दुनिया-जगत

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने श्वेत क्रांति के लिए भारत से मांगी सहायता

 कोलम्बो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने श्वेत क्रांति के लिए भारत से सहायता की मांग की है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और अमूल श्रीलंका में दुग्ध उत्पादन दोगुना करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे। श्री विक्रमसिंघे ने एक समिति का गठन किया है जो स्थानीय स्तर पर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना बनाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ मिलकर काम करेगी। भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है।

यहां विश्व का 22 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन होता है। श्रीलंका में किए गए प्रयासों के बाद 2015 से 2021 के बीच दुग्ध उत्पादन में 34 प्रतिशत वृद्धि हुई लेकिन वह इस क्षेत्र आत्मनिर्भरता हासिल करने से अभी काफी दूर है। दो करोड़ 20 लाख की आबादी वाले श्रीलंका में सालाना 30 करोड़ अमरीकी डॉलर से अधिक के डेयरी उत्पादों का आयात होता है।

 

 

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लैंडस्लाइड की चपेट में आए बस सहित कई वाहन, 33 की मौत

बोगोटा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। कोलंबिया के रिसाराल्डा प्रांत में बारिश की वजह से हुए लैंडस्लाइड में एक बस समेत कई अन्य वाहन दब गए, जिसमें कम से कम 33 लोगों की मौत हो चुकी है।  इसके अलावा 9 लोगों को जिंदा बचा लिया गया है, जिनमें से चार की हालत गंभीर है। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने सोमवार को घटना पर शोक जताते हुए कहा कि सरकार पीड़ित परिवारों के साथ इस मुश्किल समय में साथ खड़ी है।

कोलंबिया की राजधानी बोगोटा से करीब 230 किमी दूर कॉफी उत्पादन के लिए मशहूर कोलम्बिया के एक पहाड़ी इलाके में पुएब्लो रिको और सांता सेसिलिया के गांवों के बीच यात्रा करते समय रविवार को लैंडस्लाइड में बस समेत कई वाहन दब गए थे। मलबे में दबी बस कोलंबिया के तीसरे सबसे बड़े शहर कैली और कोंडोटो नगर पालिका के बीच रास्ते में थी। 

अधिकारियों के अनुसार, इसमें लगभग 25 यात्री सवार थे। हादसे में बचे एक शख्स ने बताया कि ड्राइवर ने बस को बचाने का काफी कोशिश की, जब मलबा नीचे आ रहा था और बस उससे थोड़ी पीछे थे।  रेडियो स्टेशन से बात करते हुए शख्स ने बताया कि जब हादसा हो गया तो भी ड्राइवर बस बैक करने की कोशिश कर रहा था। घटना में घायल हुए 5 लोगों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।

 

 

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दक्षिण कोरियाई फिल्म बेचने वाले दो लड़कों को उत्तर कोरिया में मारी गई गोली, सरेआम दी गई तालिबानी सजा

 

फियोंगयांग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। उत्तर कोरिया में तीन नाबालिग बच्चों की सार्वजनिक तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई है और इनमें से दो बच्चों पर किम जोंग उन के फिल्म वाले आदेश का उल्लंघन करने का आरोप था। रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया में तीन बच्चों की गोली मारकर हत्या की गई है, जिनमें से एक किशोर पर अपनी सौतेली मां की हत्या करने का आरोप था, जबकि दो लड़कों पर दक्षिण कोरिया की फिल्मों को बेचने का आरोप था। रेडियो फ्री एशिया ने सूत्रों के हवाले से कहा कि, जिन किशोरों की गोली मारकर हत्या की गई है, उनकी उम्र 16 से 17 साल के करीब होने का अनुमान है।

लोगों को देखने के लिए किया मजबूर
रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जब तीनों लड़कों को गोली मारने के लिए लोगों के बीच लाया गया, तो लोगों को उन्हें गोली लगते हुए देखने के लिए मजबूर किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, सार्वजनिक गोलीबारी की इस घटना के बाद निवासी काफी डरे हुए हैं और माना जा रहा है, कि लोगों को डराने के लिए ही सरेआम तीनों लड़कों को गोली मारी गई। स्थानीय निवासियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर रेडियो फ्री एशिया को बताया कि,'जो लोग दक्षिण कोरियाई फिल्में और नाटक देखते हैं या फिर उन्हें बेचते हुए पाए जाते हैं, उन्हें काफी खौफनाक सजा दी जाती है। वहीं, उत्तर कोरिया में किसी की हत्या करने पर या फिर सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ने की स्थिति में भी माफ करने का प्रावधान नहीं है और ऐसे काम में शामिल लोगों को मौत की सजा दी जाती है"। रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीनों किशोरों को चीन से लगती सीमा के पास स्थिति हायसन शहर में गोली मारी गई है।

फौरन दी गई तालिबानी सजा
स्थानीय लोगों ने रेडियो फ्री एशिया को बताया कि, उत्तर कोरियाई अधिकारी तीन किशोरों को कहीं से पकड़कर लाए और फिर उन्हें लोगों की भीड़ के सामने खड़ा किया और फिर उन्हें फौरन मौत की सजा सुनाई गई और इससे पहले की किसी को कुछ समझ आता, तीनों को गोली मार दी गई, जिससे फौरन उनकी मौत हो गई। उत्तर कोरिया में पहले इस तरह से किसी को मौत की सजा मिलने की खबर दुर्लभ होती थी और विरले ही किसी को मौत की सजा देने की खबर सामने आती थी, लेकिन अब मौत की सजा के मामले तेजी से सामने आने लगे हैं। अधिकारी आम तौर पर लोगों को अपने मनचाहे तरीके से सजा सुनाने लगे हैं, ताकि लोगों में डर कायम किया जा सके।

विदेशी फिल्मों से किम को नफरत
उत्तर कोरिया शासन शुरू से ही विदेशी फिल्मों से नफरत करता रहा है, लेकिन हाल के सालों में दक्षिण कोरियाई और पश्चिमी फिल्में और टीवी शो काफी तेजी से उत्तर कोरिया में फैल गये हैं। वहीं, यूएसबी पेन ड्राइव के जरिए फिल्मों को चीन से तस्करी कर लाया जाता है और फिर उसे पूरे उत्तर कोरिया में भेजा जाता है। लिहाजा, उत्तर कोरिया के अंदर विदेशी फिल्मों की तस्करी का कारोबार काफी फैल गया है। लेकिन, अगर कोई ऐसा काम करते हुए पकड़ा जाता है, तो फिर उसे गोली मार दी जाती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कोरिया में काफी ज्यादा गरीबी है, जबकि दक्षिण कोरिया काफी तेजी से तरक्की कर रहा है, लिहाजा उत्तर कोरियाई शासन दक्षिण कोरियाई संस्कृति को लेकर चिंतित हो गया है और उसे जनता के विद्रोह का डर सताता रहता है, लिहाजा उत्तर कोरिया के अंदर दक्षिण कोरियाई फिल्म देखने या बांटने पर सख्ततम सजा का प्रावधान है।

