दुनिया-जगत

सोना समझकर जिस पत्थर को वर्षों तक सहेजकर रखा, वह और भी अनमोल और दुर्लभ निकला


कैनबरा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ऑस्ट्रेलिया में एक व्यक्ति को सोने की खदान से 17 किलो का एक पत्थर मिला। उसपर सुनहरे रंग की मौजूदगी की वजह से उसे जरा भी संदेह नहीं था कि वह सोना नहीं है। उसे अपने हाथ सोने का खजाना लगने का अनुभव हो रहा था। लेकिन, वर्षों गुजर गए, वह उस चट्टान के टुकड़े को तोड़ नहीं पाया। उससे जितना भी जतन हो सकता था, सब किया लेकिन पत्थर नहीं तोड़ पाया। वर्षों बाद वह मायूस होकर उस टुकड़े को म्यूजियम वालों को देने पहुंचा। वहां मौजूद जियोलॉजिस्ट उसकी पड़ताल में जुटे। प्रोफेशनल तरीके से उसपर रिसर्च करना शुरू किया। अंत में पता चल गया कि वह चीज है क्या ? वह सोने से कहीं ज्यादा मूल्यवान चीज निकली, जो तीसरी दुनिया से धरती पर पहुंची है।

पत्थर से सोना निकालने की कोशिश में जुटा था शख्स
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न के पास 2015 में डेविन होल नाम के एक शख्स अपने खोजी अभियान में लगे हुए थे। घटना मैरीबोरो रीजनल पार्क की है। वहां पर उन्हें एक असामान्य सा पत्थरनुमा कोई चीज दिखी। इस काम के लिए वह मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल करते थे। उन्हें वहां एक बड़ा लाल रंग का पत्थर जैसा कुछ मिला था, जिसपर पीले रंग जैसा कुछ फैला हुआ था। मैरीबोरो ऑस्ट्रेलिया की वह जगह है, जहां सोने की खदान है। 19वीं सदी में यहां खोने की खूब खुदाई होती थी। इसलिए उन्हें विश्वास हो गया कि यह पत्थर असल में सोना ही है। सोना निकालने के लिए वह तभी से इसे तोड़ने की कोशिशों में जुट गए।

अनमोल और दुर्लभ उल्का पिंड मिला
उन्होंने पार्क से मिले चट्टान के टुकड़े को आरी से काटना चाहा, ड्रिल करने की कोशिश की और यहां तक कि एसिड में भी डुबो दिया। लेकिन, उन्हें सफलता नहीं मिली। क्योंकि, वह गलत थे। उन्हें जो चीज मिली थी, वह इस दुनिया से बाहर की चीज थी। खैर, वर्षों बाद होल उस पत्थर की पहचान के लिए उसे मेलबर्न म्यूजियम लेकर पहुंचे। वहां उन्हें मालूम पड़ा कि वह जिस पत्थर से सोना निकालने के फिराक में थे, वह दरअसल उससे भी अनमोल और दुर्लभ चीज है। वह सोना नहीं, उससे भी मूल्यवान उल्का पिंड है। क्योंकि, उसमें जो तत्व मौजूद हैं, वह धरती पर नहीं मिलते।

460 करोड़ साल पुराना है उल्का पिंड
म्यूजियम के एक जियोलॉजिस्ट डर्मोट हेनरी ने दावा किया कि उनके 37 साल के कार्यकाल में उन्हें सिर्फ दो ही असली उल्का पिंड हाथ लगे हैं, जिसमें से एक होल लेकर पहुंचे थे। 460 करोड़ साल पुराने इस उल्का पिंड को मैरीबोरो नाम दिया गया, क्योंकि यह उसी स्थान से मिला था। इस खोज के बारे में शोधकर्ताओं ने एक वैज्ञानिक शोध प्रकाशित की है। शोधकर्ताओं ने इस उल्का पिंड की बनावट के बारे में जानने के लिए हीरे की आरी का इस्तेमाल किया। इसके पतले टुकड़े निकाले। मैरीबोरो एक विशाल एच5 ऑर्डिनरी क्रोंड्राइट (chondrite) है, जिसका वजन 17 किलो ग्राम है। इसकी परत निकालने पर धात्विक खनीजों के छोटे-छोटे क्रिस्टल ड्रॉप कोंडरुल्स (chondrules) दिखते हैं। इसमें लोहा भी है।

उल्का पिंड आकाशगंगा को समझने का जरिया- वैज्ञानिक
हेनरी के मुताबिक उल्का पिंड अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च करने के सबसे सस्ते साधन हैं। उनका दावा है कि कुछ उल्का पिंड हमें हमारे सोलर सिस्टम से भी पुराने अंतरिक्ष की जानकारी देते हैं। यह बता सकते हैं कि तारे कैसे पैदा हुए और कैसे उनका विकास होता है। एक्सपर्ट का मानना है कि मैरीबोरो उल्का पिंड का मूल्य सोने से कहीं ज्यादा हो सकता है, क्योंकि यह बहुत ही ज्यादा दुर्लभ है। ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में अबतक सिर्फ 17 उल्का पिंड मिले हैं, जिसमें से यह दूसरा सबसे बड़ा क्रोंड्राइट का टुकड़ा है। 2003 में एक और उल्का पिंड मिला था, वह 55 किलोग्राम का था।

इस उल्का पिंड पर और शोध की आवश्यकता
डर्मोट के मुताबिक उल्का पिंडों में कई बार जीवन के संकेत छिपे होते हैं, जो अमीनो एसिड के रूप में होते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक अभी तक यह जानकारी नहीं जुटा पाए हैं कि मैरीबोरो उल्का पिंड आकाशगंगा के किस क्षेत्र से धरती पर आया है। वैसे अनुमान लगाया जा रहा है कि यह बृहस्पति और मंगल के बीच चक्कर काट रहे उल्का पिंडों के किसी समूह से छिटक कर धरती पर आ गिरा हो। लेकिन, इसकी पुष्टि के लिए अभी बहुत ज्यादा रिसर्च की आवश्यकता है।
 
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एलन मस्क ने ट्रम्प का ट्विटर अकाउंट बहाल किया

 वॉशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट बहाल कर दिया गया है। ट्विटर के मालिक एलन मस्क ने ट्रंप की वापसी से जुड़ा एक पोल ट्विटर पर कराया। इस पोल में ज्यादातर लोगों ने कहा है कि ट्रंप का ट्विटर अकाउंट बहाल किया जाए। 6 जनवरी 2021 को अमेरिका के कैपिटल हिल पर डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने हमला किया था।

