दुनिया-जगत

रूस के लिए जासूसी कर रहा था अमेरिकी डॉक्टर, पत्नी भी कर रही थी मदद, FBI की जाल में ऐसे फंसे

 

वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)।अमेरिका सेना के एक डॉक्टर और उसकी पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनपर रूस के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक सेना के इस डॉक्टर का नाम जेमी ली हेनरी उनकी पत्नी का नाम एना गैब्रिएलियन है। अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने इन दोनों पर एक सैन्य अस्पताल में मरीजों के बारे में गोपनीय जानकारी साझा करने की योजना बनाने का आरोप है।

स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लीक करने का आरोप
रिपोर्ट के मुताबिक, 39 वर्षीय जेमी हेनरी और 36 वर्षीय गैब्रिएलियन ने कथित तौर पर एक अंडरकवर FBI एजेंट को बताया कि वे रूस के लिए देशभक्ति से प्रेरित थे। मैरीलैंड के बाल्टीमोर की एक अदालत में दायर एक अभियोग में इन दोनों पर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लीक करने की साजिश का आरोप लगा है। रिपोर्ट के मुताबिक ये सारी जानकारी रूसी दूतावास के एक कर्मचारी को दे रहे थे। मेजर जेमी हेनरी पर लगे आरोपों के बाद फिलहाल उन्हें पद से कार्यमुक्त कर दिया गया है।

सेना के एक बड़े अस्पताल में हेनरी ने किया है काम
हेनरी ने एक बड़े सैन्य फोर्ट ब्रैग अस्पताल में काम किया है जबकि उनकी पत्नी गेब्रियलियन पर बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिन्स अस्पताल की जानकारी लीक करने का आरोप है, जहां वह काम करती हैं। गेब्रियलियन पर एजेंट को यह बताने का भी आरोप है कि उन्होंने अमेरिका द्वारा यूक्रेनी सेना को दिए गए पिछले प्रशिक्षण के बारे में जानकारी साझा की है। 2015 में हेनरी ने खुद का ट्रांसजेंडर घोषित किया था। ऐसा करने वाले वह पहले एक्टिव-ड्यूटी आर्मी अधिकारी थे।

गेब्रियलियन को रूसी भाषा पर है कमांड
जॉन्स हॉपकिन्स के वेबपेज के अनुसार, हेनरी की पत्नी गेब्रियलियन अंग्रेजी और रूसी दोनों बोलती हैं। दोनों आरोपी गुरुवार को बाल्टीमोर में संघीय अदालत में पेश हुए। अदालत ने पत्नी गेब्रियलियन को इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के साथ घर में नजरबंदी में 5 लाख डॉलर के एक असुरक्षित बांड पर रिहा करने का आदेश दिया, जबकि हेनरी को घरेलू नजरबंदी और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में बंधन के बिना रिहा कर दिया गया।

FBI के जाल में ऐसे फंसे दंपति
रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त महीने में एक एफबीआई एजेंट ने अपनी पहचान एक रूसी दूतावास के कर्मचारी के रूप में बदल कर गैब्रिएलियन से संपर्क किया और उससे कई महीने पहले फोन और ईमेल के माध्यम से दूतावास को दी गई सहायता के बारे में पूछा। इस दौरान वह एजेंस से बाल्टीमोर होटल में भी मिली और वहां उसने स्वीकार किया कि वह रूस के प्रति देशभक्ति से प्रेरित है। अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए वह कुछ भी करेगी। भले ही उसे इसके लिए नौकरी से निकाला जाना पड़े या जेल जाना पड़े।

5 साल की हो सकती है सजा
गेब्रियलियन ने कथित तौर पर एजेंट को बताया कि हेनरी फिलहाल रूस के लिए एक अधिक महत्वपूर्ण स्रोत है, क्योंकि हेनरी के पास अधिक उपयोगी जानकारी हैं क्योंकि वह यू.एस. सैन्यकर्मी रहा है। ग्रेबियलिन ने कथित तौर पर एजेंट को बताया कि वे रूस की मदद स्वेच्छा से कर रहे हैं, क्योंकि वे ऐसा करना चाहते हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार अगर दोनों इस मामले में दोषी पाए जाते हैं, उन्हें अधिकतम पांच साल जेल की सजा मिल सकती है।

 
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काबुल में कोचिंग सेंटर में आत्मघाती हमला, छात्रों समेत 19 की मौत

काबुल (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एक कोचिंग सेंटर में आज सुबह आत्मघाती हमला हुआ जिसमें छात्रों समेत 19 लोग मारे गए। काबुल पुलिस के प्रवक्ता खालिद जदरान के अनुसार, हमले में लगभग 27 लोग घायल भी हुए है। जिस समय हमला हुआ, उस समय छात्र कोचिंग में अपनी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। घटना की तस्वीरों और वीडियो में लहूलुहान पीड़ितों को घटनास्थल से ले जाते हुए देखा जा सकता है। 

ये आत्मघाती हमला पश्चिमी काबुल के दश्त-ए-बर्ची इलाके में हुआ। यह शिया बहुल इलाका है और बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक हजारा समुदाय के लोग यहां रहते हैं। हजारा समुदाय को पहले भी निशाना बनाया जा चुका है, ऐसे में आशंका है कि ये आत्मघाती हमला भी उन्हें निशाना बनाने के लिए किया गया हो। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल नफी टकोर ने कहा कि हमले की प्रकृति के बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है। 

 

 

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यूक्रेन के 4 इलाकों पर कल से हो जाएगा पुतिन का कब्जा, US ने अपने लोगों को रूस छोड़ने को कहा

 
मास्को (छत्तीसगढ़ दर्पण)। यूक्रेन के चार रूस-नियंत्रित क्षेत्रों को रूस में जोड़ने की तैयारी की जाने लगी है। रूस 30 सितंबर यानी कि शुक्रवार को यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर औपचारिक रूप से कब्जा कर लेगा। इन चार क्षेत्रों के प्रमुख शुक्रवार को क्रेमलिन के सेंट जॉर्ज हॉल में रूस में शामिल होने के लिए संधियों पर हस्ताक्षर करेंगे। यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इस जनमत संग्रह का विरोध किया है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी होंगे शामिल
दिमित्री पेसकोव के मुताबिक रूसी संघ में समझौतों पर हस्ताक्षर करने का समारोह शुक्रवार को दोपहर 3 बजे (मास्को के समयानुसार) आयोजित किया जाएगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी क्रेमलिन में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। क्रेमलिन के हवाले से रूसी मीडिया के मुताबिक पुतिन एक ऐतिहासिक भाषण के बाद आधिकारिक रूप से यूक्रेनी क्षेत्रों पर कब्जा कर लेंगे।