जासूसी में पकड़े गये दोनों लड़के
सूत्रों के मुताबिक, जिन दोनों लड़कों को गोली मारी गई है, वो दोनों थंब ड्राइव में दक्षिण कोरियाई फिल्मों को बेच रहे थे और उत्तर कोरियाई जासूसों ने उन्हें जाल बिछाकर पकड़ा है। सूत्र ने कहा कि, किम जोंग के अधिकारी जनता के बीच जासूसी करते हैं और फिर दुकानदारों और फिल्म बेचने वालों को पकड़ लेते हैं। सूत्र ने कहा कि, ये दोनों लड़के भी जाल में फंस गये। उत्तरी हामग्योंग प्रांत के एक निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर आरएफए को बताया कि, फांसी की खबर पूरे देश में फैल गई और लोगों में दहशत फैल गई।
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कश्मीर पर दे चुकी हैं विवादित बयान, जर्मन विदेश मंत्री अब क्यों बता रही हैं भारत को आदर्श?

 

जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक दो दिवसीय भारत दौर पर आई हुई हैं। इस दौरान उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष डॉ. एस जयशंकर के साथ मुलाकात की और कई विषयों पर चर्चा की। इसके बाद दोनों नेताओं ने भारत-जर्मनी के बीच माइग्रेशन और मोबिलिटी को ले कर एक महत्वपूर्ण संधि पर हस्ताक्षर किए। इस संधि का उद्देश्य दोनों देशों के लोगों के लिए एक दूसरे के देश में पढ़ना, शोध करना और काम करना आसान बनाना है। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस अवसर पर जर्मनी की विदेश मंत्री ने भारत को दुनिया भर में कई देशों के लिए आदर्श बताया।

जर्मन मंत्री ने कश्मीर पर दिया था विवादित बयान
बेयरबॉक ने भारत रवाना होने से पहले कहा था कि भारत बीते 15 सालों में 40 लाख से अधिक लोगों को गरीबी के दायरे से बाहर निकालने में सफल रहा है, जो सराहना के योग्य है। इससे पता चलता है कि सामाजिक बहुलता, आजादी और लोकतंत्र भारत में आर्थिक विकास, शांति और स्थिरता का चालक है। बतादें कि इससे पहले जर्मनी की विदेश मंत्री बेयरबॉक भारत विरोधी बयान को लेकर चर्चा में रही थीं। उन्होंने कहा था कि हम कश्मीर मामले में शांतिपूर्ण समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र की बातचीत का समर्थन करते हैं। हालांकि अब एनालेना ने भारत को कई देशों का आदर्श बताया है।

यूक्रेन युद्ध से पूरी दुनिया में आया संकट
जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने भारत की जी-20 की अध्यक्षता और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की इस महीने की अध्यक्षता की जिम्मेदारी संभालने का स्वागत किया और कहा कि जर्मनी "भारत के साथ सुरक्षा सहयोग मजबूत करना चाहता है।" इसके साथ ही एनालीना बेरबॉक ने कहा, "यूक्रेन में चल रहे युद्ध ने पूरी दुनिया को एक कठिन स्थिति में ला दिया है, जिसमें भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति की भी समस्याएं शामिल हैं। जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि एक अवैध युद्ध ने पूरी दुनिया को एक मुश्किल स्थिति में ला दिया है और जब ऊर्जा आपूर्ति और उर्वरक की बात आती है तो इसने आपके देश के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।"

भारत एक बड़ी जिम्मेदारी संभालने जा रहा हैः जर्मन विदेश मंत्री
एनालेनी बेयरबॉक ने कहा कि भारत ऐसे कठिन वक्त में बड़ी जिम्मेदारी संभालने जा रहा है। यह हमारे वक्त की सबसे कठिन घड़ी है। जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की G20 अध्यक्षता और UNSC में आपकी अध्यक्षता हमारे G7 अध्यक्षता के साथ ओवरलैप करती है। बेयरबॉक ने कहा, "जी20 की अध्यक्षता संभालने के लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं। आपने हमारी चर्चा में स्पष्ट किया कि यह एक बहुत ही खास काम है। भारत इस मुश्किल घड़ी में वैश्विक जिम्मेदारी संभाल रहा है।" उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि भारत अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के आदर्श वाक्य के साथ जलवायु संकट से निपटने पर विशेष ध्यान दे रहा है।

भारत को बताया महत्वपूर्ण व्यापारिक साझीदार
इससे पहले, जर्मन विदेश मंत्री ने बाली में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा निभाई गई रचनात्मक भूमिका की सराहना की और यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर जी20 की स्पष्ट स्थिति के लिए नई दिल्ली को श्रेय दिया। दोनों नेताओं के बीच चीन को लेकर भी बातचीत हुई। बेरबॉक ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि चीन, जर्मनी के लिए कई मायनों में एक प्रतियोगी और एक प्रतिद्वंदी है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत जर्मनी का पुराना और महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है।
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Russia-Ukraine Crisis: यूक्रेन पर रूस ने और तेज किया हवाई हमला, पूरे देश में अलर्ट जारी


कीव (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच सोमवार को डोनेट्स्क और पोल्टावा क्षेत्रों में हवाई धमाके की खबर मिल रही है। खबरों के मुताबिक इन हमलों में दो व्यक्ति की मौत हो गई है वहीं, 3 लोग घायल हो गए हैं। यूक्रेन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि रूसी मिसाइलें दक्षिणी यूक्रेन के ज़ापोरिज़्ज़िया क्षेत्र में इमारतों से टकराईं, जिससे कई घर नष्ट हो गए और कम से कम दो लोगों की मौत हो गई।

अधिकारियों ने पूरे देश में अलर्ट जारी किया

शेफाली वर्मा को 18 साल की उम्र में मिली टीम इंडिया की कप्तानी
अधिकारियों ने पूरे देश में हवाई हमले की चेतावनी दी है और लोगों से सुरक्षित जगह शरण लेने का आग्रह किया है।रॉयटर्स ने बताया कि राष्ट्रपति कार्यालय के उप प्रमुख किरिलो टायमोशेंको ने हमलों के बारे में कोई और जानकारी नहीं दी। शहर के एक अधिकारी ने कहा कि ज़ापोरिज़्ज़िया शहर के उपनगरों में इमारतों को निशाना बनाया गया था और कुछ रूसी मिसाइलों को मार गिराया गया था। एक बिजली प्रदान करने वाली कंपनी ने कहा कि नवीनतम मिसाइल हमलों में सुमी के उत्तरी क्षेत्र में बिजली गुल हो गई है।

