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गाम्बिया में 70 बच्चों के मौतों की जिम्मेदार थी भारतीय कंपनी? किस वजह से गई जानें, अब तक नहीं हुआ साबित


 गाम्बिया (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अफ्रीकी देश गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत कफ सीरप पीने से हो गई थी। शुरुआत में गाम्बिया सरकार ने ऐसा दावा किया गया कि इन बच्चों की मौत भारतीय कंपनी के कफ सीरप पीने से हुई है। लेकिन अब इस मामले में गाम्बिया सरकार ने यू-टर्न लेती दिखाई दे रही है। गाम्बिया सरकार ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि भारतीय कफ सीरप की ही वजह उन 70 बच्चों की मौत हुई है। मेडिसिन कंट्रोल एजेंसी के एक प्रतिनिधि ने रॉयटर से यह बात कही है।

स्वास्थ्य मंत्री ने भारतीय कंपनी को ठहराया था जिम्मेदार
इससे पहले गाम्बिया में हेल्थ मिनिस्टर अहमदौ लामिन समतेह ने पत्रकारों को बताया था कि भारत में बने कफ सीरफ से बच्चों की मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि पहले यह आंकड़ा 66 था जो कि अब बढ़कर 70 हो चुका है। इसके बाद गाम्बिया के राष्ट्रपति ने कहा कि देश में कफ सीरप पीने पर बैन लगा दिया गया है जिसके बाद से स्थिति नियंत्रण में है। द सोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गाम्बिया में हेल्थ डायरेक्टर मुस्तफा बिट्टाये ने सभी बच्चों की मौत के कारणों की पुष्टि करते हुए बताया था कि इन सभी बच्चों की मौत किडनी की गंभीर दिक्कतों की वजह से हुई है।

भारत ने उठाए थे सवाल?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने देश में इस तरह के सीरप की अनुमति देने के लिए गाम्बिया की स्क्रीनिंग और ऑडिट मानदंडों पर सवाल उठाया है। भारत सरकार के सूत्रों ने कहा है कि जिन 70 बच्चों की मौत हुई है, उनकी पीएम रिपोर्ट से पता चलता है कि उन्हें ई-कोलाई और डायरिया था, फिर उन्हें कफ सीरप देनी की वजह क्या थी?

WHO चीफ ने भारतीय कंपनी पर लगाया इल्जाम
WHO चीफ डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने भी भारतीय कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल्स पर ही इन मौतों का इल्जाम लगाया था। WHO ने पिछले महीने मेडिकल अलर्ट जारी कर सोनीपत में मेडेन फार्मास्यूटिकल के चार उत्पादों प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन, कोफ़ेक्समालिन बेबी कफ सीरप, मैकॉफ बेबी कफ सीरप और मैग्रीप एन कोल्ड सीरप को बेहद खराब मेडिकल प्रोडक्ट बताया था।

भारतीय सरकार ने उठाए कदम
गाम्बिया में बच्चों की मौत के मामले को गंभीरता से लेते हुए भारत में केंद्र सरकार ने जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। स्टेंडिंग नेशनल कमेटी ऑन मेडिसिन के वाइस चेयरमैन डॉ. वाई के गुप्ता की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया था। जांच रिपोर्ट आने तक कंपनी का तमाम तरह के निर्माण से जुड़े कार्या बंद कर दिये गये थे। इसके बाद 1, 3, 6 और 11 अक्टूबर को कंपनी के उत्पाद निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान इन जगहों से सैंपल इकट्ठा कर चंडीगढ़ की लैब में भेजा गया था।

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