दुनिया-जगत

मैं झूठे वादे करके जीतने के बजाय हारना पसंद करूंगा: ऋषि सुनक

 लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ऋषि सुनक ने कहा कि आर्थिक संकट से निपटने की उनकी योजना के संबंध में झूठे वादे करके जीत हासिल करने के बजाय वह हारना पसंद करेंगे। एक साक्षात्कार में ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि कमजोर तबके के परिवारों के कल्याण के लिए काम करने को वह प्रतिबद्ध हैं।

सुनक और उनकी प्रतिद्वंद्वी ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज़ ट्रस इस मुद्दे को लेकर आमने-सामने हैं। ट्रस ने कर कटौती का वादा किया है, जिसको लेकर पूर्व वित्त मंत्री सुनक ने दावा किया है कि इससे केवल अमीर परिवारों को फायदा होगा, न कि उन लोगों को जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। सुनक (42) ने कहा, मैं झूठे वादे करके जीतने की बजाय हारना पसंद करूंगा।

कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों द्वारा दोनों उम्मीदवारों से सवाल-जवाब किए जा रहे हैं। ये सदस्य चुनाव में मतदान करेंगे। इस दौरान बढ़ती मुद्रास्फीति और कीमतों का मुद्दा हावी होता दिख रहा है। सुनक ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान वित्त मंत्री के तौर पर अपने कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा, लोग मुझे मेरे काम के आधार पर आंक सकते हैं, जब इस साल की शुरुआत में बिल 1200 पाउंड से अधिक आ रहे थे, मैंने सुनिश्चित किया कि कमजोर तबके के लोगों के बिल 1200 पाउंड के आसपास ही आएं।

सुनक ने प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने पर अपने द्वारा किए गए कार्यों को और आगे बढ़ाने का वादा किया। उन्होंने कहा, मुझे पता है कि लाखों लोग महंगाई को लेकर चिंतित हैं, खासकर उनके बिजली के बिल को लेकर....मेरा कहना है कि अगर मैं प्रधानमंत्री बनता हूं तो मैं उन परिवारों की और अधिक मदद करूंगा जिन्हें सबसे अधिक मदद की जरूरत है क्योंकि स्थिति अब इस साल की शुरुआत से बदतर है, जब मैंने इन उपायों की घोषणा की थी।

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ट्रंप के भारतीय-अमेरिकी समर्थकों ने एफबीआई के छापे की निंदा की

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय मूल के समर्थकों ने फ्लोरिडा में उनके आलीशान घर पर छापे मारे जाने के कदम को पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई बताया है। गौरतलब है कि संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने सोमवार को ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित आवास पर छापा मारा था और उनकी तिजोरी भी तोड़ दी थी। अमेरिका का न्याय मंत्रालय इस बात की तफ्तीश कर रहा है कि क्या ट्रंप ने 2020 में व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद अपने फ्लोरिडा स्थित आवास पर गोपनीय रिकॉर्ड छिपाए हैं।

अमेरिकी उद्यमी एवं फ्लोरिडा के ओकोला में समुदाय के नेता दिग्विजय गायकवाड़ ने कहा, यह अनुचित, अन्यायपूर्ण, अनसुनी और पूरी तरह से आश्चर्यजनक कार्रवाई थी। ट्रंप के भारतीय-अमेरिकी समर्थक एफबीआई के छापे के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है।

इंडियन अमेरिकन ट्रंप अभियान की सदस्य डॉ. शोभा ने कहा, मुझे लगता है कि यह जरूरी नहीं था और जांच करने का यह सही तरीका नहीं है। यह केवल निशाना बनाने को लेकर की गई दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई का रूप ले रहा है। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, लेकिन साथ ही आपको उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

एफबीआई ने ट्रंप के घर पर ऐसे वक्त में छापा मारा है जब वह 2024 में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। ट्रंप के चुनाव प्रचार अभियान के लिए निधि एकत्रित करने वाले और उनके समर्थक अल मैसन ने कहा, ट्रंप सकारात्मकता पर एक किताब हैं। यह छापा ट्रंप के लिए सकारात्मक है उनके लिए एक तरह का आशीर्वाद है। यह निश्चित ही उन्हें 2024 में फायदा पहुंचाएगा। वहीं, निवेशक एवं उद्यमी श्रीधर चित्याला ने एफबीआई के छापों को अभूतपूर्व और अवांछित बताया है।

 

 

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श्रीलंका के संविधान संशोधन मसौदे में राष्ट्रपति की शक्तियों में कमी के लिए नये प्रावधान जोड़े गए

 कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका के संविधान संशोधन मसौदा विधेयक में राष्ट्रपति की शक्तियों में कमी लाने के साथ ही कई अन्य नये प्रावधान जोड़े गए हैं, जिसके तहत राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को बर्खास्त करने की शक्ति नहीं रहेगी। न्याय मंत्री विजयदास राजपक्षे ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के पद से हटने के बाद संविधान के 22वें संशोधन मसौदे में बदलाव किया गया है।

मंत्री ने कहा, पूर्व राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को बर्खास्त करने की शक्ति बरकरार रखना चाहते थे। उनके जाने के बाद हमने इसमें बदलाव किया है, जिसके तहत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को बर्खास्त नहीं कर सकते हैं। राष्ट्रपति की शक्तियों को कम करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद में प्रस्तुत किए जाने के बीच न्याय मंत्री की यह टिप्पणी सामने आयी है।

श्रीलंका इन दिनों अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहे है। प्रदर्शनकारी इससे निपटने के साथ ही व्यापक स्तर पर राजनीतिक सुधारों की मांग कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति की शक्तियों में कटौती का प्रावधान किया जा रहा है।

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अब्दुल रऊफ अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को चीन ने किया बाधित