मिसाइल हमले से बिजली सेवा बाधित

वहीं, ओडेसा में, स्थानीय जल आपूर्ति कंपनी ने कहा कि एक मिसाइल हमले ने पम्पिंग स्टेशनों की बिजली काट दी, जिससे पूरे शहर में पानी की कमी हो गई। द कीव इंडिपेंडेंट ने बताया कि यूक्रेन में हवाई हमले की चेतावनी दी गई है। हवाई हमले की चेतावनी में क्रीमिया और लुहांस्क शामिल नहीं हैं। कीव इंडिपेंडेंट के अनुसार, खार्किव क्षेत्र में विस्फोटों की सूचना मिली थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूक्रेन के अधिकांश हिस्सों में हवाई हमले के अलर्ट बंद हो गए हैं।

रूस के दो इलाकों में भी धमाके की सूचना

इसी बीच रूस से दो सैन्य हवाई क्षेत्रों में भी धमाके की खबर आई है। इस धमाके में कई लोग मारे गए हैं। बीबीसी की खबर के मुताबिक मॉस्को के दक्षिण-पूर्व में रियाजान शहर के पास एअर फील्ड में एक ईंधन टैंकर में विस्फोट होने से तीन लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। वहीं, साराटोव क्षेत्र में हुए विस्फोट में दो अन्य लोगों के घायल होने की सूचना मिल रही है। फिलहाल अभी तक इन धमाकों की वजह का पता नहीं चला है। ये दोनों इलाके यूक्रेन की सीमा से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इन दोनों घटनाओं के बारे में सूचना दे दी गई है।


जेलेंस्की ने एकजुट रहने का किया आह्वान

इस बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने देशवासियों से सर्दियों के दौरान एकजुट रहने का आह्वान किया है। रविवार को एक वीडियो संबोधन में जेलेंस्की ने देशवासियों से कहा कि सभी लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। रूस की मंशा सर्दियों का फायदा उठाकर यूक्रेन के खिलाफ कार्रवाई करने की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूक्रेन के लोगों को इस सर्दी को सहने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो।
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“जब मैं बच्चा था...”, नस्लवाद पर ऋषि सुनक ने खोली जुबान, बकिंघम पैलेस घटना पर भी दी राय


लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन के बकिंघम पैलेस में नस्लवाद की घटना दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रही है। इस मामले में प्रिंस विलियम की गॉडमदर लेडी सुजैन हसी के इस्तीफे के बाद अब प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी नस्लवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। सुनक ने कहा कि अतीत में उन्होंने खुद भी नस्लवाद का अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि नस्लवाद के आरोप जहां कहीं भी लगेंगे, उसका सामना किया जाना चाहिए।

शाही महल घटना पर टिप्पणी से इनकार किया
दरअसल शाही परिवार की सदस्य सुजैन हसी के इस्तीफे के बाद जब इस मामले पर सुनक से सवाल किया गया तो उन्होंने अपनी बात रखी। सुनक ने कहा कि शाही महल के मामलों पर टिप्पणी करना उनके लिए सही नहीं होगा, हालांकि हम देख चुके हैं कि जिन्होंने ये गलती की थी उसे उन्होंने स्वीकार किया और उसके लिए माफी मांगी है। इस पर कार्रवाई भी की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि जैसा कि मैंने अतीत में बात की है, मैंने अपने जीवन में नस्लवाद का अनुभव किया है। हालांकि अब चीजें आगे बढ़ चुकी हैं।

नस्लवाद से निपटने में यूके ने की खूब प्रगति
सुनक ने कहा, "मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि कुछ चीजें हैं जो मैंने तब अनुभव कीं जब मैं एक बच्चा और एक युवा व्यक्ति था और मुझे आज नहीं लगता है अब ऐसा होगा क्योंकि हमारे देश ने नस्लवाद से निपटने में अविश्वसनीय प्रगति की है।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नस्लवाद से निपटने की दिशा में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। इसलिए हम जहां कहीं भी नस्लवाद देखें तो हमें उसका सामना करना चाहिए। यह सही है कि हम गलतियों से सबक लेते हैं और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ते हैं।

प्रिंस विलियम की गॉडमदर पर लगे नस्लवाद के आरोप
यूके पीएम ऋषि सुनक का यह बयान प्रिंस विलियम की गॉडमदर लेडी सुजैन हसी पर लगे नस्लवाद के आरोपों के बाद आया है। यह घटना ब्रिटेन की महारानी कैमिला के कार्यक्रम में हुई। इस कार्यक्रम का आयोजन घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को लेकर किया गया था। 83 साल की प्रिंस विलियम की गॉड मदर लेडी सुजैन हसी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं थी। सुजैन पर आरोप है कि उन्होंने 61 वर्षीय एक अश्वेत महिला नगोजी फुलानी से पूछा की वह अफ्रीका के किस हिस्से से आई हैं, जबकि महिला पहले ही कई बार यह बता चुकी थी की वो ब्रिटेन की ही नागरिक है।

सुजैन हसी को देना पड़ा इस्तीफा
नगोजी फुलानी के बार-बार यह बताने पर कि वह ब्रिटेन की हैं, और हैकनी में पैदा हुई थीं, सुजैन ने इस पर यकीन करने से इनकार कर दिया और अपना सवाल पूछना जारी रखा। नगोजी फुलानी घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए चैरिटी का काम करती हैं। घटना और आरोपों के प्रकाश में आने के बाद, बकिंघम पैलेस के एक प्रवक्ता ने इस्तीफा देने की खबर साझा करते हुए प्रतिक्रिया दी है। बकिंघम पैलेस के सदस्य की टिप्पणी पर महल के प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह निराशाजनक है और इस मामले की जांच की जा रही है।
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन कोविड-19 से संक्रमित

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कहा कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं लेकिन उनमें बीमारी के लक्षण हल्के हैं। साथ ही उन्होंने लोगों से कोविड-19 रोधी टीके की खुराक लेने की अपील की। अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति रहे क्लिंटन अक्टूबर 2021 को मूत्र नली के संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती रहे थे। क्लिंटन ने बुधवार को ट्वीट किया, मैं कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया हूं। मुझे हल्के लक्षण हैं लेकिन मैं कुल मिलाकर ठीक हूं और अपने आप को घर पर व्यस्त रख रहा हूं।

