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फिल्म बिहाइंड द हेस्टैक्स में प्रवासी संकट की विचित्र हकीकत को दर्शाया गया

 पणजी (छत्तीसगढ़ दर्पण)। बिहाइंड द हेस्टैक्स वर्ष 2015 में ग्रीस में उस समय गहराए प्रवासी संकट की पृष्ठभूमि में बनाई गई एक सामाजिक फिल्म है, जब यूरोपीय देशों ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया था, और जिस वजह से प्रवासी और शरणार्थी ग्रीस की उत्तरी सीमा पर एकत्र होने पर विवश हो गए थे। इस फिल्म का अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के दौरान किया गया।

निर्देशक और पटकथा लेखक असि‍मिना प्रोएड्रो ने 'इफ्फी टेबल टॉक्स' में कहा कि इस फि‍ल्‍म की कहानी एक परिवार के सभी तीन केंद्रीय पात्रों यथा एक पिता, मां और एक बेटी के नजरिए से सुनाई गई है। इन तीनों अलग-अलग लोगों को भ्रष्ट व्‍यवस्‍था के आगे झुकने के लिए विवश किया जाता है। असि‍मिना प्रोएड्रो ने कहा, इस फिल्म के तीनों ही खंड में से प्रत्येक में इस बात पर फोकस किया गया है कि कोई भी व्यक्ति आखिरकार इस तरह का व्यवहार क्यों कर रहा है। 

 

उन्होंने कहा, मैं मुख्य पात्रों में से प्रत्येक को करीब से पेश करना चाहता था। हालांकि, फि‍ल्‍म के आखिर में इन तीनों ही किरदारों के मकसद सामने आ जाते हैं। शुरू में हमने दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि ये पात्र अजीबोगरीब व्यवहार क्यों कर रहे हैं।  बिहाइंड द हेस्टैक्स ग्रीस की उत्तरी सीमा पर रहने वाले एक मध्यम आयु वर्ग के कर्ज में डूबे मछुआरे की कहानी है, जो मोटी फीस के बदले सीमावर्ती झील के पार प्रवासियों की तस्करी करना शुरू कर देता है। चर्च जाने के प्रति समर्पित उनकी पत्नी, ईश्वर के वचन में सच्चाई की तलाश कर रही है, जबकि दम्पति की बेटी अपने जीवन को स्वयं परिभाषित करने की कोशिश करती है।

 

परिवार में एक दुःखद घटना के घटित होने का बाद, तीनों पात्र अपने स्वयं के व्यक्तिगत बाधाओं और कमजोरियों का सामना करने के लिए प्रेरित होते हैं और उन्हें जीवन में पहली बार अपने कार्यों की कीमत चुकाने के बारे में विचार करना पड़ता है।

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एक्स वाइफ और बेटे के साथ घूमने निकले एक्टर आमिर खान

 मुंबई (छत्तीसगढ़ दर्पण)। हाल ही में आमिर खान को एयरपोर्ट पर स्पॉट किया गया। वह कहीं घूमने निकले हैं। दिलचस्प बात यह है कि एयरपोर्ट पर आमिर अकेले नहीं दिखे, बल्कि उनके साथ एक्स-वाइफ किरण राव और बेटा आजाद भी साथ नजर आए। रिपोर्ट्स के मुताबिक तीनों मुंबई से बाहर कहीं घूमने गए हैं। उनका यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है। 

 

बता दें कि आमिर खान ने दो शादियां की हैं। हालांकि, उनकी दोनों ही शादी टूट चुकी हैं। आमिर खान ने पहली शादी रीना दत्ता के साथ की थी। आमिर और रीना के दो बच्चे जुनैद खान और आयरा खान हैं। 2002 में उनका तलाक हो गया। वर्ष 2005 में आमिर ने किरण राव से शादी रचाई, लेकिन 2021 में दोनों ने तलाक ले लिया। आमिर और किरण राव के एक बेटा आजाद है। हाल ही में आमिर खान की बेटी आयरा ने नुपुर शिखरे के साथ सगाई की है। 

 

 

 एक यूजर ने लिखा, 'क्या नौटकीं है? जब साथ घूमना है तो तलाक क्यों लिया?' एक यूजर ने लिखा, 'फाइनली ये लोग भारत छोड़कर जा रहे हैं।' बता दें कि आमिर खान ने बीते वर्ष किरण राव से तलाक की बात सार्वजनिक की थी। 

 

 

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गरीबी से जूझ रहे राज्य के रूप में बिहार के चित्रण को तोड़ने की जरूरत

 पणजी (छत्तीसगढ़ दर्पण)। 53वें इफ्फी में स्थापित बिहार पवेलियन ने नवोदित फिल्म निर्माताओं से बुद्ध और महावीर की भूमि की ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का अन्वेषण करने का आह्वान किया है। इस वर्ष इफ्फी में, एक पहल के तौर पर, कई राज्य सरकारों ने अपने - अपने राज्यों में फिल्म निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फिल्म बाजार में अपना पवेलियन स्थापित किया है।