ऐसा तब हुआ था जब अमेरिका में चुनाव के परिणाम आ गए थे और जो बाइडन को बहुमत मिला था। लेकिन ट्रंप लगातार चुनावों में धांधली की बात करते रहे। एलन मस्क ने एक पोल ट्विटर पर डाला और लिखा, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को बहाल करें? इसके साथ उन्होंने हां और न का विकल्प भी रखा। एलन मस्क ने पोल रिजल्ट की घोषणा करते हुए खाते की बहाली का ऐलान किया। एलन मस्क ने बताया कि 51.8 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया है और ट्रंप के अकाउंट बहाली का समर्थन किया है।

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बेट्सी शावेज बनी पेरू की नई प्रधानमंत्री

 लीमा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पेरू के राष्ट्रपति प्रेडो कैस्टिलो ने एनीबल टोरेस की जगह बेट्सी शावेज को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। टोरेस ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया था। रिपोर्ट के अनुसार पूर्व में संस्कृति मंत्री और श्रम और रोजगार प्रोत्साहन मंत्री के रूप में काम कर चुकी शावेज को शुक्रवार को राजधानी लीमा के गवर्नमेंट पैलेस में आयोजित एक समारोह के दौरान शपथ दिलाई गई।

टोरेस के इस्तीफे से उत्पन्न कार्यकारी और विधायी शाखाओं के बीच नए तनाव के बीच वह प्रधान मंत्री बनीं, जिन्होंने विधायिका द्वारा एक विधेयक के अनुमोदन के लिए विश्वास मत के उनके अनुरोध को अस्वीकार करने के बाद पद छोड़ दिया था।

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स्वीडनः ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ही देश के खिलाफ ठोक दिया केस, जानें क्या है मामला

 

स्वीडन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। स्वीडन की चर्चित क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ही देश के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है। थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने में विफल रहने के लिए स्वीडन के खिलाफ एक क्लास एक्शन मुकदमा दायर किया है। स्वीडन के खिलाफ यह कड़ा रुख अख्तियार करने में ग्रेटा थनबर्ग का सहयोग 600 बच्चे और युवा कर रहे हैं। यह मुकदमा जलवायु से जुड़ी कानूनी कार्रवाई का हिस्सा है।

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में सुनाया था अहम फैसला
स्टॉकहोम में शुक्रवार को दायर मुकदमे में ग्रुप ने अदालत से अपील की है कि सरकार पेरिस समझौते के लक्ष्यों के मुताबिक ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बनाए रखने के लिए वैश्विक उपाय करे। स्वीडन में जलवायु से जुड़ा यह मामला नीदरलैंड के उस हाई-प्रोफाइल केस के बाद आया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में फैसला सुनाया था कि ये सरकार का कानूनी दायित्व है कि वह ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए उचित कदम उठाए।

'स्वीडन की नीतियां जलवायु कानूनों के खिलाफ'
मुकदमा दायर करने वाले इस ग्रुप का दावा है कि स्वीडन की जलवायु नीतियां न सिर्फ देश के संविधान का उल्लंघन करती हैं बल्कि मानवाधिकारों पर यूरोपीय सम्मेलन की भी तौहीन भी करती है। समूह ने एक बयान में कहा, "स्वीडन वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक अच्छा वातावरण देने और बेहतर विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक चीजों को पूरा करने में विफल रहा है।"

क्लाइमेट लॉ अपना चुका है स्वीडन
बतादें कि स्वीडन ने वर्ष 2017 में एक 'क्लाइमेट लॉ' यानी जलवायु कानून को अपनाया था। इस कानून के मुताबिक स्वीडन को 2045 तक के लिए सेट किए नेट-जीरो कार्बन एमिशन टारगेट हासिल करने के लिए, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए काम करना है। इक्कीसवीं शताब्दी के खत्म होने तक ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के 2015 के पेरिस समझौते के टारगेट को पूरा करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करना बेहद जरूरी है।

रूस-यूक्रेन के बाद स्थितियां बदली
हालांकि, फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से स्थितियां बदल चुकी हैं। यूरोपीय देशों ने ऊर्जा आपूर्ति के लिए एक हाथापाई शुरू कर दी है, जिससे जलवायु संबंधी सारे प्रयास अब पीछे छूट चुके हैं। फिलहाल स्वीडन में पहली बार उल्फ क्रिस्टर्सन के नेतृत्व में एक दक्षिणपंथी सरकार बनी है। नई सरकार की नीतियों से भी जाहिर होता है कि वह जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों को लेकर गंभीर नहीं है।

बेहतर परिणाम हासिल नहीं कर पाई COP27
इस साल मिस्र में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित हुई जलवायु वार्ता भी कोई खास मुकाम हासिल करने में असफल साबित हुई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटा थनबर्ग ने कहा कि जलवायु कानूनों को और अधिक सख्त किए जाने की जरुरत है। ग्रेटा ने कहा कि हमारे पास ऐसे कानून बिल्कुल नहीं हैं, जो जलवायु और पर्यावरण से आने वाले खतरों के परिणामों से लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान कर सकें। हालांकि जो हम कर सकते हैं, उन्हें करना जारी रखना चाहिए।
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मलेशिया में विपक्ष के नेता अनवर इब्राहिम बने नए प्रधानमंत्री

 मलेशिया (छत्तीसगढ़ दर्पण)। मलेशिया में विपक्ष के नेता अनवर इब्राहिम ने देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। शाह अल-सुल्तान अब्दुल्ला ने उन्हें प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया। देश में हाल में सम्पन्न संसदीय चुनाव में श्री अनवर और उनके प्रतिद्वंदी पूर्व प्रधानमंत्री मुहीदीन यासिन में से किसी को भी सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं मिला। कई संविधान विशेषज्ञों से विचार विमर्श के बाद शाह अब्दुल्ला ने 75 वर्षीय अनवर इब्राहिम अब्दुल्ला को देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया।

 


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चीन ने 10 जगहों पर हड़पी नेपाली जमीन, हिंदुओं को मंदिर जाने पर भी लगाई रोक-रिपोर्ट