उन्होंने कहा, शुक्र है कि मैंने टीके की खुराक और बूस्टर खुराक ले रखी है जिसने मेरे लक्षणों को हल्का रखा और मैं सभी से टीका लगवाने की अपील करता हूं खासतौर से जब सर्दियां करीब आ रही हैं। जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, करीब तीन साल पहले कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से अमेरिका में संक्रमण के 9.86 करोड़ मामले आए और 10 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

 

 

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ब्रिटेन के शाही महल में नस्लवाद का मुद्दा फिर गरमाया, प्रिंस विलियम की गॉडमदर को देना पड़ा इस्तीफा

 

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन का शाही महल एक बार फिर से नस्लीय टिप्पणी को लेकर विवादों में है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बकिंघम पैलेस की एक सदस्य पर नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप है। इस मामले का खुलासा होने के बाद शाही परिवार की सदस्य को इस्तीफा देना पड़ा है। ब्रिटिश मीडिया द्वारा ऐसा दावा किया जा रहा है शाही परिवार की एक सदस्य ने शाही महल से जुड़ा काम करने वाली एक अश्वेत महिला से बार-बार उसके मूल स्थान को लेकर सवाल पूछा था।

महारानी के कार्यक्रम में हुई घटना
यह घटना ब्रिटेन की महारानी कैमिला के कार्यक्रम में हुई। इस कार्यक्रम का आयोजन घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को लेकर किया गया था। 83 साल की प्रिंस विलियम की गॉड मदर लेडी सुजैन हुस्से भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं थी। सुजैन पर आरोप है कि उन्होंने 61 वर्षीय एक अश्वेत महिला नगोजी फुलानी से पूछा की वह अफ्रीका के किस हिस्से से आई हैं, जबकि महिला पहले ही कई बार यह बता चुकी थी की वो ब्रिटेन की ही नागरिक है।

शाही महल के प्रवक्ता ने जताया दुख
नगोजी फुलानी के बार-बार यह बताने पर कि वह ब्रिटेन की हैं, और हैकनी में पैदा हुई थीं, सुजैन ने इस पर यकीन करने से इनकार कर दिया और अपना सवाल पूछना जारी रखा। नगोजी फुलानी घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए चैरिटी का काम करती हैं। घटना और आरोपों के प्रकाश में आने के बाद, बकिंघम पैलेस के एक प्रवक्ता ने इस्तीफा देने की खबर साझा करते हुए प्रतिक्रिया दी है। बकिंघम पैलेस के सदस्य की टिप्पणी पर महल के प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है।

लेडी सुजैन ने भी टिप्पणी पर जताया खेद
प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के मामलों को बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस तरह की टिप्पणी पर हमें खेद है। हम नागोजी से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, यदि वे चाहें तो इस मामले पर व्यक्तिगत रूप से हमें अपने बुरे अनुभव बता सकती हैं। हालांकि प्रवक्ता ने इस दौरान उसका नाम नहीं लिया जिस पर नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप है। प्रवक्ता ने कहा कि उस सदस्य ने माफी मांगने की इच्छा जाहिर की है और उन्हें इस बात पर अफसोस है कि उनकी टिप्पणी से किसी को तकलीफ हुई है।

शाही परिवार में नस्लवाद के लगते रहे हैं आरोप
आपको बता दें कि ब्रिटेन के शाही महल में नस्लभेद का यह कोई पहला मामला नहीं है। किंग चार्ल्स के छोटे बेटे प्रिंस हैरी की पत्नी मेगन मर्केल ने भी आरोप लगाया था कि महल में उन पर नस्लभेदी टिप्पणी की गई थी। मेगन ने कहा था कि उनके गर्भवती होने के दौरान महल के लिए काम करने वाले सदस्य ने उनके बच्चे के रंग को लेकर सवाल किए थे। लोगों को यह चिंता थी कि कहीं बच्चे का रंग अश्वेत न हो जाए।
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दो महिला PM जैसिंडा अर्डर्न और सना मारिन से रिपोर्टर ने पूछ दिया सेक्सिस्ट सवाल, जवाब सुन हो गई बोलती बंद


हेलसिंकी (छत्तीसगढ़ दर्पण)। फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन अपनी समकक्ष जैसिंडा अर्डर्न से मिलने न्यूजीलैंड पहुंचीं। यह दोनों की पहली मुलाकात थी। इस मुलाकात के बाद दोनों ने प्रेस को भी संबोधित किया। इस दौरान एक पत्रकार ने उनसे एक अजीब सवाल पूछ दिया जिसके बाद न्यूजीलैंड की पीएम ने ऐसा जवाब दिया जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। पत्रकार के सवाल और पीएम के जवाब को सोशल मीडिया पर खूब देखा जा रहा है।

रिपोर्टर ने पूछ दिया गलत सवाल
साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक रिपोर्टर ने पूछा, 'बहुत से लोग सोच रहे होंगे, कि क्या आप दोनों सिर्फ इसलिए मिल रही हैं क्योंकि आप दोनों महिलाए हैं और आपकी उम्र लगभग बराबर है। आप दोनों में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो कि एक जैसी हैं। जैसे कि आप दोनों की राजनीति में एंट्री या फिर क्या ये मीटिंग फिनलैंड और न्यूजीलैंड के रिलेशन को लेकर स्ट्रैटजी बनाने के लिए रखी गई थी?

जेसिका अर्डर्न ने रिपोर्टर की बोलती बंद
42 साल की न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न इस सवाल से हैरान हुईं मगर इसका जवाब उन्होंने बेहद संतुलित तरीके से दिया। अर्डर्न ने सवाल का जवाब देते हुए कहा, पहली बात तो ये कि क्या ऐसा सवाल कभी बराक ओबामा (अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति) और जॉन की (न्यूज़ीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री) से किया गया था? फिर ऐसा सवाल महिला प्रधानमंत्रियों से क्यों किया जा रहा है।

सना मारिन ने भी दिया जवाब
इसके आगे अर्डर्न ने कहा, हम जानते हैं कि आमतौर पर राजनीति में पुरूष अधिक होते हैं, लेकिन अगर दो महिला नेत्री मुलाकात करती हैं तो इसकी वजह सिर्फ जेंडर नहीं है। अर्डर्न की प्रतिक्रिया के बाद, 37 वर्षीय फिनलैंड की पीएम सना मारिन ने कहा कि 'हम मिल रहे हैं क्योंकि हम समकक्ष हैं। हम दोनों में काफी कुछ कॉमन है और हम एक साथ मिलकर बहुत काम करना चाहते हैं।"

