दुनिया-जगत

German visa fees: जर्मनी ने भारतीयों को दो वीजा श्रेणी में छूट दी, विवरण देखें

 

मुंबई (छत्तीसगढ़ दर्पण)। मुंबई में स्थित जर्मन वाणिज्य दूतावास (German consulate in Mumbai) ने भारतीय नागरिकों के लिए वीजा शुल्क (German visa fees) में कमी की घोषणा की है। दूतावास ने कहा कि नई नियुक्तियां जल्द ही उपलब्ध होंगी। इस बदलाव के साथ, भारतीयों के लिए शेंगेन वीजा (Schengen visa) नेशनल वीजा (National Visa) शुल्क कम कर दिया है। जर्मनी वीजा अवधि और ठहरने के उद्देश्य के आधार पर जारी किए जाते हैं। शार्ट-टर्म शेंगेन वीजा 90 दिनों तक ठहरने के लिए लागू होता और इससे अधिक समय तक रहने के लिए जर्मन राष्ट्रीय वीजा जारी किए जाते हैं। जर्मन में पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए राष्ट्रीय वीजा मददगार होते हैं।

जर्मनी में शेंगेन और राष्ट्रीय वीजा के लिए नई दरें:
व्यस्कों के लिए शेंगेन वीजा शुल्क अब 6,400 भारतीय रुपये (80 Euro) है। वहीं नाबालिगों के लिए यह शुल्क 3,200 रुपये (40 यूरो) है। वहीं, राष्ट्रीय वीजा शुल्क की बात करें तो व्यस्कों के लिए 6,000 रुपये (75 यूरो), जबकि नाबालिगों के लिए यह 3,000 रुपये (37,50 यूरो) है।

शेंगेन वीजा के लिए प्रोसेसिंग टाइम 15 दिन
शेंगेन वीजा के लिए प्रोसेसिंग (Processing-प्रसंस्करण) टाइम लगभग 15 दिन का है। जर्मन मिशन ने कहा है कि, पीक सीजन के कारण कुछ जर्मन मिशनों में,लोगों के शेंगेन वीजा आवेदन को प्रोसेस (Process-संसाधित) करने में वर्तमान में कम से कम 15 दिनों का औसत समय लगता है। इसलिए आवदेन देने से पहले इसे ध्यान में अवश्य रखें।

अगर जल्दी है तो अपनी यात्रा स्थगित कर दें
मुंबई में स्थित जर्मन वाणिज्य दूतावास ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की यात्रा की तारीख करीब है या आवेदन की तारीख दो सप्ताह के भीतर है,तो यात्री अपनी यात्रा स्थगित करने के बारे में विचार कर सकते हैं। सामान्य तौर पर वीजा आवेदन को संसाधित करने में कम से कम 15 दिनों का समय लगता है। इस कारण से जर्मन और न ही सेवा प्रदाता इस प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं।

शेंगेन वीजा और नेशनल वीजा क्या है?
यह व्यवस्था यूरोपियन देशों की संयुक्त रूप से वीजा है। शेंगन वीजा में 90 दिनों के लिए पर्यटन या व्यापार वीजा जारी किए जाते हैं। इसके लिए आपको निर्धारित शुल्क जमा करने पड़ता है। यह वीजा पढ़ने या अन्य कार्यों के लिए जारी नहीं किया जाता है। अगर आपको जर्मनी में पढाई करनी है या 90 दिनों से अधिक समय तक के लिए रहना है तो इसके लिए नेशनल वीजा जारी किए जाते हैं।

शेंगेन वीजा
वहीं शेंगेन वीजा में यूरोपियन यूनीयन के सभी देशों में बिना रोकटोक के आने जाने की अनुमति प्रदान की जाती है। इस वीजा के लिए यूरोपियन यूनियन के किसी भी देश के दूतावास में आवेदन किया जा सकता है और जारी होने पर सभी यूरोपीयन यूनीयन के सभी देशों पर लागू होगा।
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California: भारतीय मूल के परिवार का ट्रक चलाता था संदिग्ध हत्यारा, विवाद के एक साल बाद की हत्या

 

कैलिफोर्निया (छत्तीसगढ़ दर्पण)। कैलिफोर्निया (California) में एक बच्चे सहित भारतीय मूल के परिवार के चार सदस्यों के अपहरण और हत्या के संदिग्ध को गुरुवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस के मुताबिक संदिग्ध व्यक्ति का नाम जीसस मैनुअल सालगाडो (Jesus Manuel Salgado) है। जानकारी के मुताबिक हिरासत में लिए जाने से कुछ समय पहले संदिग्ध ने आत्महत्या का प्रयास किया था। फिलहाल एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। इस बीच मेरेड काउंटी शेरिफ वर्न वार्नके ने कहा है कि भारतीय मूल के परिवार की हत्या करने वाले आरोपी का मृतक के साथ पुराना विवाद (old dispute) था।

पीड़ित परिवार की कंपनी में ड्राइवर था संदिग्ध

एलेस बियालियात्स्की के साथ दो और संस्थानों को मिला नोबेल शांति पुरस्कार 2022
जानकारी के मुताबिक सालगाडो एक पूर्व कर्मचारी था जो कि पीड़ितों की कंपनी के लिए गाड़ी चलाने का काम करता था। वार्नके ने बताया कि मारे गए परिवार के रिश्तेदारों ने जांचकर्ताओं को बताया है कि सालगाडो पीड़ित परिवार के साथ काम करता था और उनकी कंपनी का ट्रक चलाता था। करीब एक साल पहले किसी काम को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ था जिसके बाद सालगाडो ने गुस्से में परिवार को मैसेज या ईमेल भेजे थे। वार्नके ने इस घटना में सालगाडो के अकेले होने से इंकार किया और कहा कि उन्हें लगता है कि इस घटना में सालगाडो की कोई मदद कर रहा था। वार्नके ने कहा, "मेरा मानना है कि उसके साथ कोई और था और कम से कम उसे कुछ चीजें करने में मदद कर रहा था।"