चारों क्षेत्रों में प्रशासकों की नियुक्ति भी कर सकते हैं पुतिन
पेसकोव ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के कब्जा वाले क्षेत्रों में प्रशासकों की नियुक्ति भी कर सकते हैं। क्रेमलिन ने इससे पहले दावा किया था कि यूक्रेन के कब्जा वाले क्षेत्रों दोनेत्सक, लुहान्स्क, जापोरिज़्ज़िया और खेरसॉन में जनमत संग्रह में लगभग 99 फीसदी लोगों ने रूस के समर्थन में समर्थन दिया है।

पश्चिमी देशों को दी चेतावनी
हालांकि इससे उलट यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने यूक्रेनी इलाकों में जनमत संग्रह की निंदा की थी। इसके साथ ही रूस ने यूरोपीय देशों को दो टूक शब्दों में कहा कि एक बार इन इलाकों के रूस में शामिल हो जाने के इन क्षेत्रों में हमला होता है तो इसे सीधे रूस पर हमला माना जाएगा। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते यूक्रेन के डोनेट्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरिज़्ज़िया और खेरसॉन क्षेत्रों में तथाकथित जनमत संग्रह की घोषणा करते हुए, व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि अगर रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होता है तो वे परमाणु हथियारों से इसका जवाब देंगे।

अमेरिकी नागरिकों को रूस छोड़ने का अलर्ट जारी
इस बीच रूस और यूक्रेन के बीच 7 महीने से अधिक युद्ध को चलता देख और निकट भविष्य में इसके खत्म न होने के आसार देख अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए सिक्योरिटी अलर्ट भी जारी किया है। अमेरिका ने अपने नागरिकों को तुरंत रूस छोड़ने के लिए कहा है। मास्को स्थित अमेरिकी दूतावास ने बुधवार जारी अलर्ट में कहा है कि जो भी अमेरिकी नागरिक इस वक्त रूस में हैं, वे तत्काल वहां से निकल जाएं और जो भी लोग रूस जाने की योजना बना रहे हैं, वे फिलहाल वहां की यात्रा करने से बचें।
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युवराज मोहम्मद बिन सलमान को सऊदी अरब का नया प्रधानमंत्री बनाया गया

 सऊदी अरब (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सऊदी अरब में शाह सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ ने अपने सुपुत्र और उत्‍तराधिकारी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को प्रधानमंत्री नामित किया है।

एक शाही फरमान के अनुसार शाह सलमान ने अपने दूसरे पुत्र प्रिंस खालिद को उप-रक्षामंत्री से रक्षा मंत्री बनाया है। 86 वर्षीय शाह मंत्रिमण्‍डल की बैठकों की अध्यक्षता करते रहेंगे। सलमान बिन अब्‍दुल अजीज इन दिनों अस्‍वस्‍थ चल रहे हैं और उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इससे पहले रक्षा मंत्री थे।

 

 

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वैश्विक मंदी की तरफ बढ़ रही है दुनिया ? WTO चीफ ने गिनाए ये 5 कारण

 

जिनेवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बाद विश्व व्यापार संगठन ने भी वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका जाहिर कर दी है। विश्व व्यापार संगठन की ओर से खुद इसकी चीफ नगोजी ओकोन्जो-आइवियेला ने कहा है कि उन्हें लगता है कि वैश्विक मंदी आ रही है। इसके लिए उन्होंने कम से कम पांच कारण बताएं हैं, जिसके चलते दुनिया का आर्थिक विकास ठहर सकता है। दरअसल, दुनिया के अमीर से अमीर देश इस समय अप्रत्याशित महंगाई और खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि डब्ल्यूटीओ की मुखिया की नजर में वे कौन से पांच कारण हैं, जिसकी वजह से दुनिया पर आर्थिक मंदी का खतरा छा रहा है।

वैश्विक मंदी की तरफ बढ़ रही है दुनिया- ओकोन्जो-आइवियेला
दुनिया पर छाए तमाम संकटों के बीच विश्व व्यापार संगठन की मुखिया ने वैश्विक आर्थिक मंदी को लेकर बहुत बड़ी भविष्यवाणी की है। डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-आइवियेला ने जिनेवा में आयोजित इसके वार्षिक सार्वजनिक मंच के उद्घाटन के मौके पर मंगलवार को कहा कि उन्हें लगता है कि दुनिया वैश्विक मंदी की ओर बढ़ रही है। उन्होंने इसके लिए कई तरह के संकटों के एकसाथ उभरने को कारण बताते हुए विकास को रफ्तार देने के लिए नीतियों पर फिर से काम किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

इंडिकेटर अच्छे नहीं दिख रहे हैं- डब्ल्यूटीओ चीफ
अपनी आशंकाओं के समर्थन में उन्होंने वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड का हवाला दिया है और कहा है कि दोनों वैश्विक संस्थानों ने वैश्विक विकास के अनुमानों को नीचा किया है, क्योंकि विश्व व्यापार को लेकर भी संकेतक अच्छे नहीं दिखाई पड़ रहे थे। नाइजीरिया की पूर्व वित्त और विदेश मंत्री का कहना है केंद्रीय बैंक दबाव में दिखाई पड़ रहे थे और उसको ठीक करने के विकल्प ना के बराबर नजर आ रहे थे। मंगलवार को ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में डब्ल्यूटीओ चीफ ने कहा है कि, 'इंडिकेटर अच्छे नहीं दिख रहे हैं।' विश्व व्यापार संगठन की चीफ ने कहा, 'मुझे लगता है कि वैश्विक मंदी- मुझे लगता है कि हम लोग इसी की ओर बढ़ रहे हैं।'

केंद्रीय बैंकों से कदम उठाने का किया आह्वान
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय बैंकों को पहले यह निर्धारित करने की आवश्यकता है कि महंगाई के क्या कारण रहे हैं, क्या बहुत ज्यादा मांग बढ़ने के कारण यह परिस्थिति पैदा हुई है या फिर सप्लाई में कमी की वजह से कीमतें बढ़नी शुरू हुईं। उन्होंने अपने बारे में कहा कि उन्होंने सबसे बड़ी प्राथमिकता खाद्य सुरक्षा को दी थी और उसके बाद उनका फोकस ऊर्जा पर रहा है।