यूजर कर रहे तारीफ
जैसिंडा अर्डर्न और सना मरीन ने एक जॉइंट स्टेटमेंट में कहा- हमने फिनलैंड-न्यूजीलैंड में होने वाले इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट, टेक्नोलॉजी, रूस-यूक्रेन जंग, क्लाइमेट क्राइसेस, ईरान में महिलाओं की स्थिति जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा की। इस वीडियो के वायरल होने के बाद यूजर्स ने दोनों प्रधानमंत्रियों के जवाब के तरीकों की खूब तारीफें की।
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अमेरिकी सेना ने ISIS प्रमुख अबू इब्राहिम अल-हाशिमी को मार गिराया

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन की तरह अब अमेरिकी सेना ने दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस के सरगना अबू इब्राहिम अल हाशिमी अल कुरैशी को मार गिराया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 30 नवंबर 2022 को ट्वीट कर यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बुधवार रात मैंने अपनी सेना को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। हमारी बहादुर सेना ने आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया और ISIS नेता अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी को मार गिराया।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने एक बयान जारी कर कहा कि अमेरिकी सेना ने उत्तर पश्चिमी सीरिया में आतंकवादियों के खिलाफ एक अभियान चलाया, जिसमें आतंकवादियों का सरगना मारा गया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी नागरिकों और हमारे सहयोगियों की सुरक्षा और दुनिया को एक सुरक्षित जगह बनाने के लिए सैन्य कर्मियों ने यह कार्रवाई की। उन्होंने सफल अभियान चलाने के लिए अमेरिकी सेना के जवानों की तारीफ की। कहा कि ऑपरेशन को अंजाम देकर सभी अमेरिकी सैनिक सुरक्षित लौट आए। 

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500 साल पुरानी चिट्ठी को वैज्ञानिकों ने किया डीकोड! किंग चार्ल्स पंचम ने लिखा था ये खूफिया खत

पेरिस (छत्तीसगढ़ दर्पण)।फ्रांस की क्रिप्टोग्राफर सेसिली पियरोट ने अपनी टीम के साथ मिलकर इस कोड को ब्रेक किया। 3 पन्नों की इस चिट्ठी में 70 लाइनें हैं। इसके साथ ही 120 अबूझ चिन्ह हैं, यानी वो शब्द खास तरह के कैरेक्टर से बने हैं।


फ्रांस के वैज्ञानिकों ने पूर्व रोमन सम्राट की 500 साल पुरानी चिट्ठी को डिकोड कर लिया है। 16वीं सदी के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक किंग चार्ल्स पंचम ने फ्रांस में अपने एक दूत को यह चिट्ठी भेजी थी। 3 पन्ने की इस चिट्ठी में राजा ने अनेकों प्रकार के अबूझ चिह्नों का इस्तेमाल किया था ताकि कोई भी आसानी ने इसे पढ़ नहीं पाए। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक किंग जॉर्ज पंचम ने 1547 में फ्रांस में अपने राजदूत को खत लिखा था।

तीन साल की मेहनत के बाद हुई डिकोड
फ्रांस की क्रिप्टोग्राफर सेसिली पियरोट ने अपनी टीम के साथ मिलकर इस कोड को ब्रेक किया। उन्हें इस लेटर के बारे में तीन साल पहले अपने दोस्त की एक डिनर पार्टी में पता चला था। इसके बाद उन्होंने उसी शहर की पुरानी लाइब्रेरी के बेसमेंट में उस चिट्ठी को खोजा और उसपर शोध शुरू किया था। तीन सालों की मेहनत के बाद आखिरकार इस पहली को सुलझा लिया गया। 3 पन्नों की इस चिट्ठी में 70 लाइनें हैं। इसके साथ ही 120 अबूझ चिन्ह हैं, यानी वो शब्द खास तरह के कैरेक्टर से बने हैं।

बेहद डरकर जीता था किंग चार्ल्स
वैज्ञानिकों ने पाया कि चिह्न दो अलग प्रकार के थे। कई चिह्न एक अक्षर थे, वहीं कई चिह्न पूरा शब्द थे और कुछ ऐसे भी थे जिनका कोई काम नहीं था। डिकोड करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि चिट्ठी में किंग चार्ल्स ने अपने राजदूत से उस वक्त फ्रांस और स्पेन के बीच हुई कई लड़ाइयों और तनावों का जिक्र किया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक बेहद शक्तिशाली होने के बाद चार्ल्स पंचम डरकर जीता था।

राजा को था अपनी हत्या का डर
रिपोर्ट के मुताबिक इस चिट्ठी में उसने हत्या हो जाने की आशंका व्यक्त की थी। राजा ने चिट्ठी में लिखा है कि वे अंग्रेज और फ्रेंच विद्रोहियों की मदद पहुंचने से रोकना चाहते हैं। इसके अलावा उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि एक अफवाह फैल रही है जिसमें कहा जा रहा है कि पिएरे स्ट्रोजी उन्हें मारने की कोशिश कर रहा है जो इटैलियन हत्यारा है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस चिट्ठी को डिकोड तो कर लिया, मगर इसके बारे में अभी तक पूरी रिपोर्ट नहीं दी है।

40 सालों तक किया यूरोप पर शासन
रोमन सम्राट और स्पेन के राजा किंग चार्ल्स पंचम ने अपने 40 से अधिक वर्षों के शासनकाल के दौरान यूरोप के एक विशाल भूभाग पर शासन किया था। इस दौरान वे अपने विश्वासपात्र मंत्रियों के सहारे ही इतने बड़े साम्राज्य को चला रहा था। वो गूढ़ भाषा में चिट्ठी लिखकर अपने मंत्रियों को संदेश पहुंचाता था। वो अपने पत्रों में किस भाषा का इस्तेमाल करता था, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। इसी के तहत उसके अधिकांश चिट्ठियां आज भी एक पहेली बने हुए हैं।
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत के साथ मुक्‍त व्‍यापार समझौते की प्रतिबद्धता दोहरायी