प्रसिद्ध अभिनेता पंकज त्रिपाठी, जिन्होंने बिहार पवेलियन का उद्घाटन किया, आईएफएफआई में अपने गृह राज्य का प्रतिनिधित्व देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा कि राज्य में फिल्म निर्माण की अपार संभावनाएं हैं, जिनका उपयोग किये जाने की जरूरत है। बिहार सरकार की अधिकारी श्रीमती बंदना प्रेयशी ने कहा, बिहार में शूटिंग करने के लिए फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करने के क्रम में राज्य सरकार ने कई पहलें की हैं।

उन्होंने बेहतर सुरक्षा व्यवस्था, तेज कनेक्टिविटी और मजबूत अवसंरचना की उपलब्धता के बारे में बात की। एक्सप्लोर बिहार' पवेलियन में मौजूद राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि गरीबी से जूझ रहे राज्य के रूप में बिहार के चित्रण को तोड़ने की जरूरत है। वास्तव में, रेल, सड़क, हवाई संपर्क और अवसंरचना के विभिन्न रूपों के सन्दर्भ में बिहार की अवसंरचना में कई गुनी वृद्धि हुई है। 'एक्सप्लोर बिहार' पवेलियन इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि मुख्यधारा के फिल्म उद्योग के कई प्रसिद्ध अभिनेताओं, निर्देशकों, तकनीशियनों का गृह राज्य बिहार है।

उम्मीद है कि बिहार से जुड़े और मुख्यधारा के बॉलीवुड फिल्म उद्योग या अन्य क्षेत्रीय फिल्म उद्योग में खुद को स्थापित करने वाले कुशल फिल्म निर्माता, अभिनेता अपने गृह राज्य वापस आने और मजबूत फिल्म निर्माण उद्योग की स्थापना में योगदान देने के लिए प्रेरित होंगे।

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ज्यादातर क्षेत्रीय फिल्मों में झलकता है भारत का सार : अभिनेता अखिलेंद्र छत्रपति मिश्रा

 पणजी (छत्तीसगढ़ दर्पण)। फिल्म लोटस ब्लूम्स के कलाकारों और क्रू ने इफ्फी टेबल टॉक्स के हिस्से के तौर पर एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया। जाने माने अभिनेता अखिलेंद्र छत्रपति मिश्रा ने कहा, मैंने इस प्रोजेक्ट में काम करना इसलिए चुना क्योंकि ये संदेश व्यक्त करने के लिए सिनेमा की भाषा का इस्तेमाल करता है। इस फिल्म के विषय पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये दिखाती है कि जीवन भी कमल के फूल की तरह है, जो सूर्योदय के साथ खिलता है और सूर्यास्त के साथ मुरझा जाता है।

उन्होंने इस फिल्म में इसलिए भी काम किया क्योंकि ये मैथिली भाषा को बढ़ावा देती है। उन्होंने टिप्पणी की कि भारत का सार ज्यादातर क्षेत्रीय फिल्मों में झलकता है, हालांकि क्षेत्रीय भाषाओं में ज्यादा फिल्में नहीं बनती हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं में और फिल्में बनाई जानी चाहिए और दिखाई जानी चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सिनेमा जीवन का ही विस्तार है। इसे लार्जर दैन लाइफ कहा जाता है क्योंकि ये संस्कृति, भाषा और आध्यात्मिक दृष्टि को अपने में समाहित करता है। उन्होंने कहा कि जो नवरस होते हैं वो ही सिनेमा की भाषा गढ़ते हैं।

 

 

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दर्शकों से जुड़ती हैं यथार्थवादी फिल्में : अनुपम खेर

 गोवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। 'द कश्मीर फाइल्स' के मुख्य अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि 32 साल बाद इस फिल्म ने दुनिया भर के लोगों को 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई त्रासदी के बारे में जागरूक होने में मदद की है। वे पणजी, गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आयोजित इफ्फी टेबल टॉक्स में हिस्सा ले रहे थे।

उन्होंने कहा, ये सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म है। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म के लिए दुनिया भर से लगभग 500 लोगों का साक्षात्कार लिया था। 19 जनवरी 1990 की रात को बढ़ती हिंसा के बाद 5 लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में अपने घरों और यादों को छोड़ना पड़ा था। एक कश्मीरी हिंदू के रूप में मैंने उस त्रासदी को जिया है। लेकिन उस त्रासदी को कोई कुबूल करने को तैयार नहीं था।

 

दुनिया इस त्रासदी को छिपाने की कोशिश कर रही थी। इस फिल्म ने उस त्रासदी का दस्तावेजीकरण करके एक हीलिंग प्रोसेस शुरू किया। एक त्रासदी को परदे पर जीने की प्रक्रिया याद करते हुए अनुपम खेर ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स उनके लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि एक भावना है जिसे उन्होंने निभाया है। उन्होंने कहा, चूंकि मैं उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता हूं जिन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया है, इसलिए मैं सर्वोत्तम संभव तरीके से इसे व्यक्त करने को एक बड़ी जिम्मेदारी मानता हूं। मेरे आंसू, मेरी मुश्किलें जो आप इस फिल्म में देख रहे हैं, वे सब असली हैं।

अनुपम खेर ने आगे कहा कि इस फिल्म में एक अभिनेता के रूप में अपने शिल्प का इस्तेमाल करने के बजाय, उन्होंने असल जिंदगी की घटनाओं के पीछे की सच्चाई को अभिव्यक्ति देने के लिए अपनी आत्मा का इस्तेमाल किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि फिल्म के पीछे मुख्य विषय ये है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा, उम्मीद हमेशा आसपास ही कहीं होती है।

