दुनिया-जगत

किंग चार्ल्‍स ने विलियम को प्रिंस और केट को प्रिंसिस ऑफ वेल्‍स घोषित किया

 ब्रिटेन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन नरेश चार्ल्‍स-तृतीय ने दिवंगत महारानी एलिजाबेथ -द्वितीय को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की है। उन्‍होंने निष्‍ठा, आदर और प्रेम भाव के संकल्‍प के साथ नरेश के रूप में राष्‍ट्र  सेवा की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। ब्रिटेन नरेश ने अपने पुत्र विलियम और पुत्रवधु केट को प्रिंस एंड प्रिंसेस ऑफ वेल्‍स नामित किया। हाल के वर्षों में राज परिवार में विलियम और केट की भूमिका महत्‍वपूर्ण हो गई थी। चार्ल्‍स ने कल बकिंघम पैलेस में प्रधानमंत्री लिज ट्रस के साथ पहली औपचारिक भेंट की।

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किंग चार्ल्स III बने ब्रिटेन ने नए सम्राट, सेंट जेम्स पैलेस में हुई ताजपोशी

 लंदन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। महारानी एलिजाबेथ के बाद आधिकारिक रूप से ब्रिटेन को अपना नया सम्राट मिल गया है। शनिवार को सेंट जेम्स पैलेस में परिग्रहण परिषद की बैठक में प्रिवी काउंसिल ने किंग चार्ल्स III को आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन के नए सम्राट के रूप में घोषित किया गया। इस मौके पर एक एतिहासिक समारोह आयोजित करके किंग चार्ल्स III की ताजपोशी की गई। इस मौके पर नया सम्राट बनाए जाने से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरीं की गईं। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में  क्वीन कैमिला, प्रिंस ऑफ वेल्स विलियम, पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन और वर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस भी मौजूद रहीं।

ब्रिटेन के लंदन में सेंट जेम्स पैलेस में परिग्रहण परिषद और प्रधान उद्घोषणा करते हुए किंग चार्ल्स तृतीय ने कहा कि मेरी प्यारी मां और रानी के निधन की घोषणा करना मेरा दुखद कर्तव्य है। मुझे पता है कि हम सभी की अपूरणीय क्षति हुई है और आप इस क्षति में मेरे साथ कितनी गहरी सहानुभूति रखते हैं।

प्रिंस चार्ल्स का पूरा नाम चार्ल्स फिलिप आर्थर जॉर्ज है जो प्रिंस फिलिप और एलिजाबेथ द्वितीय के बड़े बेटे हैं। चार्ल्स का जन्म 14 नवंबर 1948, बकिंघम पैलेस में हुआ था। चार्ल्स ने 29 जुलाई, 1981 को लेडी डायना स्पेंसर से शादी की थी। दोनों के दो बेटे विलियम और हैरी हैं। 1996 में चार्ल्स और डायना दोनों अलग हो गए थे। 1997 में पेरिस में हुए एक कार हादसे में प्रिंसेस ऑफ वेल्स डायना की मौत हो गई। बाद में नौ अप्रैल, 2005 को चार्ल्स ने कैमिला पार्कर से शादी कर ली थी। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद चार्ल्स को राजा घोषित कर दिया गया है। चार्ल्स अभी 73 वर्ष के हैं। चार्ल्स के राजा बनने के बाद उनके बड़े बेटे ड्यूक ऑफ कैंब्रिज प्रिंस विलियम अब वेल्स के राजकुमार कहलाएंगे।

यहां से की चार्ल्स ने पढ़ाई
चार्ल्स ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वेस्ट लंदन के हिल हाउस स्कूल में प्राप्त की। हैम्पशायर और स्कॉटलैंड में निजी स्कूली शिक्षा के बाद चार्ल्स ने 1967 में कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने 1971 में वहां स्नातक की डिग्री ली। जहां उन्होंने मानव विज्ञान, पुरातत्व और इतिहास की पढ़ाई की, कनाडा में जन्मे प्रोफेसर जॉन कोल्स उनके अनुशिक्षक थे।

कला में स्नातक की डिग्री हासिल की
23 जून 1970 को उन्होंने कला में स्नातक की डिग्री हासिल की और विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त करने वाले शाही परिवार के वे तीसरे सदस्य बने। इसके बाद 2 अगस्त 1975 को विश्वविद्यालय के परंपरा के अनुसार उन्हें कैम्ब्रिज से कला में स्नातकोत्तर की डिग्री से सम्मानित किया गया। इसके बाद चार्ल्स ने ओल्ड कॉलेज (एबेरिस्टवेथ में स्थित वेल्स विश्वविद्यालय का एक हिस्सा) में भी दाखिला लिया, जहां उन्होंने वेल्स भाषा और वेल्स इतिहास का अध्ययन किया। वे वेल्स के ऐसे पहले युवराज थे, जिनका जन्म वेल्स से बाहर होने के बावजूद उन्होंने रियासत की भाषा सीखने का प्रयास किया।

राजा को मिलीं शक्तियां
महारानी एलिजाबेथ ब्रिटेन के अलावा 14 कॉमनवेल्थ देशों की भी महारानी थीं। अब किंग चार्ल्स इन देशों के राजा हैं। अब राजा के पास देश में सरकार की नियुक्ति को लेकर शक्तियां हैं। आम चुनाव जीतने वाली पार्टी के नेता को आमतौर पर बकिंघम पैलेस बुलाया जाता है, जहां उन्हें सरकार बनाने के लिए औपचारिक रूप से आमंत्रित किया जाता है। वहीं पहले रानी दूसरे देशों के मेहमान राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी करती थीं। अब उनकी जगह अब किंग चार्ल्स III यानी चार्ल्स फिलिप आर्थर जॉर्ज करेंगे।

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 25 साल की उम्र में संभाला था सिंहासन
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 6 फरवरी 1952 को पिता किंग जॉर्ज की मौत के बाद ब्रिटेन का शासन संभाला था। उस समय  उनकी उम्र सिर्फ 25 साल थी। तब से 70 साल तक उन्होंने शासन किया।

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संमदर बन गया पाकिस्तान, जहां से देखो पानी ही पानी दिखता है, बाढ़ देख PM शहबाज शरीफ की हालत खराब

 

इस्लामाबाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद बताया कि देश के कई इलाके समंदर में बन चुके हैं। पाकिस्तान में जल प्रलय के कारण देश का एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो चुका है। बुधवार तक बाढ़ से मरने वाले लोगों का कुल आंकड़ा 1,343 हो गया है। पाकिस्तान में 22 करोड़ की जनसंख्या में से तीन करोड़ तीस लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इस प्राकृतिक आपदा के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेवार बताया जा रहा है जिसके कारण हजारों लोग बेघर हो गए और 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

बाढ़ देख चिंतित हुए पीएम
बुधवार को सिंध के दक्षिणी प्रांत का दौरा करने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मीडिया को बताया, 'जितना नुकसान हुआ है आप उसपर सहज भरोसा नहीं करेंगे। जहां तक आप देखेंगे हर जगह पानी ही पानी है। यह समंदर की तरह है।' इस त्रासदी से निजात पाने के लिए हमें अरबों रुपये की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए नकद सहायता को बढ़ाकर 70 अरब पाकिस्तानी रुपये कर दिया है। अब सरकार बाढ़ के कारण विस्थापितों के लिए 200,000 टेंट खरीदेगी।

