दुनिया-जगत

अफगानिस्तान में भूकंप के झटके, 150 से ज्यादा लोगों की मौत

काबुल/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अफगानिस्तान के पूर्वी इलाके पाकटिका में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। वहां की स्थानीय मीडिया के अनुसार, भूकंप के कारण 155 लोगों की मौत हो गई। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गई। आपदा प्रबंधन अधिकारियों की ओर से मिली जानकारी के अनुसार इस भूकंप में अधिक नुकसान पाकटिका में हुआ है। तालिबानी प्रशासन के आपदा प्रबंधन अथारिटी के प्रमुख मोहम्मद नसीम हक्कानी ने बताया कि प्रभावित इलाकों में राहत व बचाव कार्य जारी है।

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फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बहुमत खोने के बाद अब क्या करेंगे? जानिए

पेरिस (छत्तीसगढ़ दर्पण)। फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बाद मंगलवार को विपक्षियों से मुलाक़ात करेंगे. मैक्रों पर अपनी सरकार के सुधारवादी एजेंडा को पूरा करने के लिए विपक्षियों का समर्थन पाने का दबाव है. लेकिन मरीन ली पेन की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी और जीन लुच मेलेनचोन का लेफ्ट-ग्रीन गठबंधन दोनों ही मैक्रों के साथ काम करने के इच्छुक नहीं है. फ़्रांस में ऐसा बहुत कम ही मौक़ों पर देखा गया जब सरकार अल्पमत में हो और मैक्रों की पार्टी और अन्य गठबंधन सहयोगी अब भी बहुमत से 44 सीट पीछे हैं. इसका मतलब है कि उन्हें अब साधारण बहुमत बनाने के लिए लेफ्ट और राइट दोनों ही राजनीतिक धड़ों के सांसदों के समर्थन की ज़रूरत पड़ेगी. एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार और बुधवार को सभी पार्टी के प्रतिनिधि उच्च-स्तरीय वार्ता के लिए अलग-अलग समय पर राष्ट्रपति भवन पहुँचेंगे. जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति दक्षिणपंथी रिपब्लिकन से सौदा करने पर विचार कर रहे हैं और पार्टी ने भी पुष्टि की है कि उनके नेता क्रिस्चियन जैकब वार्ता में शामिल होंगे. 

ली पेन वार्ता में हिस्सा लेंगी लेकिन मेलेनचोन नहीं जाएंगे. सोशलिस्ट पार्टी के नेता ओलीवियर फ़ॉअर और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख फ़ेबियन रूज़ेल, लेफ्ट पार्टियों के गठबंधन न्यूप्स के सदस्य भी मैक्रों से मिलेंगे. फ़्रांस की सेन्ट्रिस्ट सरकार संसद में बहुमत खोने के बाद से ही राजनीतिक व्यवस्था को पंगु बनने से रोकने के लिए बेसब्र है. कुछ जानकारों ने चेताया है कि इस स्थिति की वजह से फ़्रांस बिना शासन व्यवस्था वाला देश बन सकता है. मैक्रों को अपने उन तीन मंत्रियों को भी बदलना पड़ेगा जो रविवार को चुनाव हार गए हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न के भविष्य पर भी ख़तरा मंडरा रहा है.

चुनाव में इस बार बहुत कम लोगों ने मतदान किया और 53 फ़ीसदी लोगों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. राष्ट्रपति मैक्रों ने देश में बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए कई योजनाओं का प्रस्ताव दिया है. इसमें फ़ूड वाउचर और लोगों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं मे बढ़ोतरी भी शामिल है. दूसरा सबसे बड़ा प्रस्तावित सुधार रिटायरमेंट की उम्र को 62 साल से बढ़ाकर 65 वर्ष करना है. माना जा रहा है कि ये प्रस्ताव अधिकतर इलेक्टोरेट के बीच अलोकप्रिय साबित हुआ. राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने पहचान न बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा, "हमारा मक़सद एक ऐसे समय में फ्रांस के लोगों की सेवा करना है, जब मैक्रों की सत्ताधारी गठबंधन के लिए कोई वैकल्पिक बहुमत नहीं है." लेफ़्ट और राइट पार्टियों के विपक्षी नेता राष्ट्रपति के सुधारवादी कार्यक्रम पर रोक गाना चाहते हैं. हालाँकि, मी पेन की पार्टी नेशनल रैली ने कहा है कि अगर उसके प्रस्तावों को स्वीकार किया जाए तो वो महंगाई कम करने के लिए उठाए गए कदमों का समर्थन करने को तैयार हैं. 

इस्लाम पर मैक्रों के बयान से कई अरब देशों में नाराज़गी, सामानों के बहिष्कार की अपील सबसे बड़ी पार्टी लेकिन बहुमत से दूर इमैनुएल मैक्रों की अगुवाई वाला गठबंधन (एनसेंबल) के पास अभी भी संसद में सबसे अधिक सीटे हैं. एनसेंबल जिसका अर्थ अंग्रेज़ी में टुगेदर है, के पास संसद में 244 सीटे हैं. बहुमत के लिए 289 सीटें चाहिए. मैक्रों दो महीने पहले ही दूसरी बार फ़्रांस के राष्ट्रपति बने हैं. आख़िरी बार सन् 1988 में फ़्रांस की संसद में राष्ट्रपति बहुमत हासिल करने में विफल रहे थे. इसके बाद नेशनल रैली को भी संसद में 89 सीटें मिली हैं, जो कि पूर्वानुमान की तुलना में कहीं अधिक हैं. पिछले चुनाव में पार्टी को केवल आठ सीटें ही मिली थीं.

संसदीय चुनावों के लिए बने हालिया गठबंधन न्यूप्स अब मुख्य विपक्षी की भूमिका में है. ये गठबंधन लेफ्ट नेता जीन लुच मेलेनचोन की अगुवाई में बना. मेलेनचोन राष्ट्रपति चुनाव के पहले राउंड में ही बाहर हो गए थे. अब उनकी अगुवाई वाले गठबंधन के पास संसद में 137 सीटे हैं. न्यूप्स नाम के इस गठबंधन में लेफ्ट पार्टी ला फ़्रांस इनसोमाइज़ के साथ सोशलिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट शामिल है. फ़्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने अभी तक चुनाव के नतीजों पर टिप्पणी नहीं की है. ऐसी स्थिति में ये साफ़ नहीं हो सका है कि वो आगे के लिए क्या योजना बना रहे हैं. उनके पास फिलहाल एक विकल्प ये भी है कि वो फ़्रांस की पारंपरिक दक्षिणपंथी पार्टी रिपबल्किन्स के साथ गठजोड़ कर लें, जिसने संसद में 61 सीटे जीती हैं.
 
