दुनिया-जगत

दुनिया का सबसे छोटा धनकुबेर, 6 साल की एज में प्राइवेट जेट, मैंशन और लैम्बॉर्गिनी जैसी लग्जरी कारों का मालिक !

 नाइजीरिया (छत्तीसगढ़ दर्पण)। करोड़ों-अरबों रुपये का मालिक होने का ख्वाब तो न जाने कितने लोग देखते हैं, लेकिन आज के दौर में कम लोग ही ऐसे होते हैं, जिनके पास अरबों रुपये की संपत्ति हो। संक्षेप में कहें तो धनकुबेर हो। इन्हीं कुछ चुनिंदा लोगों में एक हैं मोम्फा। महज 6 साल की एज में मोम्फा प्राइवेट जेट, मैंशन और लैम्बॉर्गिनी जैसी लग्जरी कारों के मालिक हैं। दावा किया जा रहा है कि ये दुनिया का सबसे छोटा धनकुबेर है। इतनी कम उम्र में करोड़ों-अरबों रुपये का मालिक बने मोम्फा की कहानी किसी परीकथा से कम नहीं। पढ़ें-

मोम्फा के पास अपनी हवेली 
मोम्फा जूनियर - दुनिया के सबसे कम उम्र के अरबपति होने का दावा करते हैं। यूं तो छह साल की उम्र खेलने-कूदने और मस्ती करने की होती है, लेकिन इतनी छोटी सी एज में मोम्फा के पास अपनी हवेली है। हवेली के मालिक होने के अलावा मोम्फा के पास प्राइवेट जेट भी है, जिससे वे नाइजीरिया के बाहर का सफर करते हैं।

इंस्टाग्राम पर 25,000 फोलोअर्स 
खेलने-कूदने की एज में प्राइवेट जेट से दुनिया की यात्रा करने वाले इस बच्चे के बारे में दावा है कि मोम्फा जूनियर दुनिया का सबसे कम उम्र का अरबपति हैं। इनका असली नाम मोहम्मद अवल मुस्तफा (Muhammed Awal Mustapha) है। इंस्टाग्राम पर 25,000 फोलोअर्स के साथ मोम्फा अपनी धमाकेदार जीवन शैली शेयर करते रहते हैं।

करोड़ों की कीमत वाली कार 
इंस्टाग्राम की एक पोस्ट में मोम्फा क्रीम कलर की Bentley Flying Spur के बोनट पर बैठे देखे जा सकते हैं। इस पोस्ट की कैप्शन में लिखा गया है कि उनके पिता ने उनके लिए पहली कार खरीदी थी। प्री-टीन इन्फ्लुएंसर मोम्फा के वाले घर के बाहर एक पीले रंग की फेरारी सहित चार और लग्जरी कारें खड़ी दिखाई देती हैं।

लग्जरी कारों का बेड़ा 
एक दूसरी पोस्ट में मोम्फा लाल लेम्बॉर्गिनी एवेंटाडोर की बोनट पर बैठेने के अलावा डिजाइनर कपड़े पहने हुए हैं। उन्होंने पोस्ट कैप्शन में लिखा: "मुझे जन्मदिन मुबारक हो।" दुबई में उनके विशाल लग्जरी घरों में से एक के बाहर पीले रंग की फेरारी सहित अधिक और गाड़ियां भी देखी जा सकती हैं।

लाइफस्टाइल के लिए सुर्खियों में मोम्फा 
मोम्फा अरबपति नाइजीरियाई इंटरनेट सेलिब्रिटी इस्माइलिया मुस्तफा का बेटा है, जो मोम्फा नाम से लोकप्रिय जाता है। मोम्फा सीनियर भी अपने बेटे की तरह ही महंगी चीजों के शौकीन हैं। अपने असाधारण खर्च और शानदार लाइफस्टाइल के लिए सुर्खियों में मोम्फा और उनकी फैमिली नाइजीरिया के लागोस और यूएई में अपने घरों के बीच घूमती है। एक मिलियन से अधिक इंस्टाग्राम फॉलोअर्स के साथ मोम्फा अक्सर फोटो शेयर करते हैं।

छठे जन्मदिन पर मोम्फा ने खरीदी हवेली 
मोम्फा को सात सितारा होटलों में, हाइपरकार की ड्राइविंग सीट पर देखा जा सकता है। 2019 में अपने छठे जन्मदिन पर मोम्फा जूनियर ने अपनी पहली हवेली खरीदी। उन्होंने उस समय कथित तौर पर लिखा था: "अपने घर का मालिक होना अब तक की सबसे अच्छी भावनाओं में से एक है। इसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है, इसे पैसे में नहीं मापा जा सकता है।

दो बच्चों के पिता मोम्फा सीनियर 
"घर का मालिक होना एक ऐसी भावना है जो आश्वस्त करता है कि तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद आपके पास जाने के लिए एक जगह है...। एक ऐसी जगह जो आपको कभी जज नहीं करेगी और हमेशा आपको खुली बाहों से आमंत्रित करेगी... द सन की रिपोर्ट के मुताबिक दो बच्चों के पिता मोम्फा सीनियर अपनी बीवी को कैश मैडम कहते हैं।

 
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अमेरिका में आ गई आर्थिक मंदी, भारत में निर्यात अभी भी कमजोर, अर्थव्यवस्था कैसे बचाएगी मोदी सरकार?

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने विश्व ने अपने जुलाई अपडेट में वर्ल्ड इकोनॉमिक ऑउटलुक में चालू वित्त वर्ष में भारत के विकास दर का अनुमान 80 बेसिक प्वाइंट घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ का अपटेडेट विकास दर का अनुमान काफी हद तक आधिकारिक अनुमानों के करीब और वास्तविक मालूम होता है। वहीं, आईएमएफ ने अगले साल के लिए भारत की अर्थव्यवस्था के 6.1 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान जताया है। आईएमएफ के मुताबिक, भारत के विकास दर पर विदेशी घटनाओं और वैश्विक राजनीतिक परिस्थितियों का पड़ा है। हालांकि, इसके बाद भी आईएमएफ का अनुमान भारत सरकार के लिए काफी राहत देने वाली है।

वैश्विक विकास दर पर प्रभाव 
आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक, साल 2022 में वैश्विक विकास दर का अनुमान 3.2 प्रतिशत है और आईएमएफ रिपोर्ट ने आने वाली वैश्विक मंदी (नकारात्मक विकास की लगातार दो तिमाहियों के रूप में परिभाषित) के बारे में चिंताओं को चिह्नित किया है। यह अमेरिका और अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिंता का विषय हो सकता है। हालांकि भारत में मंदी की संभावना फिलहाल कम नजर आ रही है। वहीं, पिछले हफ्ते ब्लूमबर्ग की लेटेस्ट रिपोर्ट में सर्वे के आधार पर कहा गया है कि, कई एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा बढ़ रहा है और उच्च कीमतें केंद्रीय बैंकों को अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गति को तेज करने के लिए मजबूर कर रही हैं और दर्जन भर देश भीषण आर्थिक संकट में फंस सकते हैं। लेकिन, ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, भारत पर आर्थिक मंदी का खतरा शून्य प्रतिशत है, जबकि श्रीलंका और अमेरिका भी खतरे की लिस्ट में शामिल हैं।