बाढ़ से निपटने के लिए होगी करोड़ों रुपये की जरूरत
पीएम शरीफ ने कहा कि घटता जलस्तर नई चुनौतियां लेकर आया है। पानी के कारण संक्रामक बीमारियां हो रहीं हैं। उन्होंने कहा, 'हमें इस आपदा के बाद होने वाली समस्याओं से निबटने के लिए खरबों रुपये की जरूरत होगी।' संयुक्त राष्ट्र ने बाढ़ पीड़ितों के लिए 160 मिलियन डॉलर की सहायता का आह्वाहन किया है। बाढ़ प्रभावितों में से अधिकतर सिंध के हैं जहां पाकिस्तान की सबसे बड़ी झील का पानी खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है।

24 घंटे में 8 बच्चों की हुई मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही कह दिया है कि 6.4 मिलियन से अधिक लोग हैं जिन्हें मानवीय सहायता की जरूरत है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के अधिकारियों ने बताया कि बीते 24 घंटों में बाढ़ के कारण हुई मौतों में आठ बच्चे हैं। देश का यह हाल मानसून के मौसम में हुई रिकार्ड बारिश व देश के उत्तरी पहाड़ों पर ग्लेशियर पिघलने का नतीजा है।

मोहनजोदड़ो भी बाढ़ की चपेट में आया
इस बाढ़ से मोहनजोदड़ो के पुरातात्विक स्थल पर भी भारी असर पड़ा है। सिंधु नदी के बढ़े जलस्तर से आई बाढ़ से इस इलाके के कई महत्वपूर्ण हिस्से डूब गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐतिहासिक खंडहर के कई इलाके सीवरेज नाले बाढ़ के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। सिंधु नदी पर बने ज्यादातर बांध अपनी क्षमता से ज्यादा भरे हुए हैं और उनके ऊपर से पानी बह कर आ रहा है।

 

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मंच पर भाषण दे रहे थे राष्ट्रपति, सुपरमैन की ड्रेस में साइकिल से पहुंचा बच्चा, देखने वालों की नहीं रुकी हंसी

 

सैंटियागो(छत्तीसगढ़ दर्पण)। चिली के राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक के भाषण के दौरान एक बच्चे के साइकिल चलाने का मजेदार वीडियो दूनिया भर में वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि बच्चा सुपरमैन के ड्रेस में साइकिल से राष्ट्रपति के पास पहुंच जाता है। जोश में बोरिक भाषण देते हैं, वो उतने ही जोश में उनके आगे पीछे साइकिल घुमाता है।

एक सप्ताह पुराना है वीडियो
स्‍थानीय मीडिया 24 होरास के मुताबिक ये वीडियो एक सप्ताह पुराना है। रिपोर्ट के मुताबिक चिली के राष्ट्रपति बोरिक लोगों से नया संविधान बनाने के लिए वोट डालने को कह रहे थे। दो दिन पहले लोगों ने वोट डाला और उनका प्रस्ताव लोगों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया। यानी कि राष्ट्रपति का भाषण लोगों पर कोई असर नहीं डाल सका। लेकिन उसी भाषण के दौरान एक बच्चे ने लोगों को अपनी खींचा है। इसमें बच्चा सुपरहीरो सुपरमैन की ड्रेस पहने नजर आ रहा है।

खूब वायरल हो रहा वीडियो
यह बच्चा कौन है इसके बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं मिल पायी है लेकिन राष्ट्रपति के भाषण के दौरान बच्चे का इस तरह साइकिल चलाना लोगों को काफी पसंद आ रहा है। हालांकि एक और वजह है जिसकी वजह से यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है। रायटर्स के अनुसार, सिर्फ 36 साल की उम्र में चिली के राष्ट्रपति बने बोरिक ने जब लोगों से नए संविधान के लिए वोट करने को कहा तो 79 लाख लोगों ने वोट डाला। लेकिन इसमें से 49 लाख लोग नया संविधान बनाने के खिलाफ वोट किए। लगभग 62 फीसदी लोगों ने उनके विचार से असहमति जताते हुए नए संविधान के विचार के खिलाफ वोट दिया। इसलिए राष्ट्रपति के लिए इसे बड़ा झटका कहा जा रहा है।

लोगों ने नए संविधान को नकारा
अगर यह नया संविधान लागू होता तो दशकों पहले सैन्य तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे के कार्यकाल में तैयार किया संविधान इतिहास बन चुका होता। दरअसल ऑगस्टो पिनोशे के संविधान ने चिली को विकास के रास्ते पर तो अग्रसर किया, लेकिन जबर्दस्त असमानताएं भी साथ लेकर आया। इन असमानताओं की वजह से 2019 में बोरिस के नेतृत्व में कई महीनों तक चिली में हिंसक प्रदर्शन हुए। बतादें कि चिली दुनिया में तांबे का शीर्ष उत्पादक देश है। बैटरी बनाने के काम आने वाली धातु लीथियम के उत्पादन में उसे दूसरा स्थान हासिल है। ऐसे में अगर नए संविधान का मसौदा स्वीकार कर लिया जाता, तो पर्यावरण की सुरक्षा के लिहाज से कड़े नियमों का मार्ग प्रशस्त हो जाता।

इसी साल बने सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति
बतादें कि इसी साल मार्च में वामपंथी झुकाव वाले पूर्व छात्र नेता गेब्रियल बोरिक चिली के राष्ट्रपति बने थे। दिसंबर 2021 में हुए चुनाव में रूढ़िवादी जोस एंटोनियो कास्ट के खिलाफ बोरिक को 56 प्रतिशत वोट मिले थे। मात्र 36 साल की उम्र में यह पद हासिल कर वह देश के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति बने। वह केवल चार साल के थे, जब 17 साल की सैन्य तानाशाही के बाद देश में लोकतंत्र बहाल हुआ था, जिसने आधुनिक चिली के लिए आधार तैयार किया।
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पीएम ने लिज ट्रस समझकर किसी और महिला को भेज दीं शुभकामनाएं, आया दिल खुश कर देने वाला जवाब

 

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। बोरिस जॉनसन के इस्तीफा देने के बाद लिज ट्रस को ब्रिटेन का 56वां प्रधानमंत्री घोषित किया गया है। भारतवंशी उम्मीदवार ऋषि सुनक से अंतिम बाजी जीतने के तुरंत बाद लिज ट्रस को पूरी दुनिया से बधाई मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। इस दौरान नेताओं ने @LizTruss हैंडल को टैग करके यूके की प्रधानमंत्री को अपनी प्रतिक्रियाएं और शुभकामनाएं भेजीं। लेकिन ये शुभकामनाएं ब्रिटिश पीएम को नहीं बल्कि किसी और महिला को मिल रही थीं।

गलत ट्विटर हैंडल को कर दिया टैग
दरअसल कई नेताओं ने जिस महिला को शुभकामना भेजते हुए टैग किया वह लिज ट्रस नहीं बल्कि लिज ट्रससेल नाम की एक महिला है। ट्विटर यूजर्स के लिए ये मौका जैसे खास लम्हा लेकर आया जिसका उन्होंने जमकर आनंद उठाया और मजेदार कमेंट्स किए। गलत ट्विटर हैंडल को संदेश भेजने में स्वीडिश पीएम भी रहीं। स्वीडिश प्रधानमंत्री मेगदालेना एंडरसन ने @trussliz को टैग करके यूके की नई प्रधानमंत्री को बधाई दी।