काठमांडू (छत्तीसगढ़ दर्पण)। China Nepal land grab: नेपाल की पिछली कम्युनिस्ट सरकार पूरी तरह से चीन की गोद में बैठी थी, जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं। नेपाल सरकार की एक सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन एक-दो नहीं कम से कम 10 जगहों पर उसकी जमीन को अपनी सीमा में मिला चुका है। रिपोर्ट में यह तक बताया जा रहा है कि कुछ इलाकों में तो चीन इतनी दादागीरी पर उतर आया है कि हिंदुओं और बौद्धों को मंदिरों तक जाने से भी रोक रहा है। लेकिन, हैरानी की बात है कि नेपाल की तमाम सरकारें इस मसले पर संदिग्ध चुप्पी साधे रही हैं और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार अपने खौफनाक इरादों को अंजाम देने में जुटी हुई है।

चीन ने नेपाल की 36 हेक्टेयर जमीन पर किया कब्जा- रिपोर्ट
चीन ने सलामी स्लाइिसिंग की अपनी रणनीति पर चलते हुए नेपाल की उत्तरी सीमा पर बहुत बड़ा खेल कर दिया है। चीन ने नेपाल के उत्तरी बॉर्डर पर कम से कम 10 स्थानों पर नेपाली जमीन पर कब्जा कर लिया है। नेपाली कृषि मंत्रालय की ओर से जारी सर्वे दस्तावेजों के मुताबिक चीन 36 हेक्टेयर नेपाली जमीन को अपने हिस्से में मिला चुका है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने विभिन्न माध्यमों से जो जानकारी उपलब्ध की है, उसके मुताबिक नेपाली गृह मंत्रालय भी अब इस नतीजे पर पहुंचा है कि सीमा मुद्दे को नेपाल की 'स्टेट पॉलिसी' के रूप में आवश्यक तौर पर शामिल करना होगा। शायद चीन नेपाल के साथ अचानक से इस तरह की साजिशें नहीं कर रहा है, लेकिन पता नहीं नेपाल के लोग अबतक इस समस्या की भयानकता को समझने में देर करते रहे हैं।


चीन लगातार नेपाल की जमीन पर कर रहा है कब्जा-रिपोर्ट
2016 में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) ने नेपाल के एक जिले में घुसकर पशुपालन के लिए पशु चिकित्सा केंद्र तक बना लिया था, लेकिन तब नेपाल ने उसका माकूल जवाब नहीं दिया। 2022 के फरवरी में एक यूके स्थित मीडिया की रिपोर्ट थी कि उलटे चीन ने नेपाल पर साझा सीमा वाले क्षेत्र में अतिक्रिमण करने का आरोप लगा दिया था। आधिकारिक दस्तावेजों पर आधारित एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने नेपाल के पश्चिमी जिले हुमला में बॉर्डर पोस्ट के आसपास नहरें और सड़कें बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने लालुंग्जोंग सीमा इलाके में सर्विलांस की गतिविधियां भी बढ़ा रखी हैं।

हिंदुओं और बौद्धों को मंदिर जाने से रोक रहा है चीन- रिपोर्ट
एक चौंकाने वाला खुलासा तो ये हुआ है कि चीन अब नेपाल की सीमावर्ती इलाकों में ना सिर्फ किसानों को मवेशी चराने से रोक रहा है, बल्कि बॉर्डर पर स्थित हिंदू और बौद्ध मंदिरों तक भी नहीं पहुंचने दे रहा है। नेपाल पर चीन के बढ़ते प्रकोप का अंदाजा इसी से लग जाता है कि उसके 15 जिलों में से सात से ज्यादा किसी ना किसी वजह से चीन की ओर से हो रहे जमीन अतिक्रमण से पीड़ित हैं। इन जिलों में दोलखा, गोरखा, दारचुला, हुमला, सिंधुपालचौक, संखुवासा और रसुवा जिले शामिल हैं। नेपाल के रुई गांव पर चीनी कब्जे की खबर एक बार खूब सुर्खियां बनी थी और पता चला था कि ड्रैगन अपनी सलामी स्लाइसिंग नीति को कैसे अंजाम देने में लगा रहा है। हुमला में 2020 के सितंबर में तो उसने स्थायी निर्माण भी खड़े कर दिए थे। पता चला था कि चीन ने चोरी से सीमा निर्धारिण के लिए बने पिलर हटा दिए थे। तब नेपाल में चीन समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार थी।

नेपाल की 150 हेक्टेयर जमीन पर चीन का कब्जा- ब्रिटिश मीडिया
हालांकि, ऐसा नहीं है कि चीन नेपाल में अपनी सलामी स्लाइसिंग नीति को पिछले दो-तीन वर्षों से अंजाम देने लगा है। चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार इस गोरखधंधे में वर्षों से लगी हुई है। 2009 में चीन की सेना के जवान 'एक खुले इलाके में घुस गए थे और वेटनरी सेंटर' बना लिया था। हिमालयन टाइम्स के मुताबिक 2017 का कृषि विभाग का एक दस्तावेज बताता है कि 'चीन ने उत्तरी सीमा पर 10 स्थानों पर नेपाल के 36 हेक्टेयर पर अतिक्रमण किया है।' वैसे 2020 में एक ब्रिटिश अखबार ने अपनी जांच में पाया था कि चीन हुमला समेत नेपाल के पांच जिलों में 150 हेक्टेयर नेपाली जमीन हड़प चुका है।

चीन की सलामी स्लाइसिंग पर नेपाली नेताओं की चुप्पी की वजह ?
हुमला के सांसद चक्का बहादुर लामा ने भी चीन की कारगुजारियों पर चिंता जताई थी और सितंबर 2020 में काठमांडू स्थित चीनी दूतावास के बाहर उसकी जमीन हड़पने की नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। वैसे रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा तो करते हैं कि नेपाल का विदेश मंत्रालय इन मुद्दों को चीन के सामने उठा चुका है, लेकिन आम धारणा यही है कि नेपाल कूटनीतिक तौर पर इस विषय पर शांत है। मीडिया दबाली के मुताबिक यह चुप्पी सिर्फ चीन की पिछलग्गू कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने ही नहीं साधी है, बल्कि निवर्तमान नेपाली कांग्रेस का भी इस मामले में ऐसा ही रवैया है।