अमेरिका पर आर्थिक मंदी का कितना खतरा? 
आईएमएफ की रिपोर्ट ने 2022 में अमेरिकी विकास दर के अनुमान में बड़ा संशोधन किया है और अमेरिका के विकास दर का अनुमान घटाकर सिर्फ 2.3 प्रतिशत कर दिया है, जो अप्रैल की रिपोर्ट के मुकाबले, 1.4 प्रतिशत कम है। साल 2023 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सिर्फ 1 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है, जो अमेरिका के लिए नकारात्मका बात है। यह वृद्धि 2023 की दूसरी छमाही में काफी हद तक कमजोर होने की उम्मीद है। वहीं, 2023 की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था के केवल 0.6 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। अमेरिका में मंदी की आशंका को लेकर मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं। जनवरी से मार्च की तिमाही में, अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने संकुचन आने की संभावना जताई गई है। फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ अटलांटा के GDPNow पूर्वानुमान मॉडल के लेटेस्ट आंकड़ों में जो अनुमान लगाया गया है, उसके मुताबिक, अप्रैल से जून तिमाही के लिए GDP -1.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इन आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में मंदी की शुरुआत हो चुकी है। फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ अटलांटा का विश्लेषण वास्तविक जीडीपी विकास का एक चालू अनुमान प्रदान करता है, जो कि जीडीपी के आधिकारिक अनुमान के जारी होने तक लंबित है, जो एक अंतराल के साथ आता है।

उपभोक्ता बाजार में निराशा 
आर्थिक मंदी को टालने के लिए दुनियाभर के केन्द्रीय बैंक्स ने डिमांड घटाने के लिए अपने ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू कर दिया और अमेरिका की केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी लगातार ब्याज दर बढ़ाए हैं, लेकिन इसका नतीजा ये हुआ, कि डिमांड में तेजी से कमी आनी शुरू हो गई और उपभोक्ता बाजार निराशावादी हो गये हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी का इंडेक्स ऑफ कंज्यूमर सेंटिमेंट, अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। वहीं, एक साल बाद की औसत मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो कि 2 प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य से काफी ज्यादा है। हालांकि, कॉरपोरेट बिक्री और रोजगार संख्या जैसे अन्य महत्वपूर्ण संकेतक हैं, जो अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर नहीं दिखाते हैं। विभिन्न संकेतकों के आधार पर, ब्लूमबर्ग ने अर्थशास्त्रियों के विश्लेषण के आधार पर जो सर्वे रिपोर्ट तैयार किया है, उसमें अमेरिका में आर्थिक मंदी आने की संभावना 38 प्रतिशत है।

आईएमएफ की रिपोर्ट में वैश्विक महंगाई का हाल? 
आईएमएफ की रिपोर्ट में इस साल वैश्विक मुद्रास्फीति को 8.3 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचाने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, अगले साल इसके 6 फीसदी से नीचे रहने का अनुमान है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति इस साल 6.6 फीसदी से घटकर अगले साल 3.3 फीसदी रहने का अनुमान है। अगले साल तेल की कीमतों में 12 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया गया है। यदि वास्तविक मुद्रास्फीति ग्राफ इन अनुमानों के करीब हो जाता है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गति में कमी देखी जा सकती है, हालांकि इसकी संभावना तत्काल नहीं है, लेकिन आने वाली कुछ तिमाहियों में ऐसा हो सकता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव? 
ब्लूमबर्ग ने अर्थशास्त्रियों के अनुमानों के आधार पर जो विश्लेषण किया है, उसमें भारत के लिए बहुत बड़ी राहत की बात है और भारत में आर्थिक मंदी आने की संभावना शून्य प्रतिशत जताई गई है। भारत में मुद्रास्फीति और संभावित विकास मंदी, मुख्य रूप से वैश्विक झटके के कारण हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर डालने वाली बाहरी बाधाओं में नरमी देखी जा सकती है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई पर काबू पाने के लिए अपनी ताजा बैठक में ब्याज दरों में 75 बेसिक प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है। वहीं, यूरोपीय सेंट्रल बैंक के बेंचमार्क दर को 50 आधार अंकों तक बढ़ाने के फैसले से अमेरिकी डॉलर सूचकांक में कुछ नरमी आई है। तेज विदेशी बहिर्वाह के उलटने और कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में सुधार ने रुपये को 80 प्रति डॉलर के स्तर को छूने के बाद वापसी करने में मदद की है।

भारत में आर्थिक मंदी आने की संभावना कम 
हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज मंदी की संभावना कम है। एक जुलाई को खत्म हुए हफ्ते में क्रेडिट ग्रोथ में 14.4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। और एक महत्वपूर्ण बात ये है, कि उद्योगों को दिए गये बैंक कर्ज में मई 2022 में 8.7 प्रतिशत तक की तेजी आई है। जबकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को ऋण ने सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना द्वारा संचालित मजबूत वृद्धि दिखाई है, हाल के दो महीनों में देखा गया है कि, बड़े उद्योगों को भी ऋण मिल रहा है। इसके साथ ही भारत की कैपिसिटी उपयोग में वृद्धि, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास खर्च में आई तेजी और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए भारत सरकार की 'प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम' में भी तेजी आई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से शुभसंकेत हैं। वहीं, सर्विस सेक्टर से जो ज्यादातर संकेत मिल रहे हैं, उसमें भी पिछले दो महीनों में उल्लेखनीय सुधार दिखाया गया है। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि, उपभोक्ता आर्थिक संभावनाओं के बारे में अधिक आशावादी हो गए हैं। उपभोक्ता भावनाओं का सूचकांक (आईसीएस) पिछले चार महीनों में सुस्त वृद्धि के बाद जुलाई में ठीक होने के लिए तैयार है। वहीं, तेल की कीमतों में गिरावट का अनुमान भारत में महंगाई कम होने की दिशा में एक अच्छी खबर है, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की गति को प्रभावित कर सकता है।

फिर भी विकास दर होगा प्रभावित 
हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है, लेकिन, इसके बाद भी यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में संभावित मंदी से सुरक्षित नहीं रह सकती है। 2021-22 में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज करने के बाद आने वाले महीनों में निर्यात में नरमी देखी जा सकती है। विशेष रूप से, अमेरिका में मंदी का असर भारत के आईटी सेवाओं के निर्यात पर पड़ेगा। हालांकि ऑफशोर क्लाइंट्स से ऑर्डर फ्लो अभी भी मजबूत है, स्टैगफ्लेशन की चिंताओं के कारण आईटी फर्मों के प्रॉफिटेबिलिटी मार्जिन में कमी देखी जा रही है। लिहाजा, नीतिगत फोकस मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरीकरण, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता और मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण से लाभ को मजबूत करने पर फोकस होना चाहिए।
 
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चीन का जासूसी जहाज पहुंचेगा श्रीलंका? भारत की सख्ती के बाद कोलंबो से आई प्रतिक्रिया

 कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच खबर है कि चीन अपने जासूसी जहाज यूआन वांग 5 के साथ हंबनटोटा बंदरगाह पर दस्तक देने जा रहा है। चीन के इस ऐलान के बाद भारत पूरी तरह से सतर्क हो गया है। हालांकि, श्रीलंका ने इसे अफवाह करार दिया है 

