दुनिया-जगत

ब्रिटेन में चीन की हुई भारी बेइज्जती, प्रतिनिधिमंडल को नहीं देखने देगा क्वीन एलिजाबेथ का ताबूत

 

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। महारानी एलिजाबेथ के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लंदन जाने वाले चीनी प्रतिनिधिमंडल को संसद के अंदर ताबूत देखने की अनुमति नहीं मिलेगी। बीबीसी की खबर के मुताबिक ब्रिटेन सरकार ने चीन के प्रतिनिधि मंडल को संसद में क्वीन के अंतिम दर्शन की इजाजत नहीं दी है। चीन का प्रतिनिधि मंडल ब्रिटिश संसद में क्वीन एलिजाबेथ के अंतिम दर्शन नहीं कर पाएगा। हालांकि चीन का प्रतिनिधि मंडल क्वीन के अंतिम संस्कार में शामिल होगा।

ब्रिटेनी सांसदों ने चीन की निंदा की थी
ब्रिटेन के कुछ सांसदों ने चीन के प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित करने पर चिंता जताई थी। बता दें कि चीन के शिनजियांग प्रांत में उईगर मुसलमानों संग अत्याचार और मानवाधिकारों के हनन करने को लेकर ब्रिटेन के कुछ सांसदों ने चीन की कम्यूनिस्ट सरकार की आलोचना की थी। इसके बाद मार्च 2021 में ब्रिटेन ने चीन के शिन्जियांग में ह्यूमन राइट्स के हनन पर चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद चीन ने पलटवार करते हुए ब्रिटेन के नौ सांसद और चार संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया।

क्वीन का ताबूत देखने से किया बैन
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीनी सरकार के प्रतिनिधिमंडल को ब्रिटिश सरकार की निगरानी में क्वीन का ताबूत देखने से बैन कर दिया है। ब्रिटेन की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष सर लिंडसे हॉयल ने चीनी सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल को वेस्टमिंस्टर हॉल में दिवंगत महारानी के 'लाइंग-इन-स्टेट' कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी है।

बीबीसी ने रिपोर्ट में किया खुलासा
बीबीसी सूत्रों के मुताबिक सर लिंडसे हॉयल ने उइगुर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का आरोप लगाने के लिए पांच ब्रिटिश सांसदों के खिलाफ चीनी प्रतिबंधों के कारण चीनी प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इससे पहले सितंबर 2021 में भी चीन के एम्बेसेडर को संसद में आने से रोका गया था। ब्रिटेन की PM लिज ट्रस के प्रवक्ता का कहना है कि मेहमानों की लिस्ट विदेश मंत्रालय की स्वीकृति पर ही तैयार होती है। परम्परा के मुताबिक उन देशों के गेस्ट को बुलाया जाता है, जिनके ब्रिटेन से अच्छे डिप्लोमैटिक रिश्ते होते है।

तनावपूर्ण हो सकते हैं ब्रिटेन-यूके के संबंध
इस बीच हाउस ऑफ कॉमन्स ने कहा कि उसने सुरक्षा मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन को अंतिम संस्कार कार्यक्रम में उपस्थित होने की अनुमति होगी, लेकिन उसे संसद भवन के अंदर के कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी। बता दें कि वेस्टमिंस्टर हॉल संसदीय संपदा का हिस्सा है तथा यह हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के अध्यक्षों के नियंत्रण में होता है। इस घटनाक्रम से ब्रिटेन-चीन संबंधों के और तनावपूर्ण होने की आशंका है।

चीन ने कहा- मेहमानों के साथ हो उचित व्यवहार
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि उन्होंने अभी तक रिपोर्ट नहीं देखी है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के लिए क्वीन का अंतिम संस्कार एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। ब्रिटेन के आमंत्रण पर हिस्सा लेने वाला हमारा प्रतिनिधि मंडल क्वीन के सम्मान और ब्रिटेन के साथ संबधों के लिए जा रहा है। आयोजक के रूप में ब्रिटेन को राजनयिक प्रोटोकॉल के साथ-साथ मेहमानों के लिए भी उतिक शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए। बता दें कि ब्रिटिश विदेश कार्यालय के सूत्र के अनुसार चीनी उपराष्ट्रपति वांग किशान चीन का प्रतिनिधित्व करेंगे।

19 सितंबर को होगा अंतिम संस्कार
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का अंतिम संस्कार 19 सितंबर सोमवार को होना है। इस कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत बेल्जियम, स्वीडन, नीदरलैंड्स और स्पेन के राजा-रानी शामिल होंगे। फ्रांस, ब्राजील, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, तुर्की आदि देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी वहां पहुंचेंगे। वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन समेत बेलारूस, म्यांमार, ईरान को निमंत्रण नहीं दिया गया है।
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डायमंड मैन! 4 साल में खोजे 80 हीरे, पार्क में 35000वें के साथ रिकॉर्ड

 

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक शख्स ने अर्कांसस के क्रेटर ऑफ डायमंड्स पार्क में हीरा खोजने का रिकॉर्ड बना डाला। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शख्स पिछले चार साल में अब तक पार्क से 80 से अधिक हीरे खोज चुका है।

शख्स ने 4 साल में ढूंढे 80 डायमंड
स्कॉट क्रेकेस को मिला नया डायमंड इस साल का 50वां और पार्क में पंजीकृत होने वाला 35,000वां हीरा था। पार्क की ओर जारी एक विज्ञप्ति अनुसार, क्रेकेस ने अब तक पार्क में 80 से अधिक हीरे ढूंढे हैं। नया हीरा उन्होंने एक सप्ताह पहले खोजा था। ये पार्क में मिलने वाला 35000वां हीरा है। अर्कांसस के क्रेटर ऑफ डायमंड्स पार्क की ओर बताया गया कि स्कॉट क्रेक्स ने चार साल पहले साइट पर डायमंड की तलाश में खुदाई शुरू की थी।