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गेहूं के बाद चावल संकट में फंस सकती है दुनिया, भारत पर उम्मीद भरी नजर, परेशान हुए दर्जनों देश

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। गेहूं की बढ़ती कीमतों से परेशान भारत में लोग भोजन का सस्ता विकल्प चुनने के लिए चावल की तरफ अपना रूख कर सकते हैं, जिससे चावल की कीमतों में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है। पर्याप्त स्टॉक और मजबूत उत्पादन के कारण चावल की कीमत अभी स्थिर बनी हुई है। लेकिन यह बदल सकता है, अगर ग्राहक चावल की तरफ अपना ध्यान करते हैं तो। जिससे चावल के भंडार में कमी आ सकती है और निर्यात पर प्रतिबंध लग सकता है, लिहाजा एशियाई देशों के साथ साथ अमेरिका भी परेशान है।


अब चावल ने किया दुनिया को परेशान
चावल दुनिया की आधी से अधिक आबादी के लिए प्राथमिक ख्याद्य सामग्री है और इसका लगभग 90% एशिया में उगाया जाता है। वहीं, भारत सरकार और भारतीय किसान लगातार मॉनसून की तरफ निगाह बनाए हुए हैं, ताकि चावल की खेती अच्छी हो, जिससे खाद्य महंगाई को कंट्रोल में रकने के साथ साथ चावल की ग्लोबल सप्लाई भी की जा सकते। भारतीय डिप्लोमेसी के लिए चावल और गेहूं काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। जापान की फाइनेशियल होल्डिंग नोमूरा ने अपने एक नोट में कहा है कि, 'एक खाद्य पदार्थ की कीमत में इजाफा होने का असर दूसरे खाद्य पदार्थों पर पड़ता है, ऐसे में हमें लग रहा है कि, खाद्य महंगाई दर और भी ज्यादा बढ़ जाएगी। खासकर हम चावल की कीमत पर करीब से नजर रख रहे हैं। मौजूदा वक्त में चावल की कीमत में इजाफा होने की उम्मीद कम है, क्योंकि गेहूं की कीमत में उछाल के बाद भी चावल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रही हैं।'

आगे हो सकती है स्थिति गंभीर
गेहूं संकट के बीच वैश्विक चावल भंडार तेजी से कम हो सकता है और स्थिति को गंभीर होने में वक्त नहीं लगेगा। नोमूरा ने अपने नोट में कहा कि, 'हालांकि, अगर गेहूं की बढ़ती कीमतों से चावल की जगह ले ली जाती है, तो यह मौजूदा स्टॉक को कम कर सकता है, घरेलू खाद्य सुरक्षा कारणों से प्रमुख उत्पादकों चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, और समय के साथ चावल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। वर्ल्ड राइस एक्सपोर्ट इस सीजन में 52.6 मिलिय मैट्रिक टन रहा है, जो विश्व में कुल चावल उत्पादन (512.8 मिलियन मीट्रिक टन) का करीब 10.3 प्रतिशत है। लिहाजा, अगर गेहूं की तरफ से लोग चावल की तरफ शिफ्ट होते हैं, या फिर अगर कोई भी एक चावल निर्यातक देश चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है, तो वैश्विक चावल बाजार पर व्यापक असर पड़ सकता है।

वैश्विक चावल उत्पादन में भारत
संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022-23 में चावल की वैश्विक खपत और चावल के वैश्विक उत्पादन में वृद्धि में भारत का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसके अलावा, भारत का निर्यात 10 लाख टन से बढ़कर रिकॉर्ड 2 करोड़ 20 लाख टन होने का अनुमान है, जो वैश्विक शिपमेंट का लगभग 41% हिस्सा है। भारत का अनुमानित निर्यात चावल के अगले तीन सबसे बड़े निर्यातकों, थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान के संयुक्त शिपमेंट से काफी ज्यादा है। भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है और कई देश चिंतित हैं, कि अगर गेहूं और चीनी की तरह, भारत ने चावल निर्यात पर भी नियंत्रण रखने के लिए प्रतिबंधों का ऐलान किया, तो उनकी स्थिति बिगड़ सकती है। हालांकि, भारत सरकार ने आश्वासन दिया है, कि वह ऐसा नहीं करेगा। लेकिन, इस परिदृश्य में, योजनाओं में अचानक बदलाव खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति को बढ़ा सकता है।

इस साल मुद्रास्फीति ज्यादा रहने की उम्मीद
जब भारत में खाद्य मुद्रास्फीति की बात आती है, तो जापानी फाइनेशियल फर्म नोमुरा को उम्मीद है कि यह 2022 तक ऊंचा रहेगा और वार्षिक आधार पर औसतन 8.0% तक रहेगा, तो साल 2021 में 3.7% के मुकाबले ढाई गुना से ज्यादा है। नोमुरा ने यह भी कहा है कि, जब स्थानीय अज्ञात कारकों के साथ संयुक्त, फीडस्टॉक की बढ़ती लागत, उर्वरक कमी को दक्षिण कोरिया, भारत, हांगकांग, फिलीपींस और सिंगापुर से जोड़ दिया जाए, तो एशिया में खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति इस साल काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

वैश्विक चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी
भारत, दुनिया में गेहूं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक, जिसने गेहूं निर्यात प्रतिबंध लगा दिए हैं। क्योंकि तेज गर्मी के कारण इस साल के लिए गेहूं के उत्पादन का अनुमान तेजी से कम हो गया था और वैश्विक बाजार चिंतित थे कि चावल अगला टारगेट हो सकता है। नेशनल कमोडिटीज मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रबंध निदेशक सिराज चौधरी ने इस महीने की शुरुआत में ब्लूमबर्ग टीवी से बात करते हुए बताया था कि, 'जैसा कि आज चीजें दिखाई दे रही हैं, फसलों के अच्छे मानसून को देखते हुए आशावादी होने का हर कारण है।" उन्होंने कहा, "विश्वास करने का कोई कारण नहीं है" कि चावल के शिपमेंट पर कोई प्रतिबंध लग सकताहै, क्योंकि भारत अपने उत्पादन का केवल 20% ही निर्यात करता है और भारत के पास पर्याप्त स्टॉक है'। यानि, चावल पर भारत का रूख क्या होगा, उसने दुनिया को टेंशन में डाल रखा है, लिहाजा उम्मीद यही की जा रही है, कि इस बार मॉनसून अपने साथ अच्छी बारिश लेकर आए, ताकि भारत के साथ साथ दुनिया के बाकी देश भी खाद्य संकट से बच सकें।
 
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भारी कर्ज के बीच श्रीलंका और चीन की दोस्ती कायम, गोटबाया ने शी जिनपिंग को कहा धन्यवाद

 

कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका घोर आर्थिक संकट की दौर से गुजर रहा है। वहां की जनता खाद्य संकट से जूझ रही है और महंगाई की मार से उनकी कमर टूट चुकी है। ऐसे समय श्रीलंका को मदद के लिए भारत और चीन आगे आया। वहीं, दूसरी तरफ देश के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग को इन कठिन परिस्थितियों में साथ देने के लिए धन्यवाद दिया है।

गोटबाया ने शी जिनपिंग को धन्यवाद कहा श्रीलंका के राष्ट्रपति ने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग को जन्मदिन की बधाई देते हुए इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा, ऐसे कठिन परिस्थिति में चीन जैसे मित्र राष्ट्र ने अपनी मित्रता का परिचय देते हुए श्रीलंका का साथ दिया, इसके लिए शी जिनपिंग को धन्यवाद। गोटबाया राजपक्षे ने ट्वीट कर सबसे पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उनके जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने दोनों देशों के बीच आपसी संबंध में मजबूती आने की आशा जताई। बता दें कि, बीजिंग ने श्रीलंका को काफी कर्ज दे रखा है और ऐसे समय में श्रीलंका की स्थिति और भी अधिक खराब हो गई है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने चीन से बकाया कर्ज के पुर्नगठन की बात कही है।