चीन का जासूसी जहाज करेगा घुसपैठ! 
चीन अपने जासूसी जहाज यूआन वांग5 के साथ श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर दस्तक देने जा रहा है। चीन के इस ऐलान के बाद भारत अब पूरी तरह से सतर्क हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह जासूसी जहाज 11 अगस्‍त को आ रहा है, जिसका मकसद हिंद महासागर क्षेत्र में शोध कार्य और सैटलाइट कंट्रोल करना है। प्रस्तावित यात्रा के अनुसार यह जहाज 17 अगस्त को हंबनटोटा से लौट जाएगा। अब भारत इस बात की जांच कर रहा है कि इस जासूसी जहाज के प्रस्तावित यात्रा में श्रीलंका के तरफ से किस प्रकार कि मदद दी जा रही है।

भारत सतर्क 
श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को उन रिपोर्टों का खंडन किया कि अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग में शामिल एक चीनी अनुसंधान पोत इस साल अगस्त में हंबनटोटा बंदरगाह में प्रवेश करेगा, यहां तक ​​​​कि भारत ने एक "स्पष्ट संदेश" भेजा कि वह चीनी जहाज की हर एक गतिविधियों की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहा है।
 
 
क्या कहती है BRISL की वेबसाइट 
रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कोलंबो में 'द हिंदू' को बताया, "हमारे पास हंबनटोटा बंदरगाह पर इस तरह के जहाज के बुलाए जाने की कोई खबर नहीं है। जानकारी के मुताबिक, चीन के जासूसी जहाज यूआन वांग 5 के हंबनटोटा बंदरगाह पर आने की बात बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव श्रीलंका (BRISL) कही थी। बता दें कि, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव श्रीलंका एक कोलंबो आधारित संगठन है जो चीन की महत्वाकांक्षी कनेक्टिविटी परियोजना का अध्ययन कर रहा है। अपनी वेबसाइट पर, BRISL ने कहा, कि युआन वांग 5, जो 13 जुलाई को जियानगिन के चीनी बंदरगाह से रवाना हुआ था और वह ताइवान से होकर गुजरा है। वेबसाइट के मुताबिक, अब युआन वांग 5 पूर्वी चीन सागर में है और 11-17 अगस्त से श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर ठहरने की उम्मीद है।

श्रीलंका के तरफ से आया बयान 
श्रीलंका में चीन के बेल्‍ट एंड रोड प्रॉजेक्‍ट के निदेशक वाई रानाराजा ने कहा कि यह चीनी जहाज हिंद महासागर के पश्चिमोत्‍तर हिस्‍से में सैटलाइट कंट्रोल और शोध निगरानी करेगा। यह कोई सैन्य पोत नहीं है। पोत के पाठयक्रम का विवरण किसी भी को देखने के लिए ऑनलाइन उपलब्ध है। BRISL की रिपोर्ट में कहा गया है कि, युआन वांग5 की हंबनटोटा पोर्ट की यात्रा से श्रीलंका और क्षेत्रीय विकासशील देशों को अंतरिक्ष कार्यक्रमों को सीखने और विकसित करने का उत्कृष्ट अवसर होगा।

चीन घुसपैठ करने की कोशिश करता रहता है 
हालांकि, इन सबके बावजूद भारत चीन की चाल को समझते हुए पहले ही सतर्क हो चुका है। बता दें कि, साल 2014 के बाद यह ऐसा पहली बार है जब इस तरह का चीनी जासूसी जहाज श्रीलंका के दौरे पर आ रहा है इससे पहले साल 2014 में एक चीनी पनडुब्‍बी हंबनटोटा बंदरगाह पहुंची थी, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई थी।
 
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'बहुत ज्यादा चिंता है, लेकिन...' विश्व बैंक ने श्रीलंका को कर्ज देने से किया इनकार, सारी उम्मीदें खत्म!

 कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। विश्व बैंक ने श्रीलंका की स्थिति को चिंताजनक मानते हुए भी लोन देने से साफ इनकार कर दिया है। गुरुवार को विश्व बैंक ने अपर्याप्त मैक्रोइकॉनॉमिक पॉलिसी फ्रेमवर्क का हवाला देते हुए कहा कि, मौजूदा आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका को कोई नई वित्तीय मदद देने की उसकी कोई योजना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान ने कहा कि, वह श्रीलंका के लोगों पर गंभीर संकट के प्रभाव के बारे में 'गहराई से चिंतित' है।

विश्व बैंक ने अपने बयान में क्या कहा? 
विश्व बैंक ने श्रीलंका को लेकर जो बयान जारी किया है, उसमें कहा गया है कि, 2 करोड़ 20 लाख की आबादी वाले द्वीप राष्ट्र को संरचनात्मक सुधारों को अपनाने की आवश्यकता है, जो आर्थिक स्थिरीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इसकी स्थिति के मूल कारणों से निपटते हैं, जिसकी वजह से श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया है और जिसने श्रीलंका में भोजन की गंभीर कमी को उत्पन्न कर दिया है। विश्व बैंक ने माना है कि, श्रीलंका में पेट्रोल और ईंधन की सख्त कमी होने के साथ साथ दवाओं की भी भारी किल्लत हो गई है है। विश्व बैंक ने कहा कि, "विश्व बैंक समूह गंभीर आर्थिक स्थिति और श्रीलंका के लोगों पर इसके प्रभाव के बारे में गहराई से चिंतित है ...लेकिन, जब तक पर्याप्त व्यापक आर्थिक नीति ढांचा नहीं बनता है, विश्व बैंक श्रीलंका को नए वित्तपोषण की पेशकश करने की योजना नहीं बनाएगा''।
 
'जो लोन दिया है, उसी में काम चलाओ'
 
'जो लोन दिया है, उसी में काम चलाओ' 
विश्व बैंक ने कहा है कि, श्रीलंका को जो मौजूदा कर्ज मिला हुआ है, उसी में जरूरी संसाधनों, दवा, रसोई गैस, उर्वरक, बच्चों के लिए दूध पाउडर और कमजोर परिवारों के लिए आर्थिक मदद जैसी व्यवस्था करनी चाहिए और कमियों को दूर करना चाहिए। विश्व बैंक ने ये बी कहा है कि, वह श्रीलंका की सरकार के साथ निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रण और प्रत्ययी निरीक्षण स्थापित करने के लिए मिलकर काम कर रहा था। आपको बता दें कि, श्रीलंका में पिछले कई महीनों से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार वित्तीय संकट का सामना करने में विफल रही है।

देश में राजनीतिक उठापटक 
देश के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जो राष्ट्रपति बनने से पहले देश के प्रधान मंत्री थे, उन्होंने 13 जुलाई से देश में आपातकाल लागू किया हुआ है और विरोध प्रदर्शन को उन्होंने सैन्य शक्ति से कुचलने की कोशिश की है। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्ष श्रीलंका से फरार होने के बाद मालदीव के रास्ते सिंगापुर फरार हो चुके हैं। इससे पहले जून में, गोटाबाया राजपक्षे ने कहा था कि, विश्व बैंक 17 मौजूदा परियोजनाओं का पुनर्गठन करेगा और वित्तपोषण ऋण पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत के बाद और सहायता का पालन करेगा।