डब्ल्यूटीओ चीफ ने गिनाए ये 5 कारण
विश्व व्यापार संगठन की महानिदेशक ने दुनिया पर छायी आर्थिक मंदी की आशंकाओं के कारण के रूप में मुख्य तौर पर 5 संकटों की ओर ध्यान खींचने की कोशिश की है। ये हैं- रूस-यूक्रेन संघर्ष, जलवायु संकट, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें, ऊर्जा संकट और कोविड-19 महामारी की वजह से पैदा हुई बाद की समस्याएं। आइवियेला के मुताबिक ये कारण ही दुनिया पर आर्थिक संकट आने का खतरा पैदा कर रहे हैं।

विश्व की तीन बड़ी संस्थाओं ने जताई है आशंका
विश्व की इस बड़ी संस्था की प्रमुख की ओर से वैश्विक आर्थिक मंदी की ओर इशारा निश्चित तौर पर बहुत बड़ी चिंता का कारण है। खासकर तब जब इस महीने की शुरुआत में विश्व बैंक भी आशंका जता चुका है कि अलगे साल के आरंभ से ही वैश्विक मंदी का प्रभाव दिखने लग सकता है। उससे पहले आईएमएफ ने वैश्विक आर्थिक विकास की गति के अनुमानों को घटा दिया था।
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कृषि मंत्री तोमर ने कनाडा व ऑस्ट्रेलिया के मंत्रियों को भारत आने का दिया निमंत्रण

 बाली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपने मंत्रालय के शिष्टमंडल के साथ जी-20 शिखर सम्मलेन-2022 में शामिल होने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर बाली (इंडोनेशिया) पहुंचे। श्री तोमर, बाली में कनाडा की कृषि एवं खाद्य मंत्री मैरी क्लाउड बिब्यू तथा ऑस्ट्रेलिया के सहायक व्यापार मंत्री टीम आयर्स के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकों में शामिल हुए।

द्विपक्षीय बैठकों में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने दोनों मंत्रियों को अगले वर्ष भारत में होने वाली जी- 20 एग्री समिट में आने का निमंत्रण दिया। साथ ही, भारत की अगुवाई में वर्ष 2023 में मनाए जाने वाले, अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष में सहयोग के लिए अनुरोध किया। कनाडा व ऑस्ट्रेलिया के मंत्रियों ने इस संबंध में आश्वस्त किया।

 

 

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चीन में सत्ता पलट की अफवाहों पर लगा विराम, 10 दिन बाद दिखे राष्ट्रपति शी जिनपिंग

 

बीजिंग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मंगलवार को SCO समिट से लौटने के बाद पहली बार सार्वजनिक तौर पर नजर आए हैं। इससे पहले बीते सप्ताह तमाम रिपोर्ट्स आईं थीं, जिसमें अटकलें लगाई जा रहीं थी, कि शी जिनपिंग की सत्ता का तख्तापलट कर दिया गया है। इस दौरान चीन में हजारों विमानों के रद्द होने को सबूत के तौर पर पेश किया गया था। लेकिन अब चीनी राष्ट्रपति के एक बार फिर से देखे जाने के बाद तमाम अफवाहों पर विराम लग गया है।

16 सितंबर के बाद पहली बार दिखे जिनपिंग
16 सितंबर को उज्बेकिस्तान से लौटने के बाद पहली बार शी जिनपिंग सार्वजनिक तौर पर देखे गए हैं। सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को कम्युनिस्ट पार्टी की एक प्रदर्शनी का दौरा किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शनी में बोलते हुए, उन्होंने समाजवाद की एक नई जीत की दिशा में दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने के लिए ठोस प्रयास करने का आह्वान किया। पर्यवेक्षकों का कहना है कि शी को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा जा रहा था। ऐसे में संभव है कि विदेश से लौटने के बाद वे जीरो COVID नीति के तहत अनिवार्य क्वारंटाइन का पालन कर रहे थे।

फैली थीं तख्तापलट की अफवाहें
बता दें कि शी जिनपिंग की अनुपस्थिति में ऐसी अफवाहें फैला दी गई थीं कि चीन की सरकार का तख्तापलट हो गया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने दावा किया कि बीजिंग पर सैन्य कब्जा हो गया है और शी जिनपिंग का तख्तापलट हो गया है। एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें पीएलए की गाड़ियां गुजरती दिख रही थीं। उस वीडियो को लेकर कहा गया था कि चीन की सेना बीजिंग की ओर बढ़ रही है। हालांकि 10 दिन बाद शी जिनपिंग के एक प्रदर्शनी में देखे जाने के बाद शी जिनपिंग की तख्तापलट की खबरें कोरी अफवाह साबित हुईं।

तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाएंगे शी जिनपिंग
अगले महीने कम्युनिस्ट पार्टी की मीटिंग होने वाली है, जिसमें शी जिनपिंग को लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति चुना जाएगा। इसके अलावा वह पीएलए के अध्यक्ष भी बने रहेंगे। 20वीं पार्टी कांग्रेस के लिए कुल 2,296 प्रतिनिधियों को नियुक्त कर दिया है, जिसमें 200 से ज्यादा पूर्ण सदस्य और लगभग 170 वैकल्पिक सदस्य शामिल हैं। वे शी जिनपिंग के तीसरे पांच साल के कार्यकाल पर मुहर लगा देंगे, जो माओत्से तुंग के शासनकाल के बाद से सबसे ज्यादा वक्त तक राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड बनाएंगे। शी जिनपिंग से पहले माओत्से तुंग ही सबसे ज्यादा वक्त तक देश के राष्ट्रपति थे। इसके साथ ही ये भी तय हो गया है, कि शी जिनपिंग शायद जीवनभर चीन के राष्ट्रपति रहेंगे।

सत्ता की सारी शक्तियां हैं जिनपिंग के पास
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगले महीने होने वाली कांग्रेस की बैठक का मुख्य उद्देश्य शी जिनपिंग की प्रशंसा करना और उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित करना है। का्ंग्रेस में जिन नेताओं को शामिल किया गया है, उनमें ज्यादातर शी जिनपिंग गुट के हैं। माओ शासन की गलतियों की पुनरावृति रोकने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ने "ग्रेट हेल्समैन" नीति का निर्माण किया, ताकि सत्ता की बागडोर सामूहिक नेतृत्व के हाथ में हो, लेकिन शी जिनपिंग ने सत्ता की सारी ताकतों को अपने हाथों में लेने का फैसला किया और वित्त विभाग, विदेश नीति और विचारधारा की नीति पर अपने सबसे करीबी लोगों को तैनात किया।
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जियोर्जिया मेलोनी इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनेंगी

 इटली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। इटली के राष्ट्रीय चुनावों में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार दक्षिणपंथी नेतृत्व वाली सरकार बनने जा रही है वहां ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी ने जीत हासिल की है। अंतिम परिणामों के अनुसार ब्रदर्स पार्टी के जियोर्जिया मेलोनी, इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनेंगी।

अंतिम परिणामों के अनुसार केंद्र और दक्षिणपंथी गठबंधन ने संसदीय वोट का कुल 44 प्रतिशत हासिल किया, इसमें मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ़ इटली पार्टी ने कुल 26 प्रतिशत वोट लिये। मातेओ साल्विनी की पार्टी को लगभग नौ प्रतिशत और पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी की अधिक उदारवादी फोर्ज़ा इटालिया पार्टी को लगभग आठ प्रतिशत वोट मिले।

 

 

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अरब देशों में भी फैली ईरान से निकली हिजाब के खिलाफ क्रांति, क्या मुस्लिम देश देंगे औरतों को हक?

 

तेहरान (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ईरान में 22 साल की लड़की महसा अमीनी की मौत के बाद पूरे ईरान में 10 दिनों के बाद भी बवाल मचा हुआ है और अभी तक हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 70 से ज्यादा लोग ईरानी पुलिस की गोलीबारी में मारे गये हैं। 22 साल की लड़की महसा अमीनी को ईरान की धार्मिक पुलिस ने गिरफ्तार किया था और फिर पुलिस हिरासत में महसा अमीनी की संदिग्ध मौत हो गई थी, जिसके बाद से ही ईरान की औरतें सड़कों पर उतरने लगीं थीं और फिर देखते ही देखते महिलाओं का प्रदर्शन काफी ज्यादा उग्र हो गया। महसा अमीनी को हिजाब पहनने के बाद भी बाल दिखने की वजह से गिरफ्तार किया गया था और आरोप है, कि उसके सिर को बुरी तरह से पीटा गया था। लेकिन, महसा की मौत के बाद जो ईरान में तूफान उठा है, वो शांत होने का नाम नहीं ले रहा है और उसकी चिंगारी अब अरब देशों में फैलने लगी है।

अरब देशों में फैल रही है आग
ईरान में तो महिलाओं की क्रांति की आग फैली ही हुई है और महिलाएं अब बिना हिजाब के सड़कों पर आ रही हैं कानून का विरोध कर रही है। हजारों महिलाएं अभी तक अपनी हिजाब को जला चुकी हैं और ईरानी सरकार ने प्रदर्शन को कुचलने के लिए इंटरनेट को ब्लॉक कर दिया है। लेकिन, अरब दुनिया में भी अब ईरान की क्रांति की चिंगारी फैलने लगी है और इराक समेत कई देशों की महिलाओं ने हिजाब के खिलाफ अपनी आवाज देनी शुरू कर दी है। इराक समेत कई देशों की महिलाएं ईरानी महिलाओं के समर्थन में सोशल मीडिया पर लिख रही हैं और अपने अपने देसों की कठोर इस्लामिक शासन की तरफ ध्यान आकर्षित कर रही हैं। हजारों की संख्या में अरब देश की मुस्लिम महिलाओं ने धीरे धीरे अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी है और उन्होंने हिजाब के खिलाफ लिखना शुरू कर दिया है। ईरान के अलावा भी करीब करीब सभी मुस्लिम देशों में हिबाज पहनना अनिवार्य है और कई देशों में तो शरिया कानून की सख्ततम व्याख्या की गई है, जिसने औरतों की जिंदगी को बेहाल कर रखा है।

इराक में महिलाएं उठा रहीं हैं आवाज
हालांकि, इराक में संवैधानिक तौर पर हिजाब पहनने के लिए किसी महिला को जबरन बाध्य करना असंवैधानिक है, लेकिन संविधान में हिजाब पर विरोधाभासी बातें लिखी हुई हैं, लिहाजा कट्टरपंथी उसका फायदा उठाकर महिलाओं को हिजाब पहनने के लिए बाध्य करती हैं। असल में इराकी संविधान में इस्लाम के कानून को संविधान का प्राथमिक स्रोत कहा गया और इसी का फायदा उठाकर कट्टरपंथी महिलाओं को हिजाब पहनने के लिए बाध्य करते हैं। 1990 के दशक से, जब सद्दाम हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के जवाब में अपना विश्वास अभियान शुरू किया, तो महिलाओं पर हिजाब पहनने का दबाव व्यापक हो गया। देश पर अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन के आक्रमण के बाद, इस्लामी पार्टियों के शासन में महिलाओं की स्थिति और खराब हो गई, जिनमें से कई के ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध हैं।

इराक पर ईरान का काफी प्रभाव
साल 2004 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ड डब्ल्यू बुश ने दावा किया था, कि इराकी महिलाएं 'अब स्वतंत्रता का स्वाद चख रही हैं', लेकिन असलियत उनके दावे से ठीक उलट था। इराकी महिलाएं महिलाएं इस्लामवाद, सैन्यीकरण और आदिवासीवाद द्वारा कायम पितृसत्ता के तले दबी जा रहीं थीं और इराक पर ईरान का प्रभाव भी लगातार बढञता जा रहा था। फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला ने कहा कि, साल 2003 में बगदाद में बिना हिजाब के घर से बाहर जाना मेरे लिए हर दिन का एक संघर्ष बन गया। इराक में ज्यादातर जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा के बीच रूढ़िवादियों का वर्चस्व बढ़ता चला गया और फिर बिना हिजाब पहनने महिलाओं का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया। महिला ने कहा कि, "मध्य बगदाद में मेरे विश्वविद्यालय के चारों ओर हिजाब समर्थक पोस्टर और बैनर के फ्लैशबैक ने मुझे हमेशा परेशान किया है। दो दशकों में स्थिति अपरिवर्तित बनी हुई है, प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कथित तौर पर बच्चों और छोटी लड़कियों पर हिजाब लगाने के बाद ही प्रवेश करने दिया जाता है।