चीन से भारी कर्ज ले रखा है श्रीलंका 
जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका ने चीन से इस साल 1.5 से 2 बिलियन अमेरिकी डालर कर्ज ले रखा है। पिछले कुछ सालों में श्रीलंका में चीन के ऋण और निवेश का अनुमान 8 बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक था। बता दें कि, चीन इन दिनों हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए श्रीलंका पर लगातार डोरे डाल रहा है। ड्रैगन ने भारत के इस पड़ोसी देश को इतनी अधिक मात्रा में कर्ज दिया हुआ है, जिसको श्रीलंका चाहकर भी अगले 100 साल में भी चुका नहीं पाएगा। यही कारण है कि श्रीलंका को अपना हंबनटोटा बंदरगाह चीनी कंपनी को 99 साल की लीज पर देना पड़ा है। 

ड्रैगन की जाल में श्रीलंका 
बता दें कि, श्रीलंका ने देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए चीन से फिर 2.2 बिलियन डॉलर (16 हजार करोड़ से अधिक) का नया कर्ज मांगा था। श्रीलंका पर चीन का पहले से ही अरबों डॉलर का कर्ज है। 

कितना कर्ज है श्रीलंका पर ?
 जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका पर दुनियाभर के देशों का कुल 55 अरब डॉलर का कर्ज है। रिपोर्ट के अनुसार, यह धनराशि श्रीलंका की कुल जीडीपी की 80 फीसदी है। इसमें सबसे अधिक कर्ज चीन और और एशियन डिवेलपमेंट बैंक का है। जबकि इसके बाद जापान और विश्व बैंक का स्थान है। भारत ने भी श्रीलंका को भारी कर्ज दे रखा है।
 
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सऊदी ने तुर्की, भारत, इथियोपिया और वियतनाम के लिए कोरोना यात्रा प्रतिबंध हटाया

रियाद (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सऊदी अरब ने तुर्की, भारत, इथियोपिया और वियतनाम की यात्रा करने वाले अपने नागरिकों पर सोमवार को कोरोना यात्रा प्रतिबंध हटा दिया। वहां की राज्य समाचार एजेंसी एसपीए ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में, देश ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए उपायों को हटा दिया, जिसमें घर के अंदर फेस मास्क पहनने की आवश्यकता भी शामिल थी।

कोरोना प्रतिबंध हटा
बता दें कि इससे पूर्व, सऊदी अरब ने कोरोना वायरस (Coronavirus) से जुड़े सभी प्रतिबंधों को पूरी तरह खत्म कर दिया था। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए ये प्रतिबंध लगाए गए थे। सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) ने गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि अब बंद जगहों पर मास्क लगाने की भी जरूरत नहीं होगी। लोगों को घर के अंदर फेस मास्क लगाने की जरूरत नहीं होगी। सऊदी में रहने वाले भारतीयों समेत सभी के लिए ये एक राहत है।

कहां मास्क है जरूरी
हालांकि आदेश में कहा गया है कि अपवाद स्वरूप मक्का में ग्रैंड मस्जिद और मदीना में पैगंबर की मस्जिद में मास्क पहनना होगा। हवाई जहाज, सार्वजनिक परिवहन और किसी भी गतिविधि में शामिल होने के लिए वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। आदेश में ये भी कहा गया है कि जो नागरिक सऊदी अरब छोड़ना चाहते हैं उन्हें तीन की जगह आठ महीने के बाद तीसरी बूस्टर खुराक लेनी होगी।

वहीं, कोरोना वायरस महामारी के चलते हज यात्री पूरी तरह बंद थी, जिससे हर साल सऊदी अरब को 12 बिलियन डॉलर का घाटा हुआ है। वहीं इस बीच पड़ोसी देश संयुक्त अरब अमीरात में एक हफ्ते में कोरोना के मामले दोगुने हो गए हैं, जिसके बाद सरकार लोगों से मास्क पहनने को कह रही है।
 
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Climate change: इस देश के आधे से ज्यादा हिस्से में पानी खत्म! दुनिया के लिए बहुत बड़ी चेतावनी

मेक्सिको सिटी (छत्तीसगढ़ दर्पण)। जलवायु परिवर्तन ने अपना भयावह रूप दिखाना शुरू कर दिया है। मेक्सिको जैसे देश में आज की तारीख में स्थिति ये है कि इसका आधा हिस्सा बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। पानी के सारे स्रोत सूख रहे हैं। नल से सप्लाई बंद है। लोग पूरे दिन पानी के इंतजाम में ही बिता रहे हैं। उन्हें पानी जमा करने से ही फुर्सत नहीं मिल पा रही है तो बाकी कुछ करने के लिए समय ही नहीं बच पा रहा है। सवाल है कि आखिर ऐसा कब तक चलेगा। सरकार बारिश का इंतजार कर रही है। लेकिन, सवाल है कि पहले से ही सूखा झेल रहे देश में एकबार और बरसात ने धोखा दिया तो क्या होगा ? यह चिंता सिर्फ मेक्सिको के लोगों की नहीं है। यह संकट पूरी दुनिया का है।

मेक्सिको में ऐतिहासिक जल संकट
उत्तरी अमेरिकी देश मेक्सिको ऐतिहासिक जल संकट झेलने को मजबूर है। फेडरल वाटर कमीशन कोनागुआ के मुताबिक आधा से ज्यादा मेक्सिको इस समय मध्यम से बहुत ही गंभीर सूखे की चपेट में है। भीषण गर्मी अलग पड़ रही है और वैज्ञानिक इसके लिए जलवायु परिवर्तन को दोष दे रहे हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको के कई शहरों में लोगों के पास पानी नहीं है। सियेरा वेंटाना के कई इलाकों में एक हफ्ते पहले से ही पानी के नल सूख चुके हैं। देश का सबसे महत्वपूर्ण ऑद्योगिक शहर ऐतिहासिक जल संकट की चपेट में आ चुका है। 60 वर्षीय महिला रोबल्स ने कहा, 
 
'हम सभी इसलिए जूझ रहे हैं, क्योंकि पानी नहीं आ रहा है।'
'हम अत्यधिक पर्यावरण संकट झेल रहे हैं' हताश होकर रोबल्स और उनके पड़ोसी पास के म्युनिसिपल वाटर टैंक पर चढ़ गईं और उनके जो भी बर्तन था, सब में एक-एक करके पानी इकट्ठा करना शुरू किया। क्योंकि, इसी से पीना है, खाना पकाना है, कपड़े धोने हैं और स्कूल यूनिफॉर्म की सफाई करनी है। उधर मॉनटेरी मेट्रोपॉलिटन एरिया में भी सूखे और कई वर्षों से कम बारिश की वजह से पूरे शहर में पानी की किल्लत चल रही है। यहां की आबादी करीब 53 लाख है। पिछले हफ्ते नुएवो लिओन के गवर्नर सैमुअल ग्रेसिया ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, 'हम अत्यधिक पर्यावरण संकट झेल रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'आज, हम सब ऐसे ही जी रहे हैं और इससे पीड़ित हैं।'

