दुनिया-जगत

गेहूं के बाद चावल संकट में फंस सकती है दुनिया, भारत पर उम्मीद भरी नजर, परेशान हुए दर्जनों देश

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। गेहूं की बढ़ती कीमतों से परेशान भारत में लोग भोजन का सस्ता विकल्प चुनने के लिए चावल की तरफ अपना रूख कर सकते हैं, जिससे चावल की कीमतों में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है। पर्याप्त स्टॉक और मजबूत उत्पादन के कारण चावल की कीमत अभी स्थिर बनी हुई है। लेकिन यह बदल सकता है, अगर ग्राहक चावल की तरफ अपना ध्यान करते हैं तो। जिससे चावल के भंडार में कमी आ सकती है और निर्यात पर प्रतिबंध लग सकता है, लिहाजा एशियाई देशों के साथ साथ अमेरिका भी परेशान है।


अब चावल ने किया दुनिया को परेशान
चावल दुनिया की आधी से अधिक आबादी के लिए प्राथमिक ख्याद्य सामग्री है और इसका लगभग 90% एशिया में उगाया जाता है। वहीं, भारत सरकार और भारतीय किसान लगातार मॉनसून की तरफ निगाह बनाए हुए हैं, ताकि चावल की खेती अच्छी हो, जिससे खाद्य महंगाई को कंट्रोल में रकने के साथ साथ चावल की ग्लोबल सप्लाई भी की जा सकते। भारतीय डिप्लोमेसी के लिए चावल और गेहूं काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। जापान की फाइनेशियल होल्डिंग नोमूरा ने अपने एक नोट में कहा है कि, 'एक खाद्य पदार्थ की कीमत में इजाफा होने का असर दूसरे खाद्य पदार्थों पर पड़ता है, ऐसे में हमें लग रहा है कि, खाद्य महंगाई दर और भी ज्यादा बढ़ जाएगी। खासकर हम चावल की कीमत पर करीब से नजर रख रहे हैं। मौजूदा वक्त में चावल की कीमत में इजाफा होने की उम्मीद कम है, क्योंकि गेहूं की कीमत में उछाल के बाद भी चावल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रही हैं।'

आगे हो सकती है स्थिति गंभीर
गेहूं संकट के बीच वैश्विक चावल भंडार तेजी से कम हो सकता है और स्थिति को गंभीर होने में वक्त नहीं लगेगा। नोमूरा ने अपने नोट में कहा कि, 'हालांकि, अगर गेहूं की बढ़ती कीमतों से चावल की जगह ले ली जाती है, तो यह मौजूदा स्टॉक को कम कर सकता है, घरेलू खाद्य सुरक्षा कारणों से प्रमुख उत्पादकों चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, और समय के साथ चावल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। वर्ल्ड राइस एक्सपोर्ट इस सीजन में 52.6 मिलिय मैट्रिक टन रहा है, जो विश्व में कुल चावल उत्पादन (512.8 मिलियन मीट्रिक टन) का करीब 10.3 प्रतिशत है। लिहाजा, अगर गेहूं की तरफ से लोग चावल की तरफ शिफ्ट होते हैं, या फिर अगर कोई भी एक चावल निर्यातक देश चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है, तो वैश्विक चावल बाजार पर व्यापक असर पड़ सकता है।

वैश्विक चावल उत्पादन में भारत
संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022-23 में चावल की वैश्विक खपत और चावल के वैश्विक उत्पादन में वृद्धि में भारत का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसके अलावा, भारत का निर्यात 10 लाख टन से बढ़कर रिकॉर्ड 2 करोड़ 20 लाख टन होने का अनुमान है, जो वैश्विक शिपमेंट का लगभग 41% हिस्सा है। भारत का अनुमानित निर्यात चावल के अगले तीन सबसे बड़े निर्यातकों, थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान के संयुक्त शिपमेंट से काफी ज्यादा है। भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है और कई देश चिंतित हैं, कि अगर गेहूं और चीनी की तरह, भारत ने चावल निर्यात पर भी नियंत्रण रखने के लिए प्रतिबंधों का ऐलान किया, तो उनकी स्थिति बिगड़ सकती है। हालांकि, भारत सरकार ने आश्वासन दिया है, कि वह ऐसा नहीं करेगा। लेकिन, इस परिदृश्य में, योजनाओं में अचानक बदलाव खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति को बढ़ा सकता है।

इस साल मुद्रास्फीति ज्यादा रहने की उम्मीद
जब भारत में खाद्य मुद्रास्फीति की बात आती है, तो जापानी फाइनेशियल फर्म नोमुरा को उम्मीद है कि यह 2022 तक ऊंचा रहेगा और वार्षिक आधार पर औसतन 8.0% तक रहेगा, तो साल 2021 में 3.7% के मुकाबले ढाई गुना से ज्यादा है। नोमुरा ने यह भी कहा है कि, जब स्थानीय अज्ञात कारकों के साथ संयुक्त, फीडस्टॉक की बढ़ती लागत, उर्वरक कमी को दक्षिण कोरिया, भारत, हांगकांग, फिलीपींस और सिंगापुर से जोड़ दिया जाए, तो एशिया में खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति इस साल काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

वैश्विक चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी
भारत, दुनिया में गेहूं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक, जिसने गेहूं निर्यात प्रतिबंध लगा दिए हैं। क्योंकि तेज गर्मी के कारण इस साल के लिए गेहूं के उत्पादन का अनुमान तेजी से कम हो गया था और वैश्विक बाजार चिंतित थे कि चावल अगला टारगेट हो सकता है। नेशनल कमोडिटीज मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रबंध निदेशक सिराज चौधरी ने इस महीने की शुरुआत में ब्लूमबर्ग टीवी से बात करते हुए बताया था कि, 'जैसा कि आज चीजें दिखाई दे रही हैं, फसलों के अच्छे मानसून को देखते हुए आशावादी होने का हर कारण है।" उन्होंने कहा, "विश्वास करने का कोई कारण नहीं है" कि चावल के शिपमेंट पर कोई प्रतिबंध लग सकताहै, क्योंकि भारत अपने उत्पादन का केवल 20% ही निर्यात करता है और भारत के पास पर्याप्त स्टॉक है'। यानि, चावल पर भारत का रूख क्या होगा, उसने दुनिया को टेंशन में डाल रखा है, लिहाजा उम्मीद यही की जा रही है, कि इस बार मॉनसून अपने साथ अच्छी बारिश लेकर आए, ताकि भारत के साथ साथ दुनिया के बाकी देश भी खाद्य संकट से बच सकें।
 

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