चीन बन चुका है नेपाल के लिए बड़ा खतरा ?
मीडिया दबाली के मुताबिक, 'वास्तविक नियंत्रण हासिल करना' और सीमा पर अपना कंट्रोल बढ़ाना। नेपाल में चीन की घुसपैठ, पड़ोसी भूटान और भारतीय क्षेत्र में चाइनीज अतिक्रमण के बॉर्डर पैटर्न में फिट बैठती है।' यानि सीमा पर चीन की गतिविधियां नेपाल के लिए खतरा बन चुकी है और यह बात नेपाल की सत्ता में बैठे नेताओं की समझ में जितनी जल्दी आ जाए, उसी में वहां की जनता की भलाई है। क्योंकि, इससे ना सिर्फ नेपाल का क्षेत्र उसके हाथ से निकलता जा रहा है, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर भी चोट पहुंचाई जा रही है। (कुछ तस्वीरें सांकेतिक और फाइल)
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आसिम मुनीर होंगे पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख

 इस्लामाबाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान में नए आर्मी चीफ के नाम का एलान हो गया है। ले. जनरल सैयद आसिम मुनीर पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ होंगे। आसिम मुनीर जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेंगे। पाक पीएम शहबाज शरीफ ने आसिम मुनीर के नाम की घोषणा की है। पाकिस्तान की सूचना एवं प्रसारण मंत्री मरियम औरंगजेब ने इसकी पुष्टि की है।

उन्होंने बताया कि पीएम शहबाज शरीफ ने लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ और लेफ्टिनेंट जनरल सैयद आसिम मुनीर को थल सेनाध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया है। सूचना मंत्री ने ट्विटर पर लिखा कि मुनीर को देश की शक्तिशाली सेना का नया प्रमुख बनाया गया है। उन्होंने बताया कि मुनीर निवर्तमान जनरल कमर जावेद बाजवा से पदभार ग्रहण करेंगे।

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रूस ने तुर्की को चेता दिया, कहा- भूल से भी मत करना सीरिया पर हमला, जानिए क्यों शुरू हुआ ये विवाद


मॉस्को (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रूस ने तुर्की से सीरिया में जमीनी हमले से बचने के लिए कहा है। वरिष्ठ रूसी वार्ताकार अलेक्जेंडर लावेरेंटयेव ने बुधवार को कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां हिंसा को बढ़ा सकती हैं। बतादें कि तुर्की ने पिछले दिनों सीरिया पर कई हमलें किए थे जो रूस को पसंद नहीं आई हैं। सीरिया, रूस का बेहद करीबी साथी रहा है। ऐसे में रूस ने तुर्की को चेतावनी दे दी है कि वह सीरिया पर हमले करना बंद कर दे। इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने कहा था कि अंकारा जल्द ही टैंकों और सैनिकों के साथ सीरिया में कुर्द आतंकवादियों पर हमला करेगा।

दोनों तरफ से हुए हवाई हमले
गौरतलब है कि तुर्की के इस्तांबुल के तक्सीम स्कॉयर में हुए इस धमाके में कुल 6 लोगों की मौत हो गई थी और 81 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। तुर्की ने इस धमाके के लिए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) को जिम्मेदार ठहराया था। इसका बदला लेने के लिए 20 नवंबर को तुर्की ने सीरिया और इराक के उत्तरी इलाकों में एयरस्ट्राइक कर दिया था जिसमें कुल 31 लोग मारे गये थे और कई घायल हो गये थे। इसके बाद फिर सीरिया के उत्तरी इलाके से इसका जवाब आया। तुर्की की सीमा में रॉकेट दाग दिया गया, जिसमें 3 लोग घायल हो गए।

सीरिया को लेकर रूस और तुर्की के संबंधों में कड़वाहट
दोनों देशों के बीच फिर से शुरू हो गए हमले को लेकर अब रूस की प्रतिक्रिया आई है। आपको बता दें कि तुर्की यूं तो नाटो का सदस्य है लेकिन वह रूस के अधिक करीबी है। रूस और तुर्की के बीच पुतिन युग में संबंध दिन प्रतिदिन गहरे होते चले गए हैं। लेकिन सीरिया मुद्दे पर दोनों देशों के संबंध बंटे हुए हैं। तुर्की अपने यहां पर मौजूद कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) को एक आतंकी संगठन मानता है और उसका मानना है कि सीरिया में लड़ रहा YPG इसी की शाखा है, जिसे वो समाप्त करना चाहता है।

PKK को अमेरिका भी मानता है आतंकी संगठन
PKK को अमेरिका भी आतंकी संगठन मानता है लेकिन YPG कुर्द मिलिशिया के नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF) से अमेरिका का गठबंधन है क्योंकि इस संगठन की मदद से अमेरिका ISIS पर लगाम लगाने में कामयाब हुआ है। इसे लेकर अमेरिका और तुर्की के बीच संबंधों में गहरी दरार पैदा हो चुकी है। बुधवार को कजाकिस्तान में तुर्की और ईरानी प्रतिनिधिमंडलों के साथ सीरिया वार्ता के नए दौर के बाद लावेंटयेव ने कहा, "हमें उम्मीद है कि अंकारा में हमारी दलीलें सुनी जाएंगी और वहां समस्या को हल करने के अन्य तरीके खोजे जाएंगे।"

अमेरिका के बिना कुर्द मसले का होगा हल
लवरेंटयेव ने कहा, "अमेरिकी उपस्थिति के बिना, कुर्द मुद्दे को बहुत जल्दी हल किया जा सकता था। रूस, तुर्की और ईरान ने वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान में सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कम करने और सीमा पार हमलों और घुसपैठ सहित पड़ोसी देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के उद्देश्य से अलगाववादी योजनाओं का विरोध करने का संकल्प लिया। लवरेंटयेव ने कहा कि पक्षों ने एक पर्यवेक्षक के रूप में चीन को आगे की अस्ताना वार्ता में शामिल करने पर चर्चा की है, एक ऐसा विचार जिस पर ईरान सहमत हो गया है, जबकि तुर्की अभी भी इस पर विचार कर रहा है। बता दें कि साल 2017 में रूस, ईरान और तुर्की ने अस्ताना प्रक्रिया के तहत राजनीतिक बातचीत शुरू की थी।
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कोरोना पाबंदियों के चलते फूटा कर्मचारियों का आक्रोश, आईफोन फैक्ट्री में उग्र प्रदर्शन...