कोविड महामारी और उसके बाद लगे लॉकडाउन ने लोगों के फिल्में देखने के तरीके को प्रभावित किया है। अनुपम खेर ने इस तथ्य पर जोर देते हुए कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म से दर्शकों को विश्व सिनेमा और विभिन्न भाषाओँ की फिल्में देखने की आदत पड़ गई है। उन्होंने कहा, दर्शकों को यथार्थवादी फिल्मों का स्वाद मिला। जिन फिल्मों में वास्तविकता का अंश होगा, वे निश्चित रूप से दर्शकों के साथ जुड़ेंगी। कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों की सफलता इसका प्रमाण है। गाने और कॉमेडी के बगैर भी यह फिल्म कमाल की साबित हुई। यह वास्तव में सिनेमा की जीत है।

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इंसाफ के लिए एक भ्रष्ट सिस्टम से लड़ने वाली लड़की की दिल दहला देने वाली कहानी है फिल्म सिया

 गोवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। 'सिया' एक असरदार फिल्म है जो हमारी सामाजिक न्याय प्रणाली को प्रतिबिंबित करती है। ये उन लोगों के मानवीय पक्ष को चित्रित करने का प्रयास है जिनके साथ अन्याय हुआ है। ये बातें कहीं फिल्म 'सिया' के निर्देशक मनीष मूंदड़ा ने, जो कि इंसाफ के लिए एक ख़राब पितृसत्तात्मक व्यवस्था से लड़ने वाली एक लड़की की दिल दहला देने वाली कहानी है। आंखें देखी, मसान और न्यूटन जैसी कुछ बेहतरीन फिल्मों का निर्माण करने वाले मनीष मूंदड़ा पहली बार 'सिया' के जरिए बतौर निर्देशक पदार्पण कर रहे हैं।

गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से इतर पीआईबी द्वारा आयोजित किए जा रहे 'टेबल टॉक्स' सत्र में मीडिया और इस महोत्सव के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए मनीष मूंदड़ा ने कहा कि ये फिल्म उस दर्द को समझने की एक ईमानदार कोशिश है जिससे पीड़ितों को तब गुजरना पड़ता है जब वे न्याय की तलाश में पूरी प्रक्रिया से दो-चार होते हैं।

 

उन्होंने कहा, हम सभी को भी पीड़ितों के उस दर्द और पीड़ा को महसूस करना चाहिए ताकि बदले में हमें जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद मिल सके।"'सिया' आत्मा को झकझोर देने वाली फिल्म है, जो दुष्कर्म पीड़िताओं की दहशत और दर्द को बयां करती है। यह फिल्‍म वास्तविक जीवन की घटना से प्रेरित है। उत्तर भारत की एक ग्रामीण युवती यौन उत्पीड़न के बाद इंसाफ की लड़ाई लड़ने का फैसला करती है। वह न्याय की खातिर लड़ने का साहस जुटाती है और शक्तिशाली लोगों के हाथों की कठपुतली बन चुकी दोषपूर्ण न्याय प्रणाली के खिलाफ मुहिम शुरू करती है।

जिस तरह 'सिया' वास्तविक जीवन की घटना पर आधारित है, ऐसे में फिल्म निर्माण के लिए विषय की पसंद के बारे में पूछे जाने पर मनीष मूंदड़ा ने कहा, मुझे फिल्में बनाना बहुत अच्‍छा लगता है। मैं कमर्शियल ब्लॉकबस्टर नहीं बनाना चाहता। मैं उन विषयों को चुनता हूं जो मेरे दिल और आत्मा को छूते हैं। अनंत काल तक टिके रहने के लिए कहानी को दर्शकों की आत्मा को झकझोरना चाहिए।

यह फिल्म 6 अंतरराष्ट्रीय और भारतीय फिक्शन फीचर डेब्यू के संग्रह के साथ एक निर्देशक श्रेणी की सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फीचर फिल्म के तहत प्रतिस्पर्धा कर रही है, जो इस बात का उदाहरण है कि अगली पीढ़ी के फिल्म निर्माता ऑनस्क्रीन क्या देख रहे हैं। इफ्फी 53 में भारतीय पैनोरमा के फीचर फिल्म वर्ग के तहत 'सिया' की स्क्रीनिंग की गई। अभिनेत्री पूजा पांडे और विनीत कुमार सिंह ने फिल्म में मुख्य किरदार सीता और महेंद्र की भूमिका निभाई है।

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महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा की तकलीफदेह सच्चाई की ओर ले जाती है फिल्म हैप्पीनेस

 गोवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अस्कर उज़ाबायेव के निर्देशन में बनी फिल्‍म हैप्पीनेस में एक महिला की खुशी और सम्मान की तलाश की यात्रा को दर्शाया गया है। निर्देशक अस्कर उज़ाबायेव की पिछली अधिकांश फ़िल्में कॉमेडी ड्रामा हैं, लेकिन पहली बार उन्होंने घरेलू हिंसा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर प्रयोग किया है, जो दर्शकों की अंतरात्मा को झकझोर सकता है। गोवा में 53वें इफ्फी में पीआईबी द्वारा आयोजित टेबल टॉक्स में निर्देशक ने कहा, हम हिंसक दुनिया में रहते हैं। फिल्म के मुख्य विषय घरेलू हिंसा पर प्रकाश डालते हुए निर्देशक अस्कर उज़ाबायेव ने कहा कि परिवार, समाज की महत्वपूर्ण संस्था है और यह पीढ़ियों से चले आ रहे सामाजिक मुद्दों को रोकने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उन्होंने कहा, वास्तव में यह एक दुष्चक्र है। लगातार होने वाले दुर्व्‍यवहारों को महिलाओं द्वारा अपने परिवारों में उकसाया जाता है और अब वक्‍त आ गया है, जब हमारे समाज में इस तरह की सामाजिक बुराई को रोका जाना चाहिए'। कजाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर निर्देशक ने कहा कि महिलाओं के पास परिवार में निर्णय लेने की उच्च शक्ति होती है। समाज महिलाओं पर निर्भर करता है, लेकिन साथ ही पितृसत्तात्मक समाज में महिला-पुरुष समानता की बात कहीं पीछे छूट जाती है।

 

सह-निर्माता अन्ना कैचको, जो इफ्फी टेबल टॉक्स में भी मौजूद थीं, उन्होंने कहा कि वे उन महिलाओं की संख्या देखकर हैरान थीं, जिन्होंने फिल्म देखने के बाद अपनी कहानियां साझा करने के लिए उनसे संपर्क किया था। उन्होंने कहा, 'पटकथा और कहानी को लोगों पर केंद्रित होना चाहिए और दर्शकों को बांधे रखना चाहिए। मेरे लिए ऐसी फिल्में बनाना बहुत महत्वपूर्ण है जिनका सामाजिक असर ज्यादा हो।' उन्होंने ये भी बताया कि फिल्म 'हैप्पीनेस' उनके देश की असल घटनाओं से प्रेरित है।

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दिग्गज कलाकार विक्रम गोखले का 82 साल की उम्र में निधन...

 

मुंबई (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अभिनेता अजय देवगन ने ट्विटर पर लिखा- विक्रम गोखले सर ने अपने अभिनय से किरदारों को वजनदार बनाया। सिनेमा में उनका कद हमेशा ऊंचा रहा। मैं सौभाग्यशाली हूं कि उनके साथ स्क्रीन शेयर करने का मौका मिला। उनका जाना बेहद दुखद है। दुआ करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले। श्रद्धांजलि विक्रम सर। परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं। अजय देवगन साल 2001 में आई फिल्म ये रास्ते हैं प्यार के में विक्रम गोखले के साथ स्क्रीन शेयर कर चुके हैं। 

विक्रम गोखले ने 1971 में आयी अमिताभ बच्चन की फिल्म परवाना से हिंदी फिल्मों में बतौर अभिनेता पारी शुरू की थी। उन्हें ज्यादातर संजय लीला भंसाली की फिल्म हम दिल दे चुके सनम के लिए याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने ऐश्वर्या राय बच्चन के पिता का किरदार निभाया था। इस फिल्म में लीड रोल सलमान खान ने निभाया था, जबकि अजय देवगन सहयोगी भूमिका में थे। इसके अलावा कई बॉलीवुड हिट फिल्मों में उन्होंने अहम भूमिकाएं अदा की थीं, जिनमें हे राम, तुम बिन, भूल भुलैया, हिचकी और मिशन मंगल जैसी फिल्में शामिल हैं। आखिरी बार उन्हें शिल्पा शेट्टी की फिल्म निकम्मा में देखा गया था।

उनका पार्थिव शरीर मुंबई के बालगंधर्व सभाग्रह में अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा। वेटरन एक्टर के निधन पर कई सेलेब्स ने सोशल मीडिया के जरिए श्रद्धांजलि दी है। 

 
 
 

 

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जानें कौन है ये एक्टर जिसके Govinda के पैर छूने पर भड़क गया पाकिस्तान ...

 दुबई (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारतीय कलाकरों के फैंस सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कोरिया, अरब, नेपाल, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत कई देशों में है। खासकर बात करें तो 90 के दशक के कलाकारों की तो बात ही कुछ और है, क्योंकि इनकी फिल्में देख कर  आज कल के नए कलाकरों ने सीखा है। साथ ही बात करें तो पड़ोसी देश पाकिस्तान में तो भारतीय कलाकारों को लीजेंड माना जाता है। 

लेकिन एक पाकिस्तानी एक्टर का भारतीय कलाकार का हद से ज्यादा बड़ा फैन होना पड़ोसी मुल्क को नागवार गुजर गया। और अब पाकिस्तान ही अपने एक्टर का विरोध कर रहा है। दरअसल, पूरा मामला हाल ही में दुबई में आयोजित एक अवॉर्ड फंक्शन का है जहां भारत और पाकिस्तान के फिल्मी कलाकार इकट्ठा हुए। इस कार्यक्रम में पाकिस्तानी एक्टर फहाद मुस्तफा ने खुद को गोविंदा का फैन बताया और उनके पैर छू लिए। बस यही उनके लिए नई मुसीबत की जड़ बन गया और अब फहाद मुस्तफा के इस तरह गोविंदा के पैर छूने पर पाकिस्तान में बवाल मच गया है। 

 
 