बुधवार को मिला था शव

बता दें कि 48 साल के संदिग्ध सालगाडो पर 8 महीने की आरोही ढेरी, उसके माता-पिता जसलीन कौर और जसदीप सिंह और आरोही के चाचा अमनदीप सिंह के अपहरण और हत्या का आरोप है। पुलिस के मुताबिक आरोपी को मेरेड काउंटी जेल में रखा गया है। सोमवार को लापता हुए पीड़ितों की तलाश करने के बाद, अधिकारियों ने बुधवार को एक खेत क्षेत्र में उनके शव बरामद किए। इस संबंध में पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि परिवार के चार सदस्यों के शव, जो मूल रूप से भारत में पंजाब के रहने वाले हैं, मर्सिड काउंटी के एक दूरदराज के बाग में एक खेत में एक-दूसरे के पास पड़े मिले।
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POK के दौरे पर पहुंचे अमेरिकी राजदूत ने की ऐसी हरकत, भारत ने दिया दो टूक जवाब


कश्मीर (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाक अधिकृत कश्मीर (POK) का जिस तरह से अमेरिका के पाकिस्तान दूतावास स्थिति अमेरिकी राजदूत ने दौरा किया उसके खिलाफ भारत ने कड़ा रुख दिखाया है। पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत डोनाल्ड ब्लोम ने पीओके का दौरा किया था, इस दौरान उन्होंने कई बार इस इलाके का जिक्र आजाद कश्मीर के तौर पर किया, जिसका भारत ने विरोध किया है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अमेरिकी राजदूत का पीओके दौरे और यहां की गई बैठक को लेकर मोदी सरकार जो विरोध है उसे अमेरिका के सामने दर्ज करा दिया गया है।

पीओके के दौरे पर ब्लोम ने कई बार भारत अधिकृत हिस्से को आजाद जम्मू और कश्मीर कहकर संबोधित किया। उन्होंने खुद इस दौरे की जानकारी ट्वीट करके दी। जिसमे उन्होंने लिखा कायदे आजम मेमोरियल डाक बंगला पाकिस्तान की प्रसिद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहास विरासत को दर्शता है। खुद जिन्ना यहां पर 1944 में आए थे। यहां आकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं, यह मेरा पहला आजाद जम्मू कश्मीर का दौरा है।

बता दें कि पीओके में अमेरिका के किसी उच्च स्तरीय राजदूत का यह दूसरा दौरा है। इसे पहले अमेरिका के कांग्रेसमैन इल्हान ओमार ने यहां का दौरा किया था। उनके इस दौरे पर भारत की ओर से कहा गया था कि उन्होंने जम्मू कश्मीर के एक हिस्सा का दौरा किया, जिसे पाकिस्तान ने गैरकानूनी तरह से कब्जा रखा है। अगर इस तरह के नेता अपनी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाना चाहते हैं तो यह उनका व्यक्तिगत मसला हो सकता है, लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमारी सीमा की संप्रभुता का उल्लंघन करना इसे हमारा बना देता है।

बता दें कि 1994 में भारत ने एक प्रस्ताव पास किया था और कहा था कि पीओके भारत का हिस्सा है और पाकिस्तान को इसे खाली करना चाहिए, अपना अवैध कब्जा खत्म करना चाहिए। जुलाई में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पीओके को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि यह भारत का हिस्सा था और आगे भी रहेगा। एक रैली को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने शारदापीठ का मसला उठाया था।
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थाईलैंड में 34 लोगों को मारने के बाद शख्स ने खुद को मारी गोली

 थाईलैंड (छत्तीसगढ़ दर्पण)। थाईलैंड का पूर्वोत्तर प्रांत गुरुवार को गोलियों की आवाज से गूंज उठा। यहां एक सामूहिक गोलीबारी में कम से कम 34 लोगों की मौत होने की खबर सामने आ रही है। मीडिया को पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि थाईलैंड के पूर्वोत्तर प्रांत में सामूहिक गोलीबारी में कम से कम 34 लोग मारे गए हैं। पुलिस उप प्रवक्ता आर्कोन क्रेटोंग ने विदेशी मीडिया से बात करते हुए बताया, कम से कम 34 लोग मारे गए हैं, लेकिन विवरण अभी भी आ रहे हैं। घटना के शुरुआती समय में 20 लोगों के मौत की पुष्टि हुई थी, जो कि अब बढ़कर 34 हो गयी है।  ऐसे में गंभीर रूप से घायल लोगों की स्थिति नाजुक बनी हुई है। ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि मृतकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है। बताया रहा है कि थाईलैंड में 34 लोगों को मारने के बाद शख्स ने खुद को भी गोली मार ली है। 

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पूर्व पुलिस अधिकारी ने अपने बीवी-बच्चे समेत 34 को उतारा मौत के घाट...