 संयुक्त राष्ट्र (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई एवं पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन के दूसरे नंबर के ओहदेदार अब्दुल रऊफ अजहर को काली सूची में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव को बाधित कर दिया। चीन ने दो महीने से भी कम समय में दूसरी बार ऐसा कदम उठाया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने चीन की अध्यक्षता में सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि बिना कोई उचित कारण दिए आतंकवादियों को काली सूची में डालने के अनुरोध पर रोक लगाना रुकना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई की विश्वसनीयता अभी तक के सबसे निचले स्तर पर है।

पाकिस्तान में 1974 में जन्मे अब्दुल रऊफ अजहर पर दिसंबर 2010 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए थे। वह 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 को अगवा करने की वारदात का मुख्य साजिशकर्ता था, जिसके एवज़ में उसके भाई मसूद अजहर को जेल से रिहा कराया गया था।

सूत्रों ने बुधवार को बताया कि अमेरिका और भारत द्वारा अब्दुल रऊफ अजहर को वैश्विक आतंकवादियों की सूची में डालने व उसकी संपत्ति जब्त करने, यात्रा प्रतिबंध लगाने संबंधी रखे गए प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन तथा उसके सहयोगी पाकिस्तान ने बाधित किया।

यह दो महीने से भी कम समय में दूसरा मौका है, जब चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी को काली सूची में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव को बाधित किया है। चीन ने इससे पहले पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंधित सूची में शामिल करने के भारत तथा अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव को आखिरी क्षण में बाधित कर दिया था। मक्की लश्कर-ए-तैयबा के सरगना एवं 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद का रिश्तेदार है।

भारत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की और अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के लिए एक संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव को अंतिम क्षण में बाधित कर दिया।

अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने दिसंबर 2010 में  जैश-ए-मोहम्मद के खूंखार आतंकवादियों में से एक अब्दुल रऊफ अजहर को जैश व उसकी ओर से काम करने के लिए आतंकवादी घोषित कर दिया था। पाकिस्तान के मित्र देश चीन ने भारत और उसके सहयोगियों द्वारा पाकिस्तानी आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के प्रयासों को इससे पहले भी कई बार बाधित किया है।

भारत ने मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र में एक बड़ी राजनयिक जीत हासिल की थी, जब वैश्विक निकाय ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया था। ऐसा करने में भारत को करीब एक दशक का समय लग गया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यीय निकाय में चीन एक मात्र ऐसा देश था, जिसने अजहर को काली सूची में डालने के प्रयासों को बाधित करने की कोशिश की थी।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच राष्ट्र - अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस - स्थायी सदस्य हैं। इनके पास वीटो का अधिकार है यानी यदि उनमें से किसी एक ने भी परिषद के किसी प्रस्ताव के विरोध में वोट डाला तो वह प्रस्ताव पास नहीं होता।

 

 

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हिमालय के आर-पार रेल चलाने के लिए नेपाल को अरबों का कर्ज देगा चीन, श्रीलंका की तरह बर्बादी तय?


काठमांडू (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना और श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह के जरिए कर्ज के जाल में फंसा देने के बाद अब चीन ने नेपाल को बर्बाद करने की ठान ली है। चीन ने इस साल नेपाल को 118 मिलियन डॉलर कर्ज देने पर सहमति जताई है। चीन ने यह कर्ज नेपाल के साथ सीमा पार रेलवे कनेक्टिविटी नेटवर्क, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के हिस्से के तहत ये रुपये देने पर सहमति जताई है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने ये जानकारी दी है।

सर्वेक्षण के लिए विशेषज्ञों को भेजेगा चीन
चीनी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि चीन इस साल रेलवे लाइन के सर्वेक्षण के लिए विशेषज्ञों को भेजेगा। मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनके नेपाली समकक्ष, नारायण खडका के बीच बुधवार को पूर्वी चीनी शहर किंगदाओ में एक बैठक के दौरान इस पर सहमति बनी। प्रवक्ता वांग ने कहा, "जैसा कि मैंने अभी कहा, दोनों विदेश मंत्रियों ने अपनी बातचीत के दौरान एक क्रॉस-हिमालयन, बहुआयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क बनाने पर सहमति व्यक्त की है। स्टेट काउंसलर वांग ने कहा कि चीन पैसे लगाएगा, रेलवे लाइन के लिए अध्ययन करने में नेपाल की मदद करेगा और एक साल के अंदर विशेषज्ञों को जांच के लिए नेपाल भेजेगा।"

2019 में दोनों देशों के बीच हुआ था समझौता
ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क को ट्रांस-हिमालयी नेटवर्क के रूप में भी जाना जाता है। यह नेपाल और चीन के बीच एक आर्थिक गलियारा है। यह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है जो विशेष रूप से पूरे यूरेशिया में कनेक्टिविटी विकसित करता है। 2019 में नेपाल की यात्रा के दौरान इस कॉरिडोर पर चीनी राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव शी जिनपिंग ने नेपाल के साथ समझौता किया था। इस कॉरिडोर में कई परिवहन बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भी शामिल होंगी।

नेपाल को 800 मिलियन रुपये कर्ज देगा चीन
वांग और खडका की बैठक के बाद नेपाली विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि चीनी राजनयिक ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए नेपाल को अनुदान सहायता में 800 मिलियन नेपाली रुपये देने का वादा किया है। नेपाली बयान के अनुसार, वांग ने घोषणा करते हुए कहा कि चीन अनुदान सहायता के तहत केरुंग-काठमांडू रेलवे प्रोजेक्ट का अध्ययन करेगा। चीन ने मार्च 2022 में सहमति जताई थी कि नेपाल-चीन सीमा पार ट्रांसमिशन लाइन के अध्ययन का भी समर्थन करेंगे।" केरुंग-काठमांडू रेलवे ट्रांस-हिमालयी बहु-आयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क का हिस्सा है। इस योजना के लिए पहली बार 2017 में चीन और नेपाल के बीच औपचारिक रूप से सहमति हुई थी। उसी समय काठमांडू चीन के बीआरआई में शामिल हुआ था।