स्कूलों में भी जबरन हिजाब
इराकी पब्लिक स्कूलों में जबरन हिजाब पहनने के खिलाफ एक नया अभियान सोशल मीडिया पर सामने आया है। महिलाओं के लिए महिला समूह में एक प्रमुख कार्यकर्ता नथिर ईसा, जो अभियान का नेतृत्व कर रही हैं, उन्होंने कहा कि, हिजाब को समाज के कई रूढ़िवादी या आदिवासी सदस्यों द्वारा पोषित किया जाता है और अब हिजाब पहनने की अनिवार्यता के खिलाफ प्रतिक्रिया होना निश्चित हो गया है। हालांकि, ज्यादातर ऑनलाइन कैन्पेन को सरकार दबा देती है, वहीं सोशल मीडिया पर हैशटैग #notocompulsoryhijab के साथ पोस्ट करने वाली महिलाओं और लड़कियों को इस्लाम का दुश्मन बताया जाता है और उन्हें समाज विरोधी बताकर उनके खिलाफ सख्त प्रतिक्रिया दी जाती है। इसी तरह के आरोप ईरानी महिलाओं पर लगाए जाते हैं जो अपने सिर पर स्कार्फ उतारकर या जलाकर शासन की अवहेलना करती हैं। इराकी शिया धर्मगुरु, अयाद जमाल अल-दीन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर विरोध प्रदर्शन करने वाली ईरानी महिलाओं को "हिजाब-विरोधी वेश्या" करार दिया, और उन्हें इस्लाम और संस्कृति को नष्ट करने वाली बताया।

औरतों के खिलाफ ऑनलाइन कैम्पेन
महिलाओं का कहना है कि, अगर अरब देशों में महिलाएं ऑनलाइन हिजाब के खिलाफ आवाज उठाती हैं और हिजाब हटाने या फिर हिजाब को जलाने की बात करती हैं, उनके खिलाफ भी ऑनलाइन कैन्पेन चलाया जाता है। जो महिलाएं हिजाब को अस्वीकार करने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें अक्सर सेक्सिस्ट हमलों और धमकियों का सामना करना पड़ता है जो उन्हें शर्मसार करने और चुप कराने का प्रयास करते हैं। जो लोग हिजाब उतारने के अपने फैसले के बारे में खुलकर बात करती हैं, उन्हें सबसे कठोर प्रतिक्रिया मिलती है। हिजाब को महिलाओं के सम्मान और पवित्रता से जोड़ा जाता है, इसलिए इसे हटाना अवज्ञा के रूप में देखा जाता है। जबरन हिजाब के साथ महिलाओं का संघर्ष और उनके खिलाफ प्रतिक्रिया प्रचलित सांस्कृतिक आख्यान को चुनौती देती है जो कहती है कि हिजाब पहनना एक स्वतंत्र विकल्प है।

ईरान से महिलाओं को मिल रही आवाज
अनिवार्य हिजाब पहनने के खिलाफ ईरानी महिलाओं का आक्रोश, वो भी सरकार की बर्बर कार्रवाई के बाद भी, उसने अरब देशों की महिलाओं को हिजाब की अनिवार्यता से लड़ने को लेकर दृढ़ किया है और ईरानी महिलाओं का संघर्ष अब रंग लाने लगा है। अब दूसरे मुस्लिम देशों की महिलाएं को भी लगने लगा है, कि हिजाब उनके ऊपर जबरन थोपा गया है और वो उनके पास इन्हें पहनने की अनिवार्यता से मना करने का हक है। ईरान और इराक में सामूहिक आक्रोश ने अन्य महिलाओं के दिलों में कट्टर शासन के खिलाफ अपनी आवाज उठाने का साहस दिया है, लिहाजा अब महिलाएं बिना डर के सोशल मीडिया पर हिजाब के खिलाफ लिख रही हैं और महिलाओं को पूरी उम्मीद है, कि एक दिन के उनके सिर से हिजाब की अनिवार्यता खत्म होगी और वो खुली हवा में सांस ले पाएंगी।
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केंद्रीय मंत्री जितेन्‍द्र सिंह ने अमरीका में भारतीय समुदाय से बातचीत की

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्‍टर जितेन्‍द्र सिंह ने कहा है कि भारत विश्‍व में निवेश का तेजी से केंद्र बन रहा है और देश में निवेश करने का यह सर्वोत्‍तम समय है। उन्‍होंने आज न्‍यूयार्क में प्रवासी भारतीय समुदाय से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले आठ वर्ष के दौरान कारोबार के अनुकूल कई सुधार किए गए हैं। इनमें अनिवार्यताएं घटाई गई हैं और विगत समय से कराधान हटाया गया है तथा कंपनी कर प्रणाली को सरल बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विश्‍व बैंक के अनुसार कारोबार के अनुकूल माहौल की वरीयता में भारत का स्‍थान 2014 में 142 से वर्ष 2022 में 63 हो गया है।

डॉक्‍टर सिंह ने प्रवासी भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को भारत के स्‍टार्टअप माहौल में आने और संभावनाएं तलाशने के लिए आमंत्रित किया। उन्‍होंने कहा कि देश में 77 हजार से अधिक स्‍टार्टअप और 105 यूनिकॉर्न हैं। उन्‍होंने कहा कि देश में फाइव-जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, सेमिकंडक्‍टर, ब्‍लोकचैन, स्‍वच्‍छ ऊर्जा और अंतरिक्ष अर्थव्‍यवस्‍था पर ध्‍यान केंद्रित है।

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अमेरिका के बाद अब रूस ने भी भारत के समर्थन में कहा...

 नई दिल्ली/वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस ने फिर एक बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत का समर्थन किया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, "हम अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों के प्रतिनिधित्व के माध्यम से सुरक्षा परिषद को और अधिक लोकतांत्रिक बनाने की संभावना देखते हैं। विशेष रूप से भारत और ब्राजील को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में जगह मिलनी चाहिए।''

इससे पहले 31 अन्य देशों के साथ भारत ने सुधारों पर एक संयुक्त बयान में कहा था कि स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए। साथ ही इसके काम करने के तरीकों में भी सुधार लाने की वकालत की गई थी। 

जो बाइडेन ने भी किया था समर्थन

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  का स्थाई सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया था। इस दौरान उन्होंने जापान और जर्मनी को भी स्थाई सदस्य बनाने की बात कही थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में संबोधन के दौरान भी उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार की बात दोहराई थी। बाइडन ने कहा कि सुरक्षा परिषद को और समावेशी बनाया जाए, ताकि यह आज की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके।

भारत को बनाया जाए स्थायी सदस्य : बाइडेन
वीटो को लेकर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विशेष अथवा विषम परिस्थितियों में ही होना चाहिए, ताकि सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता और प्रभाव बना रहे। बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम पहले भी यह मानते थे और आज भी इस बात को मानते हैं कि भारत, जापान और जर्मनी को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए।

विदेश मंत्री ने ठोका दावा
वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत ने अपने संबोधन के दौरान UNSC में सुधार की वकालत की है। जयशंकर ने कहा कि भारत अधिक जिम्मेदारियां लेने के लिए तैयार है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इस तरह के एक महत्वपूर्ण मामले पर गंभीर बातचीत हो। इसमें किसी भी देश को बाधा नहीं बनना चाहिए।

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तनाव : किम जोंग ने सैन्य अभ्यास से पहले दागी मिसाइल...