सुपरमार्केट से पानी की बोतलें खत्म
यहां जून की शुरुआत से से ही पानी की कटौती शुरू की गई थी। दिन में सिर्फ 6 घंटे पानी उपलब्ध कराया जा रहा था। इसकी वजह से स्कूलों का समय बदलना पड़ गया। इससे इतनी घबराहट पैदा हुई कि लोगों ने बोतल बंद पानी का स्टॉक करना शुरू कर दिया और सुपरमार्केट से पानी ही खत्म हो गया। ऊपर से लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर उबलने लगा कि सोडा और बीयर कंपनियों को पानी निकालने की इजाजत मिलती रही है, जबकि आम लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे थे।

बारिश की उम्मीद में जी रही है सरकार
स्थानीय सरकार का कहना है कि वह पाइप लीक की मरम्मत करके और प्रेशर वॉल्व लगाकर पानी को बचाने की कोशिश कर रही है। यही नहीं, उन खेतों, कंपनियों और बूचड़खानों पर नकेल कसा जा रहा है, जो नदियों या गुप्त कुओं से पानी चुराते हुए पकड़े गए हैं। सबसे ज्यादा गर्मी का महीना अभी बाकी है, इसलिए फिलहाल यह संकट दूर होने की उम्मीद नहीं है। उम्मीद सिर्फ आसमान पर टिकी है कि बारिश की कुछ बौछारें हो जाएं।

दुनिया के लिए बहुत बड़ी चेतावनी
वाटर एंड सीवेज एजेंसी के हेड जुआन इग्नासियो बैरागन के मुताबिक मेट्रोपॉलिटन एरिया के दो प्रमुख डैम जहां से इसे पानी की सप्लाई होती है, मंगलवार सुबह तक खाली हो सकता है। एक तीसरा डैम है, जहां क्षमता का सिर्फ 45% पानी बच गया है। उन्होंने प्रेस के सामने माना है कि कई इलाकों में पानी की सप्लाई ठप पड़ चुकी है। इनमें से वह इलाका भी है, जहां रोबल्स रहती हैं। मेक्सिको में आज जो हालात बन रहे हैं, वह भविष्य के लिए बहुत बड़ी चेतावनी है। दिन के समय 40 डिग्री का तापमान झेल रहे इस इलाके में लोगों की पूरी दिनचर्या पानी जुटाने तक सिमट चुकी है। जलवायु परिवर्तन धरती पर कितना बड़ा संकट बनता जा रहा है, यह इसका बहुत बड़ा उदाहरण है।
 
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इजराइल में 3 साल के अंदर पांचवी बार बनी चुनाव की स्थिति, नफ्ताली बेनेट होंगे सत्ता से बेदखल

यरुशलम (छत्तीसगढ़ दर्पण)। इजराइल में एक साल के अंदर फिर से सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है। इजरायल का शासी गठबंधन अगले सप्ताह के भीतर संसद को भंग करने के लिए मतदान करेगा और सरकार को गिराएगा। आपको बता दें कि इजराइल के अंदर पिछले 3 साल के अंदर यह पांचवा मौका होगा, जब वहां सरकार गिरने के बाद फिर से चुनाव होंगे। इजराइल में पिछले साल जून में ही बेंजामिन नेतन्याहू की सत्ता उखाड़ फेंकने के बाद से सरकार चला रहे नफ्ताली बेनेट अब प्रधानमंत्री पद से हटने वाले हैं।

यायिर लापिद चुनाव तक होंगे नए प्रधानमंत्री!

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजराइल में नफ्ताली बेनेट की सरकार जाने के बाद मौजूदा विदेश मंत्री यायिर लापिद चुनाव संपन्न होने तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। आपको बता दें कि इजराइल में सत्ता परिवर्तन होने की खबरों के बाद से बेंजामिन नेतन्याहू के राजनीतिक जीवन को नई उम्मीदें मिल गई हैं। माना जा रहा है कि अगर चुनाव होते हैं तो बेंजामिन फिर से नए प्रधानमंत्री हो सकते हैं, क्योंकि वर्तमान स्थिति में अगर चुनाव होते हैं तो उनकी पार्टी की लोकप्रियता के आधार पर वो चुनाव जीत सकते हैं।

गठबंधन तोड़ने का किया ऐलान 
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को इजराइल के मौजूदा प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट और विदेश मंत्री यायिर लापिद ने एक संयुक्त बयान जारी कर गठबंधन को तोड़ने का ऐलान किया। गठबंधन टूटने के बाद नफ्ताली बेनेट का संसद में समर्थन चला गया है, जिसके बाद उनकी सरकार गिर जाएगी और पूरी संभावना है कि देश के अंदर फिर से चुनाव होंगे। आपको बता दें कि इजराइल में अप्रैल 2019 के बाद से पांचवा चुनाव होगा।
 
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भारत और बांग्लादेश के विदेश मंत्रियों की अहम बैठक आज, सातवीं बार हो रही JCC की बैठक क्यों है खास?

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत और बांग्लादेश के बीच सातवीं बार 'ज्वाइंट कंसल्टेटिव कमीशन' यानि संयुक्त सलाहकार आयोग (जेसीसी) की बैठक होने जा रही है, जिसमे दोनों देशों के विदेश मंत्री शिरकत कर रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इस बैठक को लेकर जानकारी दी गई है। हालांकि, दोनों देशों के बीच ये बैठक सातवीं बार आयोजित की जा रही है, लेकिन पहली बार आमने सामने इस बैठक का आयोजन हो रहा है और बैठक में भाग लेने के लिए बांग्लादेश के विदेश मंत्री दिल्ली में मौजूद हैं।

भारत-बांग्लादेश के बीच बैठक
भारत और बांग्लादेश के बीच पहली भौतिक जेसीसी बैठक आज नई दिल्ली में होगी और विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने बांग्लादेशी समकक्ष एके अब्दुल मोमेन के साथ बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि जेसीसी की बैठक में कोविड-19, सीमा प्रबंधन और सुरक्षा, व्यापार और निवेश, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, जल संसाधन, विकास साझेदारी और क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों के मद्देनजर सहयोग सहित द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेगा। कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से यह पहली शारीरिक बैठक होगी। पिछली बैठक 2020 में हुई थी। दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल हैं। भारत-बांग्लादेश रक्षा सहयोग के हिस्से के रूप में, भारत और बांग्लादेश की सेनाओं ने हाल ही में बांग्लादेश में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त सैन्य अभ्यास के 10वें संस्करण का आयोजन किया था।

कई अहम मुद्दो पर सहमति बनने की उम्मीद
बांग्लादेशी पक्ष द्वारा तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे के लिए एक अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को लाने की उम्मीद है। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि, दोनों पक्षों द्वारा छह अन्य संयुक्त नदियों - मनु, मुहुरी, खोवाई, गुमटी, धरला और दूधकुमार के पानी को साझा करने की व्यवस्था पर जल्द निष्कर्ष निकालने की उम्मीद है। आपको बता दें कि, बांग्लादेश में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा शेख हसीना सरकार तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर जल्द समझौता करना चाहती है, जो बांग्लादेश के लिए अहम चुनावी मुद्दा रहता है। वहीं, गुवाहाटी में NADI सम्मेलन भी भारत और बांग्लादेश के विशेषज्ञों को सीमा पार नदियों के मुद्दे पर चर्चा करने और दोनों सरकारों के लिए सिफारिशें करने के लिए प्रदान करेगा।

