दुनिया-जगत

चीन की ताइवान को अलग-थलग करने की योजना को कभी पूरा नहीं होने देगा अमेरिका : नैंसी पेलोसी

टोक्‍यो (छत्तीसगढ़ दर्पण)।  अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्‍पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा है कि यूएस ताइवाान को अलग-थलग करने की चीन की योजना को कभी सफल नहीं होने देगा। उन्‍होंने ये बयान जापान पहुंचकर दिया है।जापान के दौरे पर नैंसी ने कहा कि चीन चाहता है कि ताइवान कहीं भी किसी भी मंच पर सहभागिता न दिखा सके। यही वजह है कि वो उसको अलग-थलग रखना चाहता है। चीन हमें किसी को भी ताइवान जाने से रोक नहीं सकता है।

बता दें कि नैंसी के एशिया दौरे में जापान उनका आखिरी पड़ाव है। इससे पहले वो दक्षिण कोरिया गई थीं, जहां पर उन्होंने उत्‍तर-दक्षिण कोरिया के बीच बने Demilitrised zone को भी देखा था। उनसे पहले इस जगह पर वर्ष 2019 में तत्‍कालीन अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप गए थे।

नैंसी के जापान दौरे पर दोनों देशों ने ताइवान का साथ देने पर सहमति जताई है। जापान का कहना है कि चीन की करीब 5 मिसाइल उसके इकनामिक जोन में भी गिरी हैं। टोक्‍यो की तरफ से इस पर कड़ी नाराजगी जताई गई है बता दें कि जापान पहुंचकर शुक्रवार को नैंसी पेलोसी ने जापान के पीएम फूमियो किशिदा से मुलाकात की। किशिदा का कहना है कि चीन की लाइव फायर ड्रिल से उनकी सुरक्षा को भी खतरा खड़ा हो गया है। इस बीच चीन ने कहा है कि वो आसिया सम्‍मेलन में जापान का बायकाट करेगा। ये सम्‍मेलन कंबोडिया में होगा।

 

 

 

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अमेरिका ताइवान को अकेला नहीं छोड़ेगा : पेलोसी

 ताइपे (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका की प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने बुधवार को कहा कि ताइवान की यात्रा पर पहुंचा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश दे रहा है कि अमेरिका स्वशासी द्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे नहीं हटेगा। चीन के विरोध के बावजूद पेलोसी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ताइवान में कई नेताओं के मुलाकात कर रहा है।

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ मुलाकात के बाद एक संक्षिप्त बयान में उन्होंने कहा, आज विश्व के सामने लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच एक को चुनने की चुनौती है। ताइवान और दुनियाभर में सभी जगह लोकतंत्र की रक्षा करने को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता अडिग है।

ताइवान को अपना क्षेत्र बताने और ताइवान के अधिकारियों की विदेशी सरकारों के साथ बातचीत का विरोध करने वाले वाले चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के मंगलवार रात ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचने के बाद द्वीप के चारों ओर कई सैन्य अभ्यासों की घोषणा की और कई कड़े बयान भी जारी किए।

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संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि के रूप में रचनात्मक कार्यकाल की कामना करती हूं: कंबोज

 संयुक्त राष्ट्र (छत्तीसगढ़ दर्पण)। संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहली महिला स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्यभार संभालने वाली राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि वह एक ऐसे रचनात्मक कार्यकाल की कामना कर रही हैं, जो देश के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बाकी बचे कार्यकाल में और उसके बाद भी भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को बहुपक्षीय ढांचे का रूप दे पाए।

कंबोज (58) ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस को मंगलवार को अपना परिचय पत्र सौंपा था। वह 1987 बैच की भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी हैं और भूटान में भारत की राजदूत के रूप में सेवाएं दे चुकी हैं। उन्हें जून में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत की स्थायी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने राजदूत टीएस तिरुमूर्ति की जगह ली है।

कंबोज ने ऐसे समय में पदभार ग्रहण किया है, जब 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल का कार्यकाल इस साल दिसंबर में समाप्त होने वाला है। दिसंबर में देश संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली निकाय की अध्यक्षता भी करेगा।

कंबोज ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, मैं संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में पद ग्रहण करके बहुत सम्मानित महसूस कर रहीं हूं और ऐसे समय में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जब हम इस साल भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे।

गुतारेस के साथ बैठक के बाद उन्होंने ट्वीट किया, आज, मैंने संयुक्त राष्ट्र में भारत की नयी स्थायी प्रतिनिधि के रूप में विश्व निकाय के महासचिव एंतोनियो गुतारेस को अपना परिचय पत्र सौंप दिया। इस पद पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला होना गर्व की बात है। सभी लड़कियों से कहना चाहूंगी कि हम सब कुछ कर सकते हैं।

कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को परिचय पत्र सौंपने से पहले सोमवार को ट्वीट किया था, सुरक्षा परिषद में आज अपने सभी सहयोगी राजदूतों से मिलकर बहुत अच्छा लगा। इस नए पद के जरिए अपने देश की सेवा करना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है।

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संकटग्रस्त श्रीलंका को मदद देने के लिए विक्रमसिंघे ने भारत को धन्यवाद दिया

 कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे उनके देश को समय पर आर्थिक मदद देकर बेहद जरूरी राहत पहुंचाने के लिए भारत एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को धन्यवाद दिया।

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने सात दिन तक स्थगित रहने के बाद बुधवार को फिर से बुलाए गए संसद के सत्र को संबोधित कते हुए कहा, मैं आर्थिक संकट से उबरने के हमारे प्रयासों के लिए हमारे निकटतम पड़ोसी देश भारत द्वारा मुहैया कराई गई मदद का विशेष रूप से जिक्र करना चाहता हूं।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने हमें बेहद जरूरी मदद दी। मैं अपने लोगों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत सरकार एवं भारत के लोगों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। मोदी ने पिछले सप्ताह राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से कहा था कि भारत आर्थिक संकट से उबरने एवं स्थिरता के प्रयासों में श्रीलंका के लोगों की स्थापित लोकतांत्रिक माध्यमों से मदद करना जारी रखेगा।

श्रीलंका की नयी सरकार के सामने देश को आर्थिक संकट से उबारने और व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है। श्रीलंका में आर्थिक संकट के मद्देनजर विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर जाना पड़ा था और इस्तीफा देना पड़ा था।

भारत सरकार श्रीलंका को इस साल जनवरी से अब तक करीब चार अरब डॉलर की मदद दे चुकी है। श्रीलंका को अपने करीब दो करोड़ 20 लाख लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अगले छह महीनों में करीब पांच अरब डॉलर की जरूरत है। देश वित्तीय मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अन्य देशों से बातचीत कर रहा है, ताकि वह आर्थिक संकट से उबर सके।

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अब इन दो देशों के बीच छिड़ी जंग, हमले में तीन सैनिकों की मौत, कई घायल...