दरअसल दुबई में फिल्मफेयर मिडिल ईस्ट अचीवर्स अवॉर्ड्स सेरेमनी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में फहाद अवॉर्ड से नवाजे गए और उन्होंने स्टेज पर गोविंदा की जमकर तारीफ की और कहा कि वह गोविंदा की वजह से एक्टिंग में हैं। उन्होंने उनसे प्रेरणा ली है। जब फहाद स्टेज से उतरे तो वह सीधे गोविंदा के पास पहुंचे और उनके पैर छुए, फिर उनसे गले मिलते हैं। गोविंदा मुस्कुराते हुए उनका अभिवादन करते हैं। फहाद का गोविंदा का पैर छूना पाकिस्तान में लोगों को पसंद नहीं आया और सोशल मडिया पर फहाद को ट्रोल किया जा रहा है।

यूजर्स के कमेंट्स

एक यूजर ने कहा, पाकिस्तानी होकर पांव क्यों पकड़े। फहाद मुस्तफा आप एक मुस्लिम हैं। एक ने लिखा, सारा का सारा एटीट्यूड चला गया पांव पकड़कर, ये क्या कर दिया। एक  यूजर लिखते हैं, ये क्या हरकत थी फहाद, गोविंदा के पैर क्यों छुए। एक ने कहा, किसी के प्रति सम्मान दिखाना मायने नहीं रखता, मायने रखता है आपकी आइडियोलॉजी। एक मुस्लिम के तौर पर आपका सिर केवल आपको बनाने वाले के आगे झुकना चाहिए।

 
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फिल्म बाजार के आकार के संबंध में भारत और चेक गणराज्य की तुलना करना सार्थक नहीं

 गोवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। देश की राजनीतिक स्थिति की पृष्ठभूमि में एक रोमांटिक फिल्म' निर्देशक जान ब्रेज़िना ने कुछ इन्‍हीं शब्‍दों में अपनी पहली फिक्शन फीचर फिल्म 'एरहार्ट' का वर्णन किया है। चेक गणराज्य की इस फिल्म ने 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में अपना एशियाई प्रीमियर किया।

यह फिल्म 23 वर्ष के एक युवक की कहानी बयां करती है, जो अपनी मां को लेने के लिए अपने गृहनगर लौटता है और उसे अपने परिवार के अतीत के बारे में खतरनाक सच्चाई और स्थानीय समुदाय की स्‍याह विरासत के बारे का पता लगता है। संवाददाता सम्‍मेलन में अपने देश के इतिहास के बारे में जान ​​ब्रेज़िना ने कहा, 30 साल पहले चेक गणराज्य समाजवादी शासन व्‍यवस्‍था से पूंजीवादी शासन व्‍यवस्‍था में परिवर्तित हो गया। यह अव्‍यवस्‍था का दौर था। राज्य के स्वामित्व वाली समस्‍त संपत्ति का निजीकरण किया गया। इससे अपराध जुड़े थे। यह सब तीस साल पहले हुआ था, लेकिन आज भी इसका कुछ प्रभाव बाकी है। इसलिए, मुझे यह देखना था कि चेक गणराज्य की आज की युवा पीढ़ी इसे किस नजरिए से देखती है।

 

निर्माता मारेक नोवाक ने कहा कि यह फिल्म अगले साल वसंत या सर्दियों में चेक गणराज्य में रिलीज होगी। अपने देश के फिल्म बाजार के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, फिल्म बाजार के आकार के संबंध में भारत और चेक गणराज्य की तुलना करना सार्थक नहीं है; हमारा सिर्फ 10 मिलियन आबादी वाला देश हैं और हम एक साल में लगभग 30-35 फिक्शन फीचर फिल्में बनाते हैं। मारेक ने यह भी बताया कि महामारी के बाद की अवधि में, फिल्मों का एक बड़ा बैकलॉग हो गया है, जिन्‍हें अपने देश में रिलीज होने का इंतजार है, क्योंकि वहां हर हफ्ते पांच से छह प्रीमियर होते हैं। हमारे आकार के देश के लिए यह पर्याप्‍त है।  एरहार्ट को फिल्म फेस्टिवल कॉटबस के 32वें संस्करण में प्रदर्शित किया गया है।

 

 

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अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित पुस्तकें आकर्षण का केंद्र

 

 गोवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। 20 से 28 नवंबर 2022 तक गोवा में आयोजित हो रहे देश के प्रसिद्ध फिल्म समारोह, 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अपनी पुस्तकों और पत्रिकाओं को बड़े गर्व से प्रदर्शित कर रहा है। विभाग आईनॉक्स गोवा में आयोजित हो रहे इस भव्य कार्यक्रम में एक प्रदर्शक के तौर पर शामिल हुआ है। इसके अलावा, प्रकाशन विभाग फिल्म बाजार में भी मौजूद है, इफ्फी में एनएफडीसी द्वारा आयोजित इस बाजार की काफी चर्चा है। यहां विभाग का बिक्री-सह-प्रदर्शक काउंटर है।

आजादी का अमृत महोत्सव के आयोजन को जारी रखते हुए, प्रकाशन विभाग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित अपनी पुस्तकों का संग्रह लाया है, जिससे आगंतुकों और कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों को आकर्षित किया जा सके। यहां सिने प्रेमियों को भारतीय सिनेमा, कला एवं संस्कृति, जानी-मानी हस्तियों और बच्चों के साहित्य पर प्रकाशन विभाग की किताबों के बारे में जानने का मौका मिलेगा। यहां प्रकाशन विभाग द्वारा राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री के भाषणों पर विशेष रूप से प्रकाशित उत्कृष्ट पुस्तकें भी मिलेंगी।