श्रीलंका ने चीन से फिर मांगी मदद 
वहीं, जो श्रीलंका चीन की वजह से आर्थिक संकट में फंसा हुआ है, उसने एक बार फिर से चीन से ही आर्थिक मदद मांगी है। श्रीलंका के बीजिंग दूतावास में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में पालिता कोहोना ने कहा कि कोलंबो चाहता है कि, चीन अपनी कंपनियों को अधिक श्रीलंकाई काली चाय, नीलम, मसाले और वस्त्र खरीदने के लिए कहे। इसके साथ ही पालिता कोहोना ने कम्यूनिस्ट सरकार से चीनी आयात नियमों को अधिक पारदर्शी बनाने की भी अपील की है। श्रीलंकाई राजदूत ने कहा कि बीजिंग कोलंबो और हंबनटोटा में चीन समर्थित विशाल बंदरगाह परियोजनाओं में और निवेश करके भी मदद कर सकता है। कोहोना ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण प्रमुख चीनी निवेश योजनाएं अमल में नहीं आई थीं। इसके अलावा, श्रीलंका अधिक चीनी पर्यटकों की चाहत रखता है। 2018 में श्रीलंका आने वाले पर्यटकों की संख्या 265,000 थी, जो कि 2019 में आत्मघाती हमलों और कोरोना महामारी के बाद लगभग नगण्य हो गई है।

चीन के चाटुकार माने जाते हैं विक्रमसिंघे 
कोहोना ने कहा कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की व्यापार, निवेश और पर्यटन सहित अन्य मुद्दों पर सहयोग पर चर्चा करने के लिए चीन की यात्रा करने की योजना है। राजपक्षे परिवार चीन का करीबी हुआ करता था लेकिन श्रीलंका के वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी चीन के लिए अजनबी नहीं हैं। रॉयटर्स के पत्रकार, दूतावास के जिस कमरे में उनका इंटरव्यू कर रहे हैं वहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी हाथ मिलाते हुए एक तस्वीर है। यह तस्वीर 2016 में प्रधानमंत्री के रूप में बीजिंग का दौरा किया तब की है।
 

 

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दुनिया के सबसे महंगे घर में रुके प्रिंस सलमान, जिसका मर्डर करवाया! उसके भाई ने बनवाया था घर

 पेरिस (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान फ्रांस की आधिकारिक यात्रा पर हैं। खबर के मुताबिक इस दौरान उन्होंने दुनिया के सबसे महंगे घर में 'नाइट स्टे' किया। इसके बाद से दुनिया भर में लौवेसिएन्स में मौजूद शेटॉ लुई XIV हवेली के चर्चे हो रहे हैं। बता दें कि, शैटॉ लुई XIV हवेली का संबंध सऊदी प्रिंस के कट्टर आलोचक रहे पत्रकार जमाल खशोगी के परिवार से है। जमाल खशोगी की इस्तांबुल में सऊदी दूतावास के अंदर हत्या कर दी गई थी। तब अमेरिका समेत कई देशों ने दावा किया था कि खशोगी की हत्या का आदेश सीधे मोहम्मद बिन सलमान ने दिया था।


दुनिया के सबसे महंगे शैटॉ लुई XIV हवेली 
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान फ्रांस की आधिकारिक यात्रा को दौरान दुनिया के सबसे महंगे शैटॉ लुई XIV हवेली में विश्राम किया। विलासिता से भरपूर इस हवेली के चर्चे फिर से दुनिया भर में हो रही है। शैटॉ लुई XIV हवेली के मालिक के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। 7,000 वर्ग मीटर में फैली इस हवेली को 2015 में एक अज्ञात खरीदार ने 275 मिलियन यूरो में खरीदा था। इसी कारण फॉर्च्यून पत्रिका ने इसे दुनिया का सबसे महंगा घर करार दिया था।
 
क्या सऊदी क्राउन प्रिंस इस हवेली के मालिक हैं? 
2017 में द न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया था कि इस हवेली के मालिक सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि उन्होंने फर्जी कंपनियों के जरिए इस घर को खरीदा था। मगर, इस रिपोर्ट में किए गए दावे की न तो सऊदी अरब ने और ना ही फ्रांस ने अभी तक कोई पुष्टि की है।

दुनिया की सबसे महंगी हवेली 
इस हवेली के पास में ही वर्साय पैलेस मौजूद है, जो फ्रांसीसी शाही परिवार का आधिकारिक निवास था, जिसे वर्तमान में म्यूजियम में बदल दिया गया है। इस हवले में विलासिता के सारे सामान मौजूद हैं। शैटॉ लुई XIV में एक नाइट क्लब, एक सोने की पत्ती वाला फव्वारा, एक सिनेमा घर भी बना हुआ है। इसके अलावा इस हवेली में पानी के नीचे एक कांच का कमरा भी है, जहां सफेद चमड़े से बना सोफा रखा हुआ है। अंदर जाने पर यह कमरा किसी एक्वेरियम की तरह नजर आता है।

शैटॉ लुई XIV हवेली का खशोगी कनेक्शन जानें 
शैटॉ लुई XIV हवेली का सीधा संबंध सऊदी प्रिंस के घोर आलोचक रहे पत्रकार जमाल खशोगी के परिवार से है। जानकारी के मुताबिक, जमाल खशोगी के चचेरे भाई इमाद खशोगी ने शैटॉ लुई XIV का निर्माण करवाया था। इमाद खशोगी फ्रांस में लग्जरी प्रापर्टी डेवलपमेंट बिजनेस चलाते हैं। बता दें कि, जमाल खशोगी की इस्तांबुल में सऊदी दूतावास के अंदर हत्या कर दी गई थी। उस समय अमेरिका समेत कई देशों ने दावा किया था कि खशोगी की हत्या का आदेश सीधे मोहम्मद बिन सलमान ने दिया था।

इसी हवेली में रुके थे प्रिंस सलमान 
बता दें कि, अब समाचार एजेंसी एएफपी ने फ्रांसीसी अधिकारियों के हवाले से बताया है कि मोहम्मद बिन सलमान गुरुवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मिलने से पहले इसी महंगे हवेली में रुके थे। इस हवेली के बाहरी गेट पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों,फ्रांसीसी पुलिस की गाड़ियों को देखा गया था।
 
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व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद पहली बार वाशिंगटन पहुंचे ट्रंप, झूठे चुनावी दावे दोहराए

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस को अलविदा कहने के बाद बाद पहली बार मंगलवार को वाशिंगटन लौटे और एक बार फिर अपने झूठे चुनावी दावों को दोहराया, जो अमेरिकी संसद भवन (कैपिटल हिल) में छह जनवरी को विद्रोह का कारण बने थे।

ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि उनके 2020 का चुनाव जीतने के सभी सबूत मौजूद थे। उन्होंने कहा  वह चुनाव हमारे देश के लिए एक कलंक है। पूर्व राष्ट्रपति ने 2024 के चुनाव में अपनी उम्मीदवारी पेश करने का एक बार फिर संकेत दिया। उन्होंने कहा,  हमें शायद एक बार फिर करके दिखाना होगा।

व्हाइट हाउस के पूर्व अधिकारियों और कैबिनेट सदस्यों के एक समूह द्वारा आयोजित एक बैठक में लोगों की तालियों के बीच ट्रंप ने यह बयान दिया। ऐसा माना जा रहा है कि बैठक का मकसद ट्रंप के दोबारा चुनाव लड़ने के लिए एक एजेंडा तैयार करना था।

जो बाइडन के 20 जनवरी 2021 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने और खुद के व्हाइट हाउस को अलविदा कहने के बाद पहली बाद पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप वाशिंगटन पहुंचे। पूर्व उप राष्ट्रपति माइक पेंस के भाषण के कुछ घंटे बाद ट्रंप ने अपनी बात रखी। पेंस को 2024 चुनाव में ट्रंप का संभावित प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है।

