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हिजाब के खिलाफ नहीं थम रहा महिलाओं का गुस्सा, क्या ईरान में बड़ा बदलाव होने जा रहा है?

 

तेहरान (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ईरान में महसा अमिनी की मौत के बाद हिजाब के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। बड़ी संख्या में महिलाएं और लड़कियां सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतर गई हैं। महिलाएं हिजाब उतारकर और कई जगहों पर हिजाब जलाकर अपना विरोध जता रही हैं। इसी बीच ऐसे वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिनमें लड़कियां अपने बालों को कैंची से काटती हुई नजर आ रही हैं। इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए और लोगों को तितर-बितर करने के लिए ईरानी पुलिस द्वारा आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
फार्स समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को उत्तर पश्चिमी कुर्दिस्तान प्रांत के सानंदाज में लगभग 500 प्रदर्शनकारियों में से सुरक्षा बलों ने कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। ये प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। एजेंसी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने कुछ खड़ी कारों की खिड़कियां तोड़ दीं और डिब्बे में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। हालात काबू न होते देख पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

सरकार ने कहा- पिटाई से नहीं हुई मौत
राजधानी के पुलिस प्रमुख, जनरल होसैन रहीमी ने सोमवार को कहा कि 22 वर्षीय महसा अमिनी ने ड्रेस कोड का उल्लंघन किया था इसलिए पुलिस ने उसके रिश्तेदारों से 'सभ्य कपड़े' लाने को कहा था। जुलाई के अंत में, सरकार ने महिलाओं को ऐसे कोट पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था जो घुटनों, तंग पैंट और रिप्ड जींस के साथ-साथ चमकीले रंग के आउटफिट को कवर नहीं करते हैं। समाचार एजेंसी फार्स के मुताबिक महिला की मौत के बाद, पुलिस ने दावा किया कि अधिकारियों और पीड़िता के बीच 'कोई शारीरिक संपर्क नहीं' था। हालांकि, अधिकांश प्रदर्शनकारी पुलिस स्पष्टीकरण से आश्वस्त नहीं थे। उनका मानना है कि महसा की मृत्यु यातना के कारण हुई है।

सही वक्त पर अस्पताल जाती तो बच सकती थी जान
इस पहले राज्य टेलीविजन ने शुक्रवार को एक छोटा वीडियो फुटेज भी जारी किया था जिसमें एक महिला को एक पुलिसकर्मी के साथ बहस के बाद थाने में बहस करते हुए दिखाया गया था। दावा किया जा रहा है कि वह महिला महसा अमिनी है। पीड़िता के पिता अमजद अमिनी ने सोमवार को फार्स को बताया कि पुलिस जो क्लिप दिखा रही है उसे वह स्वीकार नहीं करते। उनका मानना है कि फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई है। इसके साथ ही उन्होंने आपातकालीन सेवाओं के धीमी प्रतिक्रिया को लेकर भी गहरी निराशा जताया। उन्होंने कहा कि अगर सही वक्त पर महसा को अस्पताल ले जाया जाता तो उसकी जान बच सकती थी। आंतरिक मंत्री अहमद वाहिदी ने शनिवार को कहा कि उन्हें रिपोर्ट मिली है कि आपातकालीन सेवा तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गई थी।

सरकार ने कहा, पहले से बीमार थी महसा
वाहिदी ने कहा, "महसा को जाहिर तौर पर पिछली शारीरिक समस्याएं थीं और हमने बताया है कि पांच साल की उम्र में उनकी मस्तिष्क की सर्जरी हुई थी।" वहीं महसा ने इससे इंकार करते हुए एजेंसी से कहा कि उनकी बेटी की बीमारी का कोई इतिहास नहीं था और वह पूर्ण स्वास्थ्य में थी। फार्स के अनुसार, पिता ने कहा, "मैंने कोरोनर से अपनी बेटी के पैरों पर चोट के निशान की जांच करने के लिए कहा, लेकिन दुर्भाग्य से उसने मेरे अनुरोध का जवाब नहीं दिया।"

महसा अमिनी के लिए इंसाफ की जंग
आपको बता दें कि, ईरानी महिलाओं का ये गुस्सा उस वक्त फूटा है, जब हिजाब नहीं पहनने की वजह से 22 साल की युवती महसा अमिनी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और फिर पुलिस हिरासत में ही उसकी संदिग्ध मौत हो गई। परिवार का आरोप है, कि पुलिस ने उसे बुरी तरह से प्रताड़ित किया था, जिसकी वजह से वो गंभीर घायल हो गई थी और बाद में उसकी मौत हो गई। मृतका महसा अमिनी की मां ने सीधे तौर पर पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस ने आरोपों को नकार दिया है। महसा अमिनी को 13 सितंबर को राजधानी तेहरान में गिरफ्तार किया गया था और 16 सितंबर को उनकी मौत हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही महसा अमिनी की हालत काफी खराब हो गई थी और फिर वो कोमा में चली गईं थीं, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वो अपने परिवार के साथ तेहारान घुमने आईं थीं, जहां से उन्हें हिजाब नहीं पहनने की वजह से गिरफ्तार किया गया था।

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