 

प्रकाशन विभाग की प्रदर्शनी का एक अन्य आकर्षण का केंद्र हाल ही में लॉन्च किया गया 'आजादी क्वेस्ट' गेम है, जिसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा जिंगा द्वारा विकसित किया गया है। मैच 3 और हीरोज ऑफ भारत खेल मनोरंजक और शैक्षिक दोनों हैं, जो खिलाड़ियों को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और साहसी स्वतंत्रता सेनानियों के वीरतापूर्ण योगदान के बारे में बताते हैं। आगंतुकों के पास उन्हें खेलने व डाउनलोड करने और साथ ही रोमांचक पुरस्कार भी जीतने का मौका होगा।

 

प्रकाशन विभाग 20 से 24 नवंबर, 2022 तक ई1 पवेलियन, प्रोमेनेड, फिल्म बाजार, इफ्फी और 20 से 28 फरवरी, 2022 तक आईनॉक्स, गोवा में अपने प्रकाशनों की प्रदर्शनी लगा रहा है।

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छत्तीसगढ़ी गायिका मोनिका खुरसैल का निधन

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सुप्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गायिका मोनिका खुरसैल का निधन हो गया है। ब्रेन हेमरेज की वजह से मोनिका को रायपुर के पचपेड़ी नाका स्थित प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली है। अब मोनिका का अंतिम संस्कार बिलासपुर में किया जायेगा।

बता दें कि मोनिका खुरसैल बिलासपुर की रहने वाली थी, उनकी आयु सिर्फ 25 साल थी। मोनिका खुरसैल ने कई छत्तीसगढ़ी गाने गाए हैं, रायपुर बिलासपुर में स्टेज शोज किए हैं। सोशल मीडिया पर कई फेमस छत्तीसगढ़ी एक्टर्स के साथ मोनिका के फोटोज और वीडियो हैं। मोनिका ने मेरी ख़ुशी, अरपा पैरी के धार, बाबा साहेब, होली गीत डारन दे, जैसे कई गाने गाएँ जो लोगों को काफी पसंद आये हैं।

 

 

 

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Bigg Boss 16: कंटेस्टेंट नहीं बल्कि उनके पैरेंट्स में चल रहा घमासान, सुंबुल के पापा पर भड़क उठे शालीन के पिता

 

मुंबई (छत्तीसगढ़ दर्पण)। Bigg Boss 16: बिग बॉस का शो अब कंटेस्टेंट्स कम और उनके पेरेंट्स का ज्यादा बनता जा रहा है। हाल ही में सुंबुल तौकीर के पापा ने उन्हें खूब नसीहत दी। सुंबुल को कमजोर पड़ता देख उनके पिता ने बताया कि कौन से वो दो लोग हैं, जिनसे सुंबुल को दूरी बना लेनी चाहिए। सुंबुल के पिता ने न सिर्फ शालीन और टीना का नाम लिया, बल्कि दोनों के लिए कुछ ऐसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया, जो गलत थे। सुंबुल के पिता ने दोनों की औकात को लेकर भी बात बोली। अब सुंबुल के पिता के मुंह से ऐसे शब्द सुनने के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स काफी गुस्से में नजर आ रहे हैं। शालीन और टिना के फैंस तो हैं ही, जिन्हें सुंबुल के पिता के इन शब्दों से बहुत तकलीफ हो रही है। लेकिन अब कोई और भी है, जिन्होंने सुंबुल के पिता पर सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं। ये शख्स कोई और नहीं, बल्कि शालीन भनोट के पिता हैं। अपने बेटे के लिए सुंबुल के पिता के मुंह से 'औकात' जैसे शब्द सुनने के बाद शालीन के पिता का पारा हाई हो गया है।

भड़क गए शालीन के पिता
हाल ही में सुंबुल को कन्फेशन रूम में बुलवाकर उनकी बात उनके पापा से करवाई। इस दौरान उन्होंने टीना और शालीन को लेकर कुछ कड़वे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसे लेकर अब बाहर काफी हंगामा मचता दिख रहा है। दोनों के फैंस के अलावा अब इस मसले पर शालीन के पिता का रिएक्शन भी सामने आया है। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, शालीन के पिता काफी भड़के हुए हैं और उन्होंने कहा कि नेशनल टेलीविजन पर बात करने का ये कोई तरीका होता है क्या?