 बीजिंग/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन में एक बार फिर कोरोना का मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके चलते कई स्थानों में लॉकडाउन की स्थिति निर्मित हो गई है। इस दौरान यहां स्थित दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री में कर्मचारियों द्वारा उग्र प्रदर्शन की खबर आ रही है। सूत्रों के अनुसार फैक्ट्री में कोरोना तालाबंदी और वेतन विवाद को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश है। इसे लेकर कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। सुरक्षाबलों के साथ संघर्ष में कई श्रमिकों के घायल होने की बात कही जा रही है।



चीन में एप्पल आईफोन की असेंबलिंग वाले झेंगझोऊ फैक्ट्री में बुधवार को फिर से उपद्रव शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कर्मचारियों और प्रशासन के बीच होने वाली झड़पों को देखा जा सकता है। एप्पल आईफोन फैक्ट्री के कई कर्मचारियों को कोरोना वायरस प्रतिबंधों के बीच शुरू हुए अनुबंध विवादों के कारण पीटा गया और बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया।

सैकड़ों कर्मचारियों का फैक्ट्री के सुरक्षा कर्मियों के साथ संघर्ष हुआ। कोरोना के चलते करीब एक माह से फैक्ट्री में कठोर पाबंदियों व वेतन को लेकर विवाद के कारण श्रमिकों के भड़क उठने की खबर है। एपल संयंत्र में अक्तूबर से तनाव देखा जा रहा था। कोरोना पाबंदियों के चलते तालाबंदी शुरू होने से श्रमिकों में असंतोष बढ़ता जा रहा था। आईफोन सिटी में 2,00,000 से अधिक श्रमिकों में से कई को आइसोलेट किया जा चुका था। उन्हें भोजन व दवाओं की मुश्किल हो रही थी।

 



सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो के अनुसार फॉक्सकॉन प्लांट के कर्मचारी फैक्ट्री से  बाहर निकल आए। इसके बाद उनकी सुरक्षा कर्मियों से झड़प हुई। एक अन्य वीडियो में गार्ड जमीन पर लेटे एक श्रमिक को लाठियों से पीटते नजर आ रहे हैं। इसी दौरान लड़ो, लड़ो के नारे गूंजते हैं। श्रमिकों की भीड़ बैरिकेड्स लांघते हुए प्रदर्शन करते नजर आए। पुलिस के साथ भी श्रमिकों की तकरार हुई।  एक वीडियो में उग्र श्रमिक एक प्रबंधक को घेरे हुए नजर आए। एक श्रमिक ने कहा कि सभी श्रमिकों के कोविड पॉजिटिव होने का खतरा है। एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि आप हमें मौत के मुंह में भेज रहे हैं।

सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट में कहा गया है कि एप्पल के ये कर्मचारी अनुबंध तोड़ने का विरोध कर रहे थे। चीन में इन दिनों कोरोना के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। इसको देखते हुए फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों के सामने संकट गहरा गया है। उन्हें फैक्टरी से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। उन्हें खाने-पीने के सामान और दवाईयों मिलने में दिक्कत हो रही है।

एप्पल आईफोन असेम्ब्लिंग फैक्ट्री की संचालक फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप ने पहले कहा था कि वो 'क्लोज्ड-लूप मैनेजमेंट' सिस्टम का उपयोग कर रही है। इसके तहत कार्यस्थल पर रहने वाले कर्मचारियों को कड़ी सुरक्षा घेरे में बिना किसी बाहरी संपर्क रखा जाता है। पिछले महीने हजारों कर्मचारियों ने अपर्याप्त सुरक्षा और बीमार पड़ने वाले सहकर्मियों को उचित मेडिकल हेल्प न मिलने की शिकायतों पर वाक-आउट किया था।

एप्पल दे चुका है चेतावनी
एप्पल इंक ने पहले चेतावनी दी थी कि झेंगझोऊ कारखाने पर लगाए गए रोग नियंत्रण प्रतिबंधों के कारण उसके नए आईफोन 14 मॉडल की डिलीवरी में देरी होगी। बता दें कि सरकार ने कारखाने के चारों ओर औद्योगिक क्षेत्र तक आवागमन को रोक दिया है। फॉक्सकॉन ने कहा है कि इस कारखाने में लगभग 200,000 लोग कार्यरत हैं।

फॉक्सकॉन ने फिलहाल इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। मीडिया रिपोर्टों में पहले कहा गया था कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से फॉक्सकॉन के उन कर्मचारियों को वापस बुलाने के लिए कहा था, जो कंपनी छोड़कर चले गए थे।

आपको बता दें कि Zhengzhou की iPhone फैक्ट्री में दीवार फांदकर भाग रहे कर्मचारियों का वीडियो पहले भी वायरल हो चुका है। चीन में Covid Lockdown की दहशत के कारण पहले भी एप्पल आईफोन बनाने वाली फॉक्सकॉन फैक्ट्री में काम कर रहे कर्मचारी फैक्ट्री छोड़कर भागने की कोशिश कर चुके हैं। तब वर्कर्स ने आरोप लगाया था कि उन्हें खाने-पीने की दिक्कत हो रही है।

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चीन के हेनान प्रांत में संयंत्र में आग लगने से 36 लोगों की मौत

 बीजिंग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। मध्य चीन में एक कंपनी के संयंत्र में सोमवार रात भीषण आग लगने से 36 लोगों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य लापता बताए जा रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। शहर के सूचना विभाग के अनुसार, हेनान प्रांत के आन्यांग शहर के वेनफेंग जिले में एक वाणिज्य एवं व्यापार कंपनी के संयंत्र में सोमवार को लगी आग को बुझाने में दमकलकर्मियों को चार घंटे से अधिक समय लगा। आग पर रात करीब 11 बजे काबू पाया गया।

 

 

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सोलोमन द्वीप और ग्रीस में भी कांपी धरती, सुनामी की आशंका...

