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हिमालय के आर-पार रेल चलाने के लिए नेपाल को अरबों का कर्ज देगा चीन, श्रीलंका की तरह बर्बादी तय?


काठमांडू (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना और श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह के जरिए कर्ज के जाल में फंसा देने के बाद अब चीन ने नेपाल को बर्बाद करने की ठान ली है। चीन ने इस साल नेपाल को 118 मिलियन डॉलर कर्ज देने पर सहमति जताई है। चीन ने यह कर्ज नेपाल के साथ सीमा पार रेलवे कनेक्टिविटी नेटवर्क, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के हिस्से के तहत ये रुपये देने पर सहमति जताई है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने ये जानकारी दी है।

सर्वेक्षण के लिए विशेषज्ञों को भेजेगा चीन
चीनी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि चीन इस साल रेलवे लाइन के सर्वेक्षण के लिए विशेषज्ञों को भेजेगा। मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनके नेपाली समकक्ष, नारायण खडका के बीच बुधवार को पूर्वी चीनी शहर किंगदाओ में एक बैठक के दौरान इस पर सहमति बनी। प्रवक्ता वांग ने कहा, "जैसा कि मैंने अभी कहा, दोनों विदेश मंत्रियों ने अपनी बातचीत के दौरान एक क्रॉस-हिमालयन, बहुआयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क बनाने पर सहमति व्यक्त की है। स्टेट काउंसलर वांग ने कहा कि चीन पैसे लगाएगा, रेलवे लाइन के लिए अध्ययन करने में नेपाल की मदद करेगा और एक साल के अंदर विशेषज्ञों को जांच के लिए नेपाल भेजेगा।"

2019 में दोनों देशों के बीच हुआ था समझौता
ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क को ट्रांस-हिमालयी नेटवर्क के रूप में भी जाना जाता है। यह नेपाल और चीन के बीच एक आर्थिक गलियारा है। यह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है जो विशेष रूप से पूरे यूरेशिया में कनेक्टिविटी विकसित करता है। 2019 में नेपाल की यात्रा के दौरान इस कॉरिडोर पर चीनी राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव शी जिनपिंग ने नेपाल के साथ समझौता किया था। इस कॉरिडोर में कई परिवहन बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भी शामिल होंगी।

नेपाल को 800 मिलियन रुपये कर्ज देगा चीन
वांग और खडका की बैठक के बाद नेपाली विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि चीनी राजनयिक ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए नेपाल को अनुदान सहायता में 800 मिलियन नेपाली रुपये देने का वादा किया है। नेपाली बयान के अनुसार, वांग ने घोषणा करते हुए कहा कि चीन अनुदान सहायता के तहत केरुंग-काठमांडू रेलवे प्रोजेक्ट का अध्ययन करेगा। चीन ने मार्च 2022 में सहमति जताई थी कि नेपाल-चीन सीमा पार ट्रांसमिशन लाइन के अध्ययन का भी समर्थन करेंगे।" केरुंग-काठमांडू रेलवे ट्रांस-हिमालयी बहु-आयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क का हिस्सा है। इस योजना के लिए पहली बार 2017 में चीन और नेपाल के बीच औपचारिक रूप से सहमति हुई थी। उसी समय काठमांडू चीन के बीआरआई में शामिल हुआ था।

श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह होगी नेपाल की हालत
सूत्रों की मानें तो नेपाल की सीमा पर ट्रांस-हिमालयी रेलवे प्रोजेक्ट का असली मकसद भारत को घेरना है। इसके जरिये चीन तेजी से अपने सैनिकों को नेपाल की सीमा में भेज सकता है। नेपाल को भी यह अच्छी तरह से पता है कि काठमांडो चीन रेल संपर्क उसके लिए काफी कठिनाई वाला और महंगा साबित होगा। श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह नेपाल का भी अंजाम होगा, और वह हिमालय में मुश्किल और महंगी सुरंगों के निर्माण की लागत चुका नहीं पाएगा।

 

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