 

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भारत के आध्यात्मिक नेता ने अमेरिका में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की शुरुआत की

 वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारतीय आध्यात्मिक नेता स्वामी अवधेशानंद गिरि ने भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय-अमेरिकी समुदाय द्वारा आयोजित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोहों की शुरुआत की। जूना अखाड़े के प्रमुख अवधेशानंद ने ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन’ (एफआईए) के पदाधिकारियों की उपस्थिति में शनिवार को समारोहों के एक पोस्टर का अनावरण किया और इस प्रयास के लिए भारतीय-अमेरिकी समुदाय को बधाई दी।

अनावरण का आयोजन न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड में समुदाय के नेता प्रेम भंडारी के आवास पर किया गया। इसमें एफआईए के अध्यक्ष केनी देसाई, अध्यक्ष अंकुर वैद्य और एफआईए के पूर्व अध्यक्ष आलोक कुमार शामिल हुए। भंडारी ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोहों के लिए एफआईए के संयोजक हैं।

वैद्य ने वर्तमान में ‘टाइम्स स्क्वायर’ में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व करने के लिए अमेरिका आए अवधेशानंद को बताया कि एफआईए और उसके स्वयंसेवक एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए अगस्त में न्यूयॉर्क में 2,000 ‘डमरू’ बजाएंगे। उन्होंने बताया कि बाहर आयोजित (आउटडोर) किसी कार्यक्रम में सबसे अधिक झंडे फहराने का वर्तमान गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया सरकार के पास है और एफआईए इस रिकॉर्ड को भी तोड़ने की तैयारी कर रहा हैं।

उन्होंने बताया कि समारोहों के दौरान स्वयंसेवक 190 फुट लंबा तिरंगा फहराएंगे। यही झंडा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में 15 अगस्त को मैनहट्टन हवाई क्षेत्र में और उसके आसपास एक विमान के पीछे फहराया जाएगा। अवधेशानंद ने कहा कि मैनहट्टन के हवाई क्षेत्र में इस तरह तिरंगा फहराना न केवल प्रतीकात्मकता है, बल्कि दुनिया में भारत की स्थिति को लेकर यहां भारतीय प्रवासियों के विश्वास को भी दर्शाता है।

वैद्य ने यह भी बताया कि एफआईए मैनहट्टन में 43वीं वार्षिक भारत दिवस परेड के दौरान अयोध्या राम मंदिर विषय पर आधारित 50 फुट लंबी नौका प्रदर्शित करने की तैयारी कर रहा है।
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एक बार फिर भारत का दौरा करना चाहूंगा : जो बाइडन

वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन शुक्रवार को भारत के साथ रिश्ते को लेकर खुलकर बोले। जो बाइडन ने कहा कि उनके भारत के साथ बहुत ही अच्छे संबंध हैं और इसलिए उन्होंने दो बार भारत की यात्रा भी की है। उन्होंने कहा कि अगर दोबारा मौका मिलता है तो वे फिर से भारत जाना चाहेंगे। जो बाइडन अपने गृह राज्य डेलावेयर रवाना होने से पहले संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि मैं दो बार भारत जा चुका हूं और फिर से जाऊंगा। बाइडन ने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों की भी सराहना की।


भारत के रूस के साथ संबंध पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब
वहीं अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि रूस के साथ भारत के संबंध कई दशकों में विकसित हुए हैं। प्राइस ने कहा कि यह दशकों के दौरान विकसित हुआ है, जब अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं था या भारत सरकार के लिए पसंद का भागीदार नहीं बन पाया था। उन्होंने कहा कि लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं। भारत के साथ संबंध एक द्विदलीय परंपरा की विरासत है जो अब दो दशकों से अधिक समय से चली आ रही है।

क्लिंटन के समय से भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते में हुआ सुधार: नेड प्राइस
नेड प्राइस ने कहा कि दोनों देशों का संबंध वास्तव में पूर्व राष्ट्रपति (बिल) क्लिंटन प्रशासन के साथ बढ़ना शुरू हुआ, निश्चित रूप से पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन में भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी बढ़ी और वह भारत के लिए पसंद का भागीदार बनने का इच्छुक हुआ, जिसमें सुरक्षा क्षेत्र की बात भी शामिल है।
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23 जून 2022 को पेइचिंग में होगा 14वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन

पेइचिंग (छत्तीसगढ़ दर्पण)।  ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन 23 जून से चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित किया जाएगा। वर्चुअल माध्‍यम से आयोजित इस 14वें सम्‍मेलन की मेजबानी राष्‍ट्रपति षी जिनपिंग करेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता हुआ छुंग युंग ने आज इसकी घोषणा की। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार 22 जून को राष्‍ट्रपति षी जिनपिंग ब्रिक्‍स व्‍यापार फोरम के उद्घाटन समारोह में मुख्‍य भाषण देंगे।

ब्रिक्‍स देशों की अध्‍यक्षता इस समय चीन के पास है। राष्‍ट्रपति जिनपिंग 24 जून को पेइचिंग में वैश्विक घटनाक्रम पर उच्‍चस्‍तरीय संवाद करेंगे। संवाद में ब्रिक्‍स नेताओं और बाजार से जुडे पक्षकार तथा विकासशील देशों के प्रतिनिधि हिस्‍सा लेंगे।
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गुरूद्वारे में आतंकी हमला : कई हताहत, मौके पर पहुंचे तालिबानी लड़ाके…

काबुल/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बंदूकधारियों द्वारा गुरुद्वारे में ताबड़तोड़ फायरिंग की खबर सामने आ रही है। इस घटना में कम से कम 25 लोगों के हताहत होने की आशंका है। स्थानीय सूत्रों ने गुरुद्वारा अध्यक्ष गुरनाम सिंह के हवाले से यह जानकारी दी है। गुरनाम सिंह ने बताया है कि बंदूकधारियों ने अचानक गुरुद्वारे पर धावा बोला और फिर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे। कुछ लोग जान बचाने के लिए इमारत की दूसरी तरफ छिपे हुए हैं। वहीं कम से कम 25 लोग गुरुद्वारा के अंदर फंस गए हैं। ताजा जानकारी के अनुसार अभी भी गुरुद्वारा के अंदर दो हमलावर मौजूद हैं।

परिसर के अंदर दो विस्फोट
रिपोर्ट के अनुसार परिसर के अंदर दो विस्फोट हुए और गुरुद्वारा से सटी कुछ दुकानों में आग लग गई। माना जा रहा है कि कम से कम 2 हमलावर गुरुद्वारा परिसर के अंदर हैं और तालिबानी लड़ाके उन्हें जिंदा पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
 
मौके पर पहुंचे तालिबानी लड़ाके
काबुल गुरुद्वारे पर हमला करने वाले बंदूकधारी संभवत: तालिबान के प्रतिद्वंद्वी दाएश समूह के हैं। तालिबान लड़ाके मौके पर पहुंच गए हैं और उनके बीच लड़ाई जारी है। गुरुद्वारा क्षतिग्रस्त हो गया है और चार सिख लापता हैं। पंजाब के राज्यसभा सांसद विक्रम साहनी ने इसकी जानकारी दी।
 