होनियारा/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सोमवार-मंगलवार को विश्व के अलग-अलग देशों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। सोलोमन द्वीप पर मंगलवार को जोरदार भूकंप के जोरदार झटके लगे हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.0 मापी गई है। जानकारी के मुताबिक भूकंप मंगलवार सुबह 7 बजकर 33 मिनट पर आया था। अधिक जानकारी जुटाई जा रही है। फिलहाल किसी तरह के जानमाल की हानि की खबर नहीं है।

भूकंप मंगलवार सुबह 7 बजकर 33 मिनट पर आया। भूकंप के झटकों के बाद सोलोमन द्वीर पर सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से बताया गया कि लोगों को ऊंची जगहों पर जाने की सलाह भी दी गई है।

 
 
 
 
इससे पहले सोमवार को इंडोनेशिया में जोरदार भूकंप आया था। 5.6 तीव्रता के भूकंप में अब तक 162 लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा 700 लोग घायल भी हुए हैं। भूकंप पश्चिम जावा प्रांत के सियानजुर क्षेत्र में 10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई पर केंद्रित था। भूकंप के जोरदार झटकों से कई इमारतें क्षतिग्रस्त भी हुई हैं।
 
 
 

वहीं ग्रीस द्वीप क्रीत में सोमवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। जिसके बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर दौड़ पड़े। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तिव्रता 5.5 रही। जानकारी के मुताबिक, भूकंप सुबह 4 बजकर 54 मिनट ((भारतीय समयानुसार) पर आया। इसकी गहराई 80 किमी (49.71 मील) थी। नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं है। एथेंस जियोडायनामिक संस्थान ने कहा, भूकंप के झटके काहिरा और मिस्र तक महसूस किया गया था। इससे पहले, यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC)ने भूकंप की तीव्रता को संशोधित कर 6 से 5.4 कर दिया था। क्रीत में आए भूकंप के बाद सुनामी की आशंका जताई जा रही है। इस बीच तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने का निर्देश जारी किया गया है। लोगों से कहा गया है कि वे समुद्र के किनारे से ऊंचाई वाली जगहों पर चले जाए जिससे वे सुरक्षित रहेंगे।
 

 

 


 

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जावा प्रांत में भूकंप से अब तक 162 की मौत, सैकड़ों घायल...

 जकार्ता/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। इंडोनेशिया के पश्चिमी जावा प्रांत में सोमवार को आए 5.6 तीव्रता के भूकंप में अब तक 162 लोगों की मौत हो गई, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए। जियोलाजिकल सर्वे ने कहा कि 5.6 तीव्रता का भूकंप पश्चिम जावा प्रांत के सियानजुर क्षेत्र में 10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई पर केंद्रित था।

सोमवार को एक शक्तिशाली भूकंप ने इंडोनेशिया के जावा के मुख्य द्वीप को दहला दिया है, जिसमें अब तक 162 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं। बचाव दल भूकंप के झटकों की श्रृंखला के बीच मलबे के नीचे फंसे बचे लोगों की तलाश कर रहे हैं। 5.6 तीव्रता के भूकंप का केंद्र राजधानी जकार्ता से लगभग 75 किमी (45 मील) दक्षिण-पूर्व में पहाड़ी पश्चिम जावा में सियांजुर शहर के पास था। इस क्षेत्र में 25 लाख से अधिक लोग रहते हैं। सियांजुर के प्रशासन के प्रमुख हरमन सुहरमन ने बताया था कि कम से कम 700 लोगों का इलाज चल रहा है। ज्यादातर को इमारतों में फंसने के कारण फ्रैक्चर हुआ है। 

पश्चिम जावा के गवर्नर रिदवान कामिल ने कहा कि मृतकों में से कई पब्लिक-स्कूल के छात्र थे, जिन्होंने दिन में अपनी कक्षाएं समाप्त कर ली थीं और कई इस्लामिक स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षा ले रहे थे। मृतकों का आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है। सियांजुर के निवासी ज्यादातर एक और दो मंजिला इमारतों वाले शहरों में और आसपास के ग्रामीण इलाकों में छोटे घरों में रहते हैं। कामिल ने कहा कि जिन 13,000 से अधिक लोगों के घरों को भारी नुकसान पहुंचा है उन्हें निकासी केंद्रों में ले जाया गया है।  

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श्रीलंका सरकार ने कई मंत्रियों को किया निलंबित, लगाया यह आरोप...

 कोलंबो/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका सरकार ने अपने दो फ्रंट-लाइन मंत्रियों को निलंबित कर दिया है। पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने के लिए श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) द्वारा दोनों मंत्रियों को निलंबित किया गया है। इस मामले में पार्टी सचिव दयासचिव जयशेखर ने मीडिया से कहा कि "जब तक दोनों मंत्री अपना स्पष्टीकरण नहीं दे देते, तब तक दोनों अस्थायी रूप से निलंबित रहेंगे"।

एसएलएफपी की केंद्रीय समिति ने 21 नवंबर को बैठक की थी जिसमें उड्डयन मंत्री निमल सिरीपाला डी सिल्वा और कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा के साथ राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की सरकार में तीन अन्य कनिष्ठ मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया था। इन सभी मंत्रियों पर पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। हालांकि, पार्टी के निलंबन का मतलब ये नहीं कि मंत्रियों को विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया है।

 
 
 

वित्त मंत्री विक्रमसिंघे ने देश के मौजूदा आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए कर सुधारों का एक प्रस्ताव जारी किया है। बता दें कि श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण देश भर में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस विरोध प्रदर्शन की वजह से ही तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

 

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को दोबारा से पटरी पर लाने का वित्त मंत्री विक्रमसिंघे ने वादा किया था। वहीं आर्थिक सुधारों के लिए जारी किया गया ये प्रस्ताव सांसदों को पंसद नहीं आ रहा है। विक्रमसिंघे के सांसदों में नाराजगी पैदा हो गई है। सांसदों ने आरोप लगया है कि विक्रमसिंघे ने श्रीलंका टेलीकॉम को भी निशाना बनाया था।

 

बता दें कि श्रीलंका इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में रिकार्ड कमी के चलते गहरे वित्तीय संकट की चपेट में है। जिसके कारण ही यहां पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस समेत खाने-पीने की चीजें और दवा भी कई गुना महंगी हो गई हैं। श्रीलंका को इंपोर्ट किए जाने वाले सामान के बदले भुगतान करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है और 22 मिलियन लोगों ने द्वीप को छोड़ दिया है।

 

 

 
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जनरल मुशर्रफ की हत्या की कोशिश करने वाले शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का दिया आदेश, 20 साल से है कैद

 

इस्लामाबाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जनरल परवेज मुशर्रफ की हत्या की कोशिश करने वाले शख्स को रिहा करने का आदेश दिया है। इस व्यक्ति का नाम राणा तनवीर है। राणा तनवीर ने 2003 में तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ की हत्या की कोशिश की थी। राणा तनवीर को इसके बाद अदालत ने उसे 14 साल की सजा सुनाई थी, जबकि उसने जेल में 20 साल काट लिए हैं।