एक साल में खोज चुका है 50 हीरा
अमेरिका के अर्कांसस के क्रेटर ऑफ डायमंड्स पार्क में हीरा खोजने का रिकॉर्ड बनाने वाले शख्स का नाम स्कॉट क्रेकेस है। इस साल वो अब तक 50 से अधिक हीरे खोज चुका है। पिछले चार साल से स्कॉट क्रेकेस डायमंड्स पार्क जाते थे।

पार्क से 5 गैलन बजरी ले जाने की अनुमति
नियम के मुताबिक अर्कांसस के क्रेटर ऑफ डायमंड्स पार्क में आने वाले प्रत्येक शख्स को प्रतिदिन अपने साथ 5 गैलन बाल्टी बजरी घर ले जाने की अनुमति है। कुछ व्यक्ति बजरी की सूखने की प्रतीक्षा करते हैं और बाद में उसमें चमकदार धातु यानी हीरे की तलाश करते हैं।

'व्हाइट डायमंड' 6 सितंबर को रिकॉर्ड में दर्ज
अमेरिकी मीडिया बोस्टन 25 न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्कॉट क्रेकेस डायमंड सर्च एरिया से जांच करने के लिए बजरी को घर ले गए थे। जिसमें उन्हें एक छोटा हीरा मिला। इसे 6 सितंबर को आधिकारिक तौर पर पंजीकृत कराने के लिए पार्क में लाए। पार्क के अधिकारियों ने इस खोज को सफेद हीरे के रूप में दर्ज किया।

स्कॉट क्रेकेस को पार्क में दो रात का फ्री स्टे
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, एक कैरेट से छोटे कीमती रत्नों को अंकों में तौला जाता है, जिसमें 100 अंक एक कैरेट के बराबर होते हैं। पार्क के अधिकारियों ने कहा कि श्री क्रेक्स के मील के पत्थर की खोज ने उन्हें अपने परिसर में दो रात का मुफ्त प्रवास दिया।
 
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एससीओ शिखर सम्मेलन में आज शामिल होंगे पीएम मोदी

रूस, उज्बेकिस्तान और ईरान के राष्ट्राध्यक्षों के साथ करेंगे द्विपक्षीय वार्ता

 समरकंद/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। वो गुरुवार को रात तकरीबन नौ बजे उज्बेकिस्तान के समरकंद पहुंचे थे। पीएम मोदी शिखर सम्मेलन में में पहुंचने वाले आखिरी नेता हैं। शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी रूस, उज्बेकिस्तान और ईरान के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। पीएम मोदी आज एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे जिसके बाद एससीओ नेताओं की एक जरूरी बैठक होगी।
पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे पीएम मोदी

शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक में शामिल होंगे, जिसपर पूरे विश्व की नजरें हैं। कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष के बाद पीएम मोदी और पुतिन की पहली बैठक है। पीएम मोदी ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।

अगले साल भारत में होगा शिखर सम्मेलन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत 15 वैश्विक नेताओं के साथ समरकंद शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। उज्बेकिस्तान एससीओ शिखर सम्मेलन 2022 की अध्यक्षता कर रहा है। जिसके बाद भारत समरकंद शिखर सम्मेलन के अंत में एससीओ की रोटेशनल वार्षिक अध्यक्षता ग्रहण करेगा। एससीओ संगठन में मौजूदा वक्त में आठ सदस्य देश हैं। इनमें चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं। साथ ही चार पर्यवेक्षक देश हैं जो कि पूर्ण सदस्य के तौर पर संगठन में शामिल होने की रुचि रखते हैं। इनमें अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया शामिल हैं। संगठन में छह डायलॉग पार्टनर्स देश हैं। ये आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं।

साल 2017 में भारत संगठन में हुआ शामिल
साल 1996 में गठित शंघाई फाइव, उज्बेकिस्तान को शामिल करने के साथ 2001 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) बन गया। वहीं 2017 में भारत और पाकिस्तान के समूह में प्रवेश करने और 2021 में तेहरान को पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार करने के फैसले के साथ, SCO सबसे बड़े बहुपक्षीय संगठनों में से एक बन गया। शिखर सम्मेलन में भारत ने दृढ़ता से क्षेत्रीय सुरक्षा से संबंधित चिंताओं, रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और अवैध नशीली दवाओं के व्यापार आदि पर सहयोग को लेकर आह्वान किया है।

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भारत की यात्रा ने दो मित्र पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में एक नया क्षितिज खोल दिया : शेख हसीना

 ढाका (छत्तीसगढ़ दर्पण)। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को कहा कि उनकी हालिया भारत यात्रा से बांग्लादेश को फायदा हुआ है और वह खाली हाथ नहीं लौटी हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी यात्रा ने दो मित्र पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में एक नया क्षितिज खोल दिया है। हसीना की यात्रा के दौरान, भारत और बांग्लादेश ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें से एक कुशियारा नदी के पानी के बंटवारे पर था, जिससे दक्षिणी असम और बांग्लादेश के सिलहट के इलाकों को लाभ होने की उम्मीद है।

हसीना ने पांच से आठ सितंबर के बीच भारत के चार दिवसीय दौरे के करीब हफ्ते भर बाद यहां संवाददाताओं को बताया, उन्होंने (भारत) ने गंभीरता दिखाई और मैं खाली हाथ नहीं लौटी हूं। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि कोविड महामारी के कारण तीन साल के लंबे अंतराल के बाद मेरी यात्रा ने बांग्लादेश-भारत संबंधों में एक नया क्षितिज खोल दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के लोगों को उनकी भारत यात्रा के दौरान पहचाने गए सभी क्षेत्रों में सहयोग और मौजूदा द्विपक्षीय समस्याओं को हल करने के लिए लिए गए निर्णयों से लाभ होगा।