 येरेवान/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच एक बार फिर तनातनी शुरू हो गई है। नागोर्नो-कारबाख के एक इलाके में दोनों देशों के सुरक्षाबलों के बीच संघर्ष हुआ है। हमले में तीन सैनिकों के मारे जाने की खबर है।


नागोर्नो-कारबाख के सैन्य अधिकारियों ने दावा किया है कि अजरबैजान की आर्मी ने ड्रोन हमले किए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, हमले में उनके दो सैनिक मारे गए हैं जबकि 14 घायल हो गए।

अजरबैजान ने लगाया आतंकी हमले का आरोप

वहीं, अजरबैजान ने आर्मेनियाई सैनिकों पर हमले का आरोप लगाया है। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि आर्मेनियाई सैनिकों द्वारा अवैध आतंकी कार्रवाई में उनके देश का एक सैनिक मारा गया है। अजरबैजान ने आर्मेनियाई सैनिक के हमले पर जवाबी कार्रवाई की है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जवाबी हमले में अवैध आर्मेनियाई आतंकी मारे गए हैं। हमले में कुछ घायल भी हुए हैं। इस हमले के बाद नागोर्नो-कराबाख के अलगाववादी नेता ने बुधवार को आंशिक सैन्य लामबंदी की घोषणा की, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया।

नागोर्नो-कराबाख पर दशकों पुराना है विवाद
नागोर्नो-कराबाख को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद काफी पुराना है। ये इलाका अभी अजरबैजान में है। हालांकि, इस पर 1994 से आर्मेनिया का नियंत्रण है। इस क्षेत्र में 2020 में भी एक युद्ध हुआ था। इस युद्ध में 6600 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 6 हफ्तों तक चली जंग के बाद रूस ने मध्यस्थता कर दोनों देशों के बीच शांति समझौता कराया था। रूस ने इलाके में दो हजार से ज्यादा जवानों को भेजा था।

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चेतावनी के बावजूद पेलोसी पहुंचीं ताइवान, चीन ने इन वस्तुओं के आयात-निर्यात पर लगाई पाबंदियां...

 बीजिंग/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चिढ़े चीन ने जहां ताइवान में अपने लड़ाकू विमान उड़ाकर शक्ति प्रदर्शन किया, वहीं आज से नेचुरल सैंड के निर्यात और कई अन्य वस्तुओं के आयात-निर्यात पर पाबंदी लगा दी। नेचुरल सैंड यानी सिलिका सेमीकंडक्टर बनाने के काम आती है। ताइवान को सेमीकंडक्टर उत्पादन में महारथ हासिल है।

ताइवान को नेचुरल सैंड (बालू रेत) का निर्यात रोकने का फैसला चीन के वाणिज्य मंत्रालय सीटीजीएन ने किया। चीन द्वारा ताइवान पर कई अन्य व्यापार पाबंदियां भी लगाए जाने की खबर है। इससे अमेरिका और ताइवान का चीन के साथ तनाव और बढ़ सकता है। कराची में चीन के महावाणिज्यदूत लिबिजियन ने बताया कि बुधवार से ताइवान क्षेत्र से खट्टे फलों, ठंडे सफेद बालों की पूंछ और फ्रोजन हॉर्स मैकेरल आदि के आयात को रोक दिया गया है। चीन के सीमा शुल्क सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।  का कहना है।

उल्लेखनीय है कि ताइवान दुनिया का अग्रणी सेमीकंडक्टर चिप निर्माता है। ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कारपोरेशन (TSMC) का सेमीकंडक्टर उत्पादन में 56 फीसदी हिस्सेदारी है। दरअसल, सेमीकंडक्टर  किसी भी इलेक्ट्रॉनिक व अन्य उपकरण और वाहनों आदि में बिजली के प्रवाह को रोकने का काम करते हैं। इन्हें अर्द्धचालक भी कहा जाता है। ये पावर डिस्प्ले और डेटा ट्रांसफर जैसे कई प्रकार के कार्य करती हैं। इनका कारों व अन्य वाहनों के अलावा फ्रीज, लैपटॉप, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है।

बता दें, पेलोसी मंगलवार रात चीन की तमाम धमकियों को दरकिनार कर ताइवान पहुंच गई हैं। इसके विरोध में चीन ने जहां अपने लड़ाकू विमान ताइवान के वायु क्षेत्र में भेजे वहीं, युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया। हालांकि, अमेरिका और नैंसी पेलोसी पर इनका कोई असर नहीं हुआ।
 
पेलोसी ने बताया, इसलिए आई हूं यहां...
अमेरिकी स्पीकर पेलोसी ने ताइवानी मीडिया से चर्चा में कहा, 'मैं यहां ताइवानी जनता की बात सुनने और यह सीखने के लिए आई हूं कि हम एक साथ कैसे आगे बढ़ सकते हैं। हम ताइवान को कोविड से सफलतापूर्वक निपटने के लिए बधाई देती हैं। यह स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और शासन का मुद्दा भी है।' पेलोसी ने यह भी कहा कि ताइवान सरकार से बातचीत में जलवायु संकट से पृथ्वी को बचाने के लिए मिलकर काम करने पर बात करेंगे। हमारी यात्रा मानवाधिकारों, अनुचित व्यापार परंपराओं और सुरक्षा मुद्दों के बारे में है।

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नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से भड़का चीन, सीमा पर दिखे 21 चीनी लड़ाकू विमान...

 ताइपे/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। नैंसी पेलोसी के मंगलवार को ताइपे में उतरने के तुरंत बाद, 21 चीनी सैन्य विमानों ने ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में उड़ान भरी। ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। दौरे को लेकर चीन और अमेरिका के बीच जबरदस्त तनाव है। चीन ने उनकी यात्रा को देखते हुए लक्षित सैन्य अभियान चलाने की योजना बना रहा है। चीन ने गंभीर एतराज जताते हुए कहा कि 1.4 अरब चीनी नागरिकों से शत्रुता मोल लेने का अंजाम अच्छा नहीं होगा।

रक्षा मंत्रालय ने ट्विटर पर कहा, "21 पीएलए विमान (आठ पीएलए जे-11, 10 जे-16, केजे-500 एईडब्ल्यू एंड सी, वाई-9 ईडब्ल्यू और वाई-8 ईएलआईएनटी) ने दो अगस्त, 2022 को ताइवान के दक्षिण-पश्चिम वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में प्रवेश किया।" ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चीन के सैन्य विमानों के जवाब में, ताइवान ने हवाई गश्ती अभियान शुरू किया है। रेडियो चेतावनी भेजी गई है और चीनी सैन्य विमानों को ट्रैक करने के लिए रक्षा मिसाइल प्रणालियों को तैनात किया गया है।

नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खतरे का सामना करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के दौरे के रूप में देखा जा रहा है। पेलोसी के विमान के ताइपे में उतरने के कुछ मिनट बाद ही चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने घोषणा की कि वह ताइवान के आसपास के जलक्षेत्र में छह लाइव-फायर सैन्य अभ्यास करेगी, जो गुरुवार से रविवार तक होने वाली है। उधर, अमेरिका ने अपनी नीति में किसी भी तरह के बदलाव का संकेत नहीं दिया है।

 

 

 

 

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Pakistan: पूर्व पीएम को भारतीय कंपनी ने दी 14 करोड़ की घूस, विपक्षी नेता ने लगाया सनसनीखेज आरोप

 

इस्लामाबाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान की राजनीति में इन दिनों बवाल मचा हुआ है। एक तरफ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री विदेशों से प्रतिबंधित चंदा लेने के मामले में फंसे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ एक और पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खान अब्बासी पर एक भारतीय कंपनी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। यह आरोप विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने लगाया है।