 नई दिल्ली/वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा पर जाने वाली हैं। कमला के दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा से पहले कोरियाई क्षेत्र में सरगर्मी बढ़ गई है। उत्तर कोरिया ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति के दक्षिण कोरिया दौरे से पहले बैलिस्टिक मिसाइल दाग दी। तानाशाह किम जोंग उन के नेतृत्व वाले उत्तर कोरिया ने रविवार को अपने पूर्वी समुद्र तट पर बैलिस्टिक मिसाइल दागी।

उत्तर कोरिया की ओर से बैलिस्टिक मिसाइल ऐसे समय में दागी गई है जब दक्षिण कोरिया और अमेरिका की सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास होना है। इस युद्धाभ्यास में अमेरिका का एक एयरक्राफ्ट कैरियर हिस्सा लेगा। दक्षिण कोरिया की सेना का दावा है कि उत्तर कोरिया की ओर से एक कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल सुबह 7 बजे के करीब उत्तरी प्योंगयान प्रांत के ताइचोन क्षेत्र के पास दागी गई थी।

जानकारी के मुताबिक दक्षिण कोरिया की सेना के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने बयान जारी कर कहा है कि उत्तर कोरिया का मिसाइल फायर करना उकसावे की कार्रवाई है। यह कोरियाई प्रायद्वीप के साथ ही विश्व समुदाय की शांति और सुरक्षा के लिए भी खतरा है। दक्षिण कोरिया के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ किम सिउंग क्यूम (Kim Seung-kyum) ने अमेरिकी सेना के कोरिया कमांडर पॉल लाकेमेरा के साथ बैठक ताजा हालात पर चर्चा की।

उत्तर कोरिया की ओर से मिसाइल फायर किए जाने के बाद दक्षिण कोरिया भी एक्टिव मोड में आ गया है। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाकर अधिकारियों ने इसे लेकर चर्चा की। अधिकारियों ने उत्तर कोरिया की ओर से किसी भी तरह की कार्रवाई का जवाब देने की तैयारियों पर चर्चा की और इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन बताया। उत्तर कोरिया के इस कदम को उकसावे वाली कार्रवाई बताते हुए दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने इसकी निंदा की।

वहीं, इसे लेकर यूएस-इंडो पैसिफिक कमांड ने भी बयान जारी किया है। कमांड की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया और जापान की रक्षा के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध है। मिसाइल फायर को लेकर हम सहयोगियों के साथ चर्चा कर रहे हैं। कमांड की ओर से ये भी कहा गया है कि मिसाइल फायर की इस घटना से अमेरिकी कर्मचारियों या अमेरिकी क्षेत्र, सहयोगियों को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है।

गौरतलब है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास 26 से 29 सितंबर तक होना है। इस सैन्य अभ्यास के लिए परमाणु शक्ति से लैस अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर USS Ronald Reagan दक्षिण कोरिया पहुंच गया है। ऐसे में उत्तर कोरिया की ओर से मिसाइल फायर किए जाने को उकसावे की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है।

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भारत 2023 में जी-20 की अध्यक्षता के साथ ही एमआई और सीईएम की मेजबानी भी करेगा

 पिट्सबर्ग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों को बढ़ावा देकर एक निम्न कार्बन वाले भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई है। अमेरिका में पिट्सबर्ग, पेंसिल्वेनिया में ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम 2022 में स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम13) और मिशन इनोवेशन (एमआई-7) की संयुक्त मंत्रिस्तरीय पूर्ण बैठक को संबोधित करते हुए, भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी व्यापक ऊर्जा मांग को पूरा करने के साथ ही नवीन स्वच्छ ऊर्जा नवाचार और कार्यक्रम करना चाहता है। उन्होंने कहा, भारत 2030 तक गैर फोसिल फ्यूल स्रोतों से 500 गीगावाट की स्थापित क्षमता हासिल करने और 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन को मौजूदा स्तर से एक अरब टन कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संयुक्त भारतीय मंत्रिस्तरीय आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे डॉ. जितेंद्र सिंह ने 30 देशों के ऊर्जा और पर्यावरण मंत्रियों को बताया कि भारत की ऊर्जा मिश्रण रणनीतियों में स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर एक बड़ा बदलाव, विनिर्माण क्षमता में बढ़ोतरी, ऊर्जा उपयोग दक्षता और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों सहित हाइड्रोजन के लिए नीतिगत प्रोत्साहन शामिल हैं। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री जोर देकर कहा कि 2जी एथेनॉल पायलट, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए सहज जलवायु बॉक्स, हाइड्रोजन वैलीज, हीटिंग और कूलिंग वर्चुअल रिपॉजिटरी जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर काम करना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत ने जैव आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप और एक रणनीतिक विकसित की है, जो 2025 तक 150 अरब डॉलर की होने जा रही है। उन्होंने कहा, इससे निम्न कार्बन वाले जैव आधारित उत्पादों के जैव विनिर्माण के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहूलियत मिलेगी। हाल में, भारत ने लागत प्रतिस्पर्धी ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को संभव बनाने के लिए नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन भी पेश किया है। 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से भारत सरकार स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों के लिए वित्तपोषण सुनिश्चित कर रही है। मिशन इनोवेशन 2.0 के तहत ऐसी ही कल्पना की गई थी। केंद्रीय मंत्री ने सफल सार्वजनिक निजी भागीदारी के दो सफल उदाहरण दिए- पहला एक विशेष अनुसंधान एवं नवाचार (आरएंडआई) मॉडल प्लेटफॉर्म क्लीन एनर्जी इंटरनेशनल इनक्यूबेशन सेंटर है जिसकी स्थापना निजी भागीदार टाटा ट्रस्ट्स ने की। इसके परिणाम स्वरूप एकल शोधकर्ताओं की सहायता के लिए 20 से ज्यादा स्वच्छ ऊर्जा समाधान प्राप्त हो चुके हैं, जो एक अनूठी उपलब्धि है। दूसरा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) का संयुक्त केंद्र (ज्वाइंट सेंटर) है, जिसने 2जी एथेनॉल तकनीक विकसित की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने माना कि स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) व्यवस्था भारत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा के विकास में अपने योगदान को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करने में सक्षम रही है। उन्होंने कुछ बड़ी सीईएम पहलों का उल्लेख किया, जिनमें सीईएम का ग्लोबल लाइटिंग चैलेंज (जीएलसी) अभियान, स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम, उन्नत ज्योति बाई अफोर्डेबल एलईडी फॉर ऑल (उजाला) कार्यक्रम, द वन सन-वन वर्ड- वन ग्रिड इनीशिएटिव शामिल हैं। भारत के प्रधानमंत्री ने सौर ऊर्जा में व्यापक संभावनाओं के दोहन के लिए द वन सन-वन वर्ड- वन ग्रिड की पहल की थी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंत में ऐलान किया कि भारत 2023 में जी-20 की अध्यक्षता के साथ ही इसी साल एमआई और सीईएम की मेजबानी भी करेगा। उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय और मिशन इनोवेशन के संयुक्त आयोजन ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम में भाग लेने के लिए भी सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की मेजबानी के लिए यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी एंड मिशन को बधाई दी।