उनकी टिप्पणी तब आई जब मुख्य विपक्ष बीएनपी के नेताओं ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश को उनकी (हसीना की) भारत यात्रा से कुछ नहीं मिला, जबकि इसके महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, हसीना भारत से समझौते में असमर्थ हैं। हसीना ने कुशियारा नदी को लेकर सहमति पत्र को बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और हरित अर्थव्यवस्था, सांस्कृतिक व लोगों से लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्र में सहयोग पर भी समझौते किए हैं।

 

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तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान में अजहर की मौजूदगी से किया इनकार

 इस्लामाबाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)।  तालिबान सरकार ने मीडिया में आईं उन खबरों का बुधवार को खंडन किया, जिसमें अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर की मौजूदगी का दावा किया गया है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने कहा कि ऐसे आतंकवादी संगठन पाकिस्तान की जमीन से संचालन कर सकते हैं और यहां तक कि सरकारी संरक्षण में भी वे अपना काम जारी रख सकते हैं।

पाकिस्तानी मीडिया में जैश प्रमुख अजहर के अफगानिस्तान में होने संबंधी दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तालिबान की अंतरिम सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने इसे कड़े शब्दों में खारिज किया। खबरों में दावा किया गया कि पाकिस्तान ने उसे (मसूद अजहर) सौंपने की मांग वाला एक पत्र भी अफगानिस्तान को भेजा है।

 
 
 

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से मंगलवार को सामने आई खबर में कहा गया, हमने अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय को एक पन्ने का पत्र लिखा है, जिसमें उन्हें मसूद अजहर का पता लगाने और गिरफ्तार करने के लिए कहा गया है, क्योंकि हम मानते हैं कि वह अफगानिस्तान में कहीं (पूर्वी नंगरहार प्रांत) में छिपा हुआ है।

मुजाहिद ने एक साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने इस बाबत मीडिया में आई खबर देखी है। मुजाहिद ने कहा, लेकिन, यह सच नहीं है। किसी ने भी हमसे ऐसी मांग नहीं की है। मुजाहिद ने कहा, जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख अफगानिस्तान में नहीं है। ऐसे संगठन पाकिस्तान की जमीन से संचालन कर सकते हैं - और यहां तक कि आधिकारिक संरक्षण में भी। प्रवक्ता ने कहा, हम किसी को भी, किसी दूसरे देश के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देंगे।

 

 

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पीएम मोदी ने की भूटान नरेश से मुलाकात, जानिए यह देश क्यों है भारत के लिए खास

 

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक ने बुधवार को राजधानी नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। माना जाता है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों तथा उन्हें और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।
भारत और भूटान ऐतिहासिक रूप से मजबूत संबंध साझा करते हैं जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। इस अवसर पर भुटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक ने विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा से भी मुलाकात की। इसके साथ ही उन्होंने आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात की।

इससे एक दिन पहले मंगलवार को भूटान ने अंतराष्ट्रीय सौर गठबंधन रूपरेखा समझौते की पुष्टि की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, "भारत में भूटान के राजदूत मेजर जनरल वेटसॉप नामग्याल ने डीजी इंटरनेशनल सोलर एलायंस की मौजूदगी में सचिव ईआर दम्मू रवि को समर्थन का दस्तावेज सौंपा।" भारत और भूटान द्विपक्षीय संबंधों का मूल ढांचा दोनों देशों के बीच 1949 में हस्ताक्षरित मैत्री और सहयोग की संधि थी। इसने दोनों देशों के बीच शांति और एक दूसरे के आंतरिक मसलों में हस्तक्षेप न करने का आह्वाहन किया। साल 2007 में इस संधि को संशोधिक किया गया था। इसके मुताबिक भूटान भारत को अपनी विदेश नीति का मार्गदर्शन करने देने को सहमत हो गया और दोनों देश, विदेश और रक्षा मामलों पर एक-दूसरे से परामर्श करेंगे।

चिकन नेक कॉरिडोर के लिए महत्वपूर्ण है भूटान
भूटान चार भारतीय राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के साथ 699 किमी की लंबाई के साथ अपनी सीमा साझा करता है और भारत-चीन के बीच एक बफर स्टेट के रूप में कार्य करता है। भूटान, भारत के लिए एक बफर स्टेट के रूप में बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चिकन नेक कॉरिडोर की रक्षा करके चीन संग बड़े खतरे से भारत को बचाता है।
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क्या किंग चार्ल्स यात्रा के दौरान खुद की Toilet सीट और पेपर लेकर साथ में चलते हैं?

 

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद किंग चार्ल्स के सिर पर इंग्लैंड का ताज सज गया है। इसके बाद से दुनिया भर की मीडिया यह जानने में जुट गई है कि, किंग रहते कैसे है, खाते कैसे है, खाली समय कैसे बिताते हैं, वगैरह, वगैरह...वहीं किंग चार्ल्स से जुड़ूी एक जानकारी यह मिली है कि, वे टॉयलेट सीट और क्लीनेक्स वेलवेट टॉयलेट पेपर साथ लेकर अवश्य जाते हैं।

चार्ल्स ने किंग का ताज पहना, जानें उनके शौक
हाल ही में महारानी के निधन के बाद से उनके बड़े बेटे चार्ल्स को किंग का ताज पहनाया गया। अब वे पहले से ज्यादा काफी व्यस्त और सुर्खियों में आ गए हैं। वहीं, मीडिया उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने को इच्छुक हैं। किंग चार्ल्स की दिवंगत पत्नि डायना और महारानी के बटलर के तौर पर सेवा दे चुके पॉल बुरेल ने एक डॉक्यूमेंट्री में बताया था कि चार्ल्स ने साफ तौर पर अपनी शूलेस प्रेस किए जाने के निर्देश दे रखे हैं।