14 करोड़ रिश्वत लेने का आरोप
पाकिस्तान में विपक्षी दल के एक वरिष्ठ नेता शहबाज गिल ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने पांच साल पहले एक भारतीय कंपनी से 14 करोड़ रुपये की रिश्वत तब ली थी। इस दौरान शाहिद खान अब्बासी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कैबिनेट में संघीय पेट्रोलियम मंत्री थे। 'डॉन' अखबार की खबर के मुताबिक रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता शहबाज् गिल ने आरोप लगाया कि अब्बासी ने एक भारतीय कंपनी से 14 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी।

PML-N पार्टी के उपाध्यक्ष हैं अब्बासी
'पाकिस्तान ऑब्जर्वर' अखबार ने शहबाज गिल के हवाले से कहा, 'अब्बासी ने टेलीग्राफिक हस्तांतरण के माध्यम से एक भारतीय कंपनी से 14 करोड़ रुपये प्राप्त किए, जब वह 2017 में तत्कालीन संघीय पेट्रोलियम मंत्री के रूप में कार्यरत थे।' अब्बासी फिलहाल सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी के उपाध्यक्ष हैं।

नहीं बताया भारतीय कंपनी का नाम
डॉन की खबर में गिल के हवाले से कहा गया है कि अब्बासी के बैंक खाते में तीन लेन-देन हुए थे। एक लेन-देन दिसंबर 2016 और बाकी दो लेन-देन जनवरी 2017 को हुए थे। इस दौरान 14 करोड़ की राशि हस्तांतरित की गई। हालांकि इन आरोपों के दौरान गिल ने हालांकि भारतीय कंपनी के नाम का खुलासा नहीं किया।

अब्बास ने आरोपों का खंडन किया
63 वर्षीय अब्बासी ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व सत्ताधारी दल को उनके खिलाफ ठोस सबूतों के साथ याचिका दायर करनी चाहिए। अगस्त,2017 से मई 2018 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे अब्बासी ने कहा कि पीटीआई 4 सालों तक सत्ता में रही, लेकिन उसे उनके खिलाफ कुछ भी ठोस तथ्य नहीं मिला। गिल ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के नेता को अपने खातों को सार्वजनिक करने की भी चुनौती दी। इस पर अब्बासी ने कहा, 'मैं अपने बैंक खातों का विवरण सार्वजनिक करने के लिए तैयार हूं और गिल से भी समान मांग करता हूं, ताकि सच्चाई की जीत हो सके।'
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दुनिया में मंडरा रहा बड़ा संकट, यूएन चीफ ने किया आगाह, दुनिया 'परमाणु विध्वंस' से महज एक कदम दूर

 


न्यूयॉर्क (छत्तीसगढ़ दर्पण)। एक तरफ रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने दुनिया को टेंशन में डाल रखा है। वहीं, दूसरी चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। दुनिया का अधिकांश देश परमाणु संपन्न होना चाहता है। ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु मसले को लेकर विवाद रहता है। वहीं, नॉर्थ कोरिया अमेरिका और साउथ कोरिया पर परमाणु हमला करने की चेतावनी दे रहा है। ऐसे समय संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस (UN chief Antonio Guterres) ने परमाणु विध्वंस को लेकर बड़ी बात कह दी है।

दुनिया में परमाणु खतरा बढ़ रहा है
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने दुनिया को अगाह किया है कि हम सब परमाणु विध्वंस से महज एक कदम की दूर पर खड़े हैं। उन्होंने खासतौर से यूक्रेन में युद्ध और पश्चिम एशिया तथा एशिया में संघर्षों में परमाणु हथियारों के खतरों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया तथा एशिया ''विनाश की ओर बढ़'' रहे हैं।

फिर परमाणु युद्ध हुआ तो क्या होगा
बता दें कि, विश्व में बढ़ रहे परमाणु खतरा को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी, संयुक्त राष्ट्र के परमाणु प्रमुख और अन्य वक्ताओं ने अपनी-अपनी बात रखी।वहीं, गुतारेस ने परमाणु अप्रसार संधि की समीक्षा करने के लिए महीने भर चलने वाले सम्मेलन में भाग ले रहे कई मंत्रियों, अधिकारियों और राजनयिकों से कहा कि यह बैठक हमारी सामूहिक शांति एवं सुरक्षा के लिए एक अहम वक्त में हो रही है।

दुनिया को परमाणु मुक्त करना होगा
एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि, यह सम्मेलन बड़े आपदाओं को रोकने तथा मानवता को परमाणु मुक्त दुनिया की ओर अग्रसर करने की दिशा में अहम रोल अदा कर सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका, जापान चिंतित
वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि उत्तर कोरिया अपना सातवां परमाणु परीक्षण करने की तैयारी कर रहा है, ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने में असमर्थ रहा है। उन्होंने इस दौरान रूस, यूक्रेन के बीच जारी जंग से उत्पन्न विकट परिस्थितियों का जिक्र किया। वहीं, जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने भी दुनिया में बढ़ते परमाणु संकट का जिक्र करते हुए रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि, मॉस्को ने यूक्रेन में जिन परिस्थितियों को पैदा किया है, उससे पूरी दुनिया चिंतित है।
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गोटाबाया के श्रीलंका लौटने से बढ़ सकते हैं तनाव, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे बोले, लौटने का यह सही समय नहीं

 

कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका दिवालिया हो चुका है। इस स्थिति में गोटाबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए देश छोड़कर भाग गए। इसके बाद वहां के हालात और भी ज्यादा बिगड़ गए। महंगाई और सरकार की लचर आर्थिक नीतियों से परेशान जनता ने राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास पर धावा बोल (sri lanka political crisis) दिया था। इसके बाद गोटाबाया राजपक्षे ने तुरंत राष्ट्रपति के सरकारी आवास को छोड़कर निकल गए। इसके बाद वे मालदीव से होते हुए सिंगापुर चले गए। हालांकि, वहां भी उनके हालात सही नजर नहीं आ रहे हैं। सिंगापुर में भी उनकी गिरफ्तारी की मांग की जा रही है। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा है कि, श्रीलंका के हालात को देखते हुए पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के लिए देश वापस लौटने का सही समय नहीं है। उनके लौटने से देश में तनाव बढ़ सकता है।

गोटाबाया की परेशानी नहीं हो रही है कम
गोटाबाया राजपक्षे की परेशानी अब कम होने के बजाए बढ़ते ही जा रहे हैं। गोटाबाया के खिलाफ सिंगापुर में एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई है। बता दें कि, श्रीलंका में कथित दुर्व्यवहारों का दस्तावेजीकरण करने वाले एक अधिकार समूह ने सिंगापुर के अटॉर्नी-जनरल के पास एक आपराधिक शिकायत दर्ज की है, जिसमें दक्षिण एशियाई राष्ट्र के दशकों पुराने गृहयुद्ध में उनकी भूमिका के लिए पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की गिरफ्तारी की मांग की गई है।