श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह होगी नेपाल की हालत
सूत्रों की मानें तो नेपाल की सीमा पर ट्रांस-हिमालयी रेलवे प्रोजेक्ट का असली मकसद भारत को घेरना है। इसके जरिये चीन तेजी से अपने सैनिकों को नेपाल की सीमा में भेज सकता है। नेपाल को भी यह अच्छी तरह से पता है कि काठमांडो चीन रेल संपर्क उसके लिए काफी कठिनाई वाला और महंगा साबित होगा। श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह नेपाल का भी अंजाम होगा, और वह हिमालय में मुश्किल और महंगी सुरंगों के निर्माण की लागत चुका नहीं पाएगा।

 

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बाइडन सीएएटीएसए प्रतिबंधों से भारत को मिली खास छूट की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी डेमोक्रेटिक सांसद रो खन्ना ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भारत को सीएएटीएसए प्रतिबंधों से मिली खास छूट की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे क्योंकि उनके पास राजनीतिक बढ़त और कांग्रेस के 300 सदस्यों का समर्थन है।

उन्होंने कहा कि हाल में अमेरिका की प्रतिनिधि सभा द्वारा भारत को रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए सीएएटीएसए प्रतिबंधों से खास छूट दिलाने वाले विधेयक पारित करना असैन्य परमाणु समझौते के बाद हुआ सबसे अहम मतदान है।

खन्ना द्वारा पेश किए गए इस विधेयक में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन से भारत को चीन जैसे आक्रामक रुख वाले देश को रोकने में मदद करने के लिए काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) से छूट दिलाने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया गया है।

खन्ना ने एक साक्षात्कार में कहा, अमेरिका-भारत संबंध पहले कभी इतने महत्वपूर्ण नहीं रहे। जब आप एक विस्तारवादी चीन को विस्तारवादी रूस के साथ देखते हैं, तो मुझे लगता है कि यह 21वीं सदी के संबंधों को नया आयाम देने जा रहा है। हमें भारत को स्पष्ट संदेश देने की जरूरत है कि अमेरिका इस संबंध को बहुत महत्वपूर्ण मानता है।

यह विधेयक अभी अमेरिकी सीनेट में पारित नहीं हुआ है। इसके बाद ही इसे राष्ट्रपति बाइडन के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। वर्ष 2017 में पेश सीएएटीएसए के तहत रूस से रक्षा और खुफिया लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है। इसे 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मॉस्को के कथित हस्तक्षेप के जवाब में लाया गया था।

खन्ना ने कहा, इस संशोधन में, कांग्रेस के 300 सदस्य राष्ट्रपति बाइडन से प्रतिबंधों में छूट देने के लिए कह रहे हैं तो यह उस रिश्ते के लिए बहुत बड़ा समर्थन है। यह भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौते के बाद से सदन में सबसे ऐतिहासिक मतदान है।

हाल में ताइवान गईं अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे खन्ना ने कहा कि सदन द्वारा पारित इस संशोधन विधेयक को बाइडन प्रशासन का समर्थन हासिल है।

 
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प्रिंस सलमान की ट्विटर में थी सेटिंग, महंगी घड़ी के बदले हासिल करते थे दुश्मनों की निजी जानकारी


वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ट्विटर से जुड़ी एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने कंपनी की पॉलिसी और यूजर्स के डेटा सेफ्टी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल सऊदी अरब के लिए जासूसी करने के आरोपी में ट्विटर के पूर्व कर्मचारी को छह आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है। ट्विटर के इस पूर्व कर्मचारी का नाम अहमद अबूअम्मो है। अहमद के पास अमेरिका और लेबनान की दोहरी नागरिकता है।

सऊदी प्रिंस के लिए करता था जासूसी
अहमद अबूअम्मो पर सऊदी क्राउन प्रिंस, प्रिंस के करीबी सहित अन्य सऊदी अधिकारियों के लिए जासूसी करने का दोषी पाया गया है। इसके अलावा उस पर विदेशी सरकार के अवैध एजेंट होने, मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी व कई अन्य आपराधिक मामलों में शामिल होने के लिए भी दोषी माना गया है। अहमद अबूअम्मो को सैन फ्रांसिस्को की संघीय अदालत ने छह मामलों में दोषी पाया तथा 5 मामलों में उसे बरी कर दिया है। ट्वीटर ने इस मामले पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

कोर्ट ने 5 मामलों में किया बरी
कुछ समय पहले तक इस ट्विटर कर्मचारी के पास कंपनी के लगभग सभी यूजर्स की जानकारी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, जूरी ने इस मामले में सुनवाई के बाद निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले तीन दिनों तक विचार-विमर्श किया गया। इसके बाद कोर्ट ने अहमद को 11 आरोपों में से 6 पर दोषी पाया, जबकि बाकी से बरी कर दिया। कथित तौर पर, अभियोजन पक्ष का मानना है कि अहमद और उसके एक साथी कर्मचारी अली अलज़बाराह को सऊदी अधिकारियों ने 2014 में मोल्स के रूप में कार्य करने और शासन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी खोजने के लिए काम पर रखा था।