किंग टॉयलेट सीट लेकर चलते हैं
न्यूयॉर्क पोस्ट ने बुरेल के हवाले से बताया, 'किंग चार्ल्स के पजामे हर सुबह प्रेस होते हैं और उनके शूलेस को चपटा कर प्रेस किया जाता है। उनके बाद प्लग एक खास दिशा में होना चाहिए और उन्हें पानी का तापमान भी थोड़ा गर्म चाहिए। जानकारी के मुताबिक, किंग का बाथ टब केवल आधा भरा होना चाहिए। बुरेल ने यह भी बताया था कि "हर सुबह किंग चार्ल्स के नौकर उनके टूथब्रश पर एक इंच टूथपेस्ट लगा कर रखते हैं।

ब्रेड,ताजा फलों का जूस लेना पसंद करते हैं किंग
वहीं, किंग चार्ल्स के खाने-पीने की आदतों के बारे में कई जानकारियां सामने आई हैं। न्यूयॉर्क पोस्ट ने रॉयल स्टाफ शेफ ग्राहम नयूबोल्ड के हवालों से कहा कि, किंग को खाने में पोषणयुक्त चीज़ें काफी पसंद हैं। उन्हें घर पर बनी ब्रेड,ताजा फलों का जूस, ताजा फलों की प्लेट, से उठाकर फल खाना पसंद है। किंग जहां भी जाते हैं, उनके नाश्ते का बॉक्स उनके साथ अवश्य जाता है। उसमें छह तरह के शहद होते हैं, कुछ खास मूसली, ड्राय फ्रूट होते हैं। वे इन चीजों को लेकर समझौता नहीं करते।"

किंग के बारे में रोचक जानकारियां
बता दें कि, यह सब अमेजन प्राइम की डॉक्यूमेंट्री में जानकारी दी गई है। यह डॉक्यूमेंट्री तब रिलीज हुई थी जब चार्ल्स प्रिंस ऑफ वेल्स थे। यह है किंग के बारे में रोचक जानकारी, पढ़कर आपको उनके बारे में काफी कुछ जानकारियां मिली होंगी।
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भारत ने पाक को यूएन में फिर लताड़ा, कहा- आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले मानवाधिकार पर ज्ञान न दें

 

जिनेवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भारत ने पाकिस्तान को मानवाधिकारों के प्रचार और उसके संरक्षण को लेकर पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान का भारतीय लोगों के मानवाधिकार की चिंता करना सिर्फ और सिर्फ एक छलावा है। बैठक में भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह सबसे ज्यादा आतंकियों को पनाह दे रहा है।

पाकिस्तान ने भारत पर लगाया आरोप
पाकिस्तान ने UNHRC में आरोप लगाया था कि कश्मीर में मानवाधिकार का हनन हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र जिनेवा कार्यालय में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि खलील हाशमी ने भारत में मानवाधिकार हनन को लेकर निशाना साधा था। संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारत के प्रथम सचिव पवन बाधे ने राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए कहा कि दुनिया के आतंकियों को पनाह देने वाला मुल्क, जिस देश में UN प्रतिबंधित आतंकी रहते हों उस देश का मानवाधिकार पर बोलने से ज्यादा बड़ा छलावा कुछ नहीं हो सकता है।

पवन बाथे ने पाक को लताड़ा
भारत की तरफ से बोलते हुए पवन बाधे ने कहा कि पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व ने अतीत में खुले तौर पर आतंकी समूहों को बनाने और उन्हें भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लड़ने के लिए प्रशिक्षित करने की बात कही है। ऐसे मुल्क का मानवाधिकार पर बात करना छलावा नहीं तो और क्या है? पवन बाधे ने परिषद करते हुए कहा कि पाकिस्तान स्टेट स्पॉन्सर टेररिज्म को खत्म करे। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान का मानवाधिकार में सबसे बड़ा योगदान यही होगा कि वह आतंक की फैक्ट्री चलाना बंद कर दे।

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को लिखी चिट्ठी
बतादें कि पाकिस्तान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उसने एक चिट्ठी के जरिए दावा किया है कि आतंकी मसूद अजहर अफगानिस्तान में छिपा हुआ है। दरअसल पाकिस्तान ने मसूद अजहर की गिरफ्तारी को लेकर अफगानिस्तान को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में पाकिस्तान ने लिखा है कि मसूद अजहर अफगानिस्तान में छिपा हुआ है और तालिबान सरकार उसका पता लगाने के लिए उसकी मदद करे। पाकिस्तान ने दावा किया है कि मसूद अजहर अफगानिस्तान के नंगहार या कुनार प्रांत में छिपा हो सकता है।

तालिबान ने जताई नाराजगी
पाकिस्तान की इस चिट्टी को लेकर तालिबान ने कड़ी नाराजगी जताई है। तालिबान विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अब्‍दुल कहर बाल्‍खी ने कहा है कि सरकार ऐसी सभी रिपोर्ट्स को खारिज करती है जिसमें कहा गया है कि मसूद अजहर ने अफगानिस्‍तान में शरण लेनी चाहा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि तालिबान सभी पक्षों से बिना किसी सुबूत के इस तरह के दावे न करने के लिए करती है। बाल्‍खी की मानें तो इस तरह की बातें द्विपक्षीय संबंधों को खराब करती हैं।
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पिछले साल पांच करोड़ लोग आधुनिक गुलामी में रहे: संयुक्त राष्ट्र

 जिनेवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी का अनुमान है कि पिछले साल के अंत तक दुनिया भर में करीब पांच करोड़ लोग आधुनिक गुलामी के पीड़ित रहे थे, जो या तो बंधुआ मजदूरी में धकेल दिए गए या उनका विवाह कर दिया गया। यह आंकड़ा पांच साल पहले आई संस्था की पिछली रिपोर्ट से 25 प्रतिशत अधिक है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और साझेदार व्यावसायिक यौन शोषण जैसे चिंताजनक रुझानों की ओर इशारा करते हैं, जो चार में से लगभग एक व्यक्ति को प्रभावित करते हैं जो बंधुआ मजदूरी के अधीन हैं। इससे गरीबों, महिलाओं और बच्चों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासी मामलों के संगठन और आधुनिक दासता पर काम करने वाले अधिकार समूह वॉक फ्री फाउंडेशन के साथ आईएलओ ने बताया कि 2021 के अंत में बंधुआ मजदूरों की संख्या 2.8 करोड़ थी।