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जॉनसन ने जेलेंस्की को चर्चिल पुरस्कार से सम्मानित किया

 लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को ‘सर विन्सटन चर्चिल लीडरशिप अवार्ड’ से सम्मानित किया तथा संकट के समय में दोनों नेताओं की तुलना की। जेलेंस्की ने जॉनसन के लंदन कार्यालय में एक समारोह के दौरान वीडियो लिंक के जरिए पुरस्कार स्वीकार किया। इस कार्यक्रम में चर्चिल के परिवार के सदस्य, यूक्रेन के राजदूत वैदिम प्रिस्तेको और वे यूक्रेनी भी शामिल हुए, जिन्होंने ब्रिटिश सैनिकों से प्रशिक्षण लिया है।

जॉनसन ने यह याद किया कि जेलेंस्की ने कैसे 24 फरवरी को पुष्टि की थी कि रूस ने आक्रमण कर दिया है। उन्होंने कहा, सबसे बड़े संकट की घड़ी में आपने अपने तरीके से नेतृत्व की परीक्षा का सामना किया जैसे कि चर्चिल ने 1940 में किया था। जेलेंस्की ने जॉनसन और ब्रिटेन का उनके सहयोग के लिए आभार जताया।

उत्तर पूर्वी देश यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जॉनसन पहले पश्चिमी नेता थे जो कीव गए थे। इस माह के शुरू में जॉनसन द्वारा कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पद से इस्तीफा देने के बाद जेलेंस्की ने कहा था कि वह इस घटनाक्रम से दुखी हैं।

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ऋषि सुनक पर तिलमिलाया चीन का ग्लोबल टाइम्स, कहा- ब्रिटेन में क्या खेल चल रहा, सब पता है

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन के पद से इस्तीफा देने के बाद नए प्रधानमंत्री पद का चुनाव अपने अंतिम दौर में है। कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए बचे दो प्रत्याशी एक दूसरे के विरूद्ध जोर आजमाइश कर रहे हैं। ऋषि सुनक और लिज ट्रस दोनों ने ही इस बार के चुनाव में चीन के खिलाफ आक्रमक रूख अपनाया है। इसे लेकर चीन के सरकारी अखबार ने हैरानी जताई है। चीन के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने दोनों ही दावेदारों पर इसे लेकर कड़ी टिप्पणी की है।

ऋषि के बयान से हैरान ग्लोबल टाइम्स
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि लिज ट्रस पहले भी चीन को लेकर हमलावर रही हैं, ऐसे में उनका चीन विरोधी बयान हैरानी भरा नहीं है लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि आम तौर पर संतुलित नजर आने वाले सुनक ने अचानक चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब वह चीन को ब्रिटेन और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं। ये बेहद हैरान करने वाली बात है। यह चीन के लिए ही नहीं बल्कि उनका समर्थन करने वाले लोगों के लिए बेहद आश्चर्य का विषय है।
असफलता छुपाने के लिए दिखाते हैं चीन का डर
असफलता छुपाने के लिए दिखाते हैं चीन का डर
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में चीन के लिए नीति, नेताओं के परिवर्तन के साथ नाटकीय रूप से नहीं बदलती है। "चीन के खतरे" को बढ़ावा देने का कार्य उन अक्षम राजनेताओं के लिए सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है जो अपने को छुपाने के लिए हैं। यह बात और है कि चुनावों में फेल हो चुके ये नेता अपनी फेल्योर छिपाने के लिए चीन से खतरे के मुद्दे को भुनाना शुरू करेंगे, जबकि उन्हें पता है कि उनके देश के आंतरिक मामलों से चीन का कोई भी लेना-देना नहीं है।
चीन से बैर रखने से ब्रिटेन को होगा नुकसान
चीन से बैर रखने से ब्रिटेन को होगा नुकसान
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि ये नेता स्पष्ट रूप से समझते हैं कि चीन के साथ संबंध अच्छे रखने से उन्हें कुछ हद तक आर्थिक दबाव कम करने में मदद मिल सकती है। अगर ये चीन के साथ संबंध खराब करते हैं तो अंततः उनके देश की अर्थव्यवस्था को ही नुकसान होगा। लेकिन, चीन विरोधी माहौल तैयार करने से वहां के मतदाताओं को यकीन हो जाता है कि ब्रिटेन की आंतरिक समस्याओं के लिए चीन जिम्मेदार है। यह समझदारी, साहस का काम नहीं बल्कि बिल्कुल बेहूदा और आसान विकल्प है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि इस समय ब्रिटेन के राजनेताओं की टिप्पणियां चुनाव जीतने के लिए है, इसलिए चीन को इसे बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है, बस हमें देखना है कि वे चुनाव जीतकर क्या करते हैं।
आलोचनाओं के बाद बदले सुनक
आलोचनाओं के बाद बदले सुनक
ऋषि सनक और लिज़ ट्रस के टेलीविजन बहस की भी अखबार ने चर्चा की है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि पूर्व वित्त मंत्री सनक ने कहा कि चीन "इस सदी में ब्रिटेन और दुनिया की सुरक्षा और समृद्धि के लिए सबसे बड़ा खतरा" का प्रतिनिधित्व करता है। ग्लोबाल टाइम्स ने ऋषि सुनक पर विरोधियों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर भी लिखा है। अखबार लिखता है कि सुनक को उनके विरोधी, चीन पर नरम रूख रखने के लिए घेर रहे हैं। ट्रस के सहयोगियों के मुताबिक जब सनक जुलाई 2021 में वित्त मंत्री थे, उन्होंने कहा कि ब्रिटेन को चीन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना चाहिए। ऐसे में सुनक ने भी चीन के प्रति अपना सुर पूरी तरह से बदल लिया है।
 
चीन के विरोध में अँधे हुए नेता
चीन के विरोध में अँधे हुए नेता
ग्लोबल टाइम्स आगे लिखता है कि सनक चीन विरोध में इतने डूब गए हैं कि उन्होंने कहा है कि वह ब्रिटेन में कन्फ्यूशियस संस्थान की सभी 30 शाखाओं पर प्रतिबंध लगा देंगे। सुनक का तर्क है कि चीनी सरकार द्वारा शैक्षिक और सांस्कृतिक संगठन का उपयोग ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। उन्होंने यूके के तकनीकी स्टार्ट-अप को चीनी निवेश से बचाने के लिए नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों के सख्त उपयोग और चीनी साइबर खतरों से निपटने के लिए एक नए "नाटो-शैली" अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन का भी वादा किया है।
गंभीर आर्थिक समस्या का सामना कर रहा ब्रिटेन
गंभीर आर्थिक समस्या का सामना कर रहा ब्रिटेन
ग्लोबल टाइम्स में चीनी विश्लेषकों ने कहा कि ब्रिटेन वर्तमान में गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा है, और अगर यह चीन के साथ अपने संबंधों को और खराब करता है और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को प्रभावित करता है, तो निश्चित रूप से ब्रिटेन को और अधिक नुकसान होगा। इसलिए चुनाव के दौरान राजनेता जो कुछ भी वोट प्राप्त करना चाहते हैं, कह सकते हैं, लेकिन उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि चुने जाने के बाद उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं और अगर वे वास्तव में अपने वादों को पूरा करते हैं तो क्या होगा।