20 साल से जेल में है कैद
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक राणा तनवीर को 2003 के रावलपिंडी पंप हमले के मामले में एक सैन्य अदालत ने 2005 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तनवीर को 31 दिसंबर, 2003 को मुशर्रफ पर हत्या के प्रयास के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। जनरल परवेज मुशर्रफ रावलपिंडी के गैरीसन शहर में अपने काफिले में थे तभी उन पर एक के बाद एक दो बम और बंदूक से हमला किया गया था जिसमें वे बाल-बाल बचे थे।

तारिक मसूद की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया आदेश
जियो टीवी की खबर के मुताबिक, सजा पूरी होने के बावजूद दोषी को अब तक रिहा नहीं किया गया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सरदार तारिक मसूद की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने राणा तनवीर की रिहाई का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान राणा तनवीर के वकील हशमत हबीब ने कहा कि सजा पूरी होने के बाद भी उनके मुवक्किल को रिहा नहीं किया जा रहा है।

14 साल की मिली थी सजा
हबीब ने कहा कि आजीवन कारावास की अवधि 14 साल है और मेरा मुवक्किल करीब 20 साल से जेल में है। शीर्ष अदालत ने तनवीर की रिहाई के खिलाफ संघीय और पंजाब सरकार की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया और जेल अधिकारियों को उसे रिहा करने का आदेश दिया। हबीब ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के आदेश के तहत तनवीर को रिहा कर दिया जाएगा।

परवेज मुशर्रफ को मिली है फांसी की सजा
परवेज मुशर्रफ 1998 में पाकिस्तान के आर्मी चीफ बने थे। साल 1999 में मुशर्रफ ने पाकिस्तान में नवाज शरीफ सरकार का तख्ता पलट कर दिया और पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए। साल 2008 में परवेज मुशर्रफ ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तान की विशेष अदालत ने 2019 में देशद्रोह के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी। देश में आपातकाल लगाने के लिए अदालत ने मुशर्रफ के खिलाफ इस सजा का एलान किया। मुशर्रफ 2016 से दुबई में निर्वासन में रह रहे हैं। उन्होंने इलाज कराने के बहाने से पाकिस्तान छोड़ दिया था।

 

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भूकंप ने ली 46 लोगों की जान, 700 घायल... इतनी रही तीव्रता...

 जकार्ता/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। इंडोनेशिया के पश्चिमी जावा प्रांत में सोमवार को आए 5.6 तीव्रता के भूकंप में 46 लोगों की मौत हो गई, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए। जियोलाजिकल सर्वे ने कहा कि 5.6 तीव्रता का भूकंप पश्चिम जावा प्रांत के सियानजुर क्षेत्र में 10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई पर केंद्रित था।


पश्चिम जावा के शहर सियानजुर के एक सरकारी अधिकारी हरमन सुहरमन, जहां भूकंप का केंद्र था, ने बताया कि क्षेत्र के एक अस्पताल में 46 लोगों की मौत हो गई है और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए। भूकंप से कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। लोगों को सुरक्षा के लिए सड़कों पर चले जाने को कहा गया है।

 
 
 
 
 
 
 

राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण एजेंसी ने कहा कि एक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल, एक अस्पताल और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं सहित दर्जनों इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। एक बयान में कहा गया है कि हताहतों की संख्या और क्षति के बारे में अभी भी जानकारी एकत्र की जा रही है।

ग्रेटर जकार्ता इलाके में महसूस किए भूकंप के झटके
भूकंप के झटके ग्रेटर जकार्ता इलाके में महसूस किए गए। राजधानी में ऊंचे ऊंचे स्थान बह गए और कुछ को खाली करा लिया गया। दक्षिण जकार्ता में  एक कर्मचारी विदी प्राइमाधानिया ने कहा, 'भूकंप इतना तेज महसूस हुआ। मेरे सहयोगियों और मैंने आपातकालीन सीढ़ियों का उपयोग करके नौवीं मंजिल पर अपने कार्यालय से बाहर निकलने का फैसला किया।'

जकार्ता में भूकंप का आना असामान्य
इंडोनेशिया में अक्सर भूकंप आते रहते हैं, लेकिन जकार्ता में उन्हें महसूस किया जाना असामान्य है। 270 मिलियन से अधिक लोगों का देश अक्सर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और सूनामी से प्रभावित होता है। फरवरी में, पश्चिम सुमात्रा प्रांत में 6.2 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 25 लोग मारे गए और 460 से अधिक घायल हो गए।

 

 

 
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कमला हैरिस ने एपेक शिखर सम्‍मेलन में चीन के राष्‍ट्रपति चिनफिंग से मुलाकात की

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमरीका की उपराष्‍ट्रपति कमला हैरिस ने थाईलैंड में एपेक शिखर सम्‍मेलन में चीन के राष्‍ट्रपति षी चिनफिंग से मुलाकात की। व्‍हाइट हाउस के एक बयान में कहा गया है कि कमला हैरिस ने दोनों देशों के बीच जिम्‍मेदारी के साथ संचार का आह्वान किया।

श्री चिनफिंग ने कहा कि इंडोनेशिया के बाली में अमरीकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के साथ उनकी मुलाकात महत्‍वपूर्ण और रचनात्‍मक थी। खबरों में कहा गया है कि चीन और अमरीका के संबंधों को आगे ले जाने के लिए इस बैठक का विशेष महत्‍व है।  

 

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समलैंगिक नाइट क्लब में गोलीबारी : 5 की मौत, 18 घायल

 कोलोराडो/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका के कोलोराडो में एक समलैंगिक नाइट क्लब में शनिवार रात हुई गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हो गई और 18 घायल हो गए। इस घटना के बारे में कोलोराडो स्प्रिंग्स लेफ्टिनेंट पामेला कास्त्रो ने बताया कि एक संदिग्ध हिरासत में है और क्लब क्यू में हुए हमले के बाद घायलों का इलाज किया जा रहा है। कास्त्रो ने कहा कि पुलिस को शूटिंग के बारे में आधी रात से पहले शुरुआती फोन कॉल मिला था। अधिकारियों ने क्लब के अंदर एक व्यक्ति का पता लगाया जिसे संदिग्ध माना जा रहा था। उसने हमले के मकसद के बारे में कोई जानकारी नहीं दी और यह कहने से इनकार कर दिया कि शूटिंग में किस तरह के हथियार का इस्तेमाल किया गया था।

