टोक्यो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सात दशकों के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है, जब जापान अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी का गठन करने वाला है और दो विश्वयुद्ध लड़ने वाला जापान अब अपनी मिलिट्री का गठन करने जा रहा है। चीन की आक्रामकता से डरकर जापान ने अपनी आर्मी गठन करने का फैसला किया है। माना जा रहा है, कि इस शुक्रवार जापान अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का अनावरण करेगा।
जापान करेगा सेना का निर्माण
जापान के खिलाफ उसके दोनों पड़ोसी चीन और उत्तर कोरिया आक्रामक रूख अपना रहे हैं, जिसने जापान को अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीरता से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। माना जा रहा है, कि अपनी नई सेना के निर्माण के साथ जापान भारी संख्या में मिसाइलों और साइबर युद्ध की क्षमता बढ़ाने पर खर्च करने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में होने वाला ये परिवर्तन तीन डॉक्यूमेंट्स (1) द नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी, (2) द नेशनल डिफेंस प्रोग्राम गाइडलाइंस और (3) द मिड टर्म डिफेंस प्रोग्राम के आधार पर होगा। इसके आधार पर जापान की सरकार ये भी तय करेगी, देश में सेना के निर्माण पर सरकार अगले पांच सालों में कितने रुपये खर्च करेगी।
काउंटर स्ट्राइक की क्षमता में करेगा इजाफा
रिपोर्ट को मुताबिक, जो जानकारियां मिल रही हैं, उसमें जापान अपनी काउंटर स्ट्राइक की क्षमता के विकास पर सबसे ज्यादा ध्यान देने वाला है। जापान के संविधान में शांति के रास्ते पर चलना लिखा हुआ है, लिहाजा जापान के पास अभी जो मिसाइलें हैं, उसकी क्षमता ज्यादा से ज्यादा कुछ सौ किलोमीटर तक की ही है। लिहाजा, इस बात की संभावना जताई जा रही है, कि जापान अपनी मिसाइल क्षमता में जबरदस्त इजाफा करेगा और जमीन, समुद्र और हवा से लान्च की जाने मिसाइलों की क्षमता में इजाफा करेगा।
-टोक्यो का मानना है कि, अगर जापान काउंटर स्ट्राइक की क्षमता में इजाफा करता है, तो युद्ध की स्थिति में वो अपने ऊपर होने वाले हमलों को रोक सकता है। जापान पिछले दो सालों से अपनी इस क्षमता को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। अपने सबसे हालिया बजट अनुरोध में, जापानी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि, वह 2026 तक अपनी जमीन से लॉन्च की जाने वाली टाइप-12 एंटी-शिप मिसाइलों की क्षमता का विस्तार करेगा और हाइपरसोनिक हथियारों सहित अन्य मिसाइलों को विकसित करने की उसकी योजना है।
अमेरिका से हथियार खरीदने की योजना
-योजना की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा है कि, जापान जहाज से लॉन्च की जाने वाली, यूएस-निर्मित टॉमहॉक मिसाइलें भी खरीद सकता है। योमिउरी अखबार ने बताया कि, टोक्यो 500 से ज्यादा क्रूज मिसाइल खरीदना चाहता है, जो 1,250 किमी तक उड़ सकती हैं।
-रक्षा मंत्रालय पांच वर्षों में अपनी सेना पर 300 अरब डॉलर से अधिक खर्च करेगा, जापानी अधिकारियों ने अपने रक्षा बजट को सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2% दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
-इसमें से लगभग 22 अरब डॉलर साइबर युद्ध संचालन और 14 अरब डॉलर अंतरिक्ष क्षमताओं में इजाफा करने में खर्च किए जाएंगे। योमिउरी अखबार ने दावा किया है, कि उसने सरकार का मसौदा देखा है।
अमेरिकी सेना के साथ ज्वाइंट कमांड
- अपनी वायु, समुद्र और थल सेना के बेहतर समन्वय के लिए जापान अपना पहला संयुक्त कमांड सेंटर स्थापित करेगा। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री किशिदा की सत्तारूढ़ पार्टी ज्वाइंट यूएस-जापान कमांड बनाने पर भी चर्चा कर रही है।
-योमिउरी अखबार ने कहा कि, जापान सरकार पांच साल के भीतर लगभग 70 युद्ध सामग्री डिपो और 2035 तक 130 डिपो बनाने की भी योजना बना रही है। सैन्य योजनाकारों को चिंता है कि, जापान के पास एक लंबे संघर्ष के लिए बहुत कम गोला-बारूद है, लिहाजा अगर जापान में भी यूक्रेन जैसे हालात बनते हैं, तो फिर जापान के लिए खुद को बचाना मुश्किल होगा। जापान के पास काफी कम हथियार होने के साथ साथ स्पेयर पार्ट्स का स्टॉक भी काफी कम है।
- निक्केई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान के उत्तर में होक्काइडो द्वीप पर सेना के लगभग 70% हथियार संग्रहीत हैं और ये हथियार शीतयुद्ध काल के हैं, जब जापान का सैन्य विरोधी सोवियत संघ हुआ करता था।
- जापान अब अपने दक्षिण-पश्चिमी द्वीप श्रृंखला के साथ चीन को अपना मुख्य खतरा मानता है, जिसका हेनकाकू द्वीप के साथ विवाद चल रहा है।