 
 
 

सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि एक साल पहले के आंकड़ों के आधार पर 2017 में इस तरह की आखिरी रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से इस तरह के आंकड़ों में आधुनिक गुलामी में रहने वाले लोगों की संख्या एक करोड़ बढ़ी है। इसमें कहा गया है कि दो-तिहाई वृद्धि अकेले जबरन विवाह से संबंधित है। वॉक फ्री के संस्थापक निदेशक ग्रेस फॉरेस्ट ने न्यूयॉर्क में एसोसिएटेड प्रेस (एपी) से साक्षात्कार में कहा कि वृद्धि ग्रीस की आबादी के बराबर है।

 
 
 

रिपोर्ट के अनुसार, सभी जबरन विवाह के मामलों में से दो तिहाई से अधिक मामले एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पाए गए जो दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र है लेकिन प्रति व्यक्ति सबसे अधिक संख्या अरब देशों में है, जहां लगभग प्रति 1,000 में से पांच लोग जबरन विवाह वाले थे।

श्रमिकों, व्यवसायों और सरकारों को साथ लाने का काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र श्रम एजेंसी के महानिदेशक गाय राइडर ने सबसे मिलकर काम करने का आह्वान किया और कहा, इसमें ट्रेड यूनियन, नियोक्ता समूह, नागरिक समाज और आम लोग, सभी को महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभानी हैं।

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दुबई की अदालत ने निवेशक संजय शाह को डेनमार्क प्रत्यर्पित करने की याचिका खारिज की

 दुबई (छत्तीसगढ़ दर्पण)।  दुबई की एक अदालत ने कर योजना के तहत 17 लाख डॉलर की धोखाधड़ी करने के मुख्य आरोपी एवं ब्रिटिश नागरिक संजय शाह को डेनमार्क प्रत्यर्पित किये जाने संबंधी याचिका सोमवार को खारिज कर दी। अदालत के इस फैसले को डेनमार्क के अधिकारियों के लिए झटका माना जा रहा है जो देश के अब तक के सबसे बड़े आर्थिक धोखाधड़ी मामले में संजय शाह का प्रत्यर्पण कराना चाहते थे।

सोमवार को बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने यह फैसला सुनाया। हालांकि, फैसले का अभी विस्तृत विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है। अभियोजक अदालत के इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं। संजय के वकील अली-अल जरूनी ने कहा, बेशक, हम तत्काल उन्हें जमानत दिलाने की कोशिश करेंगे।

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SCO Summit: इसी हफ्ते शी जिनपिंग, शहबाज शरीफ और व्लादिमीर पुतिन से मिल सकते हैं PM मोदी

 

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के उज्बेकिस्तान के समरकंद में 15 और 16 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में अपने पाकिस्तानी समकक्ष शहबाज शरीफ, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की उम्मीद है।

पीएम मोदी जाएंगे समरकंद
भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, पीएम मोदी एससीओ काउंसिल ऑफ स्टेट्स ऑफ स्टेट्स की 22 वीं बैठक में भाग लेने के लिए समरकंद का दौरा करेंगे। पीएम मोदी उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के निमंत्रण पर समरकंद में होंगे। जहां चीन, पाकिस्तान और रूस के राष्ट्राध्यक्ष भी मौजूद होंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रेस रिलीज में कहा गया है कि, "उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के निमंत्रण पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राज्य प्रमुखों की परिषद की 22 वीं बैठक में भाग लेने के लिए 15-16 सितंबर 2022 को समरकंद, उज्बेकिस्तान का दौरा करेंगे'। एससीओ शिखर सम्मेलन में एससीओ सदस्य देशों के नेता, पर्यवेक्षक राज्यों, एससीओ के महासचिव, एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) के कार्यकारी निदेशक, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति और अन्य आमंत्रित अतिथि शामिल होंगे।

वैश्विक मुद्दों पर होगी चर्चा
शिखर सम्मेलन के दौरान, एससीओ संगठन के नेताओं के बीच पिछले दो दशकों में संगठन की गतिविधियों की समीक्षा करने और राज्य और बहुपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करने की उम्मीद है। बैठक में क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के सामयिक मुद्दों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी के शिखर सम्मेलन से इतर कुछ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी संभावना है। एससीओ काउंसिल ऑफ स्टेट्स ऑफ स्टेट्स की 21 वीं बैठक 17 सितंबर 2021 को दुशांबे में हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित की गई थी। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने बैठक की अध्यक्षता की थी। पीएम मोदी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और वीडियो लिंक के माध्यम से शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित किया था। दुशांबे में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया था।

शी जिनपिंग से मिलेंगे पीएम मोदी?
एससीओ की यह बैठक संभावनाओं से भरी हुई है, क्योंकि नरेन्द्र मोदी और शी जिनपिंग, दोनों नेताओं ने 7 जुलाई 2017 को हैम्बर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर एक त्वरित बैठक में मुलाकात की थी और दोनों नेताओं के बीच की गई वो बैठक डोकलाम तनाव के ठीक बात हुई थी। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आखिरी आमने-सामने की बैठक 13 नवंबर 2019 को ब्राजील की राजधामी ब्रीसीलिया में हुई थी, जब दोनों नेताएं ने ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लिया था, लेकिन उसके बाद अलग अलग प्लेटफॉर्म पर हुए वर्चुअल बैठक में तो दोनों नेता शामिल हुए हैं, लेकिन आमने-सामने की बैठक नहीं हो पाई है और इस दौरान दोनों देशों के बीच के संबंध में काफी गिरावट आई है और जब पीएलए ने 5 मई 2020 को पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर और फिर गालवान, खुगरंग में जमीनी स्थिति को बदलने की कोशिश की, तो 17 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में नाला, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में तनाव भड़क उठा, जो जून महीने में हिंसक झड़प में तब्दील हो गया था।
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श्रीलंका ने चीन से कर्ज लेकर बनाया था 350 मीटर ऊंचा टावर, देश डुबाने में इसका भी था बड़ा हाथ