सुंबुल के पापा को कहा 'घटिया'
अपने बच्चों के बारे में गलत शब्द कोई भी पेरेंट्स नहीं सुन सकते। और यहां पर बात किसी कंटेस्टेंट की नहीं, बल्कि किसी पेरेंट की है। सुंबुल के पिता ने शालीन और टीना के लिए जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया, वो सही नहीं थे। इस पर रिएक्शन देते हुए शालीन के पिता ने कहा कि अन्य कंटेस्टेंट्स के खिलाफ गलत और आपत्तिजनक टिप्पणी करना बहुत ही चीप है। इसके साथ ही सबसे गलत चीज तो ये है कि ये कमेंट दिखाया भी गया।

'घर में नहीं भेजना चाहिए था'
सुंबुल अडल्ट है। ऐसे में या तो आपको उसे इस शो में भेजना ही नहीं चाहिए था, या फिर अब किसी तरह की आउडसाइड गाइडेंस को अलाउ नहीं करना चाहिए। ये किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। बताते चलें कि शालीन के पिता का ये रिएक्शन सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

कई बार हुई सुंबुल की पिता से बात
बताते चलें कि ये बिग बॉस के 6 हफ्तों में तीसरी बार हुआ है कि सुंबुल के पिता ने उनसे बात की हो। इस बार ऑडियो कॉल के जरिये उनके पिता ने अपनी बेटी से बात की और उसका मनोबल बढ़ाते हुए सुंबल की आंखों पर से पर्दा हटाया। लेकिन इस दौरान सुंबुल के पिता ने कुछ कड़वे शब्द भी इस्तेमाल किए। उन्होंने कहा कि शालीन और टीना को उनकी औकात दिखा दो।

एक्स BB कंटेस्टेंट ने बोली ये बात
बिग बॉस 15 फेम विशाल कोटियन ने भी इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि सुंबुल के पिता को एक नहीं बल्कि कई बार अपनी बेटी से बात करने की इजाजत दी गई। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बिग बॉस 16 में वाइल्डकार्ड नहीं आया। सुंबुल के पिता पहले से ही वाइल्डकार्ड की तरह हैं। मिस्टर तौकीर का नेशनल टेलीविजन पर ये बोलना कि शालीन और टीना को औकात दिखाओ.. ये क्या सलाह है। उन्हें ये भी बताओ कि स्मोकिंग हानिकारिक है।

जमकर वायरल हो रहा प्रोमो
अपकमिंग एपिसोड के एक प्रोमो में संबुल शालीन को खुद से दूर रहने की सलाह दे रही हैं। वो कह रही हैं कि वो उन लोगों के साथ खड़ी नहीं होंगी, जो उसके लिए खडे़ नहीं हैं। ये प्रोमो भी जमकर वायरल हो रहा है। इसमें सुंबुल तौकीर का एक अलग ही रूप देखने को मिल रहा है।
 
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खाना खजाना : करौंदा जेली

 पेक्टोज एंजाइम की उपस्थिति में स्टार्च कार्वोहाइडे्रक में बदलता है। मिठास पैदा करता है। ज्यादा पके फल होने पर पेक्टिन एसिट में बदल जाता है। और जेली के लिए ज्यादा पके फलों का उपयोग न करें। जेली के लिए पेक्टिन 1 प्रतिशत खटास 1 प्रतिशत व शक्कर 68 आवश्यक है। इस तरह से बनाये गए जेली बहुत अच्छे होते है। आज जानते है करौंदा जेली बनाने की विधि:

सामग्री- 1 किलो. करौंदा, 1 ली. पानी, 750 ग्रा. शक्कर 2 ग्रा. साइट्रिक एसिड, 

 
 

विधि- करौंदे के बीच से दो भाग करके बीज निकालें। खुले बर्तन में सवा लीटर पानी, अमरूद के स्लाइम व एक ग्राम साइहट्रक एसिड लेकर उबालें। मध्यम आंच कर 45 मिनट पकायें ।

छन्नी में पलटकर रस अपने आप छनने दें। 2-3 घंटा छनने के बाद चीनी डालेर पकायें पूरी चीनी घुल जाने पर 4ग्रा. साइट्रिक डालेर एक उबाल लेकर छानें। फिर से आंच पर चढ़ाकर सीट टेस्ट आने तक पकायें। लकड़ी के पाटे में रखी चौड़े मुंह की बोतलों में ऊपर से झाग अलग कर दें। पिघली मोम से सील कर दें। 

 
 


सीट टेस्ट- 1 चम्मच में लेकर 1 मिनट ठण्डा करं फिर गिराने पर वी आकर की चादर बन जाये जो गिरे नही।

2 कांटा जेली में डुबाकर निकालें। 1 मिनट ठण्डा करने पर दांतों के बीच में जेली की पारदर्शक पर्त जम जायेगी।

 
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प्रदीप पांडेय चिंटू संग दिखेंगी अक्षरा सिंह, शेयर की तस्वीर

 मुंबई (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अक्षरा सिंह, भोजपुरी डायरेक्टर राजकुमार आर पांडेय की आनेवाली फिल्म 'अग्निसाक्षी' में नजर आने वाली हैं। इसकी जानकारी उन्होनें ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से दी है। अग्निसाक्षी' की शूटिंग मुंबई में शुरू हो चुकी है। इसमें अक्षरा सिंह के साथ प्रदीप पांडेय चिंटू लीड रोल में नजर आने वाले हैं। इसके अलावा फिल्म में तनुश्री चटर्जी भी अहम किरदार में हैं।

अक्षरा सिंह के अपने सोशल मीडिया हैंडल पर चिंटू और राजकुमार पांडेय के साथ तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, एक नई कहानी, जोश और ऊर्जा के साथ। एक इंटरव्यू में फिल्म को लेकर हुई बातचीत के दौरान अक्षरा ने बताया कि मुझे राजकुमार जी के साथ काम करना पसंद है। वो दर्शकों की नब्ज को समझते हैं और उसी हिसाब से फिल्में बनाते हैं।

 