महंगी घड़ियों के बदले देता था जानकारी
अमेरिकी अभियोजक कॉलिन सैम्पसन के अनुसार, अहमद ने बड़ी संख्या में ट्विटर यूजर्स की जानकारी करीब 3 लाख डॉलर कैश और 20 हजार डॉलर की घड़ी के बदले सऊदी क्राउन प्रिंस के किसी करीबी को बेची थी। उसने इन पैसों को लेबनान में एक रिश्तेदार के खाते में जमा कर रखा था। वह उन लोगों की जानकारी सऊदी सरकार को देता था जो सरकार की आलोचना करते थे। जानकारी के मुताबिक अहमद ने सऊदी प्रिंस को @mujtahidd नामक यूजर की जानकारी भी दी। यह यूजर एक छद्म आंदोलनकारी था जिसने सऊदी परिवार पर भ्रष्टाचार और अन्य कुकर्मों का आरोप लगाया था। अरब स्प्रिंग विद्रोह में इस यूजर्स के पास लाखों ट्विटर फॉलोवर मिले थे।

ट्विटर छोड़ अमेजन में हासिल की नौकरी
आपको बता दें कि जिस वक्त इस आरोपी कर्मचारी के पास यूजर्स डेटा का एक्सेस था, उस वक्त ट्विटर पर यूजर्स की ईमेल आईडी, जन्म तिथि, फोन नंबर और निजी डेटा आदि दिखता था। अपना काम निकल जाने के बाद, अहमद ने 2015 में ट्विटर छोड़ दिया और सिएटल में अमेजॉन में नौकरी हासिल कर ली थी। हालांकि अहमद के वकील एंजेला चुआंग ने तर्क दिया कि वह उसके काम का हिस्सा था। वकील ने कहा कि यह अहमद को फंसाने की एक साजिश थी और अगर अभियोजक किसी के पीछे जाना चाहते थे, तो उन्हें अली अलज़बारा को पकड़ना चाहिए। क्योंकि वह संयुक्त राज्य अमेरिका से भाग गया था।
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मैक्सिको के राष्ट्रपति को PM मोदी से उम्मीद, जंग खत्म कर दुनिया में ला सकते हैं शांति, UN में रखेंगे प्रस्ताव

 

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-ताइवान में बढ़ते तनाव के बीच मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर संयुक्त राष्ट्र को एक लिखित प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रहे हैं। इस प्रस्ताव में दुनिया में सम्मानित 3 लोगों का एक आयोग बनाने की मांग होगी। यह आयोग दुनिया भर में अगले पांच साल के लिए युद्ध विराम को बढ़ावा देगा। इस अवधि में न कोई शीत युद्ध होगा न ही कोई व्यापार युद्ध। राष्ट्रपति ओब्रेडोर ने इन तीन लोगों में पीएम मोदी को शामिल करने की बात कही है।

पीएम मोदी से जताई उम्मीद
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ओब्रोडोर ने कहा, "मैं संयुक्त राष्ट्र में लिखित प्रस्ताव दूंगा। उम्मीद है कि मीडिया इसे फैलाने में हमारी मदद करेगा। आयोग का गठन पोप फ्रांसिस, एंटोनियो गुटेरेस और नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा।" मैक्सिकन राष्ट्रपति के कहा कि उनका लक्ष्य इन तीनों को एक साथ लाना है, जो दुनिया भर में युद्ध को समाप्त करने के लिए तेजी से एक योजना प्रस्तुत कर सकें और कम से कम पांच साल तक चलने वाले संघर्ष को देखने के लिए एक समझ विकसित कर सकें।

पांच साल शांति कायम करने पर बल
ओब्रेडोर ने कहा कि आयोग के गठन के जरिए कम से कम पांच साल का समझौता करने की कोशिश होगी ताकि दुनिया भर की सरकारें अपने लोगों के लिए काम कर सकें। उन्होंने कहा कि दुनिया में पांच साल, बिना तनाव हिंसा के बीतेगा और शांति होगी। इससे युद्ध और उसके प्रभावों से सबसे अधिक पीड़ित लोगों का जीवन बदला जा सकेगा। लोपेज ओब्रेडोर ने संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस से युद्ध जैसी स्थितियों को समाप्त करने और शांति की दिशा में काम करने का प्रयास करने का भी आग्रह किया।

युद्ध के कारण दुनिया पर छाया संकट
ओब्रेडोर ने कहा कि एक साल से अधिक समय से इन तीन देशों के टकराव के चलते आज दुनिया को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया रिकॉर्ड मुद्रास्फीति और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं से जूझ रही है। बहुत से इंसानों की जानें जा चुकी हैं। ओब्रेडोर ने उम्मीद जताई कि अमेरिका, रूस और चीन मध्यस्थता को सुनेंगे और स्वीकार करेंगे। यह संघर्ष विराम ताइवान, इजरायल और फिलिस्तीन के मामले में समझौतों तक पहुंचने में मदद करेगा। इससे टकराव शांत होगा।

बातचीत को दी जाए प्राथमिकता
राष्ट्रपति ओब्रेडोर ने आगे कहा कि देशों को अपने व्यापार संघर्षों को रोकना चाहिए और अपनी प्रासंगिक प्रतिबद्धताओं पर नजर रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र के ढांचे का उपयोग करना चाहिए। अमेरिका के निचले सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से एशिया प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बारे में बोलते हुए, लोपेज़ ओब्रेडोर ने कहा कि संघर्ष पर बातचीत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, यह दुनिया के हित में होगा।
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सरकार ने इस न्यूज चैनल का प्रसारण किया बंद, पत्रकार भी गिरफ्तार...