 बैंकाक/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। थाईलैंड स्थित डे केयर सेंटर में गुरुवार को शूटिंग की घटना हुई। इसमें 34 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 22 बच्चे शामिल हैं। देश के प्रधानमंत्री प्रायुथ चानओचा ने पीड़ितों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने मामले में घायलों को तुरंत इलाज मुहैया कराने के आदेश दिए हैं।


हैरान हैं प्रधानमंत्री प्रत्युत
थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रत्युत चान-ओ-चा ने गुरुवार को डे केयर में हुई फायरिंग की घटना पर हैरानी जाहिर की। पीड़ित के परिजनों के प्रति संवेदना जाहिर करने के साथ ही उन्होंने मामले में तुरंत जांच के आदेश दे दिए। बता दें कि गुरुवार को यहां के एक डे केयर में ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। इसमें 22 बच्चों समेत 34 की जान चली गई।



अपनी पत्नी और बच्चे को भी नहीं बख्शा...
थाइलैंड के उत्तरी प्रांत के नांगबुआ लम्फू में फायरिंग हुई। मिली जानकारी के अनुसार, नर्सरी पर हमला करने वाला पूर्व पुलिस आफिसर था। हमलावर पन्या कामराब (34) ड्रग्स के एक मामले नौकरी से निकाला गया था। फायरिंग की घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी ने अपनी पत्नी और बेटे को भी नहीं छोड़ा, उनकी भी हत्या कर दी। इस सबके बाद हमलावर कामराब ने खुदकुशी कर ली। पुलिस के अनुसार, गनमैन ने सबसे पहले चाइल्ड केयर सेंटर के 5 स्टाफ को मौत के घाट उतारा। इनमें एक 8 माह की गर्भवती टीचर भी थी।

अमेरिका में भी बढ़ीं आपराधिक घटनाएं
उधर अमेरिका में भी एक भारतीय मूल के परिवार का शव मिला है। तीन दिन पहले इन्हें अगवा कर लिया गया था और आज 8 माह की बच्ची समेत परिवार के चारों सदस्यों का शव बरामद किया गया है।अमेरिका के वर्जीनिया राज्य स्थित हेनरिको काउंटी में स्थित एक भारतीय के रेस्तरां में भी तोड़फोड़ की घटना सामने आई है। दरअसल यहां के एक रेस्तरां में नस्लभेदी व अश्लील ग्रैफिटी बनाई गई है। स्थानीय मीडिया के अनुसार के.राजा के रेस्तरां की दीवारों को इन नफरत भरे संदेशों वाली ग्रैफिटी से बर्बाद कर दिया गया। इस रेस्तरां के संचालक टोनी सप्पल भी भारतीय ही हैं।

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फ्रेंच लेखिका एनी अर्नो को साहित्य में मिला नोबेल पुरस्कार

 स्टॉकहोम/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। साल 2022 के लिए नोबल पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। अब तक रसायन, भौतिकी, चिकित्सा और साहित्य के नोबल की घोषणा कर दी गई है। इस साल का नोबेल फ्रेंच लेखिका एनी अर्नो को दिया गया है। एनी का जन्म एक सितंबर 1940 को हुआ था। वे एक फ्रांसीसी लेखक और साहित्य की प्रोफेसर हैं। उनका साहित्यिक कार्य ज्यादातर आत्मकथात्मक, समाजशास्त्र पर आधारित होता है।


नोबेल समिति ने कहा कि अर्नो (82) को यह सम्मान साहस और लाक्षणिक तीक्ष्णता के साथ व्यक्तिगत स्मृति के अंतस, व्यवस्थाओं और सामूहिक बाधाओं को उजागर करने वाली उनकी लेखनी के लिए दिया गया है। स्वीडिश अकादमी के स्थायी सचिव मेट्स माल्म ने स्वीडन के स्टाकहोम में गुरुवार को विजेता के नाम का एलान किया।

इससे पहले रसायन का नोबेल स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका के कैरोलिन बेरटोजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन (डेनमार्क) के मॉर्टेन मिएलडॉल और अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च सेंटर के के. बैरी शार्पलेस को दिया गया। रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास के लिए दिया गया।

2022 के लिए भौतिकी के नोबेल पुरस्कार का एलान भी हो चुका है। इस साल ये पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्र में उनके काम के लिए दिया गया। फ्रांस के वैज्ञानिक एलेन आस्पेक्ट, अमेरिका के जॉन एफ क्लॉसर और ऑस्ट्रिया के एंटन जेलिंगर को 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (करीब 7.5 करोड़ रुपये) मिलेंगे।

चिकित्सा के क्षेत्र में इस साल का नोबेल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक स्वैंते पाबो को देने की घोषणा की गई। उन्हें यह पुरस्कार ‘मानव के क्रमिक विकास’ पर खोज के लिए दिया गया है। पाबो ने आधुनिक मानव और विलुप्त प्रजातियों के जीनोम की तुलना कर बताया कि इनमें आपसी मिश्रण है।

शांति के नोबेल का एलान शुक्रवार को
इस वर्ष (2022) के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में पुरस्कार की घोषणा 10 अक्तूबर को की जाएगी।

 

 

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वर्ल्ड बैंक ने फिर से मोदी सरकार की जमकर तारीफ की, कहा- दुनिया को भारत से सीखना चाहिए

 

वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। विश्व बैंक ने एक बार फिर से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की प्रशंसा की है। विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा कि कोरोना महामारी संकट के दौरान भारत ने गरीब और जरूरतमंद लोगों को जिस तरह से सहायता की है वह बेहद असाधारण है। उन्होंने अन्य देशों को भी भारत की ही तरह व्यापक सब्सिडी देने के बजाय लक्षित डायरेक्ट कैश ट्रांसफर करने का तरीका अपनाने पर जोर देने की वकालत की।