ट्रससेल ने दिया मजेदार जवाब
मेगदालेना एंडरसन ने जिस ट्विटर हैंडल को बधाई भेजी वह लिज ट्रससेल मिली। ट्रससेल ने भी जवाब देने में देर नहीं लगाई। उसने लिखा- "जल्द ही एक यात्रा करना चाहती हूं! मीटबॉल्स तैयार रखें"। इसी तरह जब ब्रिटिश सांसद कैरोलिन लुकास ने लिज की तुलना बोरिस जॉनसन से करते हुए उनके चुनाव को नाउम्मीदी करार दिया तो इसमें भी इस महिला ने मजेदार जवाब दिया।

पांच साल पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने की थी गलती
ट्रससेल आम लोगों की लंबी कतार में नया नाम हैं जिन्हें उनके नाम और विशेष रूप से सोशल मीडिया यूजर नामों के कारण हाई-प्रोफाइल व्यक्ति समझ लिया गया। यह पहली बार नहीं है जब गलत ट्विटर पहचान के मामले में किसी ब्रिटिश प्रधानमंत्री का नाम शामिल रहा हो। पांच साल पहले 2017 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तत्कालीन पीएम थेरेसा मे को एक ट्वीट में टैग करना था, लेकिन इसके बजाय उन्होंने @theresamay, 40 साल की एक ब्रिटिश महिला को टैग कर दिया जिसके मुश्किल से 6 ट्विटर फॉलोअर थे।

चुनचुन कर विरोधियों को ठिकाने लगा रही ट्रस
पीएम पद की शपथ लेने के बाद लिज ट्रस अपने विरोधियों को चुन-चुन कर ठिकाने लगाती जा रही हैं। उन्होंने सभी अहम पदों पर अपने लोगों को बैठाना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में लिज ट्रस ने अपनी कैबिनेट में भारतीय मूल की इकलौती सांसद सुएला ब्रेवरमैन को भी जगह दी है। 47 साल की ट्रस ने ब्रेवरमैन को गृह मंत्रालय सौंपा है और इससे पहले जॉनसन कैबिनेट में प्रीति पटेल के पास यह विभाग था। 42 साल की सुएला ब्रेवरमैन भारत के गोवा की रहने वाली हैं और इस समय अटॉर्नी जनरल हैं। ब्रेवरमैन, ट्रस की सबसे बड़ी समर्थक हैं।
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Explain: इजरायल से दोस्ती करने को लेकर सऊदी अरब के लोग क्या सोचते हैं?

 

तेल अवीव/रियाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। इजरायल में सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहे नेता सऊदी अरब राज्य द्वारा संचालित टीवी चैनल पर बार बार दिखाई देते रहते हैं, एक अमेरिकन-इजरायल पर्यटक सऊदी अरब पहुंचने के बाद अपने आप को "सऊदी अरब का प्रमुख रब्बी" घोषित करता है और सऊदी अरब का एक प्रमुख व्यापारिक परिवार इजरालय की दो कंपनियों में भारी निवेश करता है और इसे छिपाने की कोशिश भी नहीं करता है। हाल के समय में घटी ये घटनाएं आज से 10 या 15 साल पहले तक सोचने पर अकल्पनीय लग सकती थीं, लेकिन अब सऊदी अरब और इजरायल गुप्त संबंधों से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन, सवाल ये है, कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच की दुश्मनी भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन क्या ये दोनों देश दोस्त बनेंगे?

मध्य-पूर्व में लगातार बदलती राजनीति
पिछले कुछ सालों में मध्य-पूर्व में राजनीति काफी तेजी से बदली है और इस क्षेत्र में मौजूद देशों के बीच काफी तेजी से प्रतिद्वंदिता बढ़ी है, यहां तक की संयुक्त अरब अमीरात भी अब सऊदी अरब का 'छोटा भाई' बनकर नहीं रहना चाहता है और इस क्षेत्र के देश काफी सावधानीपूर्वक व्यावहारिक आर्थिक और सुरक्षा संबंधों की तरफ कदम आगे बढ़ा रहे हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और वास्तविक नेता मोहम्मद बिन सलमान अपने देश की अर्थव्यवस्था को तेल-निर्भर ही बनाकर नहीं रखना चाहते हैं, लिहाजा वो अपनी योजनाओं में तेजी लाना चाहते हैं, जबकि इजराइल छोटे खाड़ी देशों के साथ 2020 की राजनयिक सफलताओं की बुनियाद पर नये संबंधों का निर्माण करने का इच्छुक है। प्रिंस मोहम्मद ने इस साल की शुरुआत में इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा विवादित माने जाने वाले इजरायल को लेकर कहा था, कि "हम इजरायल को एक दुश्मन के रूप में नहीं, बल्कि एक संभावित सहयोगी के रूप में देखते हैं।" क्राउन प्रिंस का ये बयान यही माना गया, कि सऊदी अरब एक बार फिर से इजरायल के साथ अपने संबंधों का पुनर्मुल्यांकन कर रहा है।

सऊदी और इजरायल में कैसे रहे संबंध?
1948 में इजराइल की स्थापना के बाद के दशकों तक सऊदी अरब और उसके फारस की खाड़ी के पड़ोसियों ने यहूदी राज्य के साथ संबंध नहीं बनाए, बल्कि इन सभी मुस्लिम देशों ने फिलीस्तीन के साथ एकजुटता का प्रदर्शन किया और इजरायल को हमेशा दुश्मन देश ही माना। आज भी हालात कुछ ज्यादा बदले नहीं हैं और मुस्लिम देशों की बहुमत के आधार पर देखें, तो मतदान से यही पता चलता है कि, खाड़ी में एक विशाल बहुमत इजरायल को सिर्फ एक अन्य देश के रूप में स्वीकार करने का विरोध करता है और इजरायल के साथ व्यापारिक संबंध बनाने को घृणित मानता है, लेकिन इन देशों की स्वीकार्यता या फिर अस्वीकार्यता से ज्यादा मायने ये रखता है, कि सऊदी अरब और यूएई क्या चाहता है और इन दोनों देशों ने कम से कम इजरायल के लिए अपने घर के दरवाजे तो खोल ही दिए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के प्रति सऊदी की विदेश नीति का अध्ययन करने वाले एक शोधकर्ता अब्दुलअजीज अल्घाशियान का मानना है, कि "यह संबंधों के गर्म होने के बजाय संबंधों के पिघलने का वक्त है। और यह अभी भी बहुत महत्वपूर्ण है।" इजरायल के लोग अब काफी आसानी से किसी तीसरे देश के पासपोर्ट के जरिए सऊदी अरब आने-जाने लगे हैं और अपना कारोबार चलाने लगे हैं, जाहिर है इसका फायदा भी सऊदी अरब को हो रहा है, क्योंकि जहां इजरायली हैं, वहां साइंस और टेक्नोलॉजी है और सऊदी अरब इस बदलाव की हवा को महसूस कर रहा है।
 