ब्रिटेन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने मुक्‍त व्‍यापार समझौते-एफटीए में अपने देश की वचनबद्धता दोहराई है, जिसमें भारत-प्रशांत क्षेत्र के साथ सम्‍बन्‍ध बढ़ाने पर विशेष ध्‍यान केन्द्रित करने के लिए भारत शामिल होगा। लॉर्ड मेयर ऑफ लंदन बैंक्‍वेट में ब्रिटेन की विदेश नीति पर कल श्री सुनक ने व्‍याख्‍यान दिया। उन्‍होंने अपनी विरासत का उल्‍लेख करते हुए विश्‍वभर में ब्रिटेन के स्‍वतंत्रता और खुलेपन के मूल्‍यों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने चीन के साथ अलग तरह से काम करने का संकल्‍प व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंने कहा कि चीन ब्रिटेन के मूल्‍यों और हितों के समक्ष चुनौती बना हुआ है। श्री सुनक ने कहा कि भारत-प्रशांत 2050 तक विकास में आधे से अधिक योगदान देगा, जबकि यूरोप और उत्‍तर अमरीका दोनों, विश्‍व के विकास में एक-एक चौथाई का योगदान देंगे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत प्रशांत के अनुकूल पहलुओं पर विचार करते हुए ब्रिटेन ट्रांस-पेसिफिक व्‍यापार समझौते, सीपीटीपीई में शामिल हो रहा है और भारत के साथ नया मुक्‍त व्‍यापार समझौता कर रहा है और इंडोनेशिया के साथ ऐसे समझौते पर विचार कर रहा है।

श्री सुनक ने इस बात की पुष्टि की कि ब्रिटेन की विदेश नीति से सम्‍बन्धित और विवरण नए वर्ष में अद्यतन समेकित समीक्षा में शामिल होगा जिसमें राष्‍ट्रमंडल के साथ निकट सहयोग का उल्‍लेख भी होगा।

 

 

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Twitter में हो सकता है बड़ा बदलाव, 280 से बढ़कर अब इतनी हो जाएगी कैरेक्टर लिमिट, एलन मस्क ने दिया संकेत

ट्विटर पर केवल 5 फीसदी यूजर ही ट्वीट करते समय 190 कैरेक्टर से अधिक वर्ड का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, सिर्फ 12 फीसदी लोग हैं जो ट्वीट के लिए 140 से अधिक अक्षरों का इस्तेमाल करते हैं।

Twitter के नए बॉस एलन मस्क ने कंपनी में कई सारे बदलाव किए हैं। इसी कड़ी में, अब वे ट्विटर में एक और बड़े बदलाव की तैयारी में हैं जिसका संकेत उन्होंने यूजर्स को दे दिया है। लंबे समय से लोगों की मांग को स्वीकारते हुए एलन मस्क ने ट्विटर पोस्ट के लिए कैरेक्टर लिमिट बढ़ाने के संकेत दिए है।

अधिकतर यूजर कम शब्दों में ही चलाते हैं काम
वर्तमान में ट्विटर पर किसी भी पोस्ट के लिए कैरेक्टर लिमिट 280 है। शुरुआत में इसकी लिमिट 140 कैरेक्टर थी, लेकिन नवंबर 2017 में इसे बढ़ाकर 280 किया गया था। अब इस लिमिट को बढ़ाकर 1,000 कैरेक्टर किया जा सकता है। हालांकि ट्विटर कैरेक्टर लिमिट से जुड़ी एक दिलचस्प बाद ये है कि पांच साल पहले शब्द सीमा बढ़ाने के बाद भी ऐसा पाया गया है कि अभी भी 95 फीसदी लोग ट्विटर पर 190 कैरेक्टर से कम अक्षर का इस्तेमाल करते हैं।

1 फीसदी यूजर्स ही करते हैं 280 कैरेक्टर का इस्तेमाल
ट्विटर पर केवल 5 फीसदी यूजर ही ट्वीट करते समय 190 कैरेक्टर से अधिक वर्ड का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, सिर्फ 12 फीसदी लोग हैं जो ट्वीट के लिए 140 से अधिक अक्षरों का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, केवल 1 फीसदी लोग ही ऐसे हैं जो ट्वीट करते समय पूरे के पूरे 280 कैरेक्टर का इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब है कि अधिकतर यूजर कम शब्दों में ही अपना ट्वीट पोस्ट करते हैं।

एलन मस्क पहले भी दे चुके हैं संकेत
Mashable की एक रिपोर्ट के मुताबिक एलन मस्क ने ट्विटर प्लेटफॉर्म के टेकओवर के बाद से ही कई बार कैरेक्टर सीमा बढ़ाने के संकेत दिए हैं। इससे पहले 27 नवंबर को एक यूजर ने एलन मस्क को 280 शब्दों से बढ़ाकर इसे 420 करने का सुझाव दिया, जिसके जवाब में एलन मस्क ने गुड आईडिया लिखा। इससे पहले 30 अक्टूबर को एक शख्स ने एलन मस्क को कैरेक्टर लिमिट से छुटकारा पाने का सुझाव दिया था। इसके जवाब में एलन मस्क ने 'बिल्कुल' लिखा था।

जल्द ही कैरेक्टर लिमिट बढ़ाने का चला सकते हैं पोल
इससे पहले, एलन मस्क ने ट्वीट कर पूछा था कि क्या ट्विटर में भूल सुधार का विकल्प जोड़ा जाना चाहिए, जिसमें ज्यादातर यूजर्स ने हां में जवाब दिया और कुछ ही समय में ट्वीट एडिट करने का विकल्प प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया। एक अन्य ट्वीट में, मस्क ने पूछा था कि क्या उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अकाउंट एक्टिवेट करना चाहिए। इसके बाद अधिकांश यूजर्स इस बात पर भी सहमत थे, जिसके बाद मस्क ने अगले दिन अकाउंट एक्टिवेट कर दिया। ऐसे में उम्मीद है जताई जा रही है कि एलन मस्क जल्द ही कैरेक्टर लिमिट में बदलाव को लेकर भी एक पोल आयोजित करेंगे, जिसमें यूजर्स की चॉइस के आधार पर फैसले लिए जाएंगे।
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चीन में, कोविड पाबंदियों का विरोध कई बड़े शहरों में फैला

 पेइचिंग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन में कोविड के कारण लगाए गए लॉकडाउन और सख्त प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पेइचिंग और शंघाई सहित कई बड़े शहरों में फैल गए है। राष्ट्रपति षी जिनपिंग की शून्य कोविड नीति के खिलाफ सोमवार की रात सैकड़ों प्रदर्शनकारी पेइचिंग में एकत्र हुए। शंघाई में सप्ताहांत में दूसरी बार प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाये और लॉकडाउन समाप्त करने की मांग की।

चीन में सोमवार को 40 हजार से अधिक कोविड के नये मामलों की पुष्टि हुई। इस बीच, स्टेट कांउसिल ने हाल ही में घोषित शून्य कोविड नीति के 20 बिंदुओं को सही ढंग से लागू नहीं करने के लिए स्थानीय अधिकारियों को दोषी ठहराया है।