डायरेक्टर राजकुमार आर पांडेय ने फिल्म की बात करते हुए कहा कि 'अग्निसाक्षी' एक कमर्शियल प्रोजेक्ट है। इसमें परिवार और समाज के बीच का दायरा भी नजर आएगा। अभी मैं इसकी शूटिंग पर फोकस कर रहा हूं। 'अग्निसाक्षी' को दर्शकों का प्यार मिले यही ख्वाहिश है। खास बात है कि फिल्म 'अग्निसाक्षी' की कहानी के लेखक, प्रड्यूसर और डायरेक्टर राजकुमार आर पांडेय हैं। इस फिल्म के गाने और म्यूजिक भी उन्होंने ही बनाए हैं।

 

 

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खाना खजाना : कटहल का जेम

 जेम के लिये उन्ही फलों का चसन करना चाहिये जिसमें 1 प्रतिशत पेक्टिन होता है जैसे-सेब, पका आम, पाइन एप्पल, नाशपाती, प्लमजेम फ्रुट आदि। चीकु, केला, पपील, अंगुर, संतरा मौसंबी आदि में पेक्टिल कम होता है आज जानते है कटहल का जेम बनाने की विधि:

सामग्री- 1 किलो. पके कटहल का गूदा, 1 किलो. शक्कर, 7 ग्रा. साइट्रिक एसिड, 1 ग्रा. सोडियम बेंजोएट

 

विधि- कटहल के टुकड़ो को मिक्सी में पीस ले। थोडी देर गूदे को पकाकर शक्कर डालें। साइट्रिक एसिड डालकर दुसरे जेम की तरह पकायें। आंच से उतारकर सोडियम बेंजोएट डालें। बोतल में भरें। इसमें रंग व सुगंध नही डालते है।

 

 

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स्पेनिश फिल्म निर्देशक कार्लोस सौरा सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित

 गोवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। प्रसिद्ध स्पेनिश फिल्म निर्देशक कार्लोस सौरा को आज, 20 नवंबर, 2022 को गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के 53वें संस्करण के भव्य उद्घाटन समारोह में प्रतिष्ठित सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

स्पैनिश निर्देशक को अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में उनके अपार योगदान के लिए एक उचित प्रशंसा के रूप में पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी बेटी अन्ना सौरा ने इफ्फी53 के उद्घाटन समारोह में प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता की ओर से पुरस्कार स्वीकार किया। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने पर अपना आभार व्यक्त करते हुए कार्लोस सौरा ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि वह समारोह में व्यक्तिगत रूप से नहीं आ सकते क्योंकि वह ब्रोंकाइटिस का इलाज करा रहे हैं। प्रशंसित फिल्म निर्माता ने उन्हें सम्मान देने के लिए महोत्सव के आयोजकों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता और प्रेम व्यक्त किया।

 

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता को पुरस्कार जीतने पर बधाई देते हुए कहा कि श्री सौरा एक मास्टर हैं जिन्होंने फिल्म निर्माण की कला के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है और खुद को फिल्म निर्माण और फोटोग्राफी के क्षेत्र में महानतम लोगों में से एक के रूप में प्रतिष्ठित किया है।

 

 

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53वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव गोवा में शुरू

 नई दिल्ली (वीएनएस)। 53वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव-इफ्फी 20 नवंबर 2022 को गोवा में भव्‍य उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ। पणजी में डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी इन्‍डोर स्‍टेडियम में उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। एशिया के सर्वाधिक पुराने फिल्‍म महोत्‍सव इफ्फी की शुरूआत में आस्ट्रिया के निदेशक डैटर बर्नर की फिल्‍म अल्‍मा और ऑस्‍कर दिखायी गयी। अभिनेता चिरंजीवी को इंडियन फिल्‍म पर्सनाल्‍टी ऑफ द ईयर 2022 चुना गया। अभिनेता चिरंजीवी ने लगभग चार दशक के अपने करियर में 150 से अधिक फिल्‍मों में काम किया है।

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने उद्घाटन समारोह में कहा कि फिल्‍म महोत्‍सव दुनियाभर के फिल्‍म निर्माता और निर्देशकों को एक मंच प्रदान करता है। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि भारत फिल्‍म निर्माण और तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक केन्‍द्र बनेगा। फिल्‍म जगत से अजय देवगन, परेश रावल, मनोज वाजपेई, सुनील शेट्टी, मृणाल ठाकुर, वरूण धवन, सारा अली खान और कार्तिक आर्यन उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे।

 

गोवा के राज्‍यपाल पी. एस श्रीधरन, मुख्‍यमंत्री प्रमोद सावंत, केन्‍द्रीय सूचना और प्रसारण राज्‍य मंत्री एल मुरूगन इस अवसर पर मौजूद थे।  आजादी का अमृत महोत्सव समारोह को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम का विषय था- पिछले 100 वर्षों में भारतीय सिनेमा का विकास।  नौ दिन के महोत्‍सव में 79 देशों की 280 फिल्‍में दिखाई जायेंगी। भारतीय पैनोरमा खंड में 25 फीचर और 20 गैर फीचर फिल्‍में दिखाई जायेंगी। अन्‍तरराष्‍ट्रीय कार्यक्रम के खंड में 183 फिल्‍मों का प्रदर्शन किया जायेगा।

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