बहने लगा है रुपया...
क्वालिटेस्ट 2019 में अंतरराष्ट्रीय निवेशकों द्वारा अधिग्रहित एक इजराइली इंजीनियरिंग और सॉफ्टवेयर-टेस्टिंग कंपनी है। यह सीधे सऊदी अरब में काम नहीं करती है, लेकिन इस कंपनी के यूरोप, इजरायल और मध्य पूर्व के डायरेक्टर शाई लिबरमैन ने कहा कि, वो अपनी कंपनी के प्रोडक्ट्स को किसी तीसरे देश को बेचते हैं और फिर वो देश सऊदी अरब में उन प्रोडक्ट्स को बेचती है और ये बिक्री काफी ज्यादा है। और ये निवेश और व्यापार सिर्फ एकतरफा नहीं है, बल्कि सऊदी अरब से भी रुपये का बहाव होने लगा है। सऊदी अरब की कंपनी मिठाक कैपिटल एसपीसी, जो अलराझी परिवार का है, जिसे सऊदी बैंकिंग स्कियंस नियंत्रित करता है, इस कंपनी ने इजरायल की दो कंपनियों मोबिलिटी इंटेलिजेंस फर्म ओटोनोमो टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और लंदन में रजिस्टर्ड इजरायली कंपनी ट्रेमर इंटरनेशनल लिमिटेड में भारी निवेश किया है और सऊदी राज परिवार इस बात से परिचित है।
 
इजरायल से क्यों संबंध बनाना चाहता है अरब
गल्फ देश ईरान को अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हैं और अपनी साझा चिंताओं को दूर करने के लिए अरब देशों ने इजरायल से 'गुप्त समझौते' स्थापित किए हुए हैं। जिसके अंतर्गत हथियारों की खरीददारी तक शामिल है। लेकिन, अब अरब देश आर्थिक विकास चाहते हैं और प्रिंस सलमान ने इसके लिए विजन-2030 भी बनाया हुआ है, जिसके तहत सऊदी अरब में सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल है और सऊदी अरब को टेक्नोलॉजी के हिसाब से उन्नत बनावा है, लिहाजा प्रिंस सलमान की पहली पसंद इजरायल रहा है और वो इजरायल की मदद से सऊदी अरब में टेक्नोलॉजी हब स्थापित करना चाहते हैं।
 
बेंजामिन नेतन्याहू का इंटरव्यू
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मिथाक कैपिटल के प्रबंध निदेशक मुहम्मद आसिफ सीमाब ने कहा कि, "हमें इजराइल का इनोवेशन और टेक्नोलॉजी को लेकर उनकी संस्कृति काफी पसंद है और हम इससे लाभ उठाने के तरीके खोजने की कोशिश करते हैं।" वहीं, सऊदी अरब सरकार ने शामिल होने वाले नये अधिकारी इजरायल के साथ संबंधों को खुले तौर पर विस्तार देने का समर्थन कर रहे हैं। इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का सऊदी टेलीविजन चैनल अल अरबिया पर साक्षात्कार लिया गया था, जो हिब्रू भाषा के नक्शे के सामने बैठे थे और ईरान के साथ संभावित परमाणु समझौते के खतरे की चेतावनी दे रहे थे। वहीं, रब्बी जैकब हर्ज़ोग भी एक नाम हैं, जिन्हें सऊदी राजधानी रियाद में विदेशी श्रमिकों के एक छोटे यहूदी समुदाय में मंत्री बनने की अनुमति दी गई है।
 
क्या सऊदी अरब से मिलेगा पुरस्कार?
जब साल 2020 में संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने इजरायल के साथ राजनीतिक संबंध जोड़ लिए, जिसे अब्राहम समझौते के तौर पर जाना जाता है, तो यही संदेश मिला, कि सऊदी अरब भी निकट भविष्य में इसका पालन करेगा। इजराइली नेताओं के लिए, सऊदी अरब से मान्यता प्राप्त करना मध्य पूर्व की जियोपॉलिटिक्स के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भी एक प्रतिष्ठित पुरस्कार होगा और इजरायल की कोई भी सरकार हो, उसकी सबसे बड़ी कोशिश यही होती है। लेकिन, सऊदी अरब के लिए भी ये फैसला अचानक लेना मुश्किल है। सऊदी अरब में धार्मिक कट्टर संगठन अभी भी हावी हैं और सऊदी अरब के लिए अपने पड़ोसी इस्लामिक देशों को भी इजरायल से संबंध स्थापित करने के लिए मनाना आसान नहीं होने वाला है, लिहाजा अभी भी व्यापारिक बाधाएं मौजूद हैं और रियाद का दौरा करने वाला एक इजराइली व्यापारी मालिक बताते हैं, कि वो अभी भी तेल अवीव सीधे फोन नहीं कर सकते हैं और वो वो अकेले पैसे ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं।

सऊदी में इजरायल को लेकर राय
वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी ने एक सर्वे में सऊदी अरब के लोगों के बीच इजरायल को लेकर राय जानने की कोशिश की थी, जिसमें पता चला कि, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने इजरायल के साथ जो अब्राहम अकॉर्ड किया, उसको लेकर निराशा है और सिर्फ 19 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक सऊदी अरब के लोगों का मानना है, कि इजरायल के साथ संबंध जोड़कर सही फैसला लिया गया। हालांकि, जिन लोगों को अब्राहम समझौता पसंद नहीं आया है, उनमें ज्यादातर लोगों का ये मानना है, कि इजरायल के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है और इजरायल के साथ अनौपचारिक संबंधों को स्वीकृति देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। हालांकि, सभी लोगों का ऐसा नहीं सोचना है। इसी साल जुलाई महीने में मक्का की भव्य मस्जिद के एक इमाम ने जुमे की नमाज़ की अगुवाई करते हुए यहूदियों के देश पर कब्जा करने के नारे लगाए और इस खातिर जुमे की नमाज में प्रार्थना की। वहीं, जब राष्ट्रपति बाइडने की यात्रा के दौरान एक यहूदी पत्रकार 'पवित्र शहर मक्का' में दाखिल हुआ, तो उसे वहां से बाहर निकाल दिया और उसकी निंदा की गई।
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क्वीन एलिजाबेथ ने लिज ट्रस को नियुक्त किया ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री, ट्वीट कर दी जानकारी

 

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। कंजर्वेटिव पार्टी की ओर से पीएम पद के लिए नामित की गईं लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बन गई हैं। मंगलवार को क्वीन एलिजाबेथ II ने लिज ट्रस को ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है। इसकी जानकारी रॉयल फैमिली के ट्विटर हैंडल के जरिए दी गई। क्वीन एलिजाबेथ II ने लिज ट्रस को पीएम एवं ट्रेजरी का पहला लॉर्ड नियुक्त किया गया है।

रॉयल फैमिली की ओर से किया गया ट्वीट

मंगलवार को रॉयल फैमिली की ओर से ट्वीट कर कहा गया है, "महारानी एलिजाबेथ ने आज बालमोरल कैसल में लिज ट्रस से मुलाकात की और इस दौरान उन्होंने लिज ट्रस को नई सरकार का गठन करने के लिए कहा और उन्हें ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। क्वीन की इस पेशकश को लिज ट्रस ने स्वीकार कर लिया।