चुनाव जीतने का बहाना है चीन विरोधी प्रचार
चीन के रेनमिन विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के संस्थान के निदेशक वांग यीवेई ने सोमवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया कि पश्चिमी देशों में चुनावों के दौरान की गई टिप्पणियां इतनी महत्वपूर्ण नहीं हैं। ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि ब्रिटेन अब गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा है। बुधवार को गार्जियन के अनुसार, ब्रिटेन की मुद्रास्फीति दर 40 साल के उच्च स्तर 9.4 प्रतिशत पर पहुंच गई और अक्टूबर में 12 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। रेलवे में 40,000 से अधिक कर्मचारियों और एक दर्जन से अधिक ट्रेन कंपनियों द्वारा नियोजित हड़ताल अगले सप्ताह आगे बढ़ेगी और 1995 के बाद से अपनी तरह की यह पहली राष्ट्रीय हड़ताल होगी।

चीन से संबंध खराब करना नासमझी है
ग्लोबल टाइम्स में विश्लेषकों ने लिखा है कि इस तरह के संकटों का सामना करते हुए, ब्रिटेन के नए नेता को चीन-ब्रिटेन संबंधों को नुकसान पहुंचाने के लिए नासमझी नहीं करनी चाहिए। हालांकि, जहरीले राजनीतिक माहौल के कारण, ब्रिटेन के राजनेता चीन के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचाने का अविवेकपूर्ण और आसान निर्णय लेना पसंद करते हैं, ताकि चरम रूढ़िवादी और लोकलुभावन ताकतों को खुश किया जा सके, बजाय इसके कि वे व्यावहारिक हों और चीन-ब्रिटेन संबंधों को विकसित करने के लिए सही विकल्प चुनें।
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यूक्रेन के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी ने ऐसा क्या कर दिया कि दुनिया भर में उनकी निंदा हो रही है?

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छठे महीने में पहुंच चुका है। अब तक इस जंग में हजारों लोग मारे जा चुके हैं। लाखों लोगों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा है। अब तक पूरी दुनिया में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के अपने देश के लोगों के संग खड़े होने को लेकर, अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाने को लेकर तारीफ होती रही है। लेकिन इस बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति के एक फोटोशूट को लेकर उनकी आलोचना होने लगी है।

पत्नी के साथ नजर आ रहे जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के फोटोशूट को लेकर दुनियाभर में उनका मजाक बन रहा है। दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच जेलेंस्की ने चर्चित पत्रिका वोग के लिए कुछ तस्वीरें खिंचवाई हैं। वोग की तस्वीरों में जेलेंस्की अपनी पत्नी ओलेना जेलेंस्का के साथ नजर आ रहे हैं। ये तस्वीरें वोग मैगजीन के ऑनलाइन एडीशन के लिए खिंचवाई गयी हैं।

फैशन पत्रिका के रूप में मशहूर है वोग
वोग पत्रिका को दुनियाभर में फैशन मैग्जीन के लिए जाना जाता है। इन फोटो में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की अपनी पत्नी के साथ अलग-अलग पोज में दिख रहे हैं। इन तस्वीरों को ओलेना जेलेंस्की ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर भी शेयर किया है। ओलेना ने तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है कि वोग मैगजीन के कवर पर आना कई लोगों का सपना होता है। यह बेहद गौरव की बात है।

इंस्टाग्राम पर किया शेयर
ओलेना ने आगे लिखा है कि वे यूक्रेन की हर महिला को यहां देखना चाहेंगी जो इस समय रिफ्यूजी कैंपों में युद्ध की पीड़ा झेल रही हैं। उनके पास इस मैगजीन के कवर पर आने का अधिकार है। वे इसकी काबिलियत रखती हैं। तस्वीर के पब्लिक होने के बाद लोग इसकी आलोचना में जुट गए हैं।

आलोचना में जुटे लोग
एक यूजर ने लिखा है, "जब आपका देश युद्ध के बीच में है, लोग पीड़ित हैं, सैनिक मर रहे हैं लेकिन स्नैपचैट पीढ़ी को भी लुभाना महत्वपूर्ण है। वोग मैगजीन के फोटोशूट के लिए पोज देते हुए प्रेसिडेंट ज़ेलेंस्की और उनकी पत्नी। इतने तेजस्वी और बहादुर।"
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जंग के बीच रूस का बड़ा फैसला, 2024 के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन छोड़ने का किया ऐलान

 मॉस्को (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रूस ने 2024 के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को छोड़ने का फैसला किया है। मास्को की अंतरिक्ष एजेंसी के नवनियुक्त प्रमुख ने मंगलवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यह जानकारी दी। क्रेमलिन द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि रॉस्कॉस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने पुतिन से कहा, बेशक, हम अपने भागीदारों के लिए अपने सभी दायित्वों को पूरा करेंगे, लेकिन 2024 के बाद इस स्टेशन को छोड़ने का निर्णय ले लिया गया है।

रूस का बड़ा फैसला 
इंटरनेशनल स्‍पेस स्टेशन (ISS) से बाहर निकलने का फैसला यूक्रेन में क्रेमलिन की सैन्य कार्रवाई को लेकर रूस और पश्चिम देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच आई है। बोरिसोव ने कहा, "2024 के बाद स्टेशन छोड़ने का निर्णय किया गया है।" मॉस्को और वाशिंगटन के बीच तनाव के बावजूद नासा और रोस्कोस्मोस ने इस महीने की शुरुआत में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रूसी रॉकेट की सवारी जारी रखने को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

इंटरनेशनल स्‍पेस स्टेशन (ISS) से बाहर निकलने का फैसला 
रोस्कोस्मोस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने रूस की सरकारी समाचार एजेंसी टॉस के साथ एक इंटरव्‍यू में कहा कि इंटरनेशनल स्‍पेस स्टेशन (ISS) से बाहर निकलने का फैसला पहले ही लिया जा चुका है।उन्होंने इंटरव्‍यू में कथित तौर पर कहा कि हम इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बात करने के लिए बाध्य नहीं हैं। मैं केवल यह कह सकता हूं कि हम अपने पार्टनर्स को ISS पर हमारा काम खत्म होने के बारे में एक साल पहले ही चेतावनी दे देंगे।

रूस अब अपना ऑर्बिटल सर्विस स्‍टेशन तैनात करना चाहता है 
उन्होंने इशारा दिया कि ISS के प्रोग्राम को छोड़ने का फैसला इसलिए भी है, क्‍योंकि रूस अब अपना ऑर्बिटल सर्विस स्‍टेशन तैनात करना चाहता है. रूस साल 1998 में इस मिशन से जुड़ा था। आपको बता दें कि रूस ने साल 2015 में भी घोषणा की थी कि वह साल 2024 तक ISS का हिस्सा रहेगा। तब रूस ने कहा था कि वह साल 2024 के बाद रूसी मॉड्यूल को ISS से अलग कर लेगा और पृथ्वी की निचली कक्षा में अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाएगा।

जंग जारी है 
बता दें कि, रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था। जंग को छह महीने होने वाले हैं। यूक्रेन जंग की आग में पूरी तरह से झुलस गया है। वहीं, अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं।
 

 

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अल्बानिया के नए राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण की, राजनीतिक एकता का आग्रह किया