 

कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन ने श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में सबसे ऊंचे टावर का निर्माण किया है। काफी दिनों से बंद पड़ा यहा टावर अगले गुरुवार से खोला जा सकता है।350 मीटर ऊंचे हरा-बैंगनी रंग का यह लोटस टावर चीनी पैसे से बना हुआ है जो कि बेदखल राजपक्षे परिवार की बीजिंग से निकटता का प्रतीक बन चुका है। लोटस संचार टावर के ऑपरेटर के मुताबिक यह गुरुवार तक खुल जाएगा।

स्टैचू ऑफ यूनिटी से दोगुनी ऊंची
इस टावर की विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी ऊंचाई भारत के सबसे ऊंचे स्टैचू ऑफ यूनिटी से लगभग दोगुनी है। इतनी ऊंचाई का टावर भारत में भी अब तक नहीं बन पाया है। इस टावर का निर्माण चीन के बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के तहत किया गया है। भारत शुरुआत से चीन के इस प्रोजेक्‍ट का विरोध करता रहा है। इस टावर का निर्माण दस साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में शुरू हुआ था। इसके बाद से ही यह भ्रष्टाचार के दावों से ग्रसित है।

टावर के रखरखाव की लागत चुकाना मुश्किल
इस टावर चीनी ऋण के साथ निर्मित उन कई 'सफेद हाथी' परियोजनाओं में से एक है। राज्य के स्वामित्व वाली कोलंबो लोटस टावर मैनेजमेंट कंपनी ने कहा कि उन्होंने गुरुवार से आगंतुकों के लिए अपना डेक खोलने और नुकसान को कम करने के लिए टिकटों की बिक्री शुरू करने का फैसला किया है। मुख्य कार्यकारी प्रसाद समरसिंघे ने कहा कि हम इसे बंद नहीं रख सकते। इस टावर के रखरखाव की लागत बहुत अधिक है।

टावर बनाने में 80 फीसदी हिस्सा चीन का
संचालक का कहना है कि संचार टावर के रूप में यह किसी काम का नहीं है ऐसे में हम इस टावर को मनोरंजन का केंद्र बनाना चाहते हैं। करीब 113 मिलियन डॉलर की लागत से तैयार हुए इस लोटस टावर के निर्माण में 80 फीसदी धनराशि चीन ने प्रदान की है। 30,600 वर्ग मीटर में बने इस टावर में एक होटल, टेलिकम्‍युनिकेशन म्‍यूजियम, ऑडिटोरियम, ऑब्‍जर्वेशन टावर, मॉल शामिल हैं। श्रीलंका के पूर्व राष्‍ट्रपति मैत्रिपाला सिरीसेना ने इस टावर के निर्माण से जुड़ी चीनी कंपनी पर 11 मिलियन डॉलर के घपले का आरोप लगा चुके हैं।

पूर्व राष्ट्रपति ने लगाया था भ्रष्ट्राचार का आरोप
राष्‍ट्रपति सिरीसेना ने आरोप लगाते हुए कहा कि 2012 में शुरू हुए इस प्रोजेक्‍ट के लिए चाइना एक्जिम बैंक से 16 मिलियन रुपए का कर्ज लिया गया था। राष्‍ट्रपति ने कहा कि त्रिपक्षीय समझौते के तहत चीनी कंपनी को 11 मिलियन डॉलर दिए गए थे। लेकिन यह कंपनी गायब हो गई। जब सरकार ने इस घपले की जांच की तो पता चला कि चीन में इस नाम की कोई कंपनी है ही नहीं।
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भारत ने UNHRC में उठाया तमिल मुद्दा, कहा- ठोस कदम नहीं उठा रहा श्रीलंका, ये हमारे लिए चिंता की बात

 

जेनेवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में तमिल का मुद्दा उठाया। भारत ने कहा कि श्रीलंका में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। भारत ने तमिल मुद्दे पर एक राजनीतिक समाधान तक पहुंचने की अपनी प्रतिबद्धता पर श्रीलंकाई सरकार द्वारा किसी भी औसत दर्जे की प्रगति की कमी पर चिंता व्यक्त की। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 51वें सत्र में ओएचसीएचआर की रिपोर्ट श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के विषय पर आयोजित एक संवाद में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि श्रीलंका खुद अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हट रहा है और अभी तक उसने तमिल मुद्दे के समाधान को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

श्रीलंका में मानवाधिकार में हो सुधार
भारत ने कहा कि पड़ोसी द्वीप राष्ट्र श्रीलंका में शांति और सुलह पर उसका लगातार दृष्टिकोण एक संयुक्त श्रीलंका के ढांचे के भीतर एक राजनीतिक समाधान के लिए रहा है, लेकिन वहां रहने वाले तमिल लोगों के लिए न्याय, शांति, समानता और सम्मान सुनिश्चित करना भी उसका मानवाधिकार है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि श्रीलंका को मानवाधिकारों में सुधार करना चाहिए और मानवीय चुनौतियों से निपटने के लिए संस्थानों को मजबूत करना चाहिए। बता दें कि श्रीलंका इस समय सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। भारत ने कहा कि यह श्रीलंका के सर्वोत्तम हित में है कि वह अपने नागरिकों के हित में कार्य करे और उनके सशक्तिकरण की दिशा में काम करे।