यह गोटाबाया के लिए लौटने का सही समय नहीं है
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश लौटने का यह सही समय नहीं है क्योंकि इससे राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है। विक्रमसिंघे ने जर्नल के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे नहीं लगता कि यह उनके लौटने का समय है।" "मेरे पास उनके जल्द लौटने के कोई संकेत नहीं दिख रहे है।'बता दें कि, गोटाबाया राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़कर भाग गए थे। इसके एक सप्ताह बाद रानिल विक्रमसिंघे संसद में हुए चुनाव में जीत हासिल कर देश के राष्ट्रपति बन गए।

देश को मुसीबत में डालकर देश छोड़कर भाग गए थे गोटाबाया राजपक्षे
श्रीलंका को राजनीतिक संकट में डालकर गोटाबाया राजपक्षे 13 जुलाई को श्रीलंका से सिंगापुर भाग गए थे। सिंगापुर जाने से पहले वे मालदीव भी रुके थे, हालांकि, वहां मचे जबर्दस्त हंगामें के बाद गोटाबाया वहां से सीधे सिंगापुर चले गए। वहां भी वे चैन से नहीं बैठ पा रहे हैं। सिंगापुर की सरकार ने कहा है कि, गोटाबाया को उन्होंने शरण नहीं दिया है, वे निजी यात्रा पर देश के भ्रमण पर आए हुए हैं।

श्रीलंका के राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे
वहीं, देश की स्थिति को सुधारने के लिए श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव कराए गए। रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं, गोटबाया सरकार के करीबी और गृह मंत्री रहे दिनेश गुणेवर्दना को श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई। अब देखना है कि राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और दिनेश गुणेवर्दना देश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर ला पाने में सफल होते हैं अथवा नहीं। बाकी, देश की जनता आर्थिक संकट और घोर महंगाई से जूझ ही रही है।

कैसे बदलेंगे देश के हालात
अब इन सबके बीच गोटाबाया के श्रीलंका वापस लौटने की बात हो रही है तो राष्ट्रपति ने साफ कर दिया है कि यह समय उनके (गोटाबाया राजपक्षे) लिए देश लौटने का नहीं है, क्योंकि यहां के राजनीतिक हालात अभी ठीक नहीं है।
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रूसी हमले में यूक्रेन के बड़े अनाज निर्यातक की मौत, हाल ही में हुआ था खाद्यान्न समझौता


कीव (छत्तीसगढ़ दर्पण)। यूक्रेन में जंग (Russia-Ukraine War) के खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। जंग ने 'यूरोप की रोटी की टोकरी'कहे जाने वाले यूक्रेन जंग में तबाह और बर्बाद हो चुका है। जंग के बीच खबर मिली है कि, यूक्रेन में रूसी हमले के दौरान अनाज के बड़े व्यवसायी ओलेक्सी वडातुर्स्की और उनकी पत्नी की मौत हो गई है। बता दें कि, वडातुर्स्की यूक्रेन की सबसे बड़ी अनाज उत्पादक और निर्यात कंपनियों में से एक मायकोलाइव शहर में निबुलोन के संस्थापक थे। बता दें कि, यूक्रेन में रूस के हमले बढ़ गए हैं। 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। इस महायुद्ध ने दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा पर गहरा असर डाला है। बता दें कि दुनिया भर में उत्पन्न खाद्य संकट से निपटने को लेकर पिछले दिनों यूक्रेन से अनाज निर्यात पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी। जिसके बाद यूक्रेन से अनाज निर्यात की तैयारियां भी शुरू हो गईं हैं, लेकिन इसी बीच रूस ने यूक्रेन के दक्षिणी शहर माइकोलाइव पर भारी बमबारी की खबर मिली, जिसमें देश के बड़े अनाज निर्यातक की मौत हो गई।

अनाज के सबसे बड़े व्यापारी की जंग में मौत
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच पुतिन की सेना ने यूक्रेन के दक्षिणी शहर माइकोलाइव पर भारी बमबारी की। । माइकोलाइव के गवर्नर विटाली किम (Vitaliy Kim) ने बताया कि, रविवार को हुई इस बमबारी में यूक्रेन के सबसे बड़े अनाज उत्पादकों व निर्यातकों में से एक ओलक्सी वडातुर्स्की और उनकी पत्नी रायसा की मौत हो गई।

यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ओलेक्सी की मौत पर दुख जताया
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने ओलेक्सी वडातुर्स्की की मौत पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि, अनाज के इतने बड़े व्यवसायी की हमले में मौत पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपने 50 साल के अपने करियर में यूक्रेन के विकास और देश के कृषि और जहाज निर्माण उद्योगों के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया था। अनाज निर्यातक ओलेक्सी वडातुर्स्की की कंपनी निबुलोन का मुख्यालय माइकोलाइव में स्थित है। ओलेक्सी वडातुर्स्की की कंपनी निबुलोन गेंहू, जौं और मक्का का उत्पादन और निर्यात में यूक्रेन में सबसे आगे है।

रूस ने हमलवे तेज किए
निबुलोन कंपनी अपने जहाजों और शिपयार्ड से अनाज का निर्यात करती है। जेलेंस्की ने ओलेक्सी वडातुर्स्की की मौत को यूक्रेन के लिए बड़ा नुकसान बताया है। वहीं, जंग के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति ने पूर्वी डोनेस्क क्षेत्र को खाली करने का आदेश जारी कर दिया है।

बड़े-बड़े इमारत ध्वस्त हो गए
वहीं माइकोलाइव के मेयर ऑलेक्ज़ेंडर सेनकेविच ने बताया कि, क्षेत्र में रूसी हमले तेज हो गए हैं, बम के धमाकों ने ओलेक्सी वडातुर्स्की के घर को धवस्त कर दिया है। उन्होंने जंग के बारे में आगे बताया कि, रूसी हमले में घरों की खिड़कियां, मजबूत दीवारें तबाह और बर्बाद हो गई हैं। उन्होंने कहा कि, संभवत: रूस का इस शहर पर जबरदस्त हमला है।
 
यूएन ने चेताया
बता दें कि, रूस ने यूक्रेन के कई महत्वपूर्ण शहरों पर अपना कब्जा जमा लिया है। लाखों लोग पलायन कर चुके हैं और हजारों की संख्या में लोग अब तक मारे जा चुके है। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने इससे पहले इस जंग को लेकर उत्पन्न होने वाले खाद्य संकट से दुनिया को अवगत कराया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर जंग को रोका नहीं गया तो यूक्रेन पर अनाज के लिए निर्भर रहने वाले देशों में गंभीर खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो जाएगा।
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युगांडा-कांगो सीमा पर संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों ने की गोलीबारी, 2 की मौत, 15 घायल

तस्वीर- प्रतीकात्मक (पीटीआई) 

 किंशासा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों ने रविवार सुबह कांगो और युगांडा की सीमा पर गोलीबारी की और दो लोगों की हत्या कर दी। इस घटना में कम से कम 15 लोग घायल भी हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस पर निराशा व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, 'एंटोनियो गुटेरेस कांगो और युगांडा की सीमा पर कासिंडी में रविवार सुबह हुई एक गंभीर घटना से नाराज हैं, जिसमें मोनुस्को के सैन्य कर्मियों ने अपने गृह देश में छुट्टी से कांगो लौटते समय गोलियां चलाईं।'