 स्लामाबाद/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान में शहबाज सरकार की तानाशाही सामने आई है। बताया जा रहा है कि देश के नियामक अधिकारियों द्वारा पाकिस्तानी के टेलीविजन स्टेशन एआरवाई न्यूज के प्रसारण पर रोक लगा दी गई है। इतना ही नहीं इसके बाद इस चैनल के वरिष्ठ पत्रकार अम्माद यूसुफ को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के मुताबिक एआरवाई न्यूज पाकिस्तान का सबसे बड़ा निजी प्रसारक है। अपने पत्रकार की गिरफ्तारी के बाद एआरवाई न्यूज ने अपना बयान जारी किया है। न्यूज चैनल ने कहा है कि कराची पुलिस ने आधी रात को हमारे पत्रकार के घर का मेन गेट तोड़ उसे जबरन गिरफ्तार किया है। सभी पुलिसकर्मी सादे कपड़े में थे। पीटीआई नेता मुराद सईद ने वरिष्ठ पत्रकार की देर रात गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है।

चैनल पर गंभीर आरोप

सूत्रों के अनुसार नियामक निगरानी संस्था पीईएमआरए ने आरोप लगाया है कि चैनल गलत, घृणित और देशद्रोही सामग्री प्रसारित कर रहा था। चैनल का यह प्रसारण सशस्त्र बलों के भीतर विद्रोह को भड़काकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक स्पष्ट और वर्तमान खतरे के साथ पूर्ण दुष्प्रचार पर आधारित था। समाचार आउटलेट को अपने नोटिस में, नियामक प्रहरी ने समाचार एंकर को पक्षपाती करार दिया। PEMRA ने चैनल के सीईओ को आज (10 अगस्त) सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने का भी निर्देश दिया है।

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गोल्ड मेडल जीतने के बाद सौरव गांगुली के अंदाज में लक्ष्य सेन ने मनाया जश्न, 'दादा' की तरह उतार दी जर्सी

 

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। नेटवेस्ट ट्रॉफी (NatWest Tropy) का फाइनल मैच जीत से ज्यादा सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) के कारण चर्चाओं में रहा था। लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान में नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मैच में इंग्लैंड को हराने के बाद उस समय के भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने कुछ अलग ही अंदाज में जीत का जश्न मनाकर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया था। लॉर्ड्स की बालकनी में खड़े होकर अपनी जर्सी उतारकर इसे अपने हाथों से जोर-जोर से लहराते हुए सौरव गांगुली ने इस ऐतिहासिक जीत को और भी खास बनाने का काम किया था।

लक्ष्य सेन ने जीत के बाद उतार दी जर्सी
कॉमनवेल्थ गेम्स में बैडमिंटन सिंगल्स के फाइनल में लक्ष्य सेन ने जीत के बाद सौरव गांगुली की तरह अपना जर्सी उतार दिया। लक्ष्य सेन ने 19-21, 21-9 और 21-16 से जीत हासिल की और गोल्डन ब्वाय बन गए। इस जीत के साथ देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वालों की लिस्ट में लक्ष्य सेन ने अपना नाम भी जोड़ लिया। जीत की खुशी इतनी थी कि उन्होंने अपनी जर्सी उतार दी और खुशी से चिल्लाने लगे।

थॉमस कप में भी जीता था गोल्ड
कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले इसी साल हुए थॉमस कप में लक्ष्य सेन ने गोल्ड मेडल जीतने का कारनामा किया था। बैडमिंटन के लिए भारत के भविष्य के रूप में लक्ष्य सेन को देखा जा रहा है। इतनी छोटी उम्र में ही लक्ष्य सेन देश-विदेश जाकर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ-साथ वह और भी परिपक्कव होते चले जाएंगे। लक्ष्य सेन के पास ऐसी काबिलियत है जिससे वह अपनी खेल में महारथ हासिल कर सकते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो
गोल्ड मेडल जीतने के बाद से ही लक्ष्य सेन को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चाओं का माहौल गर्म है। खासतौर से लक्ष्य सेन की जर्सी उतारने वाला वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। फैंस इस वीडियो पर तरह-तरह के रिएक्शन दे रहे हैं। लक्ष्य सेन ने जीत के बाद न सिर्फ अपनी जर्सी उतारी बल्कि उन्होंने अपनी रैकेट को भी दर्शकों के बीच फेंक दिया। लक्ष्य सेन के जीत का जश्न मनाने के तरीके को लोग काफी पसंद कर रहे हैं।
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चीन में पढ़ाई कर रहे छात्र हो जाएं तैयार, वहां जाने को लेकर आई जरूरी सूचना

 बीजिंग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन ने मंगलवार को कहा कि उसने स्वदेश वापसी के बाद कोविड-19 से जुड़ी वीजा पाबंदियों के कारण घर में फंसे भारतीय विद्यार्थियों की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है और बहुत जल्द ही इनका पहला बैच आ सकता है। चीन के इस फैसले से वहां के कॉलेजों में पढ़ाई दोबारा शुरू करने की प्रतीक्षा कर रहे हजारों विद्यार्थियों में उम्मीदें जगी हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हम चीन में विदेशी छात्रों की वापसी के लिए गहनता से काम कर रहे हैं और भारतीय छात्रों की वापसी के लिए यह प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह पूछे जाने पर कि लौटने के इच्छुक भारतीय छात्रों के बारे में यहां भारतीय दूतावास द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची की प्रक्रिया किस चरण में हैं, उन्होंने कहा कि संबंधित जानकारी जल्द ही जारी की जाएगी। चीन द्वारा पढ़ाई के लिए तुरंत लौटने के इच्छुक विद्यार्थियों के नाम मांगे जाने के बाद भारत ने कई सौ विद्यार्थियों की सूची प्रस्तुत की है। वांग ने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द भारतीय विद्यार्थियों के पहले बैच की वापसी होगी। चीन में पढ़ाई कर रहे 23,000 विद्यार्थी, जिसमें ज्यादातर चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई कर रहे हैं, भारत वापस आने के बाद कोविड-19 से जुड़े वीजा प्रतिबंधों के कारण फंस गये और पढ़ाई के लिए चीन नहीं लौट सके।