 

 

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चीन में उठ रही राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग को पद से हटाने की मांग

 शिनजियांग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन में राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग की जीरो कोविड नीति और तिब्‍बत विरोधी नीतियों को लेकर कई बार देश के अलग-अलग हिस्‍सों में विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। हाल ही में शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में आधी रात को जो प्रदर्शन हुआ उसकी भी वजह यही दोनों मुद्दे थे।

तिब्‍बत के विभिन्‍न क्षेत्रों में राष्‍ट्रपति शी के खिलाफ होने वाले ये विरोध प्रदर्शन इस बात का भी सबूत हैं कि तिब्‍बत में चीन से अलग होकर अपनी पहचान बनाने की चिंगारी अब भी सुलग रही है। शनिवार रात को शिनजियांग में राष्‍ट्रपति शी का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों ने जो बैनर और पोस्‍टर लिए हुए थे उन पर शी को राष्‍ट्रपति पद से हटने और जीरो कोविड नीति के चलते लगे लाकडाउन को समाप्‍त करने के स्‍लोगन लिखे थे।

 

 

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पहले पुलिस ने पीटा... फिर पहनाई हथकड़ी... अब आमने सामने हुए दो देश...

चीन में कोविड नीति के विरोध-प्रदर्शन की रिपोर्टिंग कर रहा ब्रिटिश पत्रकार गिरफ्तार

 शंघाई/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन में जीरो कोविड नीति के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गया है। इस दौरान शंघाई में जीरो कोविड नीति के खिलाफ हुए प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग के दौरान पुलिस ने बीबीसी के एक पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया। अपने पत्रकार को गिरफ्तार किए जाने की बीबीसी ने कड़े शब्‍दों में निंदा की है। बीबीसी ने चीन के प्रशासन द्वारा पत्रकार के साथ किए जाने वाले दुर्व्‍यवहार पर भी चिंता जताई है। बीबीसी का कहना है कि उसके पत्रकार को प्रशासन ने उस वक्‍त गिरफ्तार किया जब वो शंघाई में विरोध प्रदर्शन की रिपार्टिंग कर रहा था। उसके हाथों में हथकड़ी पहनाई गई और उसके साथ बदसलूकी की गई।


आमने सामने हुए ब्रिटेन और चीन
ब्रिटेन के मंत्री ग्रांट शेप ने कहा है कि ये घटना बेहद निंदनीय है। इस पर चीन की तरफ से किसी भी बहाने को स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है। न ही चीन की माफी ही मानी जाएगी। वहीं चीन ने इस मामले में टिप्‍पणी देते हुए कहा कि पत्रकार ने अपनी पहचान को उजागर नहीं किया था। इस वजह से ये सब कुछ हो गया। चीन की तरफ से ये बयान विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने दिया है। 



बीबीसी ने इस घटना के बाबत एक बयान जारी कर इस पूरी घटना पर चिंता जताई है। बीबीसी का आरोप है कि उसके पत्रकार Ed Lawrence को रिपोर्टिंग करने से रोकने के लएि पहले लात मारी और फिर उसकी पिटाई की, बाद में उसको गिरफ्तार कर लिया गया। अपने पत्रकार के साथ हुए इस तरह के दुर्व्‍यवहार से चिंतित बीबीसी ने कहा है कि उसको पुलिस ने कई घंटों तक अपनी गिरफ्त में रखा और फिर बाद में छोड़ दिया।

माफी से काम नहीं चलेगा
बीबीसी ने कहा है कि जिनके साथ ऐसा हुआ वो एक प्रतिष्ठित संस्‍था से जुड़ा है। अपने पत्रकार के साथ हुए इस दुर्व्‍यवहार पर बीबीसी ने यहां तक कहा है कि उनके पत्रकार पर उस वक्‍त हमला किया गया जब वो अपने आधिकारिक काम को अंजाम दे रहे थे। बीबीसी ने ये भी साफ कर दिया है कि वो इस घटना के लिए किसी भी तरह की माफी या चीन की तरफ से किसी भी आधिकारिक टिप्‍पणी को नहीं मानने वाली है। ये संस्‍था इस घटना की कड़ी निंदा करती है।

कई शहरों में हो रहे प्रदर्शन
अंतरराष्‍ट्रीय मीडिया के मुताबिक इस बीच चीन के कई शहरों में सरकार की जीरो कोविड नीति के खिलाफ जबरदस्‍त विरोध प्रदर्शन जारी है। इन सभी में राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग को पद से हटाने की मांग की जा रही है। शिनजियांग के अपार्टमेंट में पिछले दिनों आग लगने की घटना के बाद यहां की प्रांतीय राजधानी में भी व्‍यापक स्‍तर पर इस जीरो कोविड नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस घटना में 10 लोगों की मौत हो गई थी।

लोगों का भड़का गुस्‍सा
शिनजियांगा की इस घटना ने लोगों का गुस्‍सा भड़काने में मदद की है। वीडियो फुटेज में इस बात का भी दावा किया जा रहा है कि लाकडाउन की वजह से फायरफाइटर्स को आग वाली जगह पर पहुंचने में काफी देरी हुई थी। चीन के फाइनेंशियल हब कहे जाने वाले शंघाई में सैकड़ों लोगों ने इस आग में मरने वालों के प्रति श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल मार्च भी निकाला था।

 

 

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आतंकियों ने होटल पर किया कब्ज़ा... रुक-रुक कर हो रही गोलीबारी... 4 की मौत...

 मोगादिशु/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सोमालिया की राजधानी मोगादिशु के होटल पर आतंकियों ने कब्ज़ा कर लिया है। आतंकियों ने रविवार रात होटल पर हमला कर वहां अपना कब्जे जमा लिया है। इस दौरान 4 लोगों की मौत हो गई है।


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति भवन के करीब स्थित विला रोज होटल (Villa Rose hotel) पर रविवार को अल कायदा से जुड़े अल शबाब के आतंकियों ने हमला किया था। इनके पास बंदूकें और विस्फोटक थे। हमला होने के बाद बचाव के लिए कुछ सरकारी अधिकारी होटल की खिड़कियों से बाहर निकले। सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से बताया कि कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई है। आज भी  होटल में गोलियां चलने की आवाज सुनाई दे रहीं हैं। यह जानकारी होटल के करीब रहने वाले शख्स और पुलिस अधिकारी ने दी।

इस होटल में अक्सर सरकारी अधिकारी बैठकें करते हैं। होटल के करीब रहने वाले इस्माइल हाजी ने बताया, 'अभी तक होटल के अंदर भारी गोलीबारी हो रही है और हम लगातार विस्फोटों की आवाजें सुन रहे हैं। बीती रात से अब तक हम अपने घरों में हैं।'