इससे पहले भी गुरुद्वारा पर हो चुका हमला
पिछले अक्तूबर में, तालिबान के सत्ता में आने के कुछ महीने बाद, अज्ञात बंदूकधारियों ने गुरुद्वारा करते परवन पर धावा बोल दिया था और संपत्ति में तोड़फोड़ की थी। तब से, अफगान सिख भारत को बचाए जाने की अपील कर रहे हैं।

हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे: भारतीय विदेश मंत्रालय
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम काबुल में एक पवित्र गुरुद्वारे पर हमले को लेकर बहुत चिंतित हैं। हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और आगे की घटनाओं के बारे में अधिक जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
 
गुरुद्वारा के अंदर अब भी 7-8 लोग फंसे: मनजिंदर सिंह सिरसा
भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि जानकारी के अनुसार अब तक तीन लोग निकल चुके हैं। जिनमें से दो को अस्पताल भेजा गया है। गुरुद्वारा के गार्ड की मौत हो गई है। माना जा रहा है कि 7-8 लोग अभी भी अंदर फंसे हुए हैं लेकिन संख्या की पुष्टि नहीं हुई है। अभी भी फायरिंग जारी है।

 

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भारतीय आमों को यूरोप में बढ़ावा देने पियूष गोयल ने आयोजित किया ‘मैंगो फेस्टिवल’

ब्रुसेल्स/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत के स्वादिष्ट व रसीले आमों को यूरोपीय देशों के बाजारों में भी बड़े पैमाने पर पहुंचाने के प्रयास तेज हो गए हैं। इस बाजार में भारतीय आमों को बढ़ावा देने के इरादे से बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में ‘मैंगो फेस्टिवल’ का आयोजन किया गया है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को इसका शुभारंभ किया। अभी बेल्जियम में आम लैटिन अमेरिकी देशों से पहुंचते हैं।

इस मौके पर गोयल ने यूरोपीय संघ व भारत के बीच मुक्त व्यापार वार्ता (एफटीए) का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी शुरुआत ‘मैंगो मैनिया’ के साथ ही हुई थी। हालांकि, एफटीए को 2013 में रोक दिया गया था, हमने अब फिर से ये पहल की है। यह वार्ता औपचारिक रूप से फिर से शुरू की जाएगी।

भारत से आम का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है, लेकिन यह खासकर मध्य पूर्व व अरब देशों में ही जाता है। बेल्जियम, लक्जबर्ग व यूरोपीय संघ EU के भारतीय राजदूत संतोष झा का कहना है कि यहां के बाजार में भारतीय आमों के लिए अपार संभावना है।

झा ने कहा कि बेल्जियम में पहले मैंगो फेस्टिवल के आयोजन का उद्देश्य लोगों को इसका स्वाद चखना है। बेल्जियम को यूरोप की राजधानी माना जाता है। यहां ईयू के सभी संगठनों के दफ्तर हैं। इसके शुभारंभ के मौके पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का मौजूद रहना सुखद संयोग है। मुझे इस बात की खास खुशी है कि मैंगो फेस्टिवल में प्रदर्शित किए गए अधिकांश आम मेरे गृह राज्य बिहार के हैं। मैंने भी कई सालों बाद इनका लुत्फ लिया है।

भारतीय दूतावास में कृषि व मरीन उत्पादों की सलाहकार डॉ. स्मिता सिरोही ने बताया कि यूरोप में ब्रिटेन व जर्मनी में भारतीय बाजार हैं। बेल्जियम में मैंगो फेस्टिवल आयोजित करने का विचार यूरोपीय बाजारों में भारतीय आमों को प्रदर्शित करना है। बेल्जियम में ज्यादातर आम लैटिन अमेरिकी देशों से आ रहे हैं।

सात किस्मों के आम प्रदर्शित किए गए
ब्रुसेल्स में आयोजित आम प्रदर्शनी में भारतीय आमों की सात किस्मों को प्रदर्शित किया गया है। आंध्र प्रदेश के बंगनपल्ली, उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद दशहरी, ओडिशा के आम्रपाली, के अलावा लक्ष्मण भोग, हिमसागर, जर्दालु आम, लंगड़ा आम और 12 जीआई-टैग उत्पाद पेश किए गए हैं।
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अमेरिका की इस दिग्गज कंपनी को खरीदेगी मुकेश अंबानी की रिलायंस, मैंडरिन होटल के बाद बड़ा सौदा

नई दिल्ली/वॉशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत के टॉप कारोबारियों में से एक मुकेश अंबानी की रिलायंस कंपनी अमेरिका की रेवलॉन इंक को खरीद सकती है, जिसने कुछ दिन पहले ही दिवालिएपन के लिए याचिका दायर की है। ईटी नाउ ने शुक्रवार को सूत्रों के हवाले से बड़ा दावा किया है और अगर ये सौदा किया जाता है, तो अंबानी की रिलायंस कंपनी न्यूयॉर्क में मैंडरिन ओरिएंटल होटल के बाद एक और बड़ा सौदा होगा।


रेवलॉन इंक को खरीद सकती है रिलायंस 
ईटी नॉउ की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज संयुक्त राज्य अमेरिका में रेवलॉन इंक को खरीद सकती है, जिसके कुछ दिनों बाद कॉस्मेटिक्स दिग्गज ने दिवालिएपन के लिए दायर किया, है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाला इंडियन ऑयल टू रिटेव ग्रुप अब कॉस्मेटिक निर्माता कंपनी रेनलॉन के लिए बोली लगाने पर विचार कर रहा है, जिसने संयुक्त राज्य में अध्याय 11 दिवालियापन संरक्षण के लिए दायर किया है। 

रेवलॉन इंक कॉस्मेटिक कंपनी को जानिए 
रेवलॉन इंक कंपनी 90 साल पहले न्यूयॉर्क शहर में अपनी स्थापना के बाद से अमेरिका के घरों में विख्यात ब्रांड बन गया और रेवलॉन इंक के कॉस्मेटिक उत्पाद अमेरिका में काफी प्रसिद्ध हो गये। लेकिन, 1990 के बाद से कंपनी ने मॉडर्न जेनरेशन की बदलती मांगो के साथ तालमेल बिठाना कम कर दिया। हालांकि, उसके बाद भी रेवलॉन इंक का लाल लिपिस्टिक अमेरिका में काफी ज्यादा प्रसिद्ध रहा, लेकिन कंपनी का ब्रांड नाम बरकरार रहा, लेकिन प्रोडेक्ट्स कि बिक्री कम होने लगी। प्रॉक्टर एंड गैंबल जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वियों के आने के बाद रेवलॉन इंक ने तेजी से बाजार में अपनी हिस्सेदारी खोनी शुरू कर दी और काइली जेनर और अन्य हस्तियों की नवागंतुक कॉस्मेटिक लाइनों ने उत्पादों को सामने रखने वाले प्रसिद्ध चेहरों के बाद बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया पर सफलतापूर्वक पूंजीकरण किया। 