सोशल मीडिया पर साझा किए गए इस घटना के वीडियो में एक व्यक्ति पुलिस और दूसरा सेना की वर्दी पहने कासिंदी में संयुक्त राष्ट्र के काफिले की ओर बढ़ता दिख रहा है। इसके बाद दोनों एक बंद बैरियर के पीछे रुकते दिखाई देते हैं। इसके बाद दोनों ने कुछ बातचीत की और फिर उन्होंने बैरियर खोलने से पहले ही फायरिंग कर दी। वे लोगों के तितर-बितर होने या छिपने के दौरान गाड़ी चलाते हुए दिखाई दिए। 

यूएन ने घटना की निंदा की 
देश में हुई इस घटना के बाद कांगो सरकार के प्रवक्ता पैट्रिक मुयाया ने एक बयान में कहा कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य 'इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की कड़ी निंदा और निंदा करता है जिसमें दो हमवतन मारे गए और 15 अन्य घायल हो गए।' वहीं, कांगो में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि बिंतौ कीता ने कहा कि जांच शुरू हो गई है और संदिग्ध अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बिंतौ कीता ने कहा इन सैनिकों के मूल देश से संपर्क किया गया है ताकि कानूनी कार्रवाई तत्काल शुरू की जा सके। हालांकि उन्होंने देश का नाम नहीं लिया है। 

शांतिसैनिकों के खिलाफ बढ़ा गुस्सा 
कांगो में 120 से अधिक सशस्त्र समूह सक्रिय हैं। संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 1999 में इस क्षेत्र में एक पर्यवेक्षक मिशन तैनात किया था। 2010 में, यह शांति मिशन मोनुस्को बन गया। पिछले हफ्ते, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्थान की मांग को लेकर पूर्वी डीआरसी के कई शहरों में घातक प्रदर्शन हुए। इसमें तीन शांति सैनिकों सहित कुल 19 लोग मारे गए थे। कांगो में इस धारणा से गुस्सा बढ़ गया है कि MONUSCO सशस्त्र समूहों द्वारा हमलों को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास करने में विफल रहा है।
 
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चीन की चेतावनी के बावजूद नैंसी पेलोसी का एशिया दौरा शुरू...

 गोपनीय रखा गया ताइवान जाना

वाशिंगटन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका के House of Representative की स्‍पीकर नैंसी पेलोसी का आज से एशिया का दौरा शुरू हो रहा है। उनका ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब चीन ने इसको लेकर अमेरिका को बेहद कड़े शब्‍दों में चेतावनी दी है। अपने इस पहले एशिया दौरे पर नैंसी सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान और मलेशिया जाएंगी। हालांकि अमेरिकी प्रशासन ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि नैंसी इस दौरे में ताइवान जाएंगी या नहीं। माना जा रहा है कि उनका ताइवान के दौरे को सुरक्षा के लिहाज से बेहद गोपनीय रखा गया है। इसकी वजह चीन की धमकी है। चीन ने एक दिन पहले ही कहा था कि यदि नैंसी का विमान अमेरिकी फाइटर जेट के साथ ताइवान में प्रवेश करता है तो वो उन्‍हें मार गिराएगा।

चीन की धमकी के मद्देनजर दौरे का फुलप्रूफ प्‍लान
हालांकि, चीन की इस तरह की धमकी की अपेक्षा अमेरिका को पहले से ही थी। यही वजह थी कि अमेरिका इसके लिए पहले से ही फुलप्रूफ प्‍लान बना रहा था। यदि नैंसी अपने इस दौरे में ताइवान जाती हैं तो ये अमेरिका और चीन के लिए भविष्‍य में तनाव को और बढ़ाने में काफी अहम साबित होगा। इस तनाव को कम करना दोनों ही देशों के लिए लगभग नामुमकिन होगा।

सिंगापुर से शुरू होगा नैंसी का एशिया का दौरा
एशिया के दौरे पर सबसे पहले नैंसी सिंगापुर जाएंगी। वहां पर उनकी मुलाकात सिंगापुर के पीएम और राष्‍ट्रपति से होगी। इसके बाद वो मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान जाएंगी। उनके साथ जाने वाले अन्‍य सदस्‍यों में विदेश मामलों की कमेटी के अध्‍यक्ष ग्रिगरी मिक्‍स और परमानेंट सिलेक्‍ट कमेटी आन इंटेलिजेंस और आर्म्‍ड सर्विस कमेटी के सदस्‍य भी हैं। आपको बता दें कि नैंसी पेलोसी अमेरिका की तीसरे नंबर की ताकतवर नेता हैं। 1997 में आखिरी बार अमेरिकी सीनेट का स्‍पीकर इस तरह से एशिया दौरे पर आया था।

अमेरिका के विदेश मंत्री का बयान
चीन के खतरे और उसकी धमकी को देखते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दो दिन पहले ही कहा था कि ताइवान को लेकर उनके और चीन के बीच में 40 वर्षों से अधिक समय से तनाव है। इसके बाद दोनों ही देश विवादों को भुलाकर शांति और स्थिरता के लिए आगे आए हैं।

चीन को बर्दाश्‍त नहीं ताइवान के मामले में दखल
बता दें कि अमेरिका चीन की वन चाइना पालिसी को मानता है। वन चाइना पालिसी के तहत ताइवान को इस तरह की तवज्‍जो देना चीन कभी बर्दाश्‍त नहीं कर सकता है।  चीन ताइवान को अपना ही हिस्‍सा मानता है। यही वजह है कि ताइवान के साथ किसी भी देश के आधिकारिक तौर पर कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। न ही संयुक्‍त राष्‍ट्र से ताइवान को एक आजाद राष्‍ट्र के रूप में मान्‍यता मिली हुई है। ओलंपिक गेम्‍स में भी उसके खिलाड़ी चीन के उम्‍मीदवार के तौर पर शामिल होते हैं।

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अचानक बहुत ही तेजी से घूमने लगी है पृथ्वी, 29 जुलाई को सारा रिकॉर्ड टूटा,वैज्ञानिक बता रहे हैं ये संभावित कारण

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पृथ्वी ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी है। 29 जुलाई को इसने 24 घंटे की साइकिल को भी पूरा नहीं किया और अपनी धुरी पर उससे पहले ही पूरी घूम गई। वैज्ञानिकों के लिए यह शोध का विषय है कि आखिर पृथ्वी की गति बढ़ने की वजह क्या है। इसके साथ वैज्ञानिक इसके होने वाले प्रभावों पर भी माथापच्ची करना शुरू कर चुके हैं। सुनने में यह जरूर रोचक घटना लग रही है, लेकिन, यह कई तरह की चिंताओं की वजह भी बन सकता है और वैज्ञानिक उसका समाधान निकालने में भी जुट गए हैं।