होटल के भीतर सुरक्षाबलों व हमलावरों के बीच जारी है जंग
नाम न बताने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ' गाशान और हरमकैड (Gaashaan and Haramcad) के नाम से मशहूर स्पेशल फोर्स यूनिट ने यह ऑपरेशन अपने हाथ ले लिया।' अधिकारी ने आगे बताया, होटल के भीतर अब तक हमलावरों के साथ संघर्ष जारी है। होटल पर हमला होने के बाद वहां से कितने लोगों को सुरक्षित निकाला गया और कितने हताहत हुए हैं, इस बारे कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। मोगादिशु के सरकारी अधिकारी अधिकतर इस होटल में मीटिंग्स करते रहे हैं।

अल शबाब (Al Shabaab) सरकार पर अपना कब्जा चाहता है। कट्टरपंथी इस्लामिक कानून के आधार पर यह गुट मोगादिशु में अपनी सत्ता लागू करना चाहता है। मोगादिशु व अन्य इलाकों में इस आतंकी गुट के हमले होते रहते हैं। राष्ट्रपति हसन शेख महमूद (Hassan Sheikh Mohamud) ने इसी साल सत्ता संभाली है। उन्होंने इस गुट के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है।

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हिंद महासागर में घुसने के लिए चीन ने 19 देशों के साथ की 'सीक्रेट मीटिंग', भारत को नहीं बुलाया


Indi-China in Indian Ocean (छत्तीसगढ़ दर्पण)। हिन्द महासागर में घुसने की फिराक में लगा चीन लगातार नये नये प्लान बना रहा है और दो महीने पहले श्रीलंकन पोर्ट हंबनटोटा में जासूसी जहाज भेजने के बाद अब चीन ने 19 देशों के साथ मिलकर बड़ा प्लान तैयार किया है। 19 देशों के साथ चीन की चली इस मीटिंग का हिस्सा भारत नहीं था और इस बैठक का आयोजन चायना इंटरनेशनल डेवलपमेंट को- ऑपरेशन एजेंसी यानि CIDCA ने करवाया था। रिपोर्ट के मुताबिक, यह बैठक चीन के युन्नान प्रांत के कुनमिंग में आयोजित किया गया था, जिसके एजेंडे में "साझा विकास" को रखा गया था, जिसमें ब्लू इकोनॉमी पर चर्चा की गई है। 

कौन-कौन से देश हुए थे शामिल
चीन में आयोजित इस बैठक में इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशेल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती और ऑस्ट्रेलिया सहित 19 देशों के प्रतिनिधि और 3 अंतरराष्ट्रीय संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित थे। जानकार सूत्रों के अनुसार भारत को कथित तौर पर इस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। आपको बता दें कि, पिछले साल भी चीन ने भारत की भागीदारी के बिना COVID-19 वैक्सीन सहयोग पर कुछ दक्षिण एशियाई देशों के साथ बैठक की थी। CIDCA का नेतृत्व पूर्व उप विदेश मंत्री और भारत में राजदूत रह चुके लुओ झाओहुई ने किया है जो चायनीज कम्युनिस्ट पार्टी के लीडरशिप ग्रुप के सचिव भी हैं।

चीन की इस बैठक का मकसद क्या था?
CIDCA की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, संगठन का उद्देश्य विदेशी सहायता के लिए रणनीतिक दिशानिर्देश, योजना और नीतियां बनाना, प्रमुख विदेशी सहायता मुद्दों पर आपसी समन्वय करना और सलाह देना, विदेशी सहायता से जुड़े मामलों में देश के सुधारों को आगे बढ़ाना और प्रमुख कार्यक्रमों की पहचान करना और उनका कार्यान्वयन भी शामिल है। लेकिन, बैठक का असल उद्येश्य चीन को हिन्द महासागर में खुद को एक शक्ति के तौर पर प्रोजेक्ट करना है और इसके लिए उसने भारत के सभी पड़ोसियों को इस बैठक में शामिल किया था। इस साल जनवरी में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने श्रीलंका की यात्रा की थी और इसी दौरान चीनी विदेश मंत्री ने हिंद महासागर के देशों को लेकर एक मंच बनाने की शुरूआत की थी और उन्होंने श्रीलंका से इस ग्रुप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को कहा था। जाहिर है, चीन का मकदस हिंद महासागर की सबसे बड़ी शक्ति भारत को दरकिनार कर हिन्द महासागर में अपना वर्चस्व स्थापित करना है। सीआईडीसीए की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, 21 नवंबर की बैठक में चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और देशों के बीच एक समुद्री आपदा रोकथाम और शमन सहयोग तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है और चीन ने कहा है, कि वो इसके लिए आवश्यक वित्तीय, सामग्री और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।

हिन्द महासागर में घुसने की कोशिश
चीन लगातार हिंद महासागर में वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए वो बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान के साथ तेजी से रणनीतिक संबंध विकसित करने की कोशिश कर रहा है। इसके साथ ही चीन ने जिबूती में एक पूर्ण नौसैनिक अड्डा स्थापित किया है, जो देश के बाहर उसका पहला नौसैनिक बंदरगाह है। इसके साथ ही बीजिंग ने 99 साल के पट्टे पर श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह का भी अधिग्रहण किया हुआ है। वहीं, चीन ने भारत को घेरने के लिए भारत के पश्चिमी तट के विपरीत अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर में बंदरगाह का निर्माण किया है। वहीं, मालदीव में भी समुद्र में चीन लगातार बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहा है। चीनी फोरम का उद्देश्य स्पष्ट रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के मजबूत प्रभाव का मुकाबला करना है। भारत की स्थिति पहले से ही हिंद महासागर में काफी मजबूत है और भारत ने पहले ही हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की स्थापना कर रखी है, जिसमें 23 सदस्य हैं।

भारत का IORA संगठन क्या है?
IORA संगठन का गठन साल 1997 में किया गया था और IORA साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और अफ्रीकी संघ का पर्यवेक्षक बना था। IORA के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय देशों के बीच सक्रिय सहयोग के लिए साल 2015 में "क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास" (SAGAR) का प्रस्ताव दिया है। वहीं, भारतीय नौसेना समर्थित 'हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी' (आईओएनएस) क्षेत्र की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। वहीं, जून 2020 में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प के बाद से द्विपक्षीय संबंध गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। वहीं, भारत ने लगातार कहा है कि, चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता महत्वपूर्ण है।
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