श्रीलंका संकट: इस हफ्ते नए PM और कैबिनेट का ऐलान
कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पड़ोसी देश श्रीलंका आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक संकट से भी गुजर रहा है। आजादी के बाद से अब तक के सबसे बुरे हालातों का सामना कर रहा श्रीलंका पूरी तरह से चरमरा गया है। सरकार के खिलाफ जहां एक तरफ वहां की जनता सड़क पर हिंसक प्रदर्शन कर रही है तो दूसरी तरफ उपद्रवी जमकर ताडंव मचा रहे हैं। ऐसे हालातों के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है कि वे इस हफ्ते एक नए प्रधानमंत्री और कैबिनेट को नियुक्त करेंगे।
श्रीलंका की न्यूज एजेंसी न्यूजवायर के मुताबिक राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि देश के स्थिर होने पर वह कार्यकारी राष्ट्रपति के पद को समाप्त करने के लिए तैयार हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने बुधवार को घोषणा करते हुए कहा कि वह नई सरकार के गठन के संबंध में विपक्ष के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के बाद कार्यकारी राष्ट्रपति पद को समाप्त करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह 19वें संशोधन को वापस लाकर संसद को सशक्त करेंगे।
उनका यह बयान यूएनपी नेता रानिल विक्रमसिंघे और राष्ट्रपति राजपक्षे के बीच हुई बैठक के बाद आया है। श्रीलंका के समागी जन बालवेगया (एसजेबी) के संसदीय समूह ने पिछले महीने 20वें संशोधन को रद्द करने और कार्यकारी राष्ट्रपति पद की शक्तियों को हटाने के लिए एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया था। श्रीलंकाई सांसद हर्षना राजकरुणा ने कहा था कि राष्ट्रपति की शक्तियों को खत्म करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन लाया जाएगा। देश के सेंट्रल बैंक के गवर्नर नंदलाल वीरसिंघे ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगर राजनीतिक स्थिरता हासिल नहीं हुई तो श्रीलंका की आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी क्योंकि वहां बड़े पैमाने पर हिंसा जारी है। राजधानी कोलंबो में एक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए वीरसिंघे ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और अन्य राजनीतिक नेताओं को बता दिया है कि अगर आने वाले हफ्तों में मौजूदा राजनीतिक संकट का समाधान नहीं हुआ तो वह पद से हट जाएंगे।
केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने कहा कि ऐसे देश में अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना चुनौतीपूर्ण है, जहां कानून और व्यवस्था बनाए नहीं रखी गई। इधर, देश में हिंसा भड़कने के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। सोमवार को सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ सरकार समर्थक समूहों की झड़प के बाद देश में कई हिंसक घटनाएं हुई हैं, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोग घायल हो गए।