वेसेल (जहाज) 11 से 17 अगस्त तक पोर्ट पर रहना था। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीन के दूतावास को एक पत्र लिखा और कहा, 'मंत्रालय निवेदन करना चाहता है कि अगले फैसले तक हंबनटोटा में आने वाले जहाज को रोक लिया जाए।' श्रीलंका के कई न्यूज पोर्टल ने भी इस बात की रिपोर्टिंग की थी। रिपोर्ट्स यह भी हैं कि राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग के साथ बंद कमरे में बैठक की है। हालांकि राष्ट्रपति कार्यालय ने इस बात से इनकार किया है। 

भारत के दबाव में श्रीलंका ने बदला फैसला 
इससे पहले श्रीलंका की पिछली गोटाबाया राजपक्षे सरकार ने 12 जुलाई को चीनी जहाज को अनुमति दी थी। खास बात यह है कि श्रीलंका से भागने से कुछ दिन पहले ही उन्होंने यह कदम उठाया था। उस वक्त यही कहा गया था कि चीन का यह जहाज केवल रीफ्यूलिंग के लिए यहां रुकेगा। हालांकि बाद में पता चला कि यह जहाज कम से कम सात दिनों के लिए हंबनटोटा में रुकने वाला है। शिप में 400 लोगों का क्रू है। साथ ही इस पर एक बड़ा सा पाराबोलिक एंटिना लगा हुआ है और कई तरह के सेंसर मौजूद हैं। इसके बाद भारत ने भी ऐतराज जताया।
 

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