कोविड से कंपनी की स्थिति और बिगड़ी 
पहले से ही बढ़ते कर्ज से परेशान रेवलॉन की समस्याएं कोविड महामारी के साथ तेज हो गईं और महामारी की वजह से कंपनी को भारी नुकसान हुआ, क्योंकि लिपस्टिक ने फैशन में एक नए युग का मार्ग प्रशस्त किया। कोविड महामारी की वजह से साल 2020 में रेवलॉन कंपनी की बिक्री में 21 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई। हालांकि, बाद में कंपनी ने 9.2 प्रतिशत की बिक्री बढ़ोतरी के साथ वापसी की और मार्च में समाप्त हुई नवीनतम तिमाही में, रेवलॉन की बिक्री लगभग 8% बढ़ी, लेकिन अभी भी एक वर्ष में 2.4 अरब डॉलर से अधिक की महामारी के पहले स्तर से पीछे है। वहीं, ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित होने के बाद हाल के महीनों में विश्व की सैकड़ों कंपनियां परेशान रही हैं और रेवलॉन पर इसका काफी बुरा असर पड़ा, जिसकी वजह से 2020 के अंत में कंपनी दिलालिएपन की स्थिति तक पहुंच गई। 

रेवलॉन कंपनी ने क्या कहा? 
यूक्रेन युद्घ और ग्लोबल सप्लाई चेन में रूकावट की वजह से अभी भी आशंका है कि, कंज्यूमर प्रोडक्ट सेक्टर में कॉरपोरेट री-स्ट्रक्चरिंग हो सकते हैं और इसके पीछे की वजह उत्पादन क्षेत्र में मंदी और बढ़ती लागत है। वहीं, रेवलॉन ने कहा कि अदालत की मंजूरी के बाद उसे उम्मीद है कि, उधारदाताओं से उसे मौजूदा वक्त में 575 मिलियन डॉलर का वित्तपोषण होगा, जिससे वो अपने दिन-प्रतिदिन के संचालन को चालू रख पाएगा। 2018 में रेवलॉन के अध्यक्ष और सीईओ नामित डेबरा पेरेलमैन ने कहा था कि, 'फाइलिंग रेवलॉन को हमारे उपभोक्ताओं को दशकों से हमारे द्वारा वितरित किए गए प्रतिष्ठित उत्पादों की पेशकश करने की अनुमति देगी, जबकि हमारे भविष्य के विकास के लिए एक स्पष्ट मार्ग प्रदान करेगी।" उसके पिता, अरबपति कारोबारी रॉन पेरेलमैन, मैकएंड्रयूज़ और फोर्ब्स के माध्यम से कंपनी का समर्थन करते हैं, जिसने 1985 में शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण के माध्यम से व्यवसाय का अधिग्रहण किया। रेवलॉन 1996 में सार्वजनिक हुआ था।

जनवरी में मैंडरिन होटल का सौदा 
इससे पहले एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी ने अमेरिका के न्यूयॉर्क में विशालकाय लग्जरी होटल खरीदा था, जो हॉलीवुड का पसंदीदा ठिकाना है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया के सबसे बड़े अरबपति मुकेश अंबानी ने न्यूयॉर्क शहर में मैंडरिन ओरिएंटल को खरीदा था और अब अंबानी की कंपनी ने रेवलॉन को खरीदा है। 248 कमरों वाला ये विशालकाय होटल काफी ज्यादा महंगा और इसके एक कमरे की कीमत लाखों में है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, मुकेश अंबानी के समूह रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मैंडरिन ओरिएंटल को 98 मिलियन डॉलर यानि करीब 9.81 करोड़ डॉलर यानि करीब 728 करोड़ रुपये में ये सौदा किया था।
 
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भारत-कनाडा ने मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता शुरू की, WTO से इतर दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडल मिले

 जिनेवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। भारत और कनाडा ने शुक्रवार को स्विट्जरलैंड के जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मौके पर मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चौथे दौर की वार्ता शुरू की। दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडल दोनों देशों के बीच प्रस्तावित एफटीए पर चर्चा करने के लिए मिले। वहीं, कई गैर-टैरिफ बाधाएं, जैसे निवेशक संरक्षण से संबंधित नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार, और शासन और मानकों के सामंजस्य, मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में प्रमुख बिंदु हैं, जिन पर भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) ने इस साल दिवाली तक हस्ताक्षर करने का लक्ष्य रखा है। 

व्यापक व्यापार सौदा करने के लिए संबोधित करने की आवश्यकता 
इससे पहले, यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल (UKIBC) के कार्यकारी अध्यक्ष, रिचर्ड हील्ड ने एक साक्षात्कार में समाचार एजेंसी ANI को बताया कि, ब्रिटेन के व्यवसाय, साथ ही भारतीय व्यवसाय, गैर-टैरिफ बाधाओं, विशेष रूप से तकनीकी पर समान ध्यान देना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कई गैर-टैरिफ बाधाएं हैं जिन्हें दोनों देशों को एक व्यापक व्यापार सौदा करने के लिए संबोधित करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे बताया ,यह न केवल टैरिफ बाधाओं से संबंधित है, बल्कि गैर-टैरिफ बाधाओं के बारे में भी है। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देशों को जिन गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने की जरूरत है, उनमें मूल के नियमों के आसपास के मुद्दे, शासन और मानकों का सामंजस्य, बौद्धिक संपदा अधिकारों के नियमों की पुष्टि और निवेशक संरक्षण शामिल हैं। बता दें कि, भारत और यूके ने मई 2021 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन के बीच आयोजित वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते के अपने इरादे की घोषणा की थी। 

दोनों देशों के बीच प्रस्तावित एफटीए (FTA) पर औपचारिक बातचीत इस साल की शुरुआत में शुरू हुई थी। बातचीत का तीसरा दौर 6 मई को हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया था, जिसमें कुछ टीमों की बैठक नई दिल्ली में हुई थी। ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान भारतीयों के लिए अधिक स्किल्ड वीजा के लिए अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि यूके वर्तमान में आईटी और प्रोग्रामिंग क्षेत्रों में विशेषज्ञों की कमी का सामना कर रहा है।तीसरे दौर की वार्ता के दौरान, मसौदा संधि पाठ अधिकांश अध्यायों में उन्नत किया गया था। बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों पक्षों के तकनीकी विशेषज्ञ 23 नीति क्षेत्रों को कवर करते हुए 60 अलग-अलग सत्रों में चर्चा के लिए एक साथ आए। भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए मई के अंतिम सप्ताह में लंदन का दौरा किया। ब्रिटेन के वार्ताकारों के साथ बैठक के बाद गोयल ने उम्मीद जताई थी कि दिवाली तक एफटीए पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। इस सप्ताह की शुरुआत में, ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने कहा, ब्रिटेन अब यूरोपीय संघ में नहीं है और यह वास्तव में यूके-भारत संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। मैं विशेष रूप से व्यापार के बारे में सोचता हूं, जहां हम एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। हमारा अगला दौर अगले सप्ताह होगा और दोनों प्रधानमंत्रियों ने वार्ताकारों से कहा है कि यह दिवाली तक हो जाएगा। भारत और यूके ने इस साल जनवरी में मुक्त व्यापार समझौता वार्ता शुरू की। दोनों देश दोनों पक्षों के व्यवसायों को लाभ पहुंचाने के लिए त्वरित लाभ प्रदान करने के लिए एक अंतरिम समझौते की संभावना भी तलाश रहे हैं।
 