कोरोना से सबसे अधिक गरीबों को नुकसान
विश्व बैंक की ओर से डेविड मालपास ने बुधवार को एक शोध 'पावर्टी एंड म्यूचुअल प्रास्पेरिटी' रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि पिछले तीन दशकों में एक अरब से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी से उबर गए। सबसे गरीब देशों की आय को भी मजबूत आधार मिला। लेकिन गरीबी घटने की वैश्विक प्रगति के दौर के अंत में कोविड-19 आ गया, जिससे हालात फिर से मुश्किल हो गए। उन्होंने कहा कि महामारी की सबसे बड़ी कीमत गरीब लोगों को चुकानी पड़ी।

भारत ने कोरोना के दौैर में हासिल की सफलता
डेविड मालपास ने कहा कि गरीब देशों में और गरीबी बढ़ चुकी है और ऐसी अर्थव्यवस्थाएं उभर सामने आईं हैं जो अधिक अनौपचारिक हैं, ऐसी सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां सामने आईं जो कमजोर हैं और ऐसी वित्तीय प्रणालियां तैयार हुईं हैं जो कम विकसित हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी चीजों के बावजूद कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं ने कोविड-19 के दौरान जबरदस्त सफलता हासिल की है। मालपास ने कहा कि भारत ने डिजिटल कैश ट्रांसफर के जरिये 85 फीसदी ग्रामीण परिवारों और 69 फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर शहरी लोगों को या तो भोजन या नकद देकर उल्लेखनीय मदद की है।

ब्राजील और द. अफ्रीका ने भी किया अच्छा काम
भारत की ही तरह दक्षिण अफ्रीका ने भी गरीबों को राहत देने के लिए सामाजिक सुरक्षा पर 6 अरब डालर खर्च किए। इससे देश में दो करोड़ 90 लाख लोगों को फायदा पहुंचा। मालपास ने कहा कि ब्राजील ने 2020 में आर्थिक संकुचन के बावजूद गरीबी को कम करने में कामयाबी हासिल की। ब्राजील ने इसके लिए मुख्य रूप से परिवार आधारित डिजिटल नकदी हस्तांतरण प्रणाली का उपयोग किया। मालपास ने कहा कि कोरोना संकट ने दिखाया है कि कैसे दशकों में हासिल की गई प्रगति अचानक ही कैसे गायब हो सकती है।

विश्व बैंक पहले भी पीएम मोदी की कर चुका है तारीफ
डेविड मालपास कहा कि देशों को शिक्षा, अनुसंधान, विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारों को व्यापक सब्सिडी के बजाए टारगेटेड कैश ट्रांसफर को चुनना चाहिए। यह गरीबों और संवदेनशील समूहों को समर्थन देने के लिहाज से ज्यादा असरदार है। कैश ट्रांसफऱ पर 60 फीसदी से ज्यादा खर्च निचले वर्ग के 40 फीसदी लोगों तक पहुंचता है। सब्सिडी के बजाए कैश ट्रांसफर का इनकम ग्रोथ पर ज्यादा बड़ा प्रभाव है। यह पहला मौका नहीं है जब वर्ल्ड बैंक द्वारा पीएम मोदी की तारीफ की गई हो, इससे पहले भी कोरोना काल में बेहतर मैनेजमेंट को लेकर विश्व बैंक ने पीएम मोदी की पीठ थपथपाई थी।
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यूरोपीय सांसद ने ईरान की महिलाओं के समर्थन में काटे अपने बाल, कहा- बस अब बहुत हो गया...

 

स्ट्रासबर्ग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अबीर अल सहलानी नाम की एक यूरोपीय सांसद ने ईरान में महसा अमिनी की मौत के बाद चल रहे विरोध के बीच महिलाओं के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए संसद में बहस के दौरान अपने बाल काट दिए। फ्रांस के एक प्रमुख नगर स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संघ की बहस को संबोधित करते हुए, स्वीडिश राजनेता अबीर अल सहलानी ने कहा, "हम, यूरोपीय संघ के लोग और नागरिक, ईरान में पुरुषों और महिलाओं के खिलाफ सभी हिंसा को बिना शर्त और तत्काल रोकने की मांग करते हैं।"

खून से रंगे हुए हैं ईरान के शासकों के हाथ
अबीर अल सहलानी ने कहा, "अब बहुत हुआ। बहुत हो चुकीं प्रेस विज्ञप्तियां, बहुत बड़ाबड़ा लिया, अब बोलने का वक्त नहीं, काम करने का वक्त है। ईरान में मुल्लाओं के शासन के हाथ खून से सने हुए हैं। मानवता के खिलाफ अपराध जो कि आप अपने ही लोगों के खिलाफ कर रहे हैं, आपके कृत्य के लिए न तो इतिहास और न ही सर्वशक्तिमान ईश्वर आपको माफ करेंगे।" ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो के में, यूरोपीय सांसद के कैंची से अपने बाल काटते हुए दिखाई देती हैं।

स्वतंत्रता के लिए अंतिम कीमत चुका रही हैं ईरानी महिलाएं
सहलानी ने कहा, "जब तक ईरान की महिलाएं स्वतंत्र नहीं हैं, हम आपके साथ खड़े रहेंगे। अबीर अल-सहलानी ने कहा कि ईरान की महिलाओं ने तीन सप्ताह तक लगातार साहस दिखाया है। वे अपने जीवन के साथ स्वतंत्रता के लिए अंतिम कीमत चुका रहे हैं। नॉर्वे स्थित समूह ईरान ह्यूमन राइट्स एनजीओ के अनुसार, महसा अमिनी की मौत पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। ईरानी स्कूली छात्राओं और महिलाओं ने अमिनी की मौत के विरोध में अपने हिजाब को हटाकर और रैलियों का आयोजन करके बड़ी संख्या में प्रदर्शन किया है। कई महिलाओं ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए अपने बाल भी कटवा लिए हैं।

महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत
ईरान में महिलाओं के लिए लागू सख्त ड्रेस कोड का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में बीते माह 13 सितंबर को तेहरान देश की मोरल पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 22 वर्षीय अमिनी की हिरासत में मौत हो गई थी। अधिकारियों के अनुसार, बाद में एक निरोध केंद्र में गिरने के तुरंत बाद वह कोमा में चली गई और तीन दिन बाद दिल का दौरा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद से, हजारों लोग पूरे देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं।

अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई ने चुप्पी तोड़ी
बीते सोमवार को पहली बार ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई ने चुप्पी तोड़ते हुए देश में चल रहे विरोध के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया था। ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा कि, महसा अमिनी की मौत से उनका "दिल टूट गया" है। हालांकि, उन्होंने ईरान को अस्थिर करने के लिए एक विदेशी साजिश के रूप में विरोध प्रदर्शनों की तीखी निंदा की। ईरानी सर्वोच्च नेता ने ईरानी लड़कियों को हिजाब जलाने, स्कार्फ को फाड़ने और पुलिस की कारों में आग लगाने की घटना को असामान्य और अप्राकृति करार दिया है।
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विरोध के बाद प्रधानमंत्री ने वापस लिया आयकर कटौती का फैसला

 लंदन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस की सरकार को विरोध के बीच अपने कदम को वापस लेना पड़ा है। कंजरवेटिव पार्टी में समर्थन जुटाने के लिए ट्रस ने महंगाई से जूझ रही देश की जनता को आयकर में कटौती का आश्वासन दिया था। जैसे ही उन्होंने इस घोषणा के अनुरूप आयकर की उच्चतम सीमा को नीचे किया, बाजार असंतुलित हो गया और सरकार की निंदा का दौर शुरू हो गया। दबाव में आई सरकार ने फैसले को वापस ले लिया है।

ट्रस सरकार ने सितंबर में मिनी बजट लाकर आयकर में कटौती का प्रविधान किया था। इसके बाद कंजरवेटिव पार्टी में ट्रस के विरोधियों ने सरकार पर प्रहार करने में देर नहीं की। इसके बाद वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग ने कहा कि कर की उच्चतम सीमा को कम करने का निर्णय विनम्रता से वापस लिया गया है। वित्त मंत्री ने यह सफाई अपनी पार्टी के सांसदों की ओर से आई इस आपत्ति के बाद दी जिसमें कहा गया था कि इससे देश का कम लोगों का संपन्न वर्ग लाभान्वित हुआ है, आम आदमी को इससे कोई लाभ नहीं हुआ है। जबकि महंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित आम आदमी हो रहा है।

 
 



जानकारी के अनुसार शीर्ष सरकारी अधिकारी भी दबी जुबान से इस कर कटौती पर विरोध जता रहे थे। उनका कहना है कि नुकसान का आकलन किए बगैर यह कटौती की गई है जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर होगा। यह वित्त मंत्रालय की पुरातनपंथी सोच का प्रतीक है।

 
 



देश की आर्थिक प्रगति की गति लगभग दस साल से सुस्त है, ऐसे में संपन्न वर्ग को आयकर में राहत दी जाती है तो उसका गलत असर हो सकता है। यह तरक्की की रफ्तार बढ़ाने का संदेश देने वाला निर्णय नहीं है। इसका सीधा असर वैश्विक निवेशकों पर होगा और वे ब्रिटेन का बाजार से अपनी नकदी निकालने लगेंगे।

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चिकित्सा के क्षेत्र में स्वीडन के स्वांते पैबो को मिला नोबल पुरस्कार

 वाशिंगटन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)।स्वीडन के स्वांते पैबो को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें विलुप्त होमिनिन और मानव विकास की आनुवांशिकी (जीनोम) से जुड़ी खोजों के लिए सोमवार को यह पुरस्कार दिया गया है। नोबेल समिति के सचिव थॉमस पर्लमैन ने कोरोलिंस्का संस्थान में विजेता की घोषणा की।

नोबेल समिति ने बयान जारी कर कहा, कोरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नोबेल समिति ने विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनों से जुड़ी खोजों के लिए स्वांते पैबो को फिजियोलॉजी या चिकित्सा क्षेत्र में 2022 का नोबेल पुरस्कार देने का फैसला किया है।

स्वांते पैबो ने अपने शोध में पाया कि विलुप्त होमोनिन जीन होमो सेपियन्स में ट्रांसफर हुए थे। पैबो पैलियोजेनेटिक्स के संस्थापकों में से एक रहे हैं जिन्होंने निएंडरथल जीनोम पर बड़े पैमाने पर काम किया है। वह जर्मनी के लीपजिंग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी मेंजेनेटिक्स विभाग के निदेशक भी रहे हैं।

पिछले साल इन वैज्ञानिकों को मिला था ये पुरस्कार
बीते साल 2021 का चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से डेविड जूलियस और आर्डेन पैटामूटियम को सम्मानित किया गया था। इन दोनों शोधकर्ताओं को शरीर के तापमान, दबाव और दर्द देने वाले रिसेप्टरों की खोज करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। दोनों नोबेल विजेता अमेरिकी हैं।

डेविड जूलियन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में प्रोफेसर हैं। वहीं पैटापूटियन अर्मेनियाई मूल के अमेरिकी नागरिक हैं और ला जोला के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक हैं।

चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के साथ ही नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की शुरूआत हो गई है। अब आज यानी मंगलवार को भौतिकी विज्ञान, बुधवार को रसायन विज्ञान और गुरुवार को साहित्य के क्षेत्र में इन पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी। 2022 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में पुरस्कार की घोषणा 10 अक्तूबर को की जाएगी।

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काबुल: क्लासरूम में आत्मघाती हमले के दो दिन बाद एक और बम धमाका, कई के घायल होने की सूचना

 

नई दिल्‍ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। काबुल में दिल दहला देने वाली एक और घटना सामने आई है।पश्चिमी काबुल में शाहिद माजरी रोड पर पुल-ए-सुख्ता पर सोमवार को ये बम धमाका हुआ है। हालांकि इस घटना में कितने लोगों की मौत हुई है अभी पुष्टि नहीं हुई हुई है।

बताया जा रहा है कि जिस इलाके में ये धमाका हुआ है वहां हजारा समुदाय के लोग अधिक संख्‍या में रहते हैं। तालिबान अधिकारियों ने अभी तक कोई सूचना नहीं दी है लेकिन बताया जा रहा है कि ये घटना सोमवार की दोपहर दो बजे की है।

याद रहे अफगानिस्‍तान में तालिबान के शासन के बाद आए दिन आत्‍मघाती हमले हो रहे हैं। दो दिन पहले काबुल में ये बम से हमला किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इस घटना में कई लोग घायल हुए थे। स्कूल में आत्मघाती बम विस्फोट में ऐसा मंजर दिखा था कि छात्राओं के शव पहचाने भी पहचानना मुश्किल है क्‍योंकि उनके शव क्षत विक्षत पाए गए थे। वहीं छात्राओं के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है।
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'भारतीय नेता दुनिया को करते हैं गुमराह', एस. जयशंकर के बयान से बुरी तरह तिलमिलाया पाकिस्तान

 

इस्लामाबाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर शब्दों के वार शुरू हो गए हैं। सोमवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुजरात में पाकिस्तान को 'अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का विशेषज्ञ' बताया था। एस जयशंकर ने कहा था कि दुनिया में दूसरा और कोई मुल्क नहीं जो आतंकवाद का खुलकर समर्थन करता है। एस जयशंकर के इस बयान के बाद पाकिस्तान बेहद तिलमिला गया है। भारत के इस बयान के बाद पाकिस्तान ने उल्टे भारत पर ही झूटे आरोप लगाए हैं।

बताया अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने वाला बयान
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को जयशंकर के बयान की निंदा करते हुए और इसे 'अस्वीकार' कर दिया। पाकिस्तानी मंत्रालय ने एस जयशंकर के बयान को 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने वाला' बयान करार दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में कहा है कि जयशंकर का ये कहना बताने के लिए काफी है कि भारत के नेता हर बार आतंकवाद को लेकर दुनिया को पाकिस्तान के खिलाफ गुमराह करने का काम करते हैं। भारत के विदेश मंत्री का बयान पूरी तरह से गैर जिम्मेरदारा है और हम इस बयान की कड़ी निंदा करते हैं।

'भारत के आतंकवादी घटनाओं से पाकिस्तान पीड़ित'
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में भी पाकिस्तान का पुराना कश्मीर राग छेड़ दिया और भारत पर 'कश्मीरियों पर अत्याचार' का आरोप लगाया। सोमवार को जारी एक प्रेस रिलीज में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'दुनिया भी 'भगवा आतंकवाद' से अच्छी तरह वाकिफ है।' पाकिस्तानी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत अपनी गलतियों को छुपाने के लिए पड़ोसी देशों पर उंगली उठाता रहता है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने ये भी कहा कि है भारत के आतंकवादी घटनाओं से पाकिस्तान पीड़ित है।

इंटरनेशनल टेररिज्म में एक्सपर्ट है पाकिस्तान
दरअसल बीते शनिवार को गुजरात के वडोदरा में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए एस जयशंकर ने कहा कि जिस तरह हमारा एक पड़ोसी है, जैसे हम आईटी (इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी) में एक्सपर्ट हैं, वो इंटरनेशनल टेररिज्म में एक्सपर्ट हैं। यह सालों से चल रहा है... लेकिन हम दुनिया को समझा सकते हैं कि, आतंकवाद आतंकवाद है, आज यह हमारे खिलाफ हो रहा है, कल यह आपके खिलाफ होगा।" एस जयशंकर ने कहा कि, अब आतंकवाद के बारे में दुनिया की समझ पहले के समय की तुलना में बदल गई है और अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है।

दबाव में हैं आतंकवाद का इस्तेमाल करने वाले देश
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, "आतंकवाद का इस्तेमाल करने वाले देश दबाव में हैं और उनके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रेशर है।" उन्होंने साफ-साफ कहा कि पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि आतंकवाद और राजनीति अलग-अलग विषय हैं। दोनों को एक साथ नहीं मिलना चाहिए। अगर आज आंतकवाद का इस्तेमाल हमारे लिए (भारत के लिए) करेंगे तो कल यह आतंकवाद उनके लिए भी खतरा साबित हो सकता है।
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591 रुपये में मिल रहा ब्रिटिश PM लिज ट्रस का नंबर, बाकी 25 मंत्रियों का डाटा भी लीक, मची खलबली

 