आपको बता दें कि ब्रिटेन में करीब दो महीने तक चले मतदान में सोमवार को लिज ट्रस को कंजरवेटिव पार्टी का प्रमुख चुना गया। पीएम पद की इस रेस में उन्होंने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हराया। यह पहला मौका है जब ब्रिटेन के किसी नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति परंपरा के अनुसार बकिंघम पैलेस में न होकर स्कॉटलैंड में हुई है।

45 साल की लिज ट्रस ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं। पार्टी से नया पीएम चुनने के लिए कंजरवेटिव सदस्यों ने पोस्टल बैलेट से मतदान किया। इस वोटिंग में लिज को 81,326 वोट जबकि सुनक को 60,399 वोट मिले।
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दुनिया की पहली इनहेल्ड वैक्सीन को चीन ने आपात इस्तेमाल की दी मंजूरी, जानिए कैसे होगी इस्तेमाल

 

बीजिंग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अभी भी कोरोना की मार झेल रहे चीन ने दुनिया की पहली इनहेल्ड कोविड 19 वैक्सीन तैयार कर ली है। इस वैक्सीन के जरिए चीन की प्राथमिकता कोरोना की रफ्तार पर रोक लगाना है। सोमवार को चीन के दवा नियामक ने इस इनहेल्ड वैक्सीन को बतौर बूस्टर डोज के रूप में इसके आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दे दी।

बिना सुई के लगेगी यह वैक्सीन
वैक्सीन निर्माता कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स इंक ने एक बयान जारी कर बताया है कि दुनिया की पहली इनहेल्ड वैक्सीन को चीन के दवा नियामक ने मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि लोगों को यह वैक्सीन बिना सुई लगाए दी जा सकेगी। इसे नाक के जरिए सूंघ कर लिया जाएगा। Convidecia Air नाम की इस वैक्सीन को नेबुलाइजर से सांस के जरिए लिया जाएगा।

आपको बता दें कि CanSino की इंजेक्टेड Convidecia कोविड 19 वैक्सीन का पहले से ही चीन में इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा कुछ अन्य देशों में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। अगर इस इनहेल्ड वैक्सीन के असर की बात की जाए तो इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि यह लक्षणों को रोकने में 66 प्रतिशत प्रभावी है और गंभीर बीमारी निपटने में 91 प्रतिशत प्रभाव के साथ काम करती है, लेकिन कई एक्सपर्ट इस वैक्सीन पर सवाल उठा चुके हैं।

कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार सूंघने वाली वैक्सीन की मदद से सेलुलर इम्यूनिटी को स्टीमुलेट किया जा सकता है, जिससे इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन के बिना ही सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है। जैसा कि यह वैक्सीन सुई रहित है, इसलिए इसका इस्तेमाल खुद भी किया जा सकता है। इस वैक्सीन को खुद लेने वाली खासियत से लोगों को यह आकर्षित कर सकती है और इसकी डिमांड बढ़ सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा बनाए गए एक डेटाबेस के अनुसार, कैनसिनो का नया उत्पाद दो विशेष रूप से "इनहेल्ड" टीकों में से एक है, जो नैदानिक ​​चरण के विकास तक पहुंच गया था, क्योंकि दुनिया भर में कई कंपनियां कोविड -19 सुरक्षा प्रदान करने के लिए इनहेल्ड वैक्सीन पर शोध कर रही हैं।
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दो समुदायों के बीच चाकूबाजी : 10 लोगों की मौत, 15 घायल

 सस्केचेवान/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। कनाडा के सस्केचेवान प्रांत में दो समुदायों के बीच जमकर चाकू चले जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई और 15 घायल हो गए। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है। पुलिस ने कहा कि जेम्स स्मिथ क्री नेशन और सास्काटून के उत्तर-पूर्व में वेल्डन गांव में कई स्थानों पर चाकूबाजी हुई है।

आरसीएमपी सस्केचेवान के सहायक आयुक्त रोंडा ब्लैकमोर ने कहा कि कुछ लोगों पर संदिग्धों ने हमला किया है। अभी इसके पीछ कोई मकसद सामने नहीं आया है कि हमला क्यों किया गया। ब्लैकमोर ने कहा कि आज हमारे प्रांत में जो कुछ हुआ है, वह भयावह है।



उन्होंने कहा कि 13 जगह ऐसी हैं यहां लोग मृत और घायल अवस्था में पाए गए हैं। ब्लैकमोर ने कहा कि पुलिस को सुबह छह बजे से एक समुदाय पर छुरा घोंपने की रिपोर्ट मिलनी शुरू हुई। हमलों की और खबरें तेजी से आईं और दोपहर तक पुलिस ने चेतावनी जारी की।



पुलिस रेजिना निवासियों से सावधानी बरतने और आश्रय लेने पर विचार करने के लिए कह रही है। आरसीएमपी ने कहा कि निवासियों को दूसरों को अपने घरों में आने की अनुमति देने के बारे में सावधान रहना चाहिए और सुरक्षित स्थान नहीं छोड़ना चाहिए।

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लिज ट्रस बनीं ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री, भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हराया

 लंदन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री की घोषणा कर दी गई है। कंजरवेटिव पार्टी की लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बनी हैं। उन्होंने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हराया। ट्रस को बोरिस जानसन की जगह नया प्रधानमंत्री चुना गया है। ट्रस और सुनक दोनों कंजरवेटिव पार्टी के नेता हैं। ट्रस मंगलवार को औपचारिक हैंडओवर प्रक्रियाओं के बाद प्रधानमंत्री बनेंगी।

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री घोषित की गई ट्रस को 81,326 वोट मिले, जबकि ऋषि सुनक को 60,339 वोट मिले। इस तरह ट्रस ने सुनक को 20, 987 मतों से हराकर प्रधानमंत्री पद की रेस जीत ली।



लिज ट्रस ने कहा है कि प्रधानमंत्री बनने पर वह हफ्ते भर में ही बिजली के बिल को कम करने और बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए कदम उठाएंगी। वहीं, ट्रस के प्रतिद्वंद्वी और पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने कहा है कि चुनाव हारने की स्थिति में वह नई सरकार का सहयोग करेंगे। इससे स्पष्ट है कि सुनक सांसद के रूप में ब्रिटेन में कार्य करते रहेंगे।



ऐसे समय में जब ब्रिटेन मंदी की आशंका, रिकार्ड दस प्रतिशत के पार महंगाई दर और औद्योगिक क्षेत्र में अशांति की चुनौतियों से जूझ रहा है, तब नए प्रधानमंत्री के सामने हालात को सामान्य बनाने की बड़ी चुनौती होगी।



ट्रस ने कहा है कि वह अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई कड़े निर्णय भी लेंगी। संडे टेलीग्राफ में लिखे लेख में उन्होंने कहा कि वह नागरिकों और कारोबार की रोजमर्रा की मुश्किलों को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाएंगी। सबसे पहले आने वाले ठंड के मौसम के लिए रणनीति बनाई जाएगी।

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सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे 4 दिन की सरकारी यात्रा पर नेपाल पहुंचे