 

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शहरों और सभी भवनों को पर्यावरण अनुकूल बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए : जितेंद्र सिंह

 पिट्सबर्ग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमरीका में पिट्सबर्ग में आज-ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम-2022 को संबोधित करते हुए डॉ सिंह ने अनुसंधान और विकास को प्रोत्‍साहित करने के लिए वैश्विक समझौता ज्ञापन जैसे महत्वपूर्ण कदमों का आह्वान किया। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की दिशा में ज्ञान और प्रौद्योगिकी साझा करने पर भी उन्‍होंने बल दिया। उन्होंने बताया कि पिछले दशक के दौरान उनके मंत्रालय ने 34 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के निवेश के साथ अनुसंधान और विकास तथा प्रौद्योगिकियों के इस्‍तेमाल का समर्थन किया है।

 

 

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ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने किया शी इज़ विमेन इन स्टीम का विमोचन

 ब्रिटेन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय सूद और ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने शी इज़ – विमेन इन स्टीम पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक को एल्सा मैरी डी’ सिल्वा और सुप्रीत के. सिंह ने लिखा है। 75 विमेन इन स्टीम’ भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक और ब्रिटेन के उच्चायुक्त के साथ पुस्तक के विमोचन के अवसर पर; इस पुस्तक में एसटीईएएम (स्टीम) में उनकी यात्रा के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है। 

भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष होने के क्रम में इस पुस्तक में एसटीईएएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, कला और गणित के क्षेत्र) की 75 महिलाओं को सम्मानित किया गया है। पुस्तक में स्टीम के क्षेत्र में सतत विकास, नेतृत्व और स्त्रीत्व का अभिनंदन किया गया है। साहस, आशा और दृढ़ता की निजी कहानियों को पेश करते हुये यह पुस्तक उन महिलाओं की निजी और व्यावसायिक संघर्षों को बयान करती है, जिन्हें आसानी से कुछ नहीं मिला। ये महिलायें, निश्चित रूप से हर उस लड़की के लिये प्रेरणा हैं, जो इन विषयों में आगे बढ़ना चाहती है। 

पुस्तक की लेखिकाओं एल्सा मेरी डी सिल्वा और सुप्रीत के. सिंह ने कहा, “कारपोरेट और विकास सेक्टर में कई वर्षों तक काम करते हुये, हमने देखा कि हर जगह, हर पैनल में पुरुषों का बोलबाला है। विभिन्न क्षेत्रों-विषयों में वही आगे हैं, जिनके निर्णयों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव महिलाओं पर पड़ता है। महिलाओं के योगदानों को दिलेरी के साथ नजरअंदाज कर दिया जाता है, उनकी आवाज की कोई कीमत नहीं है।

हमने जब महिला, पुरुष या अन्य के साथ काम करना शुरू किया कि हम लैंगिक समानता वाला संसार बना सकें, तब हमने तय किया कि सफल नारियों की कहानियां सबके सामने लायें। इस पुस्तक में एसटीईएएम के क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं के बारे में प्रमुखता से बताया गया है, उनके योगदान का अभिनंदन किया गया है तथा उनकी यात्रा को पहचान दी गई है। उनकी यात्रा लैंगिक आधार पर हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। भारत की स्वतंत्रता में महिलाओं के योगदान और उसके बाद उनकी सफलता व उन्नति को बहुधा कम आंका जाता है और उनका जिक्र नहीं किया जाता।

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पर्यावरण शिखर सम्मेलन के लिए पिट्सबर्ग में उपस्थित हुए डॉ. जितेंद्र सिंह

 नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पिट्सबर्ग (वीएनएस)। ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम-2022 के पहले दिन के उपलक्ष्य में आयोजित एक रात्रिभोज बैठक आयोजित की गई। इसमें केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अमेरिकी ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रानहोम और फोरम के अन्य महत्वपूर्ण मंत्रियों के साथ हिस्सा लिया। इससे पहले एक्शन फोरम-2022 की शुरुआत अमेरिका के पेंसिल्वेनिया स्थित पिट्सबर्ग में हाइन्ज हिस्ट्री सेंटर में आयोजित एक उद्घाटन समारोह के साथ की गई थी। अमेरिकी ऊर्जा विभाग और कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से पिट्सबर्ग में 21 से 23 सितंबर तक स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम13) और मिशन नवाचार (एमआई-7) आयोजित कर रहा है।

जेनिफर ग्रानहोम के अलावा स्पीकरों में एलेघेनी काउंटी कार्यकारी रिच फिट्जगेराल्ड, पिट्सबर्ग के मेयर एड गेनी और कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष फरनाम जहानियन और कोलंबिया विश्वविद्यालय के सेंटर ऑन ग्लोबल एनर्जी पॉलिसी के इनॉगरल फेलो डेविड सैंडलो शामिल हैं, जिन्होंने इस्पात शहर के प्रारंभिक ऊर्जा अर्थव्यवस्था से स्वच्छ ऊर्जा व नवाचार औद्योगिक केंद्र में रूपांतरण को साझा करते हुए पिट्सबर्ग में आने वाले देश के प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत किया। इसके अलावा उन्होंने यह भी साझा किया कि हम मिशन नवाचार व स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय की शुरुआत और ग्लोबल नेट जीरो अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के लिए जरूरी नवाचार व त्वरित तैनाती के माध्यम से यहां तक कैसे पहुंचें।