दोनों देशों के बीच जल्द उड़ान होंगी शुरू 
हाल के हफ्तों में श्रीलंका, पाकिस्तान, रूस और कई अन्य देशों के कुछ विद्यार्थी चार्टर्ड विमानों से चीन पहुंचे। चीन भी विभिन्न देशों से उड़ानों की अनुमति दे रहा है, लेकिन अभी तक भारत-चीन के बीच उड़ान सेवा शुरू नहीं की गई है। भारत और चीन के बीच दो साल पहले कोरोना वायरस महामारी के कारण विमान सेवाएं रूकी हुई हैं। अधिकारियों का कहना है कि दोनों देश सीमित ऊड़ानें बहाल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
 
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अमेरिका के बोस्टन में भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ का खास जश्न मनाया जाएगा

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका के बोस्टन शहर में भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न खास तरीके से मनाया जाएगा। इसमें 32 देश भाग लेंगे और शहर पर एक विमान से 220 फुट लंबा अमेरिका-भारत ध्वज लहराया जाएगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन-न्यू इंग्लैंड के अध्यक्ष अभिषेक सिंह ने कहा कि इस साल, भारत की आजादी के जश्न समारोह में कई चीजें पहली बार होंगी।

मैसाच्युसेट्स के गवर्नर चार्ली बेकर ने स्वतंत्रता दिवस के 75 वर्षों को भारत दिवस घोषित किया, जो 15 अगस्त को बोस्टन में इंडिया स्ट्रीट पर और इससे एक दिन पहले 14 अगस्त को रोड आइलैंड में स्टेट हाउस में मनाया जाएगा। इस अवसर पर परेड में ग्रैंड मार्शल के तौर पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर आर पी सिंह को आमंत्रित किया गया है।

एफआईए न्यू इंग्लैंड आजादी का अमृत महोत्सव के बैनर तले भारत की आजादी के 75 वर्षों का जश्न मना रहा है। उसने कहा कि अमेरिका के इतिहास में पहली बार 32 देशों के लोग भारत दिवस परेड में शामिल होने जा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस अवसर पर पहले से रिकॉर्ड किया गया एक संदेश भेजा है। गोयल ने अपने संदेश में कहा, भारत-अमेरिका संबंधों ने लंबा सफर तय किया है। आज हम स्वाभाविक साझेदार हैं। हम दोस्त हैं और हम बहुत महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। हमारी साझेदारी रणनीतिक, बहुत गहरी और महत्वपूर्ण आयामों वाली है।

 

 

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अमेरिका के इस शहर में पहली बार भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न होगा खास

 

वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका के बोस्टन शहर में भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न खास तरीके से मनाया जाएगा। आजादी के इस जश्न में 32 देश भाग लेंगे। वहीं समारोह को और भी खास बनाने के लिए बोस्टन शहर पर एक विमान से 220 फुट लंबा अमेरिका-भारत ध्वज लहराया जाएगा। 

बोस्टन में आजादी का जश्न
इस विषय पर 'फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन-न्यू इंग्लैंड' के अध्यक्ष अभिषेक सिंह ने कहा कि इस साल, भारत की आजादी के जश्न समारोह में कई चीजें पहली बार होने जा रहा है।

75 वर्षों को 'भारत दिवस'
दूसरी तरफ, भारत की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मैसाच्युसेट्स के गवर्नर चार्ली बेकर ने स्वतंत्रता दिवस के 75 वर्षों को 'भारत दिवस' घोषित किया। उत्सव 15 अगस्त को बोस्टन में इंडिया स्ट्रीट पर और इससे एक दिन पहले 14 अगस्त को रोड आइलैंड में स्टेट हाउस में मनाया जाएगा। इस अवसर पर परेड में ग्रैंड मार्शल के तौर पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर आर पी सिंह को आमंत्रित किया गया है।

'आजादी का अमृत महोत्सव'
बता दें कि, एफआईए न्यू इंग्लैंड 'आजादी का अमृत महोत्सव' के बैनर तले भारत की आजादी के 75 वर्षों का जश्न मना रहा है। एफआईए न्यू इंग्लैंड ने कहा कि अमेरिका के इतिहास में पहली बार 32 देशों के लोग भारत दिवस परेड में शामिल होने जा रहे हैं।

भारत-अमेरिका संबंधों पर पीयूष गोयल
दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस अवसर पर पहले से रिकॉर्ड किया गया एक संदेश भेजा है। गोयल ने अपने संदेश में कहा, 'भारत-अमेरिका संबंधों ने लंबा सफर तय किया है। आज हम स्वाभाविक साझेदार हैं। हम दोस्त हैं और हम बहुत महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। हमारी साझेदारी रणनीतिक, बहुत गहरी और महत्वपूर्ण आयामों वाली है।'
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ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री पद के लिए लिज ट्रस ने भारतवंशी ऋषि सुनक से बनाई बढ़त

 लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री पद के लिए भारतवंशी ऋषि सुनक और लिज ट्रस के बीच मुकाबला तेज हो गया है। शुरुआत में सुनक को अपनी कंजरवेटिव पार्टी के 137 सांसदों का समर्थन मिला था। लिज ट्रस 113 सांसदों का ही समर्थन जुटा पाई थीं। अब फाइनल में कंजरवेटिव पार्टी के लगभग 2 लाख स्थायी मेंबर वोटिंग करेंगे। इससे ही नए प्रधानमंत्री का चुनाव होगा।