Google लिस्टिंग में क्लब क्यू खुद को "वयस्क-उन्मुख समलैंगिक और समलैंगिक नाइटक्लब होस्टिंग थीम नाइट्स जैसे कराओके, ड्रैग शो और डीजे" के रूप में वर्णित करता है। क्लब ने अपने फेसबुक पेज पर एक बयान में कहा कि यह "हमारे समुदाय पर मूर्खतापूर्ण हमला था। हम ग्राहकों की त्वरित प्रतिक्रियाओं का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने बंदूकधारी को वश में कर लिया और इस हमले को रोक दिया।"

बता दें सुबह 4 बजे पुलिस ने क्लब के आसपास के क्षेत्र घेर लिया। इससे पहले 2016 में एक बंदूकधारी ने फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में समलैंगिक नाइट क्लब में 49 लोगों की हत्या कर दी थी। उस समय यह अमेरिकी इतिहास में सबसे खराब सामूहिक गोलीबारी थी। शूटर ने इस्लामिक स्टेट के एक नेता के प्रति निष्ठा का दावा किया था। पुलिस के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया था।

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यूक्रेन से 'असली' जंग हार चुके हैं पुतिन! टूट चुके हैं रूसी सैनिक, रिपोर्ट में खुलासा

 

खेरसॉन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पिछले 9 महीने से यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की आग में जल रहा है। जंग से निकलने वाली आग की लपटों ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। दुनिया में ऊर्जा संकट बढ़ता जा रहा है। शक्तिशाली देशों की इकॉनोमी स्लो डाउन से गुजर रही है। वहीं, कुछ दिनों से यूक्रेन में रूस के लिए कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। रूस जैसे शक्तिशाली देश के लिए खेरसॉन से बाहर निकलने का निर्णय किसी बड़ी पराजय से कम नहीं है। वहीं, व्लादिमीर पुतिन के करीबी जानते हैं कि वह 'असली युद्ध हार चुके हैं।
रूस जंग में अब अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है
दरअसल, रूस यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में नया मोड़ आ गया है। खेरसॉन से रूसी सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद दुनिया की निगाहें युद्ध पर टिकी हैं। एक रिपोर्ट में खेरसॉन से रूस के पीछे हटने के क्या मायने हो सकते हैं, इसकी जानकारी दी गई है। रूसी स्वतंत्र समाचार आउटलेट मेडुजा ने यूक्रेन में रूस के खिलाफ हाल की घटनाओं को बहुत दर्दनाक बताया। रिपोर्ट बताती है कि, खेरसॉन के साथ रूस वास्तविक युद्ध हार चुका है।

खेरसॉन में हार से बौखलाया रूस
रिपोर्ट में कहा गया है कि, खेरसॉन में चारो खाने चित्त होने के बाद भी व्लादिमीर पुतिन जंग को लेकर आशावादी बने हुए हैं। उन्हें लगता है कि,राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की अपने पद से इस्तीफा दे देंगे और इससे रूस के लिए जीत का एक नया द्वार खुल जाएगा। हालांकि, इन उम्मीदों के पीछे कोई तर्क नहीं था।
रूसी सैनिक अब टूट चुके हैं
अंडरस्टैंडिंग अर्बन वारफेयर के लेखक जॉन स्पेंसर ने न्यूजवीक को बताया कि रूस की सेना अब टूट चुकी है, थक चुकी है। सिर्फ सेना में नई भर्ती करने से कुछ नहीं होने वाला है। युद्ध के मैदान में सैनिकों को लड़ने के लिए अत्याधुनिक हथियार और अन्य सैन्य साजो-सामान के साथ-साथ एक लंबे समय तक प्रभावी नेतृत्व की आवश्यकता है। जॉन स्पेन्सर ने आगे कहा कि, 24 फरवरी से जारी जंग ने रूस की युद्धक क्षमता को गंभीर रूप से कमजोर बना दिया है। जंग में यूक्रेन को यूरोप और अमेरिका से सैन्य और आर्थिक सहायता प्राप्त हो रहा है। जेलेंस्की के सैनिक अमेरिका के अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर रूसी सैनिकों पर भारी पड़ रहे हैं। इससे पुतिन की सेना हताश हो चली है।
जंग में अपराधी, एचआईवी मरीजों को भेजा जा रहा है
जंग में अपराधी, एचआईवी मरीजों को भेजा जा रहा है
वहीं, रूस जंग जीतने के लिए अब खूंखार अपराधियों और एचआईवी जैसे भयंकर रोग से ग्रसित मरीजों को जंग के मैदान में भेज रहा है। इससे मॉस्को के सैनिकों को गहरा आघात लगा होगा। बिना किसी प्रशिक्षण के अपराधियों, मरीजों को जंग के मैदान में भेजने से समस्या का समाधान नहीं निकलने वाला है। रूस ऐसे कैसे जंग जीत पाएगा। इन सबके बीच पुतिन परमाणु हमले की धमकी भी दे रहे हैं।

इस जंग का अंत नहीं?
पिछले 9 महीने से यूक्रेन युद्ध की आग में जल रहा है। इससे दुनिया प्रभावित हो रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध से कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया है। रूस-यूक्रेन के जारी युद्ध में भीषण तबाही हुई। यूक्रेन पर रूसी सैनिकों ने ताबड़तोड़ हमले किए। कई शहरों पर रिहायशी इलाकों में भी मिसाइल अटैक हुए और भारी तबाही हुई। यूक्रेन में हमले के बाद हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई।

जेलेंस्की नाटो की सदस्यता लेना चाहते हैं
जेलेंस्की की जिद्द थी कि यूक्रेन को NATO में शामिल करेंगे। जबकि पुतिन का कहना था कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाएगा। पुतिन और जेलेंस्की ने कसम खा रखी है कि, वे जीत कर दम लेंगे। वहीं, अमेरिका यू्क्रेन को भारी सैन्य सहायता भेजी,जिससे यूक्रेन जंग में रूस के हौसले पस्त हो गए। अब मास्को की स्थिति हार से कम नहीं है। जंग के लंबा खिंचने के कारण रूस की बची-खुची सेना हताश हो चुकी है। हालांकि, जंग का अंत अब भी नहीं दिख रहा है।
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