 काठमांडू (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे नेपाल के सेना प्रमुख जनरल प्रभुराम शर्मा के आमंत्रण पर चार दिन की सरकारी यात्रा पर नेपाल पहुंच गये हैं। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच वर्तमान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढाने और आपसी हित के क्षेत्रों में संबंध मजबूत करने का अवसर मिलेगा। सेना अध्‍यक्ष के रूप में जनरल पांडे की नेपाल की यह पहली यात्रा है। इस दौरान वह नेपाल के राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेनाध्‍यक्ष से मुलाकात करेंगे। वह भारत-नेपाल रक्षा संबंधों को बढाने पर भी चर्चा करेंगे।

 रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि नेपाल के राष्‍ट्रपति के सरकारी आवास, शीतल निवास में आयोजित समारोह में कल भारतीय सेना प्रमुख को नेपाली सेना के मानद जनरल रैंक से सम्‍मानित किया जाएगा। वह नेपाली सेना मुख्‍यालय भी जाएंगे और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे । जनरल पांडे नेपाली सेना के वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ चर्चा भी करेंगे।

आपसी सम्‍मान और विश्‍वास के अलावा, भारत-नेपाल संबंध ऐतिहासिक और बहुआयामी हैं तथा दोनों देशों के बीच सांस्‍कृतिक और सभ्‍यतागत समानताएं हैं। अपनी पड़ोस पहले और एक्‍ट ईस्‍ट नीति के अनुरूप भारत, नेपाल के साथ अपने संबंधों को अधिक प्राथमिकता देता है।

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कौन हैं सुएला ब्रेवरमैन? जो हो सकती हैं ब्रिटेन की कैबिनेट में शामिल, जानिए क्या है भारत से नाता?


नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन की नई संसद में सुएला ब्रेवरमैन को लेकर चर्चा दिनों काफी तेज है। नई ब्रिटिश कैबिनेट में उनके शामिल होने कयास लगाए जा रहे हैं। वर्तमान में 42 वर्षीय सुएला ब्रेवरमैन अटॉर्नी जनरल के पद पर हैं। अब ब्रिटेन में नई सरकार बनने के बाद उनके प्रमोशन की तैयारी है। आइए जानते हैं कि सुएला ब्रेवरमैन कौन और वो भारत से किस प्रकार संबंधित हैं...

अटॉर्नी जनरल के पद पर हैं सुएला

यूके मीडिया में इन दिनों नई कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले सांसदों को लेकर अटकलों पर विश्वास किया जाए तो सुएला ब्रेवरमैन को नई कैबिनेट में जगह मिल सकती है। 42 वर्षीय सुएला ब्रेवरमैन वर्तमान में अटॉर्नी जनरल के पद पर हैं। उनके साथ 47 वर्षीय लिज ट्रस भी नई सरकार की शीर्ष टीम में शामिल हैं। ब्रेवरमैन के अलावा भारतीय मूल की प्रीति पटेल को गृह सचिव के रूप में प्रमोट करने की तैयारी है।

42 वर्षीय सुएला ब्रेवरमैन भारत में गोवा मूल की हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 47 वर्षीय लिज ट्रस की टीम में वो शामिल हैं। ब्रेवरमैन को अब प्राथमिकता देने पर विचार किया जा सकता है। अगर उन्हें नई ब्रिटिश कैबिनेट में जगह मिलती है तो वो ऐसा पद पाने वाली इकलौती भारतीय मूल सांसद हो सकती हैं। वो नए मंत्रिमंडल में भारतीय मूल की एकमात्र ब्रिटिश राजनेता होंगी।

लिज ट्रस पीएम बनने को तैयार- सुएला ब्रेवरमैन
इससे पहले सुएला ब्रेवरमैन को कई बार लिज ट्रस की जमकर प्रशंसा की। चुनाव परिणाम आने से पहले सुएला ने एक बयान में कहा, 'लिज ट्रस अब पीएम बनने के लिए तैयार हैं। वो काफी अनुभवी हैं। देश में विकास तेजी होगा। हम स्थिरता को तत्काल तेजी से दूर करेंगे।'

सुएला के कैबिनेट में सेवा की संभावना नहीं- ऋषि सूनक
वहीं दूसरी ओर पीएम के पद के दावेदार श्री सूनक दावा किया कि कंजर्वेटिव सरकार आएगा। ऐसे में सुएला के कैबिनेट में सेवा की संभावना नहीं हैं। हालांकि, 42 वर्षीय पूर्व चांसलर के समर्थकों ने जोर देकर कहा है कि अगर लिज ट्रस वास्तव में 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर कार्यभार संभालती हैं तो सुएला को प्राथमिका मिलेगी।
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रोहिंग्या प्रवासी देश के लिए बड़ा बोझ, इन्हे हटाने में भारत निभा सकता है बड़ी भूमिका : शेख हसीना

 ढाका/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रोहिंग्या प्रवासियों के मुद्दे पर खुलकर बात की। पीएम शेख हसीना ने रोहिंग्या प्रवासी को देश के लिए बड़ा बोझ बताया है। उन्होंने कहा कि दस लाख से अधिक रोहिंग्या प्रवासी बांग्लादेश पर बड़ा बोझ हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत प्रमुख भूमिका निभा सकता है और देश यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बात कर रहा है, ताकि वे अपनी मातृभूमि में लौट जाएं।

रोहिंग्याओं की मौजूदगी ने मुश्किलें खड़ी की
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि उन्हें लगता है कि भारत समस्या के समाधान में अहम भूमिका निभा सकता है। एएनआई के साथ बातचीत में हसीना ने कबूल किया कि बांग्लादेश में लाखों रोहिंग्याओं की मौजूदगी ने उनके शासन के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी थीं। उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि ये हमारे लिए यह एक बड़ा बोझ है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में 11 लाख रोहिंग्या हैं। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अपने पड़ोसी देशों से भी परामर्श कर रहे हैं, उन्हें भी कुछ कदम उठाने चाहिए ताकि वे घर वापस जा सकें।

रोहिंग्या की घर वापसी जरूरी : शेख हसीना
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए विस्थापित समुदाय की देखभाल करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि मानवीय आधार पर हम उन्हें आश्रय देते हैं और सब कुछ प्रदान करते हैं। लेकिन इस COVID के दौरान हमने सभी रोहिंग्या समुदाय का टीकाकरण किया। लेकिन वे यहां कब तक रहेंगे? इसलिए वे शिविर में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग नशीले पदार्थों की तस्करी, महिला तस्करी में लिप्त होते हैं और ये दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए जितनी जल्दी वे स्वदेश लौटते हैं यह हमारे देश के लिए और म्यांमार के लिए भी अच्छा है।

रोहिंग्या की घर वापसी में बड़ी भूमिका निभा सकता है भारत


पीएम शेख हसीना ने कहा कि हम उन्हें आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, हम उनके लिए आसियान या संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अन्य देशों के साथ चर्चा कर रहे हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके देश ने रोहिंग्याओं को शरण देने की पेशकश की थी, जब वे कई परेशानियों का सामना कर रहे थे। हसीना ने कहा कि अब उन्हें अपने देश वापस जाना चाहिए। लेकिन एक पड़ोसी देश के रूप में भारत इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है, मुझे ऐसा लगता है। प्रधानमंत्री हसीना सोमवार से अपनी चार दिवसीय भारत यात्रा की शुरुआत करने वाली हैं।

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बराक ओबामा को मिला नेशनल पार्क श्रृंखला के लिए एमी पुरस्कार