 तिराना (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अल्बानिया के नए राष्ट्रपति ने शपथ ली और विभिन्न राजनीतिक दलों से देश के बेहतर भविष्य के लिए सहयोग करने और कानून के शासन को मजबूत करने का आग्रह किया। 140 सीटों वाली संसद में 78 वोट हासिल कर जीते राष्ट्रपति बजराम बेगज (55) ने संसद में एक समारोह के दौरान औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया। पूर्व आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ जनरल बेगज ने कहा, मैं उन लोगों के प्रति कभी तटस्थ नहीं रहूंगा जो अपने व्यक्तिगत हितों को देश के ऊपर रखते हैं।

राष्ट्रपति कार्यालय में बाद में एक समारोह में संवैधानिक न्यायालय के प्रमुख ने देश का संविधान बेगज को सौंपा। विपक्ष की ओर से कोई साझा उम्मीदवार नहीं होने के बाद बेगज को सत्तारूढ़ वामपंथी सोशलिस्ट पार्टी द्वारा नामित किया गया था। अधिकांश विपक्षी सांसदों ने मतदान का बहिष्कार किया और कुछ ने शपथ ग्रहण समारोह से भी परहेज किया। बेगज देश में सैन्य रैंक से तीसरे राष्ट्रपति हैं। पांच साल के कार्यकाल वाले राष्ट्रपति पद की भूमिका काफी हद तक औपचारिक होती है और राष्ट्रपति से तटस्थ रहने की उम्मीद की जाती है। राष्ट्रपति सेना का कमांडर जनरल होता है, जो न्यायपालिका और सशस्त्र बलों पर भी कुछ अधिकार रखता है।

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भारतीयों से समान व्यवहार वाली नई अप्रवासी नीति बनाएंगे सुनक

 लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी में सबसे आगे चल रहे भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने रविवार को अप्रवासन के संवेदनशील मसले की चर्चा की। कहा, प्रधानमंत्री बनने पर वह सामान्य समझ वाले कदम उठाएंगे जो हर किसी के लिए स्पष्ट होंगे। कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों का समर्थन हासिल करने के लिए जारी अभियान में सुनक अगर बाजी मारते हैं तो वह बोरिस जानसन का स्थान लेंगे। उनका मुकाबला विदेश मंत्री लिज ट्रस से है।

दिग्गज आइटी कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक एन नारायण मूर्ति के दामाद सुनक जीतते हैं तो वह ब्रिटेन में भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री होंगे। ब्रिटेन के वित्त मंत्री रह चुके 42 वर्षीय सुनक ने देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए दस बिंदुओं की योजना सार्वजनिक की है। द डेली टेलीग्राफ में लिखे लेख में सुनक ने मानवाधिकारों के मामलों में कार्य करने वाली यूरोपियन कोर्ट की शक्तियां सीमित करने का भी वादा किया है। कहा है कि यूरोपियन कोर्ट हमारी सीमाओं के सुचारु नियंत्रण से हमें नहीं रोक सकता।

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बहामास द्वीप में 60 लोगों को लेकर जा रही नाव पलटी, 17 हैतियन शरणार्थियों की मौत

 नासाउ (छत्तीसगढ़ दर्पण)। बहामास के तट पर एक संदिग्ध मानव तस्करी अभियान के दौरान दर्जनों हैतियन शरणार्थियों को ले जा रही एक नाव के पलट गई, जिससे 17 लोगों की मौत हो गई है। बहामास के प्रधानमंत्री फिलिप डेविस ने एक बयान में कहा, बचाव टीम ने नाव दुर्घटना, जो रविवार को सुबह 1 बजे के बाद न्यू प्रोविंडेंस से सात मील दूर हुई थी, की जानकारी मिलने के बाद 15 महिलाओं, एक पुरुष और एक बच्चे के शव को बरामद किया।

डेविस ने आगे कहा कि 25 लोगों के शव बरामद कर लिया गया है। निगरानी के लिए उन्हें स्वास्थ्य अधिकारियों को सौंपा गया है। लेकिन फिर भी, कुछ लोगों को लापता माना गया है। आपरेशन अभी भी चल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि एक जुड़वां इंजन वाली स्पीड बोट लगभग 60 लोगों के साथ वेस्ट बे स्ट्रीट से लगभग 1 बजे डाकिंग सुविधा से निकली थी। ऐसा माना जाता है कि उनका अंतिम गंतव्य मियामी, फ्लोरिडा था। उन्होंने कहा, मैं इस त्रासदी में अपनी जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति अपनी सरकार और बहामास के लोगों की संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं।

 

 

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पैसे बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने लगाई पाबंदी, फिर भी विदेशों से लग्जरी सामान क्यों खरीद रहा है पाकिस्तान?

 इस्लामाबाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। बढ़ते आयात बिल और घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले देश की मुद्रा में रिकॉर्ड गिरावट के बीच पाकिस्तान ने आपातकालीन आर्थिक योजना के तहत 38 गैर जरूरी लक्जरी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। हालांकि देश के वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार इन आयातों की अनुमति देना जारी रखे हुए है।


मई में लगा था प्रतिबंध 
एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट हवाले से बताया गया कि मई में सरकार ने एक आपातकालीन आर्थिक योजना को लागू करते हुए दर्जनों गैर जरूरी लग्जरी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। वित्तमंत्री इस्माइल ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार आयातकों को होने वाले नुकसान से बचने के लिए कम अधिशूल्क के साथ 1 जून तक बंदरगाहों तक पहुंचने वाली सभी वस्तुओं के आयात की अनुमति दे रही है।

आयात की दी अनुमति 
इस्माइल ने एक ट्वीट में लिखा 'सरकार द्वारा कुछ लग्जरी के सामानों पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाने के बाद भी, इन वस्तुओं के कई शिपमेंट अनजाने में हमारे बंदरगाहों पर आ गए थे। ऐसे में आयातकों को नुकसान से बचाने के लिए, सरकार उन सभी वस्तुओं के आयात की अनुमति दे रही है जो 1 जून तक हमारे बंदरगाहों पर एक कम अधिशूल्क के साथ पहुंच गई हैं।'एक अन्य ट्वीट में इस्माइल ने लिखा, 'इसके अलावा, फैसल सुब्जवारी, समुद्री मामलों के संघीय मंत्री, समुद्री मंत्री और मैं कोशिश कर रहे हैं कि इन आयातकों को बहुत कम या अच्छा हो कि कोई विलंब शुल्क या कंटेनर बंदी शुल्क का भुगतान न करना पड़े। इसके लिए निश्चित रूप से हमें कंटेनर टर्मिनल के ऑपरेटरों और कंटेनर मालिकों सहयोग की आवश्यकता है।

मई में पीएम ने लगाया प्रतिबंध 
बता दें कि दो महीने पहले प्रतिबंध लगाते हुए सरकार ने कहा था -'बढ़ते आयात बिल और घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले देश की मुद्रा में रिकॉर्ड गिरावट के बीच पाकिस्तान ने 'आपातकालीन आर्थिक योजना' के तहत 38 गैर-जरूरी लग्जरी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की जा रही है।'

विदेशी मुद्रा की होगी बचत 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि इस फैसले से देश की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि लग्जरी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध से देश की कीमती विदेशी मुद्राओं की बचत होगी। हम तपस्या करेंगे और आर्थिक रूप से मजबूत लोगों को इस प्रयास में नेतृत्व करना चाहिए ताकि हमारे बीच कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को यह बोझ न उठाना पड़े।
 