श्रीलंका का समर्थन करने की अपील की
UNHRC के एक शीर्ष अधिकारी नादा अल-नशिफ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को श्रीलंका का समर्थन करना चाहिए क्योंकि देश में लोग भोजन, ईंधन, बिजली और दवा की कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली श्रीलंका की नई सरकार से जुलाई में पूर्व राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे को बाहर करने में मदद करने वाले विरोधी नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए सुरक्षा कानूनों के उपयोग को समाप्त करने का भी आग्रह किया।
 
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महारानी एलिज़ाबेथ का अंतिम संस्कार 19 को, दुनियाभर के दिग्गज नेता व हस्तियां होंगीं शामिल

 लंदन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर एबे में 19 सितंबर को दिन में 11 बजे महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार होगा। इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत विश्व के बहुत से नेता दिवंगत महारानी को अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद रहेंगे। इससे पहले रविवार को महारानी का पार्थिव शरीर स्काटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग स्थित पैलेस आफ होलीरुड हाउस ले जाया जाएगा। स्काटलैंड में यह ब्रिटेन के शासक का आधिकारिक आवास है। यहां से 15 सितंबर को ताबूत लंदन ले जाया जाएगा, जहां महारानी का अंतिम संस्कार होगा।

लंदन में महारानी का पार्थिव शरीर चार दिन तक वेस्टमिंस्टर हाल में रखा जाएगा, जहां पर सामान्य जन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। 19 सितंबर को प्रात: ताबूत को वेस्टमिंस्टर एबे ले जाया जाएगा जहां पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू होगी। यहां पर विश्व भर से आए नेता और गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। प्रार्थना और श्रद्धांजलि के बाद दिवंगत महारानी का ताबूत तोपगाड़ी पर रखा जाएगा। उसके बाद शवयात्रा शुरू होगी। यह यात्रा विंडसर कैसल में सेंट जार्ज चैपल जाकर पूरी होगी। वहीं पर स्वर्गीय पति प्रिंस फिलिप के बगल में दिवंगत महारानी को दफनाया जाएगा।

दिवंगत महारानी के अंतिम संस्कार की तारीख की सूचना देकर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विश्व भर के नेताओं से अनुरोध किया गया है। किंग चा‌र्ल्स तृतीय ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार के दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया है। ब्रिटेन के लोगों के लिए इस वर्ष यह दूसरा अतिरिक्त अवकाश होगा। इससे पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की सत्ता के 70 साल पूरे होने पर जून में लोगों को अतिरिक्त अवकाश दिया गया था। जिस वेस्टमिस्टर एबे में महारानी का अंतिम संस्कार होगा, उसी के गिरजाघर में 1947 में प्रिंसेस रहीं एलिजाबेथ की प्रिंस फिलिप के साथ शादी हुई थी। उस समय नव विवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए लाखों लोग आए थे।

पीएम ट्रस और मंत्रियों ने ली किंग के वफादार रहने की शपथ
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने शनिवार को किंग चा‌र्ल्स तृतीय के प्रति वफादार रहने की शपथ ली। हाउस आफ कामंस में सबसे पहले स्पीकर लिडसे होयले ने किंग चा‌र्ल्स और उनके उत्तराधिकारियों के प्रति वफादार रहने की शपथ ली। उनके बाद प्रधानमंत्री, मंत्रियों और वरिष्ठ सांसदों ने यह शपथ ली। राज सिंहासन के प्रति वफादार रहने की शपथ कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में सभी 650 सांसद वफादारी की शपथ लेने की कोशिश करेंगे। इससे पहले इस तरह की शपथ महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के प्रति वफादारी के लिए ली गई थी।

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भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने शक्तिशाली प्रयास किया है : जयशंकर

 रियाद/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि यूक्रेन संकट से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत कम से कम सात प्रतिशत वृद्धि दर के साथ इस साल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट की वजह से दुनियाभर में तेल की कीमतें बढ़ी हैं और परिणामस्वरूप मुद्रा स्फीति बढ़ी है लेकिन इन सबके बावजूद भारतीय आर्थिकी तेजी से बढ़ रही है। जयशंकर रियाद में प्रवासी भारतीयों को संबोधित कर रहे थे। वह शनिवार को यहां दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे। भारत के विदेश मंत्री के रूप में उनकी यह सऊदी अरब की पहली यात्रा है।

जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने और उच्च आय वाला देश बनाने की दिशा में शक्तिशाली प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत उन तरीकों के बारे में सोचता है जिससे वह अपनी क्रेडिट, बैंकिंग, शिक्षा और श्रम नीति को बदल सकता है। उन्होंने कहा कि कई बड़े सुधार हुए हैं और हम उसके परिणाम दो बहुत ही दिलचस्प वाकयों से देख सकते हैं। 31 मार्च, 2021 को समाप्त हुए बीते वित्त वर्ष में हमने अब तक का सबसे अधिक निर्यात किया है। हमारा कुल निर्यात 670 अरब अमेरिकी डालर का रहा। इसमें से 400 अरब अमेरिकी डालर के माल का व्यापार किया गया। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि एक व्यापारिक शक्ति के रूप में भारत का आइडिया आज विश्वसनीय हो गया है।

यात्रा के दौरान विदेश मंत्री अपने सऊदी समकक्ष प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद के साथ भारत-सऊदी अरब सामरिक भागीदारी परिषद के ढांचे के तहत स्थापित राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग समिति की बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे।

वंदे भारत मिशन के तहत सात करोड़ लोग वापस लाए गए
विदेश मंत्री ने वंदे भारत मिशन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके तहत दुनियाभर से सात करोड़ लोगों को वापस भारत लाया गया। कोविड महामारी के दौरान अन्य किसी देश ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान यात्रा प्रतिबंधों के बीच विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन सबसे बड़ा निकासी अभ्यास रहा। भारत क्या है, इसे दुनिया ने देखा। इससे पहले खाड़ी युद्ध के दौरान इराक और कुवैत में फंसे करीब पौने दो लाख लोगों को सुरक्षित भारत वापस लाया गया था।

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भूकंप के झटकों से हिली धरती, 7.7 रही तीव्रता, सुनामी की चेतावनी जारी...