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस का मोबाइल नंबर लीक हो गया है। यह महज 6.49 पाउंड की राशि (591 रुपये) चुकाकर खरीदा जा सकता है। पीएम लिज ट्रस का नंबर एक अमेरिकी वेबसाइट से एक्सेस किया जा सकता है। इस वेबसाइट पर लिज ट्रस के अलावा 25 अन्य कैबिनट मंत्रियों के भी नंबर उपलब्ध हैं। पीएम और कैबिनेट मंत्रियों के निजी मोबाइल नंबर लीक होने के बाद साइबर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन और रूस सरकारी आंकड़ों की जासूसी करने के लिए इन फोन नंबरों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी जारी की
इस मामले को लेकर ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों ने मंत्रियों को चेतावनी भी जारी की है। कई साइबर विशेषज्ञ भी इन आधिकारिक डेटा के लीक होने के मामले की जांच कर रहे हैं। द मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन नेताओं के फोन नंबर और दूसरे निजी डेटा ऑनलाइन साइट पर बेचने के लिए मौजूद हैं, उनमें पीएम लिज ट्रस, वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग, रक्षा मंत्री बेन वालेस, विदेश मंत्री जेम्स क्लीवर्ली, गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन आदि शामिल हैं।

विपक्षी लेबर पार्टी के नेता की भी नंबर लीक
वेबसाइट पर न सिर्फ कंजरवेटिव पार्टी के नेता बल्कि लेबर पार्टी के नेता सर कीर स्टारर का फोन नंबर भी मौजूद है। कंजर्वेटिव पार्टी के अधिवेशन से एक दिन पहले पीएम समेत वरिष्ठ नेताओं का निजी डेटा शेयर होने से ब्रिटेन में बवाल मच गया है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ खतरे का आकलन भी किया है। कैबिनेट को वरिष्ठ नेताओं के फोन नंबर, ईमेलल और पासवर्ड लीक होने की जानकारी भी दी गई है।

हो सकता है गलत चीजों में इस्तेमाल
ब्रिटिश कैबिनेट ऑफिस ने कहा कि वह इस मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने वेबसाइट विजिट किया है इसमें कुछ जानकारी पुरानी हैं, जो काम की नहीं हैं। हालांकि, ऑफिस ने माना है कि वेबसाइट पर पीएम लिज ट्रस सहित कैबिनेट के 26 मौजूदा मंत्रियों के फोन नंबर दिख रहे हैं। एक रिटायर्ड ब्रिटिश खुफिया अधिकारी ने डेटा लीक की इस घटना को वास्तव में चौंकाने वाला बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि इस निजी जानकारी का सॉफ़्टवेयर की मदद से गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।

वेबसाइट पर 14 बिलियन से अधिक फाइलें मौजूद
डेली मेल की इस रिपोर्ट में उस अमेरिकी वेबसाइट के एक मेंबर से भी बात की गई है, जिस पर ब्रिटेन के मंत्रियों की निजी जानकारियां बेची जा रही हैं। मेंबर ने बताया कि वेबसाइट पर किसी का नाम टाइप करके कोई भी जानकारी ढूंढ़ी जा सकती है। मेंमर ने अपनी वेबसाइट पर बीते 10 साल में हुए साइबर हमलों में चुराए गए डेटा के मौजूद होने का दावा किया गया है। साइट का दावा है कि उसके सर्च डेटाबेस में 14 बिलियन से अधिक फाइलें मौजूद हैं। इस वेबसाइट को चलाने वालों के नाम गुप्त रखे गए हैं। इतना ही नहीं, इसका ऑफिस लास वेगास के डाउनमार्केट क्षेत्र में बताया जा रहा है।
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फुटबॉल मैच के दौरान हिंसा में 129 से ज्यादा लोगों की मौत, कई घायल

 जकार्ता/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। इंडोनेशिया में फुटबॉल मैच के दौरान हिंसा की खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक मैच के दौरान हुई हिंसा में करीब 129 लोगो मारे गए हैं।



दो क्लबों के समर्थकों में हुई भिड़ंत
इंडोनेशियाई लीग फुटबॉल मैच के बाद हुई अराजकता और हिंसा के बाद 129 से अधिक फुटबॉल प्रशंसकों की कथित तौर पर मौत हो गई है। पूर्वी जावा के मलंग रीजेंसी में हुए मैच में अरेमा को 3-2 से हराने के बाद जावानीस क्लब अरेमा और पर्सेबाया सुरबाया के समर्थक आपस में भिड़ गए। मलंग रीजेंसी स्वास्थ्य कार्यालय के प्रमुख वियान्टो विजोयो ने कहा कि 129 से अधिक लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि अधिकारी अभी भी घायलों की संख्या का पता लगा रहे हैं। वहीं, एसोसिएटेड प्रेस ने बताया है कि दो पुलिस अधिकारियों सहित 129 लोग मारे गए हैं।



घटना को लेकर अधिक जानकारी देते हुए बताया जा रहा है कि फुटबॉल मैच के बाद हुई भिड़ंत में मारे गए लोग अराजकता, भीड़भाड़ और भगदड़ के दौरान दम घुटने से मरे हैं। साथ ही पुष्टि की जा रही है कि हादसे में 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं, उन्हें इलाके के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

मैच में हार से बाद गुस्साई भीड़ ने किया हमला
बताया जा रहा है कि कथित तौर पर लड़ाई तब शुरू हुई जब हजारों अरेमा प्रशंसक अपनी टीम के हारने के बाद मैदान में उतर आए। इस दौरान पर्सेबाया के खिलाड़ियों ने तुरंत ही मैदान छोड़ दिया। लेकिन कई अरेमा खिलाड़ी जो मैदान पर थे वो हमले का शिकार हो गए।

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समुद्री चक्रवात ने मचाई भीषण तबाही, 9 लोगों की मौत...