29 जुलाई को 24 घंटे से पहले अपनी धुरी पर घूम गई पृथ्वी 
29 जुलाई यानी शुक्रवार को पृथ्वी ने अपने अक्ष पर घूमने का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया। पृथ्वी के घूर्णन की गति का मानक समय 24 घंटे है। यानी पूरे 24 घंटे में पृथ्वी अपनी धुरी पर पूरा एक चक्कर काटती है। लेकिन, उस दिन इसने यह चक्कर 1.59 मिली सेकंड पहले ही पूरा कर लिया। दि इंडिपेंडेंट के मुताबिक हाल के समय में जीवन से भरे इस ग्रह ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी है। इंडिपेंडेंट के अनुसार अगर पृथ्वी के घूर्णन की दर बढ़ती रही तो इससे निगेटिव लीप सेकंड की शुरुआत होगी, जिससे पृथ्वी जितने समय में सूर्य का चक्कर लगाती है, उसके दर को अटॉमिक क्लॉक से सुसंगत बनाए रखने में चुनौती खड़ी हो सकती है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक संभावित कारण क्या हैं ? 
वैसे तो पृथ्वी ने इतनी तेजी से चक्कर काटना किस वजह से शुरू किया है, इसका पुख्ता कारण अभी तक अज्ञात है। लेकिन, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह इसके कोर की आंतरिक या बाहरी परतों, महासागरों, ज्वार या यहां तक कि जलवायु में परिवर्तन से जुड़ी प्रक्रियाओं की वजह से हो सकता है। लेकिन, यह सिर्फ अनुमान है। हालांकि, कई शोधकर्ता वैज्ञानिकों के इस नजरिए से भी आगे बढ़कर सोचने को मजबूर हुए हैं।

'चैंडलर वोबेल' भी हो सकता है कारण 
कुछ शोधकर्ताओं को लगता है कि इसका कारण पृथ्वी के भौगोलिक ध्रुवों की सतह की गति से जुड़ा हो सकता है, जिसे 'चैंडलर वोबेल' के नाम से जाना जाता है। लिओनिड जोटोव, क्रिश्चियन बिजओउआर्ड और निकोले सिदोरेंकोव जैसे वैज्ञानिकों के मुताबिक सामान्य शब्दों में यह ऐसा ही लगता है, जैसे एक इंसान किसी लट्टू की गति को तेज होते या कम होते देखता है। 'चैंडलर वोबेल' के कारणों का अभी तक पता नहीं लग सका है, जो कि 14 महीने की अवधि के साथ पृथ्वी के घूर्णन के अक्ष के अंडाकार दोलन को कहा जाता है।

50 साल के छोटे दिनों के चरण की शुरुआत ? 
1960 से जबसे इसे रिकॉर्ड किया जा रहा है, 2020 में पृथ्वी ने सबसे छोटा महीना देखा था। उस साल 19 जुलाई को सबसे छोटी अवधि का घूर्णन दर्ज किया गया था। यह 24 घंटे के मानक समय से 1.47 मिली सेकंड छोटा था। लेकिन, अगले साल यानी 2021 में पृथ्वी की तेज गति से घूमने की स्पीड जारी रही, लेकिन इसने कोई भी रिकॉर्ड नहीं तोड़ा। हालांकि, इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग (आईई) के अनुसार, 50 साल के छोटे दिनों का चरण अभी शुरू हो रहा हो सकता है।

विशेषज्ञों की बढ़ी चिंता 
हालांकि, एक्सपर्ट की चिंता ये भी है कि निगेटिव लीप सेकंड से स्मार्टफोन, कंप्यूटर और बाकी कम्युनिकेशन सिस्टम के लिए संभावित तौर पर भ्रमित करने वाली स्थिति पैदा हो सकती है। हालांकि, रिपोर्ट में एक मेटा ब्लॉग के हवाले से यह भी कहा गया है कि लीप सेकंड 'खास करके वैज्ञानिकों और खगोलविदों को लाभ दे सकता है' लेकिन, यह एक 'जोखिम भरा तरीका है जो अच्छे से ज्यादा नुकसान करता है।' यह इसलिए कि घड़ी 00:00:00 . पर रीसेट होने से पहले 23:59:59 से 23:59:60 तक बढ़ती है। इस तरह के टाइम जंप से प्रोग्राम क्रैश हो सकते हैं और डेटा करप्ट हो सकता है।

दुनिया की घड़ियों को कौन करता है कंट्रोल ? 
मेटा ने यह भी कहा है कि अगर निगेटिव लीप सेकंड किया जाता है, तो घड़ी 23:59:58 से 00:00:00 पर बदल जाएगी और इसका टाइमर और शेड्यूलर पर निर्भर सॉफ्टवेयर पर 'विध्वंसकारी प्रभाव' हो सकता है। इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग के मुताबिक इसके समाधान के लिए इंटरनेशनल टाइम कीपर्स को एक निगेटिव लीप सेकंड जोड़ने की आवश्यकता पड़ सकती है- एक 'ड्रॉप सेकंड' की। गौरतलब है कि कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC),वह प्राथमिक समय मानक है, जिसके आधार पर दुनिया घड़ियों और समय को नियंत्रित करती है, उसे पहले ही 27 बार एक लीप सेकंड के साथ अपडेट किया जा चुका है।



 
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फिलीपींस को कुख्यात मार्कोस से मुक्त कराने वाले पूर्व राष्ट्रपति फिदेल रामोस का निधन, कोरोना से थे पीड़ित

 मनीला (छत्तीसगढ़ दर्पण)। फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल वाल्डेज रामोस का रविवार रविवार को निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह कोरोना संक्रमित हो गए थे जिसके बाद उनका इलाज मकाती मेडिकल सेंटर में चल रहा था। इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। फिदेल रामोस के परिवार में पत्नी अमेलिता मिंग रामोस और चार बच्चे हैं।

फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने एक बयान में दुख जताते हुए कहा कि यह बहुत दुखद है कि पूर्व राष्ट्रपति फिदेल वी रामोस का निधन हो गया है। एक सैन्य अधिकारी और देश के प्रमुख दोनों के रूप में हमारे देश में महान परिवर्तनों में उनकी भागीदारी इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि वे हमारे लिए एक बेहतर विरासत छोड़ गए हैं। पूर्व राष्ट्रपति के परिजनों के प्रति सांत्वना व्यक्त करते हुए मार्कोस जूनियर ने कहा कि 'हम उनके परिवार, दोस्तों और सहयोगियों के साथ गहरा शोक व्यक्त करते हैं, हम उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में याद रखेंगे।'

कोरिया और वियतनाम युद्ध में लिया था हिस्सा 
FVR के नाम से मशहूर रामोस ने वेस्ट पॉइंट पर यूएस मिलिट्री एकेडमी में पढ़ाई की थी औऱ 1950 के दशक में एक प्लाटून लीडर के रूप में कोरियाई जंग में लड़ाई लड़ी। उन्होंने 1960 के दशक के अंत में वियतनाम में फिलीपीन सिविल एक्शन ग्रुप के नेता के रूप में कार्य किया। राष्ट्रपति बनने से पहले फिदेल रामोस ने तत्कालीन राष्ट्रपति कोराज़ोन एक्विनो की सरकार में फिलीपींस के सशस्त्र बलों के चीफ-ऑफ-स्टाफ के रूप में भी कार्य किया था। इसके अलावा वे रक्षा सचिव भी रहे।

