शिक्षा

बाल-बालिका, विशेष गृह व नारी निकेतन में शिविर

 अम्बिकापुर (छत्तीसगढ़ दर्पण)। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष आर. बी. घोरे के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अमित जिन्दल ने बाल संप्रेक्षण गृह, बालिका संप्रेक्षण गृह, विशेष गृह व नारी निकेतन अम्बिकापुर का भ्रमण कर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया।

अमित जिंदल ने बाल संप्रेक्षण गृह में बताया कि बालक को नि:शुल्क प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21-ए में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है। अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पारित किया गया, जिसकी धारा 3 में प्रत्येक बालक को प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने का अधिकार है। धारा 5 के अनुसार बिना टीसी के भी प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार है। बालिका संप्रेक्षण गृह में किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 30 के उपखंड 13 के तहत लैंगिक रूप से दुव्र्यवहार से ग्रस्त बालकों के पुनर्वास के लिए बाल कल्याण समिति कार्य करेगी।

उन्होंने विशेष गृह में कहा कि विधिक सेवाएं और उनके संरक्षण के लिए विधिक सेवाएं योजना 2015 भी बालकों के लिए एक मील का पत्थर है, जिसमें बच्ची को विधिक प्रतिनिधित्व, उनके साथ अच्छा व्यवहार, उन्हें सुनवाई का अधिकार सुरक्षा का अधिकार, जेल या हवालात में नहीं रखे जाने का अधिकार है। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 10 का परंतुक इस बारे में स्पष्ट प्रावधान करता है तथा बालक की यदि गिरफ्तारी होती है, तो उक्त अधिनियम की धारा 13 के अनुसार उसके माता-पिता या संरक्षक को इस बारे में सूचना दी जाएगी।

जिंदल ने नारी निकेतन में बताया कि छत्तीसगढ़ टोनही प्रताडऩा निवारण अधिनियम 2005 की धारा 5 के अनुसार जो कोई टोनही के रूप में पहचानी गई किसी महिला को शारीरिक या मानसिक रूप से क्षति पहुचाएगा तो वह जुर्माने सहित 5 वर्ष की कठोर कारावास से दण्डनीय होगा। धारा 6 के अनुसार जो कोई यह दावा करता है कि वह टोनही के रूप में पहचानी गई किसी महिला का झाड़ फूंक आदि से ईलाज कर सकता है, तो व जुर्माना सहित 5 वर्ष की कठोर कारावास से दंडनीय होगा। धारा 7 की के अनुसार कोई टोनही के रूप में किसी प्रकार की क्षति कारित की शक्ति रखने का दावा करता है तो वह जुर्माने सहित 1 वर्ष की कठोर कारावास से दण्डनीय होगा।

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