 लॉस एंजिलिस (छत्तीसगढ़ दर्पण)।  अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को नेटफ्लिक्स की वृत्तचित्र श्रृंखला ‘‘अवर ग्रेट नेशनल पार्क्स’’ में आवाज देने के सर्वश्रेष्ठ नैरेटर का एमी पुरस्कार प्रदान किया गया। पांच हिस्सों में विभाजित इस श्रृंखला में दुनिया के प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों को दिखाया गया है। इसे बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा की कंपनी ‘हायर ग्राउंड’ ने बनाया है।

बराक ओबामा अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें एमी पुरस्कार से नवाजा गया है। इससे पहले ड्वाइट डी आइजनहावर को वर्ष 1956 में विशेष एमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले ओबामा को उनकी दो किताबों के ऑडियो संस्करण के लिए ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बराक ओबामा को उनके संस्मरण द ऑडिसिटी ऑफ होप और द प्रॉमिस्ड लैंड के ऑडियो संस्करण के लिए ग्रैमी मिला था जबकि वर्ष 2020 में मिशेल को उनकी अपनी ऑडियो किताब के लिए ग्रैमी से सम्मानित किया गया।

 
 
 

इसी समारोह में ब्लैक पैंथर स्टार चैडविक बोसमैन को मरणोपरांत क्रियेटिव आर्ट के लिए एमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार डिज्नी प्लस श्रृंखला व्हाट इफ...? के लिए दिया गया। हॉलीवुड संवाददाता के मुताबिक बोसमैन की तरफ से उनकी पत्नी टेलर सिमोन लेडवॉर्ड ने शनिवार को समारोह में पुरस्कार ग्रहण किया। यह समारोह माइक्रोसॉफ्ट थियेटर में आयोजित किया गया था।

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भारतीय मूल की प्रोफेसर को इमर्जिंग लीडर इन हेल्थ एंड मेडिसिन स्कॉलर चुना गया

 ह्यूस्टन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारतीय मूल की प्रोफेसर स्वाति अरूर को नेशनल अकैडमी ऑफ मेडिसिन (एनएएम) ने वर्ष 2022 के लिए ‘इमर्जिंग लीडर इन हेल्थ एंड मेडिसिन स्कॉलर’ चुना है। अरूर टेक्सास विश्वविद्यालय में ‘एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर’ में जेनेटिक्स की प्रोफेसर और उपाध्यक्ष हैं। एमडी एंडरसन की स्थापना 2016 में हुई थी और अरूर इस प्रतिष्ठित समूह में शामिल की जाने वाली फैकल्टी की पहली सदस्य हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर उनका जुनून तब से जगजाहिर है जब वह 1991-1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक कर रही थीं और उन्होंने एचआईवी पीड़ित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए एक गैर सरकारी संगठन की शुरुआत की थी। अरूर ने 2001 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से माइक्रोबायलॉजी में पीएचडी किया और इसके बाद कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई की।

 
 
 

एमडी एंडरसन के अध्यक्ष पीटर पिस्टर्स ने कहा, हमें प्रसन्नता है कि नेशनल एकैडमी ऑफ मेडिसिन ने लाइफ साइंस के क्षेत्र में डॉ अरूर के योगदान और बेहतरीन नेतृत्व को मान्यता दी। पिस्टर्स ने कहा, कैंसर मेटास्टेसिस अनुसंधान को आगे बढ़ाने की उनकी लगन, विशेषज्ञता और कार्य हमारे प्रतिष्ठान के लिए अनमोल हैं और हम उन्हें चुने जाने का स्वागत करते हैं। ‘एनएएम इमर्जिंग लीडर फोरम’ वाशिंगटन में 18-19 अप्रैल 2023 को आयोजित किया जाएगा।

 
 
 

अरूर ने अपने चयन पर कहा, हमारे पास सर्वश्रेष्ठ दुनिया नहीं है। बल्कि विश्व हमारे कार्यों का प्रतिबिंब है कि हम पीछे क्या छोड़ कर जाएंगे और आगे क्या कीमत चुकाएंगे। उन्होंने कहा, उभरती हुई शख्सियत के तौर पर नामित होना न केवल एक सम्मान है बल्कि यह मुझे वैश्विक शख्सियतों के साथ काम करने और उनसे सीखने का एक मौका भी देगा...।

 

 

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चीन में शादी करने से क्यों कतरा रहे युवक-युवतियां? वजह जानकर चौंक जाएंगे

 

बीजिंग (छत्तीसगढ़ दर्पण)। बीते कुछ सालों से चीन देश की लगातार कम हो रही जनसंख्या से परेशान है। घटती जनसंख्या की वजह शादी के प्रति युवाओं की अनिच्छा बतायी जा रही है। हाल में जारी 'चाइना स्टैटिस्टिकल ईयरबुक 2021' के मुताबिक,चीन में शादियों की संख्या 36 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। बीते साल चीन में मात्र 70.64 लाख जोड़ों ने शादियां रचाईं। यह 1986 की तुलना में सबसे कम आंकड़ा है।

2003 के बाद पहली बार 8 मिलियन से कम हुई शादी
चीन में 2003 के बाद यह पहली बार हुआ है जब शादियों की संख्या 8 मिलियन विवाह के आंकड़े से नीचे गिर गई है। नागरिक मामलों के विकास संबंधी 2021 की नवीनतम सांख्यिकीय रिपोर्ट के अनुसार, 2020 की तुलना में शादी करने वाले जोड़ों की संख्या 2021 में 6.1 प्रतिशत कम रही। आंकड़े दर्शाते हैं कि शादियों की संख्या में लगातार आठवें वर्ष गिरावट दर्ज की गई। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि विवाह दर में गिरावट का आर्थिक विकास पर भी असर पड़ेगा।

अधिक उम्र में शादी कर रहे युवा
इस आंकड़े में सुधार की वजह चीनी युवाओं का अधिक उम्र में शादी करना भी बताया जा रहा है। 2021 में शादी के लिए पंजीकरण कराने वाले लगभग आधे जोड़े 30 या उससे अधिक उम्र के थे। वहीं, 19.50 ऐसे जोड़े थे जिन्होंने 40 पार की उम्र में शादी रचाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि देर से शादी करने के चलन के कारण चीन द्वारा तीन बच्चों की अनुमति देने की नीति प्रभावित होगी, जिससे जनसंख्या संबंधी दिक्कतें दूर करने के लिए चुनौती और बढ़ेगी।

युवाओं पर नौकरी हासिल करने का भारी दवाब
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) के जनसंख्या निगरानी और परिवार विकास विभाग के उप निदेशक यांग जिनरुई ने जनवरी में कहा था कि 30 साल से कम उम्र के ज्यादातर लोग शादी करने में देरी कर रहे हैं क्योंकि नौकरी हासिल करने के लिए भारी दबाव है जो एक परिवार को पालने के लिए पर्याप्त जरूरी है। उन्होंने कहा, "1990 और 2000 के दशक में पैदा हुए लोग, जो आजकल शादी कर सकते हैं या बच्चे पैदा कर सकते हैं, ने लंबी शिक्षा प्राप्त की है और अधिक रोजगार के दबाव का सामना कर रहे हैं।" यांग ने कहा कि इस घटना ने उनमें से अधिक को शादी स्थगित करने या कभी शादी नहीं करने का विकल्प चुना है।