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ब्रिटेन सरकार ने असांजे के अमेरिका प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, अपील की संभावना

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन सरकार ने जासूसी के आरोपों में विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने की मंजूरी दे दी है। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि गृह मंत्री प्रीति पटेल ने प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इससे पहले ब्रिटेन की एक अदालत ने व्यवस्था दी थी कि असांजे को अमेरिका प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

अमेरिका भेजे जाने से बचने के लिए असांजे की वर्षों से कानूनी लड़ाई में यह एक बड़ा मोड़ है। हालांकि असांजे के प्रयासों का यह अंत नहीं है और उनके पास अपील करने के लिए 14 दिन का समय है।
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यूरोपीय नेताओं ने जेलेंस्की के प्रति समर्थन व्‍यक्‍त किया

कीव (छत्तीसगढ़ दर्पण)। यूरोपीय नेताओं ने कीव में हुई बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोद्योमीर जेलेंस्की के प्रति समर्थन व्‍यक्‍त किया। इस बैठक में यूरोपीय नेताओं ने यूरोपीय संघ से जुड़ने की कीव की उम्मीदवारी का समर्थन किया।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज और इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने जेलेंस्की के साथ एक साझा संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। 
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मंगल ग्रह पर कहां से आया 'मानवीय कचरा' ? रहस्यमयी तस्वीर के बारे में NASA ने ये बताया

वॉशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की सतह पर एक ऐसी चीज देखी जो दूसरी दुनिया की तो है ही, वह असल में 'मानव का छोड़ा हुआ कचरा' है। यह चमकीली पन्नी की तरह का कचरा ऐसे स्थान पर मंगल के चट्टानों के बीच पड़ा था, जहां से नासा का पर्सीवरेंस रोवर भी काफी दूर है। काफी पड़ताल के बाद पता चला कि लाल ग्रह पर पहुंचे इस मानवीय कचरे के लिए नासा का मंगल मिशन ही जिम्मेदार है। जानिए कि वह पन्नी जैसी चमकीली चीज है क्या और कैसे मंगल ग्रह तक पहुंच गई है।

मंगल ग्रह पर कहां से आया 'मानवीय कचरा' ?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सीवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर चट्टानों के बीच पड़े एक रहस्यमयी चीज की तस्वीर खींची है। देखने में यह चमकीली पन्नी का टुकड़ा लग रहा है, जिसपर अनेकों स्पॉट भी स्पष्ट नजर आ रहे हैं। जब नासा के वैज्ञानिकों की नजर इस तस्वीर पर पड़ी तो वह सोचने मजबूर हो गए कि लाल ग्रह पर यह 'मानवीय कचरा' आया कहां से? क्योंकि, मंगल ग्रह के चट्टानों के बीच यह पूरी तरह से बाहरी दुनिया की वस्तु नजर आ रही थी। जब वैज्ञानिकों ने तस्वीर की गहन जांच की तो उन्हें अंदाजा हो गया कि इस 'मानवीय कचरे' के लिए खुद वही जिम्मेदार हैं। (पहली तस्वीर सौजन्य ट्विटर: NASA Perseverance Mars rover)

थर्मल ब्लैंकेट का हिस्सा है वह 'रहस्यमयी' चीज
दरअसल, वह रहस्यमयी चीज वास्तव में भी एक चमकीली पन्नी का टुकड़ा है, जो नासा के मुताबिक उस थर्मल ब्लैंकेट का हिस्सा है, जो मंगल की सतह पर रॉकेट से रोवर और इनजेनिटी मार्स हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के दौरान आया हो सकता है। लेकिन, एक बात अभी भी नासा के वैज्ञानिकों को समझ में नहीं आई है कि जिस जगह पर थर्मल ब्लैंकेट का हिस्सा पड़ा हुआ है, वह लैंडिंग वाली जगह से 2 किलो मीटर की दूरी पर है। वैज्ञानिक इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि यह टुकड़ा रॉकेट से यहीं पर गिरा था या फिर मंगल ग्रह की हवाओं से बहाकर लाया गया है।

पर्सीवरेंस रोवर टीम ने दी जानकारी
15 जून को पर्सीवरेंस रोवर टीम ने इसके बारे में ट्वीट करके जानकारी दी है। इसमें कहा गया है, 'मेरी टीम को कुछ अप्रत्याशित मिला है: यह थर्मल कंबल का एक टुकड़ा है जो उन्हें लगता है कि मेरे उतरने के चरण में आया हो सकता है, रॉकेट-पावर्ड जेट पैक जिसने मुझे 2021 में लैंडिंग के दिन यहां पर उतारा था।' 13 जून को रोवर के बाएं मास्टकैम-जेड कैमरे से खींची गई फोटो में, पन्नी का एक टुकड़ा जिसके चारों ओर डॉट्स मौजूद हैं, स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

'सात मिनट का आंतक' के समय आता है काम
नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के एक प्रवक्ता एंड्र्यू गुड ने भी सीएनईटी से कहा कि वह टुकड़ा निश्चित तौर पर थर्मल ब्लैंकेट का हिस्सा है। लेकिन, उन्होंने कहा कि यह पता नहीं चल पाया है कि यह स्पेसक्राफ्ट के किस पार्ट से आया है। ये थर्मल कंबल वास्तव में महत्वपूर्ण समय में तापमान को नियंत्रित करने का काम करते हैं, जिसमें ग्रह पर एंट्री, नीचे उतरने और लैंडिंग की प्रक्रिया शामिल है। इस प्रक्रिया को ही 'सात मिनट का आंतक' के नाम से भी जानते हैं।

मंगल पर प्राचीन जीवन की खोज में लगा है रोवर
रोवर की सोशल मीडिया टीम ने उन लोगों के बारे में भी जानकारी साझा की है, जो इस तरह का थर्मल कंबल बनाते हैं। ट्वीट में लिखा है, 'उन्हें अंतरिक्ष यान ड्रेसमेकर के रूप में समझें। वे इन अनूठी चीजों को एक साथ जोड़ने के लिए सिलाई मशीनों और दूसरे उपकरणों के साथ काम करते हैं।' रोवर इस समय मंगल ग्रह पर जेजेरो क्रेटर के अंदर एक प्राचीन नदी डेल्टा क्षेत्र का अध्ययन कर रहा है, जिससे लाल ग्रह पर प्राचीन जीवन के प्रमाण मिलने की उम्मीद है।

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मंगल से धरती पर सैंपल लाकर किया जाएगा अध्ययन
मंगल का यह स्थान वहां के चट्टानों का सैंपल जुटाने और इतिहास में पानी की मौजूदगी के साक्ष्य जुटाने के लिए उपयुक्त है। नासा की योजना इन सैंपलों को धरती पर लाकर उनका विस्तार से अध्ययन करना है। इसके लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के साथ साझेदारी की हुई है। इसके लिए मंगल के सैंपल की जांच के लिए 16 वैज्ञानिकों का ग्रुप बनाया गया है, जो आगे का भी रोडमैप तैयार करेगा।
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