फिलीपींस के विकास में बड़ा योगदान 
रामोस 1992 से 1998 तक फिलीपींस गणराज्य के 12 वें राष्ट्रपति रहे थे। रामोस ने परिवहन और संचार क्षेत्रों में एकाधिकार को तोड़ा। कांग्रेस द्वारा दी गई विशेष शक्तियों के माध्यम से उन्होंने बदहाल बिजली व्यवस्था को पटरी पर लाने का काम किया। उनके कार्यकाल के दौरान फिलीपींस की अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई और गरीबी दर में तेजी से गिरावट आय़ी। उन्हें देश में नए सिरे से निवेशकों के विश्वास के पीछे प्रेरक शक्ति कहा जाता था। रामोस ने अपने शासनकाल में दक्षिणपंथी, वामपंथी और इस्लामी विद्रोहियों से लड़ाई लड़ी। रामोस एक मल्टी-टास्किंग एथलेटिक लीडर थे। जब वह सैन्य प्रमुख थे तो वह अपनी गेंद के पीछे दौड़ते हुए एक ही समय में गोल्फ और जॉग खेलते थे। हालांकि मार्कोस शासन के दौरान मार्शल लॉ लागू करने के लिए उनकी हमेशा आलोचना की जाती है।

मार्कोस से फिलीपींस को दिलाया छुटकारा
मार्शल लॉ के दौरान सैनिकों ने बेकसूर जनता को गिरफ्तार किया, महिलाओं का बलात्‍कार किया और उन्‍हें प्रताड़‍ित किया। अमेनेस्‍टी इंटरनैशनल के मुताबिक मार्कोस के शासन में 70000 लोगों को जेल भेजा गया, 34000 लोगों को प्रताड़‍ित किया गया और 3240 लोगों की हत्‍या हुई। मार्कोस की सरकार से अलग होने के बाद रामोस फिलीपींस में कई लोगों के नायक बन गए। रामोस ने एक राष्ट्रीय पुलिस बल का नेतृत्व किया और कुख्यात मार्कोस के शासन का पतन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 
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बाढ़ का कहर : पाकिस्तान के इन प्रांतों में जानमाल का नुकसान, मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी

 इस्लामाबाद/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान के कई राज्य इन दिनों बाढ़ की समस्या से जूझ रहे हैं। पाकिस्तान में बाढ़ का सबसे ज्यादा असर बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में देखने को मिला है। यहां हो रही भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति भी भयावह बनती जा रही है। मौसम विभाग की मानें तो बलूचिस्तान में इस साल अप्रत्याशित रूप से भारी बारिश हुई है। एक स्थानीय मीडिया ने पाकिस्तान के आपदा प्रबंधन अधिकारियों के हवाले से बताया कि पिछले 24 घंटों में एक परिवार के नौ लोग बाढ़ में बह गए। डान की खबर के मुताबिक मृतकों में सात बच्चे और एक महिला शामिल हैं।

खैबर पख्तूनख्वा में बाढ़ ने ली कई लोगों की जान
इसके अलावा पीडीएमए द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा में बाढ़ व एक मकान की छत गिरने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और 17 घायल हो गए हैं। साथ ही पिछले 36 घंटों में बाढ़ में लगभग 100 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, पाकिस्तान की सरकार ने भारी बारिश को देखते हुए बलूचिस्तान प्रांत में धारा 144 लागू कर दी है।

बलूचिस्तान प्रांत में धारा 144 लागू
बलूचिस्तान के मुख्य सचिव अब्दुल अजीज उकाली ने कहा, 'प्रांत में धारा 144 लागू कर दी गई है और नागरिकों को 10 दिनों तक अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है'। उन्होंने कहा कि एक जून से अब तक बारिश ने 124 लोगों की जान ले ली है और सूबे में 10,000 घरों को नुकसान पहुंचा है। बाढ़ से लगभग 565 किमी सड़कें और 197,930 एकड़ कृषि भूमि क्षतिग्रस्त हो गई, जबकि 712 पशुधन भी मारे गए हैं।

बाढ़ की चपेट में आने से डूबे सिंध प्रांत के 50 गांव

बलूचिस्तान से अचानक आई बाढ़ के बाद पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी बाढ़ का कहर जारी है। जानकारी के अनुसार, सिंध प्रांत में 50 से अधिक गांव जलमग्न हो गए। सूत्रों के अनुसार, बलूचिस्तान में मूसलाधार बारिश और अचानक आई बाढ़ के कारण पानी की दूसरी धारा निकटवर्ती कंबार-शाहदादकोट जिले और दादू जिले के कछो के पहाड़ी क्षेत्र में प्रवेश कर गया है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में अधिक नुकसान हुआ।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र छोड़ने को मजबूर हुए लोग
स्थानीय सूत्रों ने कहा कि प्रभावित इलाकों के लोग अपनी जान बचाने के लिए पहाड़ियों और सुरक्षात्मक बांधों में शरण लेने को मजबूर हैं। साथ ही बाढ़ प्रभावित गांव में 70 साल की एक बुजुर्ग महिला की चिकित्सा सहायता न मिलने पर स्वास्थ्य की स्थिति के कारण मृत्यु हो गई है। पाकिस्तान के आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि भारी बारिश और बाढ़ में 19 और लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों अन्य बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में फंसे हुए हैं। पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (पीएमडी) ने अगले 24 घंटों के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में और बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ने की भविष्यवाणी जारी की है।

 

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सच में वो इजरायल की 'दादी' थीं, 1971 में दिया था भारत का साथ, नहीं भूलेंगे हम वो बात....

 नई दिल्ली/तेल अवीव (छत्तीसगढ़ दर्पण)। बात सन 1971 की है, एक तरफ भारत-पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ा हुआ था। वहीं, भारत से हजारों किलोमीटर दूर इजरायल में कोई इस युद्ध पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए था। हम बात कर रहे हैं, इजरायल की प्रथम महिला प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ( Israel, the country's first female Prime Minister Golda Meyer) के बारे में। 1971 की जंग की बात हो और इजरायल का जिक्र ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। वैसे भी आज 'अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे' है (International Friendship Day)।

इजरायल की दादी ने दिया भारत का साथ
भारत एक अकेला इजरायल का ऐसा दोस्त है, जो एक दूसरे के सुख-दुख के साथी हैं। भारत के इजरायल के साथ-साथ रूस, सऊदी अरब के साथ भी घनिष्ठ संबंध हैं। रूस हमेशा से भारत का अच्छा दोस्त रहा है। जब भारत पाकिस्तान के बीच जंग चल रहा था और अमेरिका ने पाकिस्तान का साथ का साथ देते हुए भारत को झुकाने की कोशिश की थी, ऐसे वक्त में रूस ने भारत का साथ दिया। मॉस्को की सैन्य ताकत के आगे अमेरिका ने अपने घुटने टेक दिए थे। यह है भारत और रूस की दोस्ती। हालांकि, आज हम इजरायल से दोस्ती की बात कर रहे हैं, तो इस पर हम अपना फोकस रखते हैं।

भारत-इजरायल की दोस्ती एक मिसाल है
यूक्रेन की राजधानी कीव में जन्मी गोल्डा मेयर को इजरायल की 'दादी' कहा जाता था। कहा जाता है कि, गोल्डा बिना फिल्टर की सिगरेट पीती थीं। इसको लेकर इजरायल के प्रथम प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियों उन्हें मंत्रिमंडल की अकेली पुरुष कहकर संबोधित करते थे।

