दुनिया-जगत

सूडान के अर्द्धसैनिक बल ने गांव पर किया हमला, 85 लोगों की मौत...

  सूडान के अर्द्धसैनिक बलों के हमले में 85 लोगों की मौत की खबर है। सूत्रों के अनुसार, सूडान की पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्सेस ने सूडान के एक केंद्रीय गांव पर हमला कर 85 लोगों की हत्या कर दी। सूडान में बीते 18 महीने से चल रहे संघर्ष में यह हिंसा की ताजा घटना है। घटना बीते हफ्ते की है। इससे पहले जुलाई में भी रैपिड सपोर्ट फोर्स ने सेन्नार प्रांत के गलगनी इलाके में भी हमला किया था।


महिलाओं का अपहरण रोकने की वजह से हुआ हमला
जानकारी के अनुसार, सूडान की पैरामिलिट्री फोर्स रैपिड सपोर्ट फोर्स के कुछ जवान गांव पहुंचे थे और उन्होंने यौन शोषण के उद्देश्य से कुछ महिलाओं और लड़कियों का अपहरण करने की कोशिश की। जिसका गांव के लोगों द्वारा विरोध किया गया। विरोध के चलते जवान मौके से भाग गए। हालांकि कुछ देर बाद ही बड़ी संख्या में पैरामिलिट्री के जवान कई वाहनों में सवार होकर गांव पहुंचे और उनके साथ बड़ी संख्या में स्वचालित हथियार भी थे। पैरामिलिट्री के जवानों ने आते ही गांव वालों पर फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें महिलाओं, बच्चों समेत 85 लोगों की मौत होने का दावा किया जा रहा है।

सूडान में सेना और अर्द्धसैनिक बल आमने-सामने
सूडान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि हमले में 150 गांव वाले घायल भी हुए हैं। बता दें कि सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्स पर अक्सर नरसंहार, दुष्कर्म और हिंसा के आरोप लगते रहते हैं। सूडान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि हमले में 150 गांव वाले घायल भी हुए हैं। बता दें कि सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्स पर अक्सर नरसंहार, दुष्कर्म और हिंसा के आरोप लगते रहते हैं। सूडान की सेना और वहां के अर्द्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी आरएसएफ के बीच बीते साल अप्रैल से टकराव चल रहा है। इस दौरान हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है। दरअसल में सूडान में नागरिक सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने की मांग को लेकर 2021 से ही संघर्ष चल रहा है। मुख्य विवाद सेना और अर्द्धसैनिक बल आरएसएफ के विलय को लेकर है।

सेना प्रमुख और आरएसएफ प्रमुख की लड़ाई में जल रहा देश


अक्तूबर 2021 में सूडान में तख्ता पलट के बाद से ही सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान देश की कमान संभाल रहे हैं। वहीं अर्द्धसैनिक बल आरएसएफ के प्रमुख हमदान दगालो यानी हेमेदती देश के दूसरे नंबर के नेता हैं। सेना की कोशिश है कि आरएसएफ का सेना में विलय हो जाए। हालांकि करीब एक लाख की तादाद वाली आरएसएफ के विलय के बाद सेना का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर सहमति नहीं बन पा रही है। इसके बाद ही विवाद शुरू हुआ, जो हिंसा में बदल गया और बीते एक साल से हिंसा जारी है। 

 

 

 

Leave Your Comment

Click to reload image