चार्ल्सटन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। समुद्री चक्रवात इयान ने शुक्रवार को अमेरिका में दक्षिणी कैरोलिना के तट पर दस्तक दी। समुद्री चक्रवात के चलते ऐतिहासिक शहर चार्ल्सटन को भीषण बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। तूफान ने फ्लोरिडा में भीषण ताबही मचाई है, जगह-जगह पानी भर जाने के कारण बड़ी तादाद में लोग अपने घरों में कैद हैं। शुक्रवार को चक्रवात की रफ्तार कुछ धीमी पड़ती देखी गई। हवाओं की रफ्तार फ्लोरिडा के गल्फ कोस्ट को पार करने की तुलना में बहुत कमजोर दिखीं।



इयान ने फ्लोरिडा में मचाई भीषण तबाही
समुद्री तूफान इयान ने फ्लोरिडा में व्यापक तबाही मचाई है। फ्लोरिडा के दोनों तटों पर लोगों को भारी बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। वहीं चक्रवात के कारण समुद्र किनारे बने व्यवसायों केंद्रों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। इलाके में करीब 20 लाख लोग बिना बिजली के जीवनयापन करने को मजबूर हैं। इस दौरान करीब 9 लोगों के मारे जाने की पुष्टी हुई है, मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।



फ्लोरिडा में बाढ़ के कारण घरों में फसे हजारों लोग के बचाने के लिए राहत अभियान जारी है। फ्लोरिडा की सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक राहत कार्य में लगा बचाव दल प्रभावित इलाकों में करीब तीन हजार घरों में गए। उन्होंने वहां फसे लोगों को सुरक्षित बचा लिया है। वहीं बाढ़ के कारण मारे गए लोगों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मरने वालों में एक 80 वर्षीय महिला और एक 94 वर्षीय व्यक्ति शामिल है। दोनों ही बुजुर्ग ऑक्सीजन स्पोर्ट पर थे, बिजली की कमी के चलते मशीन ने काम करना बंद कर दिया। जिसके चलते इनकी मौत हो गई। वहीं एक 67 वर्षीय व्यक्ति जो रेसक्यू टीम का इंतजार कर रहा था, उसकी बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो गई।

 

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उग्र भीड़ ने पुलिस थाने पर किया हमला, 19 की मौत

 तेहरान/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ईरान में हिजाब को लेकर प्रदर्शन जारी है। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है।  प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को एक पुलिस स्टेशन में घुसकर हमला कर दिया। इस हमले में इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स की खुफिया यूनिट के कमांडर अली मौसवी समेत 19 लोगों की मौत हो गई है।  ईरान सरकार का कहना है की यह हमला आतंकियों से जुड़ा हुआ है।

इस हमले मे कथित प्रदर्शनकारियों ने पत्थर और जलने वाले सामान पुलिस स्टेशन में फेंके। इसके अलावा पुलिस स्टेशन पर कब्जा करने के लिए गोलीबारी भी की गई। रिपोर्ट के अनुसार इस  हादसे में 19 लोगों की जान गई है। इसके अलावा कई पुलिसकर्मी और 20 अन्य लोग घायल हुए हैं। 

प्रांतीय गवर्नर होसैन मोदारेस खियाबानी का कहना है कि हमलावरों को जब तक पुलिस ने गिरफ्तार नहीं करती है  तब तक इस तरह के हमले होते रहेंगे।

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पाकिस्तान का आधिकारिक ट्विटर अकाउंट बैन

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भारत में रोक लगा दी गई है। ट्विटर के अनुसार ऐसा भारत सरकार की कानूनी मांग पर किया गया है। ट्विटर के इस कदम के साथ ही अब भारत में पाक सरकार के इस अकाउंट @GovtofPakistan का कोई भी ट्वीट नहीं दिखेगा। ट्विटर की पालिसी के अनुसार यह कदम स्थानीय नियमानुसार उठाया जाता है। 

इसके जरिए सुरक्षा और स्थानीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए उपयोगकर्ता की अभिव्यक्ति का सम्मान भी किया जाता है।बता दें कि तीन हफ्ते पहले भी यह रोक लगाई गई थी। जानकारी के अनुसार यह कार्रवाई सुरक्षा कारणों से की गई है। 


 

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रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को वीटो किया

 मास्को (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रूस ने यूक्रेन के क्षेत्रों के अधिग्रहण की निंदा करने वाले पश्चिमी देशों के एक प्रस्‍ताव को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा  परिषद में वीटो कर दिया। अमरीका और अल्‍बानिया ने सुरक्षा परिषद में प्रस्‍ताव का मसौदा पेश किया था जिसमें रूस के जनमत संग्रह और यूक्रेन के डोनेट्स, लुहांस्‍क खेरसन और जापोरिजिया क्षेत्रों के अधिग्रहण की निंदा की गई थी।

प्रस्‍ताव में रूस से मांग की गई थी कि वह यूक्रेन से तुरंत अपनी सेनाएं हटायें।  15 देशों की सदस्‍यता वाली संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्‍ताव पर मतदान किया लेकिन रूस के वीटो करने के कारण यह प्रस्‍ताव पारित नहीं हो पाया। परिषद के 15 सदस्‍य देशों में से दस ने प्रस्‍ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि चार देशों- भारत, चीन, गेबन और ब्राजील ने मतदान में भाग नहीं लिया।

संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत की स्‍थायी प्रतिनिधि रूचिरा कम्‍बोज के अनुसार यूक्रेन की हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत चिंतित है और उसका मानना है कि मनुष्‍यों की जीवन की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता। भारत ने संबंधित पक्षों की ओर से हिंसा और द्वेष की सभी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने के प्रयासों का आह्वान किया। भारत का मानना है कि मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए संवाद ही एकमात्र रास्‍ता है।

 

 

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