बढ़ती महंगाई भी कम जनसंख्या की वजह
विवाह पंजीकरण में गिरावट के कारणों को रेखांकित करते हुए जनसांख्यिकी विशेषज्ञ हे याफू ने कहा- काम के अत्यधिक दबाव, महिला शिक्षा स्तर में सुधार तथा आर्थिक स्वतंत्रता जैसे कारणों से युवाओं में विवाह को लेकर दिलचस्पी घटी है। चीन में, सातवीं राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार पुरुषों की संख्या महिलाओं से 3.49 लाख अधिक है। याफू ने कहा कि इनमें विवाह योग्य उम्र की महिलाओं की तुलना में 20 वर्ष की आयु में 1.75 लाख अधिक पुरुष हैं। इसके अलावा बढ़ती महंगाई शादी करने व बच्चे पैदा करने की राह में एक बड़ी बाधा है।
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म्यांमार में पूर्व ब्रिटिश राजदूत को एक साल की कैद, जुर्म सुनकर आप भी हो जाएंगे हैरान


नेपीदाव (छत्तीसगढ़ दर्पण)। म्यांमार में पूर्व ब्रिटिश राजदूत विकी बॉवमैन और उनके पति को पिछले सप्ताह गिरफ्तार करने के बाद अब एक-एक साल की सजा सुनाई गई है। बॉवमैन के पति हतीन लीन म्यांमार के जाने-माने कलाकार हैं। दोनों को एक साल कैद की सजा सुनाई गई है। कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि म्यांमार की सेना नियंत्रित एक अदालत के इस फैसले से ब्रिटेन के साथ म्यांमार के संबंध और तनावपूर्ण होने वाले हैं।

म्यांमार में 5 साल राजदूत रहीं विकी बॉवमैन
विकी बॉवमैन 2002 से 2006 तक म्यांमार में ब्रिटिश राजदूत थीं। उन्हें और उनके पति को बीते 24 अगस्त को आव्रजन कानून का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तब से उन्हें यंगून में हिरासत में रखा गया था। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने म्यांमार में अपना एक दूसरा पता भी रजिस्टर्ड कराया हुआ था। दोनों शान प्रांत स्थित कालाव में हतीन लिन के घर पर रह रहे थे। जबकि उन्होंने अपना पता यंगून के एक अपार्टमेंट का भी दर्ज करा रखा था।

गलत पता दर्ज कराने की मिली सजा
गलत पता दर्ज कराने के आरोप में बॉवमैन और उनके पति को पांच साल तक कैद सुनाई जा सकती थी। लेकिन कोर्ट ने उन्हें एक साल की जेल सुनाई है। इससे पहले बताया गया था कि दोनों पर लगे इल्जाम की सुनवाई 6 सितंबर को होगी लेकिन म्यांमार की अदालत ने मामले को फास्ट ट्रैक करने का फैसला किया। गौरतलब है कि इससे पहले शुक्रवार को ही म्यांमार की एक सैन्य-संचालित अदालत ने भी पूर्व नेता आंग सान सूची को चुनावी धोखाधड़ी के आरोप में तीन साल की और जेल की सजा सुनाई है।

हमेशा से मुखर रही हैं बोमन
विक्की बोमन हमेशा से ही मुखर रही हैं। उन्होंने सैन्य सरकार के उठाए गए कुछ कदमों की भी आलोचना की है जिन्होंने यहां अर्थव्यवस्था पर असर डाला है। उन्होंने तख्तापलट के बाद से म्यांमार के कई सेमिनारों में ये बात की है, हालांकि आम तौर पर वह सैन्य सरकार की किसी भी खुली आलोचना से बचने के लिए हमेशा सावधान रही हैं। अब तक बोमन ने कोई भी ऐसी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है जो सैन्य सरकार को उत्तेजित कर सकती थी।

सजा मिलने से हैरान हुए लोग
ऐसे में विश्लेषक इस गिरफ्तारी के पीछे कोई और ही कारण होने की बात कह रहे हैं। चूंकि इससे पहले भी इस देश में कई विदेशियों ने वीजा से अधिक समय बिताया है, अक्सर कई महीनों तक, या अधिकारियों को सूचित किए बगैर पते बदल दिए हैं, लेकिन म्यांमार में ऐसे अपराधों के लिए मुकदमा लगभग अनसुना है। इस मामले में आमतौर पर एक छोटा सा जुर्माना मामले को सुलझा देने के लिए काफी होता है।

ब्रिटेन के लिए कूटनीतिक चुनौतियां बढ़ीं
विश्लेषकों के मुताबिक, इस घटना से म्यांमार में ब्रिटेन के लिए कूटनीतिक चुनौतियां बढ़ गई हैं। सैनिक शासकों ने बीते जुलाई में ब्रिटेन के कार्यवाहक राजदूत को देश से निकाल दिया था। हाल में म्यांमार सरकार ब्रिटिश कूटनीतिकों को वीजा देने में भी देर करती रही है। कुछ विश्लेषकों के मुताबिक, ये सारी कार्रवाइयां ब्रिटेन की तरफ से म्यांमार पर लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में की गई हैं।
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पायलटों की हड़ताल के चलते 800 से ज्याद फ्लाइट निरस्त, दिल्ली एयरपोर्ट में हंगामा...

 बर्लिन/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। जर्मनी के पायलट गुरुवार को दिनी हड़ताल पर रहे। इसके कारण देश की अग्रणी लुफ्थांसा एयरलाइंस ने 800 से ज्यादा फ्लाइट निरस्त कर दी है। इसके कारण 1.30 लाख से ज्यादा यात्री प्रभावित हुए हैं। उड़ान निरस्त होने से भारत में दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर बीती रात यात्रियों ने हंगामा किया। इसके कारण एयरपोर्ट पर आवाजाही में बाधा पड़ी।


जर्मनी की पायलट यूनियन ने विभिन्न मांगों को लेकर आज हड़ताल का एलान किया है। सूत्रों के मुताबिक, पायलटों की हड़ताल के चलते लुफ्थांसा एयर लाइन की 800 उड़ानें रद्द होने की संभावना है। अधिकारियों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में उड़ानों के रद्द होने के कारण करीब 1.30 लाख यात्रियों पर असर पड़ सकता है।

यात्रियों ने की रिफंड या वैकल्पिक उड़ान की मांग
दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट के डीसीपी ने बताया कि रात करीब 12 बजे 150 से ज्यादा लोगों की भीड़ एयरपोर्ट के डिपार्चर गेट नं. 1 व टर्मिनल नंबर 3 के सामने जमा हो गई। ये लोग लुफ्थांसा की फ्रेंकफर्ट व म्युनिख की उड़ानें निरस्त होने के कारण यात्रियों का पैसा रिफंड करने या वैकल्पिक उड़ान की मांग कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय विमानतल के बाहर भीड़ जमा होने से अन्य यात्रियों को आवाजाही में दिक्कत होने लगी। इसके बाद आईजीआई के स्टाफ व सीआईएसएफ के जवानों ने स्थिति संभाली और भीड़ को दूर किया। डीसीपी ने कहा कि जर्मन एयरलाइंस के यात्रियों के लिए वैकल्पिक उड़ान के प्रबंध किए जा रहे हैं।

 

 

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