पीएम गोल्डा मेयर ने दोस्ती की रखी नींव
गोल्डा मेयर को भारत-इजरायल दोस्ती की नींव रखने के लिए जाना जाता है। भारत जब जंग की आग में झुलस रहा था तो ऐसे वक्त में 'इजरायल की दादी' ने भारत का समर्थन किया था। कहा जाता है कि, उन्होंने ही भारत और इजरायल के बीच दोस्ती को आगे बढ़ाया था। भारत और पाकिस्तान के बीच जंग (1971) के समय इजरायल के साथ हमारे अच्छे संबंध नहीं थे। उस वक्त इजरायल का सबसे करीबी दोस्त अमेरिका इस जंग में पाकिस्तान का साथ दिया था। उस समय गोल्डा मेयर ने भारत को साथ देने का मन बना लिया था। उन्होंने तय किया कि किसी भी परिस्थिति में वे भारत का साथ देंगी।

जंग में दिया भारत का साथ
कहा जाता है कि, तत्कालीन इजरायली पीएम गोल्डा मेयर ने भारत को इस जंग में गुप्त तरीके से सैन्य सहायता भेजी थी। इस बात का जिक्र अमेरिका के पत्रकार गैरी जे बास ने अपनी किताब ब्लड टेलिग्राम में किया है। किताब में जिक्र बातों के मुताबिक, गोल्डा ने इजरायली हथियार विक्रेता श्लोमो जबलुदोविक्ज के माध्यम से भारत को कुछ हथियार और मोर्टार गुपचुप तरीके से भिजवाए थे। बता दें कि, भारत-पाकिस्तान के बीच हुई जंग में रूस और इजरायल ने भारत का साथ दिया था।

छोड़ेंगे न हम तेरा साथ .......
आज रूस जब यूक्रेन में जंग को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों से अलग-थलग पड़ गया है, ऐसे वक्त में भारत रूस का साथ नहीं छोड़ रहा है। अमेरिका समेत कई देश भारत को रूस के खिलाफ जाने के लिए उकसाता रहता है लेकिन भारत अपनी बात मजबूती के साथ अंतरराष्ट्रीय पटल पर रखते हुए रूस का साथ नहीं छोड़ रहा है।
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दुनिया का सबसे छोटा धनकुबेर, 6 साल की एज में प्राइवेट जेट, मैंशन और लैम्बॉर्गिनी जैसी लग्जरी कारों का मालिक !

 नाइजीरिया (छत्तीसगढ़ दर्पण)। करोड़ों-अरबों रुपये का मालिक होने का ख्वाब तो न जाने कितने लोग देखते हैं, लेकिन आज के दौर में कम लोग ही ऐसे होते हैं, जिनके पास अरबों रुपये की संपत्ति हो। संक्षेप में कहें तो धनकुबेर हो। इन्हीं कुछ चुनिंदा लोगों में एक हैं मोम्फा। महज 6 साल की एज में मोम्फा प्राइवेट जेट, मैंशन और लैम्बॉर्गिनी जैसी लग्जरी कारों के मालिक हैं। दावा किया जा रहा है कि ये दुनिया का सबसे छोटा धनकुबेर है। इतनी कम उम्र में करोड़ों-अरबों रुपये का मालिक बने मोम्फा की कहानी किसी परीकथा से कम नहीं। पढ़ें-

मोम्फा के पास अपनी हवेली 
मोम्फा जूनियर - दुनिया के सबसे कम उम्र के अरबपति होने का दावा करते हैं। यूं तो छह साल की उम्र खेलने-कूदने और मस्ती करने की होती है, लेकिन इतनी छोटी सी एज में मोम्फा के पास अपनी हवेली है। हवेली के मालिक होने के अलावा मोम्फा के पास प्राइवेट जेट भी है, जिससे वे नाइजीरिया के बाहर का सफर करते हैं।

इंस्टाग्राम पर 25,000 फोलोअर्स 
खेलने-कूदने की एज में प्राइवेट जेट से दुनिया की यात्रा करने वाले इस बच्चे के बारे में दावा है कि मोम्फा जूनियर दुनिया का सबसे कम उम्र का अरबपति हैं। इनका असली नाम मोहम्मद अवल मुस्तफा (Muhammed Awal Mustapha) है। इंस्टाग्राम पर 25,000 फोलोअर्स के साथ मोम्फा अपनी धमाकेदार जीवन शैली शेयर करते रहते हैं।

करोड़ों की कीमत वाली कार 
इंस्टाग्राम की एक पोस्ट में मोम्फा क्रीम कलर की Bentley Flying Spur के बोनट पर बैठे देखे जा सकते हैं। इस पोस्ट की कैप्शन में लिखा गया है कि उनके पिता ने उनके लिए पहली कार खरीदी थी। प्री-टीन इन्फ्लुएंसर मोम्फा के वाले घर के बाहर एक पीले रंग की फेरारी सहित चार और लग्जरी कारें खड़ी दिखाई देती हैं।

लग्जरी कारों का बेड़ा 
एक दूसरी पोस्ट में मोम्फा लाल लेम्बॉर्गिनी एवेंटाडोर की बोनट पर बैठेने के अलावा डिजाइनर कपड़े पहने हुए हैं। उन्होंने पोस्ट कैप्शन में लिखा: "मुझे जन्मदिन मुबारक हो।" दुबई में उनके विशाल लग्जरी घरों में से एक के बाहर पीले रंग की फेरारी सहित अधिक और गाड़ियां भी देखी जा सकती हैं।

लाइफस्टाइल के लिए सुर्खियों में मोम्फा 
मोम्फा अरबपति नाइजीरियाई इंटरनेट सेलिब्रिटी इस्माइलिया मुस्तफा का बेटा है, जो मोम्फा नाम से लोकप्रिय जाता है। मोम्फा सीनियर भी अपने बेटे की तरह ही महंगी चीजों के शौकीन हैं। अपने असाधारण खर्च और शानदार लाइफस्टाइल के लिए सुर्खियों में मोम्फा और उनकी फैमिली नाइजीरिया के लागोस और यूएई में अपने घरों के बीच घूमती है। एक मिलियन से अधिक इंस्टाग्राम फॉलोअर्स के साथ मोम्फा अक्सर फोटो शेयर करते हैं।

छठे जन्मदिन पर मोम्फा ने खरीदी हवेली 
मोम्फा को सात सितारा होटलों में, हाइपरकार की ड्राइविंग सीट पर देखा जा सकता है। 2019 में अपने छठे जन्मदिन पर मोम्फा जूनियर ने अपनी पहली हवेली खरीदी। उन्होंने उस समय कथित तौर पर लिखा था: "अपने घर का मालिक होना अब तक की सबसे अच्छी भावनाओं में से एक है। इसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है, इसे पैसे में नहीं मापा जा सकता है।

दो बच्चों के पिता मोम्फा सीनियर 
"घर का मालिक होना एक ऐसी भावना है जो आश्वस्त करता है कि तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद आपके पास जाने के लिए एक जगह है...। एक ऐसी जगह जो आपको कभी जज नहीं करेगी और हमेशा आपको खुली बाहों से आमंत्रित करेगी... द सन की रिपोर्ट के मुताबिक दो बच्चों के पिता मोम्फा सीनियर अपनी बीवी को कैश मैडम कहते हैं।

 
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