पार्टी के स्थायी मेंबर्स में से 96 फीसदी श्वेत हैं। कंजरवेटिव पार्टी के हालिया YouGov पोल में ट्रस को सुनक से 28 फीसदी बढ़त हासिल हुई है। ट्रस को 58 फीसदी, जबकि सुनक को 30 फीसदी ही वोट मिले हैं। पार्टी के स्थायी मेंबर्स के समर्थन में सुनक पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में भी सुनक और ट्रस के बीच यही अंतर रहने वाला है।

 

एक अन्य सर्वे के मुताबिक, पार्टी के हर 10 में से 6 मेंबर्स ट्रस के साथ हैं। अब सुनक और ट्रस वोट मांगने के लिए कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों के बीच जा रहे हैं। इसे हस्टिंग्स कहते हैं। एक्सिटर, कार्डिफ और ईस्टबोर्न में इस प्रकार की हस्टिंग्स में पार्टी मेंबर्स के बीच सुनक की छवि पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से गद्दारी कर सत्ता हथियाने की लालसा रखने वाले नेता की बनाई जा रही है।

 

वैसे तो कंजरवेटिव पार्टी के मेंबर अपनी राय को सार्वजनिक करने से बचते हैं, लेकिन एक मेंबर ने बताया कि जॉनसन के सत्ता गंवाने का प्रमुख कारण सुनक को माना जा रहा है। सुनक ने ही जॉनसन के खिलाफ इस्तीफा देकर बगावत शुरू की थी। अधिकांश पार्टी मेंबर जॉनसन की गलतियों को उनके पतन का कारण नहीं मानते हैं। वे इसके लिए ऋषि सुनक को दोषी करार देते हैं।

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चीन के तीसरे सबसे मशहूर द्वीप पर 80 हजार लोगों को सरकार ने कर दिया है कैद, वजह ये है


बीजिंग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप फिर तेजी से बढ़ने लगा है। कोरोनो वायरस अचानक तेजी से बढ़ने के कारण चीन के लोकप्रिय द्वीप हैनान में हजारों पर्यटक फंस गए हैं। डीपीए समाचार एजेंसी के मुताबिक द्वीप पर शनिवार को 129 कोविड-19 संक्रमण के नए मामले सामने आने के बाद सान्या शहर के लिए उड़ानें और रेल सेवाएं रद्द कर दी गईं है। ऐसे में 10 मिलियन से अधिक की आबादी वाले शहर सान्या में लगभग 80 हजार प्रयर्टक फंस गए हैं।

सभी उड़ानों को सरकार ने किया रद्द
सान्या प्रांत को आमतौर पर 'चीन का हवाई' कहा जाता है। शहर के डिप्टी मेयर हे शिगांग के मुताबिक अधिकांश फंसे पर्यटक कम जोखिम वाले इलाके सान्या बे और यालोंग बे में हैं। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक सान्या प्रांत में ओमीक्रान 5.1.3 वैरियंट की पहचान की गई है। जिसके बाद शहर में सभी सार्वजनिक परिवहन शनिवार को निलंबित कर दिए गया है, जबकि सान्या एयरपोर्ट पर शनिवार की सभी उड़ानों को रद्द कर दिया गया। सान्या फिनिक्स के मुताबिक सिर्फ शनिवार को 164 उड़ानें रद्द की गई हैं।

आसमान छू रहे टिकट के दाम
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में यात्री कहते हुए नजर आ रहे हैं कि हम घर जाना चाहते हैं। वहीं एयरपोर्ट के अधिकारी उनसे मेगाफोन पर अपने होटल लौटने की अपील कर रहे है। सान्या चीन का तीसरा सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि रेल यात्राओं को पहले ही रद्द कर दिया गया है ऐसे में सान्या से जाने वाले हवाई टिकटों के दाम आसमान छू रहे हैं। सान्या से संघाई की उड़ानों के लिए लगभग 443 अमेरिकी डॉलर चुकाने पड़ रहे हैं। जबकि बिजनेस क्लास की कीमत लगभग 15,000 डॉलर बैठती है।

चीन में मिल रहे नए वैरिएंट
महामारी की शुरुआत के बाद से चीन में कोरोना वायरस के कुल 2,30,886 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि इस दौरान संक्रमण से 5,226 मरीजों की मौत हुई है। जब पूरी दुनिया में वायरस के कारण हाहाकार मचा था, तब चीन में लोगों ने पहले की तरह सामान्य जिंदगी जीना शुरू कर दिया था। लेकिन अब जब पूरी दुनिया वायरस के प्रकोप को नियंत्रित कर चुकी है, तो चीन में दोबारा मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है। बीते महीने बीजिंग और शांक्सी में ओमिक्रॉन के नए रूप सामने आए हैं।

कठोर नीति की सराहना कर रहे अधिकारी
चीन के अधिकारियों ने कोरोना वायरस के प्रसार और उसकी वजह से होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए अपनी 'कोई कोविड नहीं' की कठोर नीति की सराहना की है। हालांकि इस नीति के कारण चीन की अर्थव्यवस्था को भारी कीमत चुकानी पड़ी और चीन की विनिर्माण एवं नौवहन क्षमता पर निर्भर अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला पर बुरा असर पड़ा। चीन ने बार-बार इस नीति का बचाव किया है और ऐसे संकेत हैं कि वह कम से कम 2023 के वसंत ऋतु तक इसे जारी रखेगा। संभावना है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तब तक तीसरा कार्यकाल भी मिल जाएगा।
 
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भारत के दबाव पर श्रीलंका ने ‘जासूसी जहाज’ रोका, चीन में बवाल, राष्ट्रपति को चुपके से करनी पड़ी मीटिंग!

कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका के पोर्ट पर चीन के 'खुफिया जहाज' को लेकर अबतक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कभी हंबनटोटा पोर्ट पर चीनी जहाज के आने की अनुमति मिल जाती है तो कभी यह अनिश्चित काल के लिए टाल दिया जाता है। दरअसल भारत ने चीन के इस जहाज को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी, जिसके बाद श्रीलंका फैसला बदलने को मजबूर हो गया। श्रीलंकाई सरकार के निर्णय के बाद चीन में खलबली मच गयी है। इसके बाद कोलंबो में चीनी दूतावास सीनियर अधिकारियों के साथ एक मीटिंग बुलाई गई है।

चीनी दूतावास ने बुलाई बैठक
चीनी दूतावास ने वरिष्ठ श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ तत्काल एक बैठक बुलाई है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार ये बैठक श्रीलंका के उस फैसले के बाद बुलाई जा रही है जिसमें उच्च तकनीक वाले एक चीनी जहाज की निर्धारित यात्रा को स्थगित करने की बात कही गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि श्रीलंका ने ये फैसला भारत के दबाव में आकर लिया है। सूत्रों ने बताया कि कोलंबो में चीनी दूतावास ने श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय से इस तरह का संदेश मिलने के बाद इस मुद्दे पर चर्चा के लिए श्रीलंका के उच्च अधिकारियों के साथ तत्काल बैठक की मांग की है।

राष्ट्रपति ने चीनी राजदूत से मीटिंग की? 
यह स्पेस ऐंड सैटलाइट ट्रैकिंग रिसर्च वेसेल (जहाज) 11 से 17 अगस्त तक पोर्ट पर रहना था। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीन के दूतावास को एक पत्र लिखा और कहा, 'मंत्रालय निवेदन करना चाहता है कि अगले फैसले तक हंबनटोटा में आने वाले जहाज को रोक लिया जाए।' श्रीलंका के कई न्यूज पोर्टल ने भी इस बात की रिपोर्टिंग की थी। रिपोर्ट्स यह भी हैं कि राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग के साथ बंद कमरे में बैठक की है। हालांकि राष्ट्रपति कार्यालय ने इस बात से इनकार किया है। 

भारत के दबाव में श्रीलंका ने बदला फैसला 
इससे पहले श्रीलंका की पिछली गोटाबाया राजपक्षे सरकार ने 12 जुलाई को चीनी जहाज को अनुमति दी थी। खास बात यह है कि श्रीलंका से भागने से कुछ दिन पहले ही उन्होंने यह कदम उठाया था। उस वक्त यही कहा गया था कि चीन का यह जहाज केवल रीफ्यूलिंग के लिए यहां रुकेगा। हालांकि बाद में पता चला कि यह जहाज कम से कम सात दिनों के लिए हंबनटोटा में रुकने वाला है। शिप में 400 लोगों का क्रू है। साथ ही इस पर एक बड़ा सा पाराबोलिक एंटिना लगा हुआ है और कई तरह के सेंसर मौजूद हैं। इसके बाद भारत ने भी ऐतराज जताया।
 
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व्हाइट हाउस के बाहर गिरी गाज, 3 की मौत, कई घायल...

 वाशिंगटन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)।  अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में गुरुवार शाम 7.0 बजे  राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास व्हाइट हाउस के पास आकाशीय बिजली गिरने से तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना उस समय घटी जब एक दंपती अपने परिवार के साथ व्हाइट हाउस के पास स्थित एक पार्क  लाफायेट स्क्वायर में शादी की सालगिरह मनाने आया था।


डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया फायर एंड इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज डिपार्टमेंट के अनुसार गुरुवार को व्हाइट हाउस परिसर के बाहर स्थित लाफायेट पार्क में बिजली गिरने के बाद कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इन सभी को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन इनमें से तीन ने दो दिन बाद दम तोड़ दिया। पार्क का एक हिस्सा गुरुवार को शाम को एक घंटे से अधिक समय तक बंद रहा और आपातकालीन दल घटनास्थल पर मौजूद रहा।

व्हाइट हाउस ने जताया दुख
व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने कहा कि बाइडेन प्रशासन जान गंवाने वाले लोगों के लिए गहरी संवेदना प्रकट करता है। वहीं प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने  बयान में कहा कि हम उन लोगों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं जो अभी भी अपने जीवन के लिए लड़ रहे हैं।

 

 

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चीन ने नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के विरोध में अमरीका के साथ सहयोग रोकने की घोषणा की

 वशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)।  चीन ने अमरीका की सीनेट की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के विरोध में अमरीका के साथ सहयोग रोकने की घोषणा की है। इनमें दोनों देशों के बीच वरिष्ठ सैन्य कमांडरों और जलवायु परिवर्तन वार्ता सहित कई क्षेत्रों में आपसी बातचीत पर रोक शामिल है। चीन के विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि चीन अमरीका के साथ सीमा पार अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम और अवैध प्रवासियों की वापसी लाने पर वाशिंगटन के साथ सहयोग को भी निलंबित कर रहा है।

 

पेलोसी के जापान यात्रा समाप्‍त होने के तुरंत बाद चीन ने अमरीका के साथ समुद्री सैन्य सुरक्षा तंत्र पर एक द्विपक्षीय बैठक को भी रद्द कर दिया। पेलोसी 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली सर्वोच्च रैंकिंग अमरीकी अधिकारी हैं। व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमरीका की नीति में बदलाव नहीं आया है और यह यथास्थिति को बदलने या ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को कमजोर करने के एकतरफा प्रयासों का कड़ा विरोध करता है। इस बीच, अमरीका ने ताइवान के खिलाफ चीन की बढ़ती कार्रवाई का विरोध दर्ज कराने के लिए कल चीन के राजदूत खाइन गेन्‍ग को तलब किया। व्‍हाइट हाउस ने कहा कि अमरीका इस क्षेत्र में अस्थिरता नहीं चाहता है। 
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