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भारी कर्ज के बीच श्रीलंका और चीन की दोस्ती कायम, गोटबाया ने शी जिनपिंग को कहा धन्यवाद

 

कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका घोर आर्थिक संकट की दौर से गुजर रहा है। वहां की जनता खाद्य संकट से जूझ रही है और महंगाई की मार से उनकी कमर टूट चुकी है। ऐसे समय श्रीलंका को मदद के लिए भारत और चीन आगे आया। वहीं, दूसरी तरफ देश के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग को इन कठिन परिस्थितियों में साथ देने के लिए धन्यवाद दिया है।

गोटबाया ने शी जिनपिंग को धन्यवाद कहा श्रीलंका के राष्ट्रपति ने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग को जन्मदिन की बधाई देते हुए इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा, ऐसे कठिन परिस्थिति में चीन जैसे मित्र राष्ट्र ने अपनी मित्रता का परिचय देते हुए श्रीलंका का साथ दिया, इसके लिए शी जिनपिंग को धन्यवाद। गोटबाया राजपक्षे ने ट्वीट कर सबसे पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उनके जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने दोनों देशों के बीच आपसी संबंध में मजबूती आने की आशा जताई। बता दें कि, बीजिंग ने श्रीलंका को काफी कर्ज दे रखा है और ऐसे समय में श्रीलंका की स्थिति और भी अधिक खराब हो गई है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने चीन से बकाया कर्ज के पुर्नगठन की बात कही है।

चीन से भारी कर्ज ले रखा है श्रीलंका 
जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका ने चीन से इस साल 1.5 से 2 बिलियन अमेरिकी डालर कर्ज ले रखा है। पिछले कुछ सालों में श्रीलंका में चीन के ऋण और निवेश का अनुमान 8 बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक था। बता दें कि, चीन इन दिनों हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए श्रीलंका पर लगातार डोरे डाल रहा है। ड्रैगन ने भारत के इस पड़ोसी देश को इतनी अधिक मात्रा में कर्ज दिया हुआ है, जिसको श्रीलंका चाहकर भी अगले 100 साल में भी चुका नहीं पाएगा। यही कारण है कि श्रीलंका को अपना हंबनटोटा बंदरगाह चीनी कंपनी को 99 साल की लीज पर देना पड़ा है। 

ड्रैगन की जाल में श्रीलंका 
बता दें कि, श्रीलंका ने देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए चीन से फिर 2.2 बिलियन डॉलर (16 हजार करोड़ से अधिक) का नया कर्ज मांगा था। श्रीलंका पर चीन का पहले से ही अरबों डॉलर का कर्ज है। 

कितना कर्ज है श्रीलंका पर ?
 जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका पर दुनियाभर के देशों का कुल 55 अरब डॉलर का कर्ज है। रिपोर्ट के अनुसार, यह धनराशि श्रीलंका की कुल जीडीपी की 80 फीसदी है। इसमें सबसे अधिक कर्ज चीन और और एशियन डिवेलपमेंट बैंक का है। जबकि इसके बाद जापान और विश्व बैंक का स्थान है। भारत ने भी श्रीलंका को भारी कर्ज दे रखा है।
 

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