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अमेरिका ने यूक्रेन में ओडेसा बंदरगाह पर रूसी हमले की निंदा की

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका ने यूक्रेन में ओडेसा बंदरगाह पर रूस के हमले की निंदा की। रूसी मिसाइल हमला कथित तौर पर एक दिन बाद हुआ जब युद्ध के कारण वैश्विक खाद्य कमी के बीच यूक्रेन और रूस द्वारा अनाज निर्यात को अनब्लाक करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका आज ओडेसा के यूक्रेनी बंदरगाह पर रूसी मिसाइल हमले की कड़ी निंदा करता है।

काला सागर के माध्यम से यूक्रेनी कृषि निर्यात को फिर से शुरू करने की अनुमति देने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप देने के 24 घंटे बाद, रूस ने ऐतिहासिक बंदरगाह पर हमला करके अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया, जहां से अनाज और कृषि निर्यात फिर से इस व्यवस्था के तहत ले जाया जाएगा। हालांकि, रूस ने अनाज सौदे के बाद यूक्रेनी बंदरगाह पर हमलों से इनकार किया। तुर्कीय के रक्षा मंत्री हुलुसी अकार ने कहा कि रूसी अधिकारियों ने अंकारा को बताया कि यूक्रेन के प्रमुख काला सागर बंदरगाह ओडेसा पर हुए हमलों से रूस का कोई लेना-देना नहीं है। अकार ने तुर्की की सरकारी अनादोलु एजेंसी को बताया, रूस के साथ हमारे संपर्क में, रूसियों ने हमें बताया कि इन हमलों से उनका कोई लेना-देना नहीं है और वे इस मुद्दे की बहुत बारीकी से और विस्तार से जांच कर रहे हैं।

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नासा ने 'मरते हुए तारे' को अपने टेलीस्कोप में किया कैद, चारों ओर अद्भुत नजारा

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। नासा का 'जेम्‍स वेब स्‍पेस टेलीस्‍कोप' स्पेस सेक्टर के लिए बड़ा गेम चेंजर साबित हो रहा, जो लगातार नई आकाशगंगा, ब्लैकहोल और तरह-तरह के सौरमंडल को एक्सप्लोर कर रहा। साथ ही वो उनके फोटो और वीडियो भी लगातार पृथ्वी के कंट्रोल सेंटर में भेज रहा है। हाल ही में नासा ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें एक मर रहा तारा नजर आ रहा। इसको जेम्स वेब टेलीस्कोप ने बहुत ही शानदार तरीके से फिल्माया है।

कितनी थी दूरी? 
नासा के मुताबिक टेलीस्कोप में एक चमकदार चीज कैद हुई है, जो वास्तव में एक मरता हुआ तारा है। जिसको फोकस किया गया है। इस वीडियो के जरिए ये दिखाने की कोशिश की गई कि कैसे टेलीस्कोप ने साउदर्न रिंग नेबुला में स्थित प्‍लेनेटरी नेबुला 'NGC 3132' की चमकदार फोटो को अपने कंप्यूटर में उतारा। इस मरते हुए तारे की दूरी पृथ्वी से 2000 प्रकाश वर्ष के करीब है।

आखिरी वक्त के बारे में बताने की कोशिश 
पहले नासा ने मरते हुए तारे की तस्वीर जारी की थी। जिसके जरिए ये बताने की कोशिश की गई कि जब कोई तारा आखिरी वक्त में रहता है, तो उसके आसपास का नजारा कैसे दिखता है। साथ ही आसपास क्या-क्या गतिविधियां होती हैं। वैज्ञानिकों ने इस मामले में कहा कि टेलीस्कोप ने इतनी दूर से फोटो ली है कि आप उसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। एक प्रकाशवर्ष में 5.8 खरब मील होते हैं, ऐसे में सोचिए कि ये तारा 2000 प्रकाश वर्ष दूर है। ये स्पेस सेक्टर में अपने आप एक नई शुरुआत है।
 
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मंकीपॉक्स वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी क्यों घोषित? जानिए 5 तथ्य

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। घातक संक्रमण मंकीपॉक्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पूरी दुनिया में मंकीपॉक्स तेजी से फैल रहा है। ऐसे में इस पर नियंत्रण के लिए जल्द सही दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं 5 वो तथ्य जिसके कारण डब्ल्यूएचओ को ये गंभीर कदम उठाने पड़े हैं।

तेजी से फैल रहा मंकीपॉक्स विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि मंकीपॉक्स पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। साथ ही ये भी तथ्य सामने आए कि भविष्य में ये कोरोना की तरह फैल सकता है। ऐसे में वर्ल्ड हेल्थ अर्गेनाइजेशन ने ये फैसला किया है।

सबके सहयोग की आवश्यकता 
इससे निपटने के लिए सभी को प्रयास करना होगा। मंकीपॉक्स से बचाव के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग का आह्वान किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मैंने तय किया है कि वैश्विक मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का प्रतिनिधित्व करता है।" 

60 देशों में अब तक 16 हजार मामले 
डब्ल्यूएचओ के 60 सदस्य देशों में अब तक मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। जबकि पांच मौतें हुई हैं। विश्व स्तरीय स्वास्थ्य निकाय इसको लेकर गंभीर है। 

स्वास्थ्य आपातकाल सहयोग के लिए जरूरी 
स्वास्थ्य निकाय ने कहा कि वह आपातकाल की घोषणा कर रहा है क्योंकि यह आवश्यक है कि सभी देश मंकीपॉक्स से निपटने के लिए प्रभावी जानकारी और सेवाओं को डिजाइन और वितरित करने के लिए मिलकर काम करें।
 
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Brazil : रियो डी जनेरियो में पुलिस कार्रवाई में 18 लोगों की मौत

 रियो डी जनेरियो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रियो डी जनेरियो की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती में गुरुवार को गिरोह के सदस्यों को निशाना बनाकर की गई पुलिस कार्रवाई में कम से कम 18 लोग मारे गए। हाल में शहर में पुलिस की यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक है, जिसकी काफी आलोचना हो रही है। पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि कार्रवाई में कारों को चुराने, बैंकों को लूटने और आसपास के इलाकों पर हमला करने वाले एक आपराधिक गिरोह को निशाना बनाया गया था।

लिस कार्रवाई की कड़ी निंदा 
रियो के अधिकारियों ने कहा कि कॉम्प्लेक्सो डो अलेमाओ में पुलिस के साथ टकराव में एक पुलिस अधिकारी और एक महिला के साथ ही 16 संदिग्ध अपराधी मारे गए। पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि कार्रवाई में कारों को चुराने, बैंकों को लूटने और आसपास के इलाकों पर हमला करने वाले एक आपराधिक गिरोह को निशाना बनाया गया था।
 
क्या कहा पुलिस ने 
रियो के पुलिस बल के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ अपराधियों ने पुलिस अधिकारियों के रूप में खुद को छिपाने के लिए वर्दी पहनी थी। रियो पुलिस के एक जांचकर्ता रोनाल्डो ओलिवेरा ने कहा, 'मैं उम्मीद कर रहा था कि वे (संदिग्धों ने) कोई प्रतिक्रिया न दें क्योंकि तब हम उनमें से 15, 14 को गिरफ्तार कर सकते थे। लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने हमारे पुलिसकर्मियों पर गोली चलाने का फैसला किया।
 
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