 
 
 

माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स और जलवायु के लिए अमेरिका के विशेष राष्ट्रपति दूत जॉन केरी के इस ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम में उपस्थित होने की संभावना है। डॉ. जितेंद्र सिंह, जो विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय व विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक उच्च स्तरीय संयुक्त भारतीय मंत्रिस्तरीय आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, 30 अन्य देशों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ डेविड एल लॉरेंस कन्वेंशन सेंटर डाउनटाउन में पर्यावरण शिखर सम्मेलन के लिए पिट्सबर्ग में उपस्थित हुए।

 
 
 

इसके बाद डॉ. जितेंद्र सिंह मंत्रियों और वीआईपी के लिए एक निजी रात्रिभोज में शामिल हुए। इनमें अमेरिका के ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम, कनाडा के प्राकृतिक संसाधन मंत्री जोनाथन विल्किंसन, चिली के ऊर्जा मंत्री डिएगो पार्डो, नीदरलैंड के जलवायु व ऊर्जा नीति मंत्री रॉब जेटन, यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री जर्मन गलुशचेंको, ब्रिटेन के जलवायु राज्य मंत्री ग्राहम स्टुअर्ट, नॉर्वे के पेट्रोलियम और ऊर्जा मंत्रालय में राज्य सचिव एंड्रियास एरिक्सन, कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष फरनाम जहानियन और विश्व ऊर्जा परिषद की महासचिव एंजेला विल्किंसन थीं।

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अफगानी ड्रग माफिया नूरजई दो दशक बाद अमेरिकी जेल से रिहा

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अफगानिस्तान से आई एक खबर ने भारत सहित कई देशों की सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। अमेरिकी जेल में तकरीबन दो दशक तक बंद रहे कुख्यात ड्रग माफिया हाजी बशीर नूरजई को गुपचुप तरीके से रिहा कर दिया गया है। तालिबान आंदोलन का समर्थक रहा यह ड्रग जेल से रिहा होने के बाद काबुल पहुंच गया है।

अफगानी ड्रग माफिया हाजी बशीर नूरजई का नाम ड्रग तस्करों के टॉप 10 मोस्ट वांटेड की सूची में शामिल था। काबुल के इस कुख्यात ड्रग माफिया पर विदेशी नारकोटिक्स किंगपिन एक्ट लगा था और उसे 2005 में न्यूयॉर्क से गिरफ्तार किया गया था। उस पर अमेरिका में 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कीमत की हेरोइन तस्करी करने का आरोप था।

करीब दो दशक से वह अमेरिकी जेल में बंद था लेकिन अचानक इस कुख्यात ड्रग तस्कर को रिहा कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक उसे अफगानिस्तान की जेल में बंद अमेरिकी इंजीनियर मार्क फ्रेरिच को छोड़ने के बदले रिहा किया गया है। उसे जनवरी, 2020 में अगवा करके अफगानिस्तान की जेल में रखा गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बशीर नूरजई की रिहाई की घोषणा के लिए काबुल में एक सभा आयोजित की गई जिसमें कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिकी नागरिक की रिहाई के बदले नूरजई को रिहा किया गया है। बशीर नूरजई का स्याह अतीत और उसकी रिहाई भारत सहित कई देशों की चिंताएं बढ़ाने वाला है।

 

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अमेरिका यात्रा में वाशिंगटन से होते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह न्यूयॉर्क पहुंचे

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत के केंद्रीय विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवम् पेंशन राज्यमंत्री, अंतरिक्ष एवम् परमाणु ऊर्जा मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, एक संयुक्त मंत्रालय स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के तौर पर 5 दिन की अमेरिका यात्रा पर पहुंचे। 

इसके तहत वे पेंसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग में 21 से 23 सितंबर तक आयोजित होने वाले "ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम" में हिस्सा लेंगे।डॉ. जितेंद्र सिंह की आगवानी करने भारतीय दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी आए और जेएफके एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद वे वाशिंगटन डीसी के लिए निकल गए, जहां वे 35 कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों और अंतरिक्ष, पृथ्वी और समुद्री विज्ञान, फार्मा और बॉयोटेक सेक्टर से जुड़े संघीय प्रतिनिधियों के साथ अहम गोलमेज वार्ता करेंगे। इस वार्ता का आयोजन वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी कॉमर्स चैंबर के मुख्यालय में अमेरिका-भारत व्यापार परिषद ने किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह, ऊर्जा मंत्रालय, नवीन एवम् नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और विज्ञान एवम् तकनीकी मंत्रालय के एक उच्च स्तरीय संयुक्त प्रतिनिधि मंडल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो इस फोरम में हिस्सा लेगा, साथ ही भारतीय मूल के लोगों के साथ-साथ ख्यात बुद्धिजीवियों से मुलाकात करेगा।

35 अहम कंपनियों के सीईओ के साथ होने वाली बैठक में डॉ. जितेंद्र सिंह को द्विपक्षीय विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी में हो रहे सहयोग के बारे में बात करनी है। यह आपसी सहयोग एलआईजीओ (लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल ऑब्जर्वेटरी), टीएमटी (30 मीटर लंबा टेलीस्कोप) जैसे उन्नत विज्ञानों से लेकर न्यूट्रिनो फिजिक्स, स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों, स्वास्थ्य विज्ञान, पृथ्वी और समुद्री विज्ञान, कृषि विज्ञान और हाल में उभर रही तकनीकों पर जारी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह यह प्रस्ताव भी दे सकते हैं कि भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और अमेरिका का नेशनल साइंस फाउंडेशन आपस में मिलकर साझा दिलचस्पियों वाले विषयों पर संयुक्त परियोजनाओं की शुरुआत करें। इन विषयों में कोबोटिक्स, कंप्यूटर विजन, रोबोटिक्स एवम् ऑटोमेशन तकनीकें, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवम् मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स, सेंसर्स और आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) से संबंधित नेटवर्किंग एवम् तकनीकें शामिल हैं।

 

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