 पोर्ट मोर्सबी/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पापुआ न्यू गिनी में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7.7 मापी गई है। भूकंप आने के बाद आसपास के इलाकों में हड़कंप मच गया है। लोग आनन-फानन में घर के बाहर निकल गए। वहीं अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से सुनामी की चेतावनी भी जारी की गई है। जिस तरह से भूकंप की तीव्रता थी उससे भारी नुकसान की आशंका भी जताई जा रही है। बता दें, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया के पास प्रशांत महासागर क्षेत्र का एक देश है जो कि भूकंप के मद्देनजर बेहद संवेदनशील है। भूकंप का केंद्र राजधानी पोर्ट मार्सबे से करीब 60 किलोमीटर दूर लाई में था।

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महारानी एक चट्टान की तरह थीं जिस पर आधुनिक ब्रिटेन की नींव रखी : ट्रस

 लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन की नव निर्वाचित प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी तुलना ऐसी चट्टान से की जिस पर आधुनिक ब्रिटेन की नींव रखी हुई है। उन्होंने बकिंघम पैलेस द्वारा महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के स्कॉटलैंड में निधन की घोषणा किए जाने के तुरंत बाद एक बयान जारी किया। ट्रस को 96 वर्षीय महारानी ने कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया था।

ट्रस ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी के निधन के बाद लंदन में बृहस्पतिवार को 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर आयीं। उन्होंने महारानी को राष्ट्रमंडल का एक चैम्पियन तथा 70 साल के उनके शासन के दौरान स्थिरता एवं ताकत का स्रोत बताया। ट्रस ने कहा, वह महान ब्रिटेन की बड़ी ताकत थीं और यह ताकत हमेशा बनी रहेगी। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय एक चट्टान की तरह थीं जिस पर आधुनिक ब्रिटेन की नींव रखी हुई है। उनके शासन में हमारा देश समृद्ध हुआ और फला-फूला।

 
 
 

उन्होंने कहा, वह हमारी सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी रहीं। 70 वर्ष तक इतनी प्रतिष्ठा और गरिमा के साथ देश की अगुवाई करना एक असाधारण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि सेवा को समर्पित उनका व्यक्तित्व इतना विशाल है जो हमने अपने होश संभालने के बाद तो नहीं देखा। इसके बदले में ब्रिटेन तथा दुनियाभर के लोगों ने उन्हें भरपूर प्यार दिया तथा उनकी सराहना की।

 
 
 

महारानी को निजी प्रेरणा बताते हुए ट्रस ने कर्तव्य के प्रति उनके समर्पण को सभी के लिए एक मिसाल बताया और प्रधानमंत्री के तौर उनसे अपनी पहली तथा आखिरी मुलाकात को याद किया। विपक्ष के नेता सर कीर स्टार्मर ने भी महारानी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने हम सभी के साथ खास, निजी संबंध बनाए। ऐसे संबंध जो उनके देश की सेवा तथा समर्पण पर आधारित हैं।

इस बीच, प्रतिष्ठित प्रवासी भारतीय उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल ने महारानी के 70 वर्षों के शासन के दौरान उनकी शानदार उपलब्धियों की प्रशंसा की।महारानी के निधन पर हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए लॉर्ड पॉल ने कहा, वह हमारी सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी रहीं। सात दशकों तक इतनी प्रतिष्ठा और गरिमा के साथ ब्रिटेन जैसे देश की अगुवाई करना एक असाधारण उपलब्धि है।

 

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बाढ़ प्रभावित पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंचे संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस

 इस्लामाबाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनिया गुतारेस ने शुक्रवार को दुनिया से पाकिस्तान की मदद करने की अपील की। दक्षिण एशियाई मुल्क विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई है और सवा तीन करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। पाकिस्तान में सैलाब की भीषण स्थिति के बीच महासचिव गुतारेस एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को दो दिवसीय दौरे पर पाकिस्तान पहुंचे।

अपनी यात्रा से दो हफ्ते से भी कम वक्त पहले उन्होंने पाकिस्तान में अप्रत्याशित बारिश और बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए 16 करोड़ डॉलर के आपात कोष की अपील की थी। इस सैलाब में जून से करीब 1350 लोगों की मौत हो चुकी है तथा पाकिस्तान का करीब एक तिहाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ है।

गुतारेस ने देश पहुंचने के बाद ट्वीट किया, मैं यहां विनाशकारी बाढ़ के बाद पाकिस्तानी लोगों के साथ अपनी गहरी एकजुटता व्यक्त करने के लिए पाकिस्तान पहुंचा हूं। उन्होंने कहा,  मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बड़े पैमाने पर मदद की अपील करता हूं। गुतारेस की अगवानी उप विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने की और वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ से भी मुलाकात करेंगी।

विदेश कार्यालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार के मुताबिक, वह राष्ट्रीय बाढ़ प्रतिक्रिया और समन्वय केंद्र (एनएफआरसीसी) का भी दौरा करेंगे और प्रधानमंत्री शरीफ के संग संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे और विदेश मंत्री के साथ वार्ता भी करेंगे। उनके बाढ़ प्रतिक्रिया से संबंधित अन्य कार्यक्रम भी हैं।

गुतारेस बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित बलूचिस्तान और सिंध के इलाकों का दौरा करेंगे जहां वह प्रभावित लोगों से बातचीत भी करेंगे। पाकिस्तान का बड़ा इलाका पानी में डूब गया है और हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं। सरकार का कहना है कि सैलाब से 3.3 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों का अनुमान है कि बाढ़ के कारण 10 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ है।

इफ्तिखार ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार मुल्क के सामने पुनर्निर्माण और पुनर्वास की बड़ी चुनौती के बारे में दुनिया को अवगत कराने के लिए गुतारेस की इस यात्रा का इस